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सरिस्का टाइगर रिजर्व

Lokesh Pal May 17, 2024 07:45 179 0

संदर्भ 

आधिकारिक दस्तावेजों से पता चलता है कि सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve- STR) की कुल भूमि का लगभग 60.5% हिस्सा अभी तक वन विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया है। 

संबंधित तथ्य 

  • STR को वर्ष 1978 में कुल 88,111.2 हेक्टेयर आवंटित किया गया था, लेकिन राजस्व विभाग द्वारा लंबित उत्परिवर्तन प्रक्रियाओं (Mutation Processes) के कारण वन विभाग को अभी भी 53,308.96 हेक्टेयर का स्वामित्व नहीं सौंपा गया है।
  • वर्तमान स्थिति: भूमि स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए आवश्यक उत्परिवर्तन प्रक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे 53,308 हेक्टेयर में से लगभग 41,239 हेक्टेयर STR में और 2,096 हेक्टेयर अलवर रेंज में है।
    • इसके अलावा, लगभग 10,000 हेक्टेयर भूमि का अभी भी सर्वेक्षण नहीं किया गया है और यह प्रक्रिया में है।
  • प्रभाव 
    • अवैध आवंटन: अस्पष्ट भूमि अधिकार बाघ अभयारण्य और उसके आसपास के क्षेत्रों में भूमि के अवैध आवंटन को प्रोत्साहित करते हैं।
      • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने वन भूमि के अवैध आवंटन की जाँच हेतु CBI को जाँच के लिए भी अधिसूचित किया है।
    • दोहन एवं अतिक्रमण: इस क्षेत्र में कॉलोनियों, होटलों, अतिक्रमणों और औद्योगिक क्षेत्रों का प्रसार हो रहा है।
    • गंभीर पर्यावरणीय क्षति: इस क्षेत्र में अवैध खनन और होटल निर्माण बड़े पैमाने पर हो रहे हैं, जो पार्क के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं।
    • गैर-वानिकी गतिविधियाँ: स्पष्ट भूमि स्वामित्व के अभाव के कारण, टहला गेट (Tehla Gate) जैसे पार्क के भीतर के क्षेत्रों का उपयोग गैर-वानिकी गतिविधियों के लिए किया गया है क्योंकि उन्हें अभी भी राजस्व भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • पारदर्शिता का अभाव: शीर्षकों में अस्पष्टता के कारण वन विभाग अपने विवेक से कार्य करता है और पार्क की सीमाओं के बाहर गतिविधियों को रोक देता है।
  • हस्तक्षेप की आवश्यकता
    • बिग कैट के आवासों की सुरक्षा के लिए सीमाओं का परिसीमन और सीमांकन।
    • उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करने के लिए वन भूमि के स्वामित्व को आधिकारिक रिकॉर्ड में शीघ्रता से स्थानांतरित करना।

सरिस्का टाइगर रिजर्व (STR) 

  • अवस्थिति: यह भारत में राजस्थान राज्य के अलवर जिले में अवस्थित है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एकमात्र बाघ अभयारण्य है।
  • क्षेत्र: यह टाइगर रिजर्व अरावली पहाड़ियों के 1203.33 वर्ग किमी. (881.11 वर्ग किमी. कोर/ 322.22 वर्ग किमी. बफर) के क्षेत्र में विस्तृत है।
  • निवास स्थान की प्रकृति: यह रिजर्व झाड़ीयुक्त शुष्क वनों, शुष्क पर्णपाती वनों, घास के मैदानों और चट्टानी पहाड़ियों का मिश्रण है और अरावली रेंज एवं खथियार-गिर शुष्क पर्णपाती वन पारिस्थितिकी क्षेत्र का एक हिस्सा है।
  • वर्तमान संख्या: यहाँ बाघों की आबादी 34 हैं, जिनमें से 11 नर वयस्क, 14 मादा वयस्क और 8 शावक एवं उप वयस्क हैं।
  • वनस्पति: ढोक (एनोगेसस पेंडुला) जंगल के 90% से अधिक क्षेत्र को कवर करने वाली प्रमुख वृक्ष प्रजाति है। कत्था (बबूल कत्था), पलास, बेर और बाँस भी पाए जाते हैं
    • अन्य उल्लेखनीय वृक्ष प्रजातियाँ हैं- अर्जुन, गुग्गल, कदया, आँवला, बहेड़ा।
  • जीव-जंतु: बाघ, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, सियार, जंगली बिल्ली, रेगिस्तानी बिल्ली, दुर्लभ चार सींग वाला मृग या चौसिंगा, बड़ी संख्या में साँभर, चीतल, मोर, (भारत में सबसे बड़ा संख्या घनत्व) ग्रे पार्ट्रिज, पेंटेड स्परफॉवल आदि।
  • इतिहास
    • महाभारत से संबंध: पांडुपोल में हनुमान को समर्पित एक मंदिर, जिसका संस्कृत में अर्थ है ‘पांडवों का प्रवेश द्वार’, यहाँ स्थित है क्योंकि सरिस्का को वह स्थान माना जाता है, जहाँ पांडवों ने अपने निर्वासन का अंतिम वर्ष बिताया था।
    • किले
      • कांकवारी किला: यह रिजर्व के केंद्र में स्थित है और इसे 17 वीं शताब्दी में राजपूत महाराजा जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ मुगल राजकुमार दारा शिकोह को कैद किया गया था।
      • भानगढ़ किला: यह रिजर्व की दक्षिणी सीमा पर स्थित है, भानगढ़ किले का निर्माण महाराजा मान सिंह प्रथम (सम्राट अकबर के प्रमुख सैन्य कमांडरों और नवरत्नों) द्वारा किया गया था। 
  • विकासक्रम
    • वर्ष 1955: सरिस्का क्षेत्र को पहली बार वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया।
    • वर्ष 1958: राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के माध्यम से इसे वन्यजीव अभयारण्य के रूप में पहचाना गया।
    • वर्ष 1979: सरिस्का को प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया और यह भारत का 11वाँ बाघ अभयारण्य बन गया।
    • वर्ष 1982: सरिस्का को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
    • वर्ष 2004: सरिस्का से सभी बाघ विलुप्त हो गए।
    • वर्ष 2007: एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से सरिस्का टाइगर रिजर्व को आधिकारिक तौर पर महत्त्वपूर्ण बाघ निवास स्थान घोषित किया गया।
      • कुल 84 वन खंडों की पहचान की गई और उन्हें सरिस्का टाइगर रिजर्व के  ‘महत्त्वपूर्ण बाघ निवास स्थान’  में शामिल किया गया।
    • वर्ष 2008: विश्व का पहला बाघ पुनर्वास प्रयोग आयोजित किया गया, जिसमें वर्ष 2008- 2012 के दौरान 8 बाघों को रणथंभौर से सरिस्का में पुनः लाया गया।
      • पुनर्वास योजना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और वन विभाग, राजस्थान द्वारा गठित एक कोर समूह के साथ तैयार की गई थी।
    • वर्ष 2012: सरिस्का (ST2) की एक बाघिन द्वारा 2 शावकों को जन्म देने के बाद बाघ पुनर्वास सफल हुआ।
    • वर्ष 2013: सिलिसेढ़ झील और बालाकिला जंगल तक सरिस्का के बफर जोन के रूप में विस्तारित किया गया।

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