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चाबहार बंदरगाह तथा भारत-ईरान संबंध

Lokesh Pal May 18, 2024 05:15 185 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: चाबहार बंदरगाह और मानचित्र पर स्थिति, वोस्ट्रो खाता, भारतीय बंदरगाह अधिनियम 2022 मसौदा,  आदि। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: चाबहार भारतीय परिवहन के लिए वैकल्पिक मार्ग एवं अर्थव्यवस्था के लिए महत्व, भारत-ईरान संबंध एवं चाबहार समझौता आदि। 

संदर्भ:

इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और ईरान के बंदरगाह और समुद्री संगठन (PMO) ने दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो भारत को 10 वर्षों में चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल को उन्नत करने और संचालित करने की अनुमति देगा। 

  • इससे अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए भारत को एक वैकल्पिक मार्ग की प्राप्ति होगी, जिससे मध्य एशिया के साथ बेहतर व्यापार संभव हो सकेगा।

मुख्य तथ्य : 

  • भारत द्वारा निवेश: भारत शाहिद बेहेश्टी में एक टर्मिनल का प्रबंधन करेगा तथा इसके उपकरणों के लिए 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा। 
    • इसके अतिरिक्त, संबंधित बंदरगाह परियोजनाओं के लिए 250 मिलियन डॉलर की ऋण ऋण सुविधा से अनुबंध का कुल मूल्य बढ़कर 370 मिलियन डॉलर तक होने की संभावना है 

मानचित्र स्थिति: दक्षिण-पूर्वी सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में मरकाना तट और ओमान की खाड़ी पर स्थित चाबहार बंदरगाह ईरान का एकमात्र बंदरगाह है इसके दो अलग-अलग बंदरगाह हैं – शाहिद कलंतरी और शाहिद बेहेश्टी।

  • समझौते का महत्त्व: चाबहार बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए ईरान के साथ 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर करके, भारत ने पश्चिम एशिया में तनाव के बावजूद ईरान के साथ अपने बुनियादी ढांचे और व्यापार साझेदारी को अगले स्तर तक बढ़ाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। 

भारत के लिए चाबहार बंदरगाह का महत्त्व:

  • अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए भारत का प्रवेशद्वार: यह पाकिस्तान को दरकिनार करके अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए भारत को एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है, जिससे मध्य एशिया के साथ बेहतर व्यापार संभव हो सकेगा।
    • यह बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर से लगभग 200 किमी दूर है, जहां चीन अपने बीआरआई के हिस्से के रूप में एक बंदरगाह विकसित कर रहा है। इससे भारत को मध्य एशिया में अपना भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
  • आईएनएसटीसी के माध्यम से भारत को यूरोप से जोड़ना: चाबहार को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (NSTC) से जोड़े जाने की उम्मीद है, जिससे भारत ईरान, अजरबैजान और रूस के माध्यम से यूरोपीय देशों के साथ निकटता स्थापित करने में सफल होगा।
    • स्वेज मार्ग के विकल्प के रूप में, पूर्णतः क्रियाशील एनएसटीसी से अंतरमहाद्वीपीय व्यापार पर लगने वाले समय और धन में कमी आएगी।

परियोजना के समक्ष चुनौतियाँ:

  • अमेरिकी प्रतिबंध: अतीत में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना के निर्माण और परिवहन में देरी हुई थी।
    • 2003 में परिकल्पित यह परियोजना कई वर्षों तक शुरू नहीं हो सकी, क्योंकि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने तेहरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम के कारण प्रतिबंध लगा दिए थे।
    • परमाणु समझौते के बाद अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद भारत ने 2015 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और 2016 में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध और भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया : 2018 में परमाणु समझौते से अमेरिका के एकतरफा हटने और ईरान पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करने से तेहरान के साथ भारत के निरंतर सहयोग पर सवाल उठते रहे। 
    • हालाँकि, भारत अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट पाने में कामयाब रहा, जिससे उसे अस्थायी उपायों के माध्यम से बंदरगाह का संचालन करने की अनुमति मिल गई।
  • अमेरिकी हितों में बदलाव: अमेरिका के क्षेत्रीय हितों में समय के साथ बदलाव आया है। 2018 में, जब अमेरिकी सेना ने अफ़गानिस्तान में इस्लामिक रिपब्लिक सरकार का समर्थन किया, तो भारत को प्रतिबंधों से छूट दी गई क्योंकि काबुल को भी बंदरगाह परियोजना से लाभ मिला था।
    • वर्तमान में, जब अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से बाहर निकल चुके हैं और तालिबान ने इस्लामी गणराज्य का स्थान ले लिया है, अमेरिका ईरान को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

निष्कर्ष: 

भारत ने पहले भी वाशिंगटन डी.सी. में नीतिगत परिवर्तनों के आधार पर ईरान के साथ अपने संबंधों को समायोजित करने के प्रयास किये हैं, जिन पर अब तटस्थ रुख अपनाने की आवश्यकता है। हालांकि, उसे चाबहार में निवेश जारी रखना चाहिए तथा मध्य एशिया के साथ अपने व्यापार और संपर्क परियोजनाओं में सुधार करना चाहिए, जो भारत के निरंतर विकास तथा हिन्द महासागर क्षेत्र में उसकी भू- राजनैतिक स्थिति की सुदृढ़ता के लिए भी आवश्यक है।

News Source: The Hindu

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                                      

प्रश्न.  “चाबहार बंदरगाह” के संदर्भ में ,निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. चाबहार बंदरगाह,अदन की खाड़ी में स्थित एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी समुद्र तक सीधी पहुंच है।
  2. वास्तव में इसके अंतर्गत, दो अलग-अलग बंदरगाह हैं, जिन्हें शाहिद कलंतरी और शाहिद बेहेश्टी कहा जाता है। 
  3. यह बंदरगाह प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का हिस्सा है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

  1. केवल 1
  2. केवल 2 
  3. उपर्युक्त सभी  
  4. उपर्युक्त में से कोई भी नहीं 

उत्तर : (b)

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