भारत, रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EEU) के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए औपचारिक बातचीत शुरू करेगा।
संबंधित तथ्य
वार्ता शुरू होने से पहले EEU ने भारतीय पक्ष के साथ व्यापार डेटा का आदान-प्रदान किया है।
FTA के लिए संयुक्त व्यवहार्यता अध्ययन वर्ष 2016 में किया गया था और इसके बाद भारत के एक्जिम बैंक द्वारा एक और अध्ययन किया गया है।
यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EEU) के बारे में
सदस्यता: यह एक आर्थिक संघ है, जिसमें यूरेशिया में सोवियत संघ के बाद के पाँच राष्ट्र शामिल हैं अर्थात् रूस, कजाखस्तान, बेलारूस, आर्मेनिया और किर्गिस्तान।
स्थापना: यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन संबंधी संधि पर 29 मई, 2014 को हस्ताक्षर किए गए थे और 1 जनवरी, 2015 को औपचारिक रूप से स्थापित किया गया था।
संभावना: यह 183 मिलियन लोगों के साथ एक एकीकृत एकल बाजार है और वर्ष 2023 तक इसकी संयुक्त GDP 2.4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है।
भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EEU)
व्यापार
रूस: यह ब्लॉक में भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार है, वित्त वर्ष 2023 में 49.4 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार रूस के पक्ष में झुका हुआ है।
भारत का निर्यात: वित्त वर्ष 2024 में यह 4.26 बिलियन डॉलर था, जो पिछले वर्ष के 3.15 बिलियन डॉलर के निर्यात से अधिक है, जिसमें शीर्ष निर्यात वस्तुओं में फार्मा और ड्रग्स, लोहा और इस्पात, प्रसंस्कृत खनिज, समुद्री उत्पाद, दूरसंचार उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी शामिल हैं।
भारत का आयात: वित्त वर्ष 2024 में यह 61.42 बिलियन डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2023 में 46.21 बिलियन डॉलर था, रूस से शीर्ष आयात में कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद, कोयला, उर्वरक, वनस्पति तेल, मोती, लोहा और इस्पात तथा अखबारी कागज शामिल हैं।
अन्य 4 देश: कजाखस्तान 641.62 मिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2022-23 में क्रमशः $134.26 मिलियन, $111.81 मिलियन और $56.56 मिलियन के साथ आर्मेनिया, बेलारूस और किर्गिस्तान का स्थान आता है।
महत्त्व
रूस के लिए: यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए जिसने इसके व्यापार और अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है और प्रमुख पश्चिमी समर्थित वित्तीय प्रणालियों तक पहुँच में कटौती की है। उदाहरण: SWIFT प्रतिबंध
प्रतिबंधों के कारण रूस और भारत सहित उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच व्यापार के निपटान के लिए स्थानीय मुद्रा के उपयोग में वृद्धि हुई है।
बेहतर बाज़ार पहुँच: इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि जैसे क्षेत्रों के घरेलू निर्यातकों को समझौते से लाभ हो सकता है। भारत ऊर्जा क्षेत्र में भी अधिक निवेश की तलाश में है।
उदाहरण: जैसे-जैसे भारत मोबाइल हैंडसेट विनिर्माण का आधार बनता जा रहा है, रूस एक महत्त्वपूर्ण खरीदार बन गया है।
कच्चे तेल तक अधिक पहुँच: रूस–यूक्रेन युद्ध के प्रतिक्रियास्वरूप पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस, भारत के लिए सस्ते कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। कच्चे तेल के आयात में बढ़ोतरी के कारण करीबी रणनीतिक साझेदार के साथ व्यापार घाटा उच्च हो गया है।
मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreements- FTAs)
यह व्यापार में बाधाओं को कम करने के लिए दो या दो से अधिक देशों के बीच एक समझौता है। वस्तुओं और सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार बहुत कम या बिना किसी सरकारी टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या उनके विनिमय को रोकने के निषेध के साथ खरीदा और बेचा जा सकता है।
प्रतिपादन: इस दृष्टिकोण पर पहली बार विचार वर्ष 1817 में अर्थशास्त्री डेविड रिकार्डो ने अपनी पुस्तक ‘ऑन द प्रिंसिपल्स ऑफ पॉलिटिकल इकोनॉमी एंड टैक्सेशन’ में दिया था।
वर्गीकरण: FTAs को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:
व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (Comprehensive Economic Cooperation Agreement- CECA)
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA)
भारत और FTAs
व्यापार संवर्द्धन उपकरण: आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि FTAs भारत के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापार संवर्द्धन उपकरण के रूप में उभरा है।
वर्तमान स्थिति: भारत में अलग-अलग देशों और 25 देशों को कवर करने वाले व्यापारिक समूहों के साथ 14 सक्रिय FTAs हैं।
भारत – ईएफटीए: भारत ने चार देशों के यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के साथ नवीनतम FTA पर हस्ताक्षर किए, जिसमें स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं।
आगे की राह: भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में सभी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ FTAs का लक्ष्य रखा है और यू.के., ओमान, USA, EU, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, रूस, श्रीलंका और पेरू जैसे देशों के साथ बातचीत के उन्नत चरण में है।
जो FTAs पूरे होने वाले हैं, उनमें यू.के. और ओमान के साथ भी शामिल हैं।
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