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हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा

Lokesh Pal May 20, 2024 05:00 231 0

संदर्भ

पिछले वर्ष मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद मालदीव के विदेश मंत्री अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर भारत आए थे।

संबंधित तथ्य 

  • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) का सामरिक महत्त्व: भारत में लोकसभा चुनावों के बावजूद हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) के देशों की उनकी यात्रा इस क्षेत्र के सामरिक महत्त्व को दर्शाती है।
  • मालदीव को वित्तीय सहायता: बैठक के दौरान भारत ने मालदीव को 50 मिलियन डॉलर का बजटीय समर्थन दिया।
  • सामरिक चिंताओं पर फोकस: भारत के विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से भारत की सामरिक चिंताओं से उन्हें अवगत कराया और इस बात पर जोर दिया कि करीबी पड़ोसियों के रूप में, द्विपक्षीय संबंधों का विकास ‘पारस्परिक संवेदनशीलता’ पर आधारित होना चाहिए।

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के बारे में

  • विस्तार: यह अफ्रीका के पूर्वी तट से लेकर ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट तक फैला हुआ है, जिसमें अरब की खाड़ी, पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया से मलक्का जलडमरूमध्य और दक्षिणी महासागर द्वीप शामिल हैं तथा इसमें लगभग 38 देश शामिल हैं।
  • व्यपारिक मार्ग: यह एक महत्त्वपूर्ण पारगमन मार्ग के रूप में कार्य करता है, जो मलक्का जलडमरूमध्य, होर्मुज जलडमरूमध्य, बाब अल मंडेब, तथा ओम्बाई (Ombai) और वेटर (Wetar) जलडमरूमध्य जैसे महत्त्वपूर्ण अवरोध बिंदुओं के माध्यम से पूर्व और पश्चिम के बीच के अंतराल को कम करता है।

IOR का महत्त्व

  • रणनीतिक स्थान: भारत हिंद महासागर के चौराहे पर अवस्थित है, जिसकी रणनीतिक स्थिति महासागर के केंद्र में है, जिसकी तटरेखा 7,500 किलोमीटर से अधिक है।
  • व्यापार: मात्रा के हिसाब से भारत के व्यापार का 95 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 68 प्रतिशत हिस्सा हिंद महासागर से होता है।
  • तेल पर निर्भरता: भारत की कच्चे तेल की 3.28 मिलियन बैरल प्रतिदिन की आवश्यकता का 80 प्रतिशत समुद्र के रास्ते आयात किया जाता है और अपतटीय तेल उत्पादन एवं पेट्रोलियम निर्यात को ध्यान में रखते हुए कुल निर्भरता 93 प्रतिशत है।
    • भारत तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquefied Natural Gas- LNG) का चौथा सबसे बड़ा आयातक है, जिसका लगभग 45 प्रतिशत समुद्री मार्ग से आता है।
  • संसाधन निर्भरता
    • मत्स्यपालन: भारत तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक मछली उत्पादन में 8 प्रतिशत का योगदान देता है तथा समुद्री मछली उत्पादन में इसकी कुल हिस्सेदारी 4.12 मिलियन टन है।
    • खनिज संसाधन निष्कर्षण: भारत को गहरे समुद्र तल खनन के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त केंद्रीय हिंद महासागर रिज का अन्वेषण करने का विशेष अधिकार है।
    • इस क्षेत्र में मैंगनीज के साथ-साथ कोबाल्ट, निकल, ताँबा, लीथियम आदि के विशाल भंडार होने का अनुमान है, जो औद्योगिक क्रांति 4.0 को आगे बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भू-रणनीतिक महत्त्व: भारत हिंद महासागर में अवरोध बिंदुओं पर नियंत्रण करके बढ़ते चीनी विस्तारवाद पर नजर रख सकता है।

IOR में चुनौतियाँ

  • मालदीव द्वारा प्रस्तुत चुनौतियाँ
    • मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति का प्रतिस्थापन: इसमें ‘इंडिया आउट’ अभियान जैसे भारत विरोधी अभियान और वहाँ तैनात 77 भारतीय सैन्य कर्मियों के स्थान पर नागरिकों को तैनात करने का अनुरोध करने का निर्णय शामिल है।
    • हाइड्रोग्राफी समझौते को वापस लेना: इसने भारत के साथ हाइड्रोग्राफी पर एक समझौते को वापस ले लिया, जिसमें दावा किया गया कि वह अपने क्षेत्रीय जल के मानचित्रण पर किसी विदेशी देश के साथ सहयोग नहीं करना चाहता है।
    • चीन के साथ मजबूत होते संबंध: मालदीव ने चीन के साथ एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (Maldives National Defence Force- MNDF) को प्रशिक्षण देना और गैर-घातक रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करना शामिल है।
      • चीन मालदीव को मुफ्त सैन्य सहायता प्रदान कर रहा है और दोनों पक्षों ने सैन्य सहयोग के बारे में द्विपक्षीय चर्चा की है। 
      • मालदीव के समुद्री क्षेत्र में चीनी अनुसंधान जहाजों की उपस्थिति भी बढ़ गई है।
  • समुद्री यातायात के लिए खतरा: क्षेत्रीय हितधारकों के बीच संघर्ष और तस्करी, समुद्री डकैती तथा आतंकवाद जैसे बढ़ते अपराधों के माध्यम से बढ़ती अस्थिरता के रूप में उनके परिणाम क्षेत्र में समुद्री यातायात के लिए एक महत्त्वपूर्ण खतरा उत्पन्न करते हैं।
    • उदाहरण: ईरान समर्थित हूती विद्रोही लाल सागर और अरब सागर से गुजरने वाले शिपिंग कंटेनरों को मिसाइलों से निशाना बना रहे हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए चुनौतियाँ:  UNCLOS  जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना नेविगेशन और ओवरफ्लाइट्स की स्वतंत्रता तथा संप्रभुता एवं स्वतंत्रता की सुरक्षा के बारे में चिंताएँ पैदा करती है।
  • IOR का सैन्यीकरण: इस क्षेत्र में युद्धपोतों और पनडुब्बियों की उपस्थिति बढ़ रही है, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, UAE, सऊदी अरब और चीन सभी ने हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि की है। उदाहरण: मालदीव में चीनी अनुसंधान जहाजों की उपस्थिति।
  • ऋण जाल: छोटे देश चीन की ऋण जाल कूटनीति के शिकार हो रहे हैं, जिसके कारण वे असंतुलित ऋण, अव्यवहार्य परियोजनाओं और अविवेकपूर्ण विकल्पों का जोखिम उठा रहे हैं। उदाहरण: श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह।
    • चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर बैलिस्टिक मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग एवं सर्वेक्षण जहाज युआन वांग 5 को तैनात किया है।
    • मालदीव अभी भी वर्ष 2013 से 2018 तक चीन से लिए गए 1.3 बिलियन डॉलर के ऋण से जूझ रहा है।
  • सामरिक प्रतिस्पर्द्धा: शक्ति संतुलन की धुरी हिंद महासागर क्षेत्र में स्थानांतरित हो गई है, जो अमेरिका एवं चीन के बीच महाशक्ति प्रतिस्पर्द्धा का मैदान बन गया है, जिससे क्षेत्र में तटीय राष्ट्रों के लिए गतिशीलता की संभावना कम हो गई है।
    • बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में उपस्थिति बनाए रखने से चीन को म्याँमार के क्यौकफ्यू (Kyaukphyu) बंदरगाह से चीन के कुनमिंग तक जाने वाली तेल और गैस पाइपलाइन का बेहतर उपयोग करने में मदद मिलेगी।
    •  इसे अफ्रीका या पश्चिम एशिया से चीन तक तेल आयात के यात्रा समय को 700 मील (लगभग 30 प्रतिशत) कम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • चीन की बढ़ती मौजूदगी: इस क्षेत्र में चीन की आक्रामक रणनीति से क्षेत्र में संघर्ष एवं तनाव उत्पन्न हो रहा है, साथ ही क्षेत्र के अन्य देशों के साथ चीन का समुद्री टकराव भी बढ़ रहा है। चीन एक समानांतर हिंद महासागर क्षेत्र मंच की भी मेजबानी करता है। उदाहरण: दक्षिण चीन सागर विवाद।
    • चीनी उपग्रह एवं मिसाइल ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 03 को हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश करते हुए देखा गया है।
  • गैर-पारंपरिक खतरे
    • अवैध प्रवास: रोहिंग्या अवैध रूप से बंगाल डेल्टाई भूमि और नदी से संबंधित समुद्री मार्गों के माध्यम से भारतीय क्षेत्र में प्रवास कर चुके हैं।
    • मानव तस्करी: मुख्य रूप से बांग्लादेश और भारत से पीड़ितों को बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के पार दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में तस्करी करके लाया जाता है।
    • ड्रग तस्करी: समुद्री मार्ग से होने वाली ड्रग तस्करी म्याँमार से अंडमान सागर और मलक्का जलडमरूमध्य के द्वारा होती है, जो मेथामफेटामाइन (Methamphetamine) को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, ऑस्ट्रेलिया और जापान तक पहुँचाती है।
    • समुद्री आतंकवाद: बंगाल की खाड़ी के कई तटीय देश या तो आतंकवादी हमलों के शिकार हैं या आतंकवादियों के परीक्षण स्थल हैं।
      • वैश्विक आतंकवाद सूचकांक, 2024 के अनुसार, जो दुनिया भर के देशों पर आतंकवाद के प्रभाव को मापता है, म्याँमार 9वें स्थान पर है, भारत 14वें स्थान पर है।
    • जलवायु संकट: समुद्र स्तर में वृद्धि और मालदीव तथा इंडोनेशिया जैसे छोटे द्वीपीय देशों के डूबने से पूरे क्षेत्र में जनसंख्या आधारित शरणार्थी संकट की समस्या उत्पन्न हो गई है।

हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका

  • सामरिक अवसंरचना विकास: श्रीलंका ने भारत द्वारा उत्तरी श्रीलंका में सामरिक रूप से स्थित कांकेसंथुराई (Kankesanthurai) बंदरगाह के विकास को मंजूरी दे दी है, जो पुडुचेरी के कराईकल गहरे समुद्र बंदरगाह से सिर्फ 100 किमी. दूर है, जिससे दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ेगा।
    • भारत-रूस संयुक्त उद्यम ने हंबनटोटा में चीनी ऋण से निर्मित मट्टाला हवाई अड्डे के संचालन का प्रबंधन हासिल किया।
    • भारत मालदीव में रडार, हेलीकॉप्टर और विमानों का संचालन और रखरखाव करता है।
    • ये परियोजनाएँ भारत को उस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण आधार प्रदान करती हैं, जहाँ श्रीलंका और मालदीव दोनों चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative-BRI) का हिस्सा हैं।
    • P-81 लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान और अनआर्म्ड MQ-9B  सी गार्जियन ड्रोन द्वारा संचालित नियमित खुफिया, निगरानी और टोही (Intelligence Surveillance And Reconnaissance- ISR) मिशन।
  • उपस्थिति और सुरक्षा को मजबूत करना: भारत ने इस क्षेत्र के देशों में मौजूदगी बढ़ा दी है।
    • यह मालदीव और सेशेल्स जैसे देशों के विशाल अनन्य आर्थिक क्षेत्रों (Exclusive Economic Zones- EEZ) की संयुक्त गश्त एवं निगरानी करने के लिए नियमित रूप से युद्धपोत भेजता है।
    • भारत ने लक्षद्वीप द्वीपसमूह में एक नौसैनिक अड्डे,  INS जटायु का उद्घाटन किया।
    • भारत ने मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर एक उन्नत जेट्टी और हवाई पट्टी का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया।
    • भारत ने चीन को रोकने की रणनीति के तहत पश्चिमी हिंद महासागर में एक चौकी भी बनाई है।
  • सुरक्षा: भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और सतर्कता कार्यों के सबसे बड़े नेटवर्क के साथ नेट सुरक्षा प्रदाता की भूमिका निभाई है, जो तस्करी, अवैध मछली पकड़ने, मानव तस्करी, समुद्री डकैती, आतंकवाद आदि जैसे अपराधों को रोकता है। उदाहरण: भारतीय तटरक्षक बल लाल सागर में समुद्री डकैती के प्रयासों को कम कर रहा है।
  • मानवीय और आपदा राहत भूमिका: भारत, ‘नेबरहुड फर्स्ट’ की नीति के साथ किसी भी संकट की स्थिति के दौरान इस क्षेत्र में प्रथम प्रतिक्रियादाता है। उदाहरण: यमन में ऑपरेशन राहत या मालदीव को ताजा पेयजल उपलब्ध कराना।
  • SAGAR विजन (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास): इसका उद्देश्य मुख्य भूमि और द्वीपों के समुद्री हितों की रक्षा करना है।
  • साझा जागरूकता एवं विवाद समाधान (Shared Awareness and Deconfliction- SHADE) कार्यक्रम: इसकी स्थापना अन्य समुद्री बलों के साथ सहयोग के उच्च स्तर तक पहुँचने के लिए सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ाने हेतु की गई है।
  • MILAN अभ्यास: यह हिंद महासागर क्षेत्र में पसंदीदा सुरक्षा साझेदार और प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में नौसेना की बढ़ती उपस्थिति को रेखांकित करता है।
  • क्षेत्रीय सहयोग पहल
    • इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association- IORA): यह वर्ष 1997 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो हिंद महासागर में भारत के सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक हितों को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन: यह एक समूह है, जिसमें भारत, श्रीलंका, मॉरीशस और मालदीव शामिल हैं, जो हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करते हैं।
    • इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल (Indo Pacific Oceans Initiative- IPOI): IPOI क्षेत्रीय समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करना चाहता है।
    • समुद्री क्षेत्र जागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक भागीदारी (Indo Pacific Partnership for Maritime Domain Awareness- IPMDA) पहल: IPMDA इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री क्षेत्र जागरूकता बढ़ाने के लिए एक प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण पहल है। 
    • सूचना संलयन केंद्र- हिंद महासागर क्षेत्र (Information Fusion Centre – Indian Ocean Region- IFC-IOR): यह भारतीय नौसेना द्वारा संचालित एक क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा केंद्र है।

आगे की राह

  • चीन का मुकाबला: भारत को हिंद महासागर में अपने प्रमुख सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए श्रीलंका, मालदीव आदि जैसे क्षेत्रीय साझेदारों के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने सुरक्षा सहयोग को और अधिक बढ़ाने, मजबूत करने तथा गहन करने की आवश्यकता है।
    • हार्ड एवं सॉफ्ट पॉवर संसाधनों का निर्माण: भारत को अपनी समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा इस क्षेत्र में भविष्य में किसी भी संघर्ष से उत्पन्न होने वाली किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में सक्षम होने के लिए हार्ड एवं सॉफ्ट पॉवर संसाधनों का विकास करने की आवश्यकता है।
      • भारत का ध्यान सी लाइन ऑफ कम्युनिकेशन (SLOC) की सुरक्षा और संसाधन प्रबंधन पर होना चाहिए।
    • बहुपक्षीय मंचों में भारत की उपस्थिति: भारत को बहुपक्षीय मंचों पर अपनी रणनीतिक मौजूदगी का विस्तार करना चाहिए।
    • रक्षा अवसंरचना परियोजनाएँ: भारत को चीन के ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ सिद्धांत के प्रभावी प्रतिकार के रूप में हिंद महासागर में रक्षा अवसंरचना परियोजनाएँ शुरू करनी होंगी।
    • एक व्यापक दृष्टिकोण: भारत को केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर अपनी सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच बेहतर सहयोग तथा समन्वय सहित एक व्यापक रणनीति तैयार करनी चाहिए।
  • समुद्री क्षेत्र जागरूकता (Maritime Domain Awareness- MDA) को बढ़ाना: सैन्यीकरण से परे, बंगाल की खाड़ी क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने हेतु MDA की आवश्यकता है।
    • MDA ‘समुद्री पर्यावरण से जुड़ी किसी भी गतिविधि की प्रभावी समझ है जो सुरक्षा, संरक्षा, अर्थव्यवस्था या पर्यावरण पर प्रभाव डाल सकती है।’
    • MDA सूचना-निर्णय-कार्रवाई चक्र का अभिन्न अंग है, क्योंकि यह किसी राष्ट्र को अपने जल क्षेत्र से उत्पन्न खतरों का आकलन करने की अनुमति देता है।
    • भारत की MDA को तटीय निगरानी नेटवर्क (तटरक्षक द्वारा निगरानी की जाने वाली तटीय राडार की एक शृंखला) और राष्ट्रीय स्वचालित पहचान प्रणाली द्वारा बढ़ाया गया है।
  • प्रभावी समुद्री शासन: प्रभावी समुद्री शासन लागू करने में हिंद महासागरीय क्षेत्र के सभी राष्ट्रों की जिम्मेदारी है। 
    • इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है। 
  • तटीय सुरक्षा: व्यापक सूचना पहुँच के लिए 10 मीटर से अधिक लंबाई वाले जहाजों पर स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) को अनिवार्य रूप से सक्रिय किया जाना चाहिए।
  • वैश्विक साझा हितों के लिए समावेशी सहयोग को बढ़ावा देना: भारत, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की किसी भी चतुर्भुज साझेदारी को केवल चीन को अलग-थलग करने पर केंद्रित नहीं होना चाहिए।
    • इसके बजाय, वैश्विक साझा हितों की रक्षा की भावना से आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए वार्ता की प्रक्रिया में चीन को एक सहयोगी भागीदार के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
  • रियल टाइम खुफिया जानकारी साझा करना: विभिन्न विषयों पर सूचना और खुफिया जानकारी साझा करने के समझौतों के बावजूद, क्षेत्रीय राष्ट्रों के बीच महत्त्वपूर्ण एवं मूल्यवान रियल टाइम खुफिया जानकारी साझा करने में अंतर्निहित अनिच्छा है।
    • दूसरी ओर, समुद्री डाकुओं के साथ-साथ आतंकवादी नेटवर्कों के बीच एक उन्नत सूचना/खुफिया जानकारी साझा करने वाला नेटवर्क है।
    • सामुद्रिक सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण, जो पूरे हिंद महासागर क्षेत्र को प्रभावित करती हैं, मूल्यवान जानकारी साझा करना महत्त्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है।
  • क्षेत्रीय एकीकरण: क्षेत्रीय एकीकरण को सहकारी सुरक्षा वार्ता और प्रभावी तंत्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
    • जब तक क्षेत्रीय और क्षेत्र-बाह्य शक्तियों के बीच साझा क्षेत्रीय सुरक्षा हितों पर धारणाओं में समानता नहीं होगी, तब तक सहकारी सुरक्षा तंत्र विकसित नहीं किया जा सकता।
  • राष्ट्रीय वाणिज्यिक समुद्री सुरक्षा नीति दस्तावेज सरकार को समुद्री सुरक्षा के लिए अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए इसे प्रख्यापित करना चाहिए।
    • इसे बंदरगाह और शिपिंग बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा के लिए कुशल, समन्वित और प्रभावी कार्रवाई के लिए वाणिज्यिक समुद्री सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति भी लागू करनी चाहिए।
    • इसमें तटीय सुरक्षा में शामिल सभी एजेंसियों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें शिपिंग मंत्रालय, महानिदेशक शिपिंग, गृह मंत्रालय आदि शामिल हैं।

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