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उच्च रक्तचाप पर वैश्विक रिपोर्ट : विश्व स्वास्थ्य संगठन

Lokesh Pal May 17, 2024 05:00 109 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (आईएचसीआई), विश्व स्वास्थ्य संगठन की संरचना तथा उसकी शक्तियाँ। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहलें , उच्च रक्तचाप पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की  वैश्विक रिपोर्ट के निहितार्थ तथा चुनौतियाँ । 

संदर्भ:

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने उच्च रक्तचाप अर्थात हाईपरटेंशन (Hypertension) पर पहली बार एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक था “उच्च रक्तचाप पर वैश्विक रिपोर्ट: एक साइलेंट किलर के खिलाफ दौड़ (Global report on hypertension: the race against a silent killer)“।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

  • उच्च रक्तचाप के कारण वैश्विक आँकड़े: उच्च रक्तचाप को एक साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता था, क्योंकि लोग सामान्यतः उच्च रक्तचाप के बारे में तब तक जागरूक नहीं होते, जब तक कि उनमें एक औसत स्तर तक समस्याएँ न  विकसित हो जाए।
    • उच्च रक्तचाप असमय मृत्यु का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण है, जिसके कारण विश्व भर में प्रति वर्ष तकरीबन 10.8 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है।
  • उच्च रक्तचाप संबंधी आँकड़े: उच्च रक्तचाप से पीड़ित वयस्कों की संख्या पिछले तीन दशकों में लगभग दोगुनी (1.3 बिलियन) हो  गई है। 
  • वैश्विक स्तर पर उच्च रक्तचाप के विषय में जागरूकता: वैश्विक स्तर पर, अनुमान है कि उच्च रक्तचाप से पीड़ित तकरीबन 46% वयस्क अपनी स्थिति से अनजान हैं। 
    • जिनकी स्वास्थ्य संस्थानों तक पहुँच भी है उनमें से केवल आधे से भी कम अर्थात केवल (42%) का ही निदान और उपचार किया जाता है। 
    • उच्च रक्तचाप से पीड़ित केवल 21% वयस्क ही इसे नियंत्रण में रख पाते हैं।
  • भारत में उच्च रक्तचाप की स्थिति : अकेले भारत में 30-79 आयु वर्ग के लगभग 188.3 मिलियन वयस्क उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-भारत में मधुमेह (ICMR-IndiaAB) के अध्ययन ने अनुमान लगाया है कि भारत की कुल आबादी के लगभग  311 मिलियन लोग (या हर तीन वयस्कों में से एक) उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं।
    • देश में उच्च रक्तचाप से पीड़ित वयस्कों की संख्या, मधुमेह से पीड़ित अनुमानित 101 मिलियन लोगों की संख्या से तकरीबन तीन गुना अधिक है।

उच्च रक्तचाप से निपटने के लिए सुझाव :

  • नमक के सेवन में कमी: अत्यधिक नमक का सेवन, उच्च रक्तचाप के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है, जो हृदय रोग से होने वाली मौतों में योगदान देता है। नमक के सेवन में कमी करने से हृदय रोग के जोखिम और मृत्यु दर में कमी आ सकती है।
    • शोध अध्ययनों से पता चला है कि नमक कम करने से हृदय रोग का जोखिम 30% और मृत्यु दर 20% तक कम हो सकती है।
    • भारतीय वयस्क प्रतिदिन औसतन 8 से 11 ग्राम नमक का उपभोग करते हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित दैनिक नमक सेवन से लगभग दोगुना है।
    • एक अनुमान के अनुसार, भारत में अधिक नमक का सेवन 1,75,000 मौतों के लिए जिम्मेवार है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की जाने वाली रणनीतिक पहलें :  

  • भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल:  नवंबर 2017 में पाँच भारतीय राज्यों के 25 जिलों में शुरू की गई भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (IHCI), आईसीएमआर, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय/स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, डब्ल्यूएचओ इंडिया और अन्य देशों की भागीदारी वाला एक सहयोगात्मक प्रयास है।”
  • आईएचसीआई के उपचार प्रोटोकॉल : आईएचसीआई ने प्राथमिक देखभाल सेटिंग्स के लिए सरलीकृत दवा और खुराक-विशिष्ट उपचार प्रोटोकॉल की शुरुआत की है।
    • आईएचसीआई ने प्रोटोकॉल आधारित दवाओं को राज्य की आवश्यक औषधि सूची में शामिल करके तथा रुग्णता के आधार पर औषधि की आवश्यकता का पूर्वानुमान लगाकर औषधि आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत किया।
    • भारत का लक्ष्य 2025 तक उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित 75 मिलियन व्यक्तियों को मानक देखभाल प्रदान करना है। 
    • इसने वार्षिक योजनाओं में उच्च रक्तचाप की दवा खरीदने के लिए पर्याप्त बजट आवंटन सुनिश्चित किया।
    • इस पहल ने टीम-आधारित, विकेंद्रीकृत देखभाल और रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दिया, जैसे कि प्रत्येक रोगी की यात्रा के दौरान 30 दिनों की दवा प्रदान करना। 
      • कार्यक्रम की निगरानी के लिए सूचना प्रणालियों का उपयोग किया गया।

IHCI रणनीति:

  • स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच बढ़ाना: कम दवाओं के साथ सरल उपचार प्रोटोकॉल का विकास, विश्वसनीय दवा आपूर्ति सुनिश्चित करना, अनुवर्ती कार्रवाई के लिए मरीजों को उनके निवास स्थानों से ही सुविधाओं से जोड़ना और विविध टीमों को शामिल करना। 
  • सुव्यवस्थित निगरानी: सरलीकृत कार्यक्रम निगरानी से कार्यक्रम प्रदर्शन मूल्यांकन को मात्रात्मक और कार्यान्वयन योग्य बनाया जा सकता है।
  • आईएचसीआई का राष्ट्रव्यापी विस्तार: आईएचसीआई द्वारा 2023 के अंत तक भारत के 140 से अधिक जिलों तक विस्तार सुनिश्चित किया जा चुका है। 
  • विश्व ग्लोबल हार्ट पहल:  डबल्यूएचओ और यूनाइटेड स्टेटस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने 2025 तक  उच्च रक्तचाप अर्थात हाईपरटेन्शन को 25 % तक समाप्त करने के लिए ग्लोबल हार्ट पहल की शुरुआत की थी। 

आगे की राह:

  • उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण: यदि सम्पूर्ण स्वास्थ्य तंत्र, 2050 तक 50% जनसंख्या के उच्च रक्तचाप नियंत्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट जाएं, तो 76 मिलियन हृदय संबंधी बीमारियों की वजह से होने वाली मृत्यु और 450 मिलियन विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) से बचाया जा सकेगा।
  • रक्तचाप पर नियंत्रण: यदि उच्च रक्तचाप से ग्रस्त आधी आबादी अपने रक्तचाप पर नियंत्रण कर ले तो अनुमानतः वर्ष 2040 तक भारत में तकरीबन 4.6 मिलियन मौतों को रोका जा सकता है।
    • इससे देशों को अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज जैसे वैश्विक लक्ष्यों और प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • जागरूकता बढ़ाना: अनुपचारित उच्च रक्तचाप के जोखिम और दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाएँ। उच्च रक्तचाप पूरे संवहनी तंत्र (हृदय, गुर्दे, मस्तिष्क और आँखों सहित कई अंगों) को प्रभावित कर सकता है।
  • रोकथाम के लिए आईएचसीआई मॉडल का विस्तार: आईएचसीआई जैसे साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों को बढ़ावा देना।
    • ऐसे अनुभवों से प्राप्त रणनीतियों और सबक का उपयोग मधुमेह और क्रोनिक किडनी रोगों जैसी अन्य जीवनशैली संबंधी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए हस्तक्षेपों को डिजाइन करने और कार्यान्वित करने में किया जाना चाहिए।
  • जोखिम कारकों को लक्षित करना: प्रयासों में गैर-परिवर्तनीय जोखिम कारकों जैसे पारिवारिक इतिहास और आयु, के साथ-साथ नमक के सेवन जैसे परिवर्तनीय कारकों को भी लक्षित किया जाना चाहिए।
  • नमक कम करने की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना: WHO की HEARTS रणनीति के तहत ‘शेक द साल्ट हैबिट (SHAKE the salt habit)’ जैसी रणनीतियों का उपयोग करके आहार में नमक की खपत को कम करने के प्रयासों को तेज़ करें। SHAKE के तहत पाँच दृष्टिकोण हैं:
    • निगरानी उपाय और नमक के उपयोग पर नियंत्रण 
    • कम नमक वाले खाद्य पदार्थों और भोजन को बढ़ावा देने और उसमें सुधार करने के लिए उद्योग का उपयोग करना
    • मानक लेबलिंग और विपणन को अपनाना
    • व्यक्तियों में कम नमक खाने की आदतों को विकसित करना। इसके लिए  ज्ञान, शिक्षा और संचार का प्रयोग करना
    • पर्यावरण – स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने वाली शैली का समर्थन करना।
  • बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण: जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के लिए बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई की आवश्यकता होती है। 2017 में, भारत ने गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक बहु-क्षेत्रीय योजना विकसित की।
  • जन जागरूकता और शिक्षा: उच्च रक्तचाप के खतरों और नमक कम करने के महत्त्व के बारे में जनता को शिक्षित और जागरूक करने की आवश्यकता है।
    • खाद्य विनियमन प्रवर्तन में वृद्धि तथा उच्च नमक वाले उत्पादों पर कराधान से रोग का बोझ कम हो सकता है।
  • भारतीय खाद्य विनियमन को मजबूत करना: भारत में खाद्य विनियमन के प्रभावी क्रियान्वयन से कई बीमारियों को रोकने और स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ कम करने की क्षमता है। उच्च नमक (और साथ ही उच्च चीनी, उच्च वसा) वाले खाद्य पदार्थों और अन्य पैकेज्ड उत्पादों पर उच्च कराधान की आवश्यकता है।
  • नियमित रक्तचाप निगरानी: दैनिक जीवन और कार्यस्थल के वातावरण में नियमित रक्तचाप जाँच को शामिल करना आवश्यक है। सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों में रक्तचाप निगरानी उपकरणों की पहुँच का विस्तार किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः उच्च रक्तचाप विश्व भर में और भारत में एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है, जिसे नियंत्रित किए जाने की जाने की आवश्यकता है  प्रभावी नियंत्रण के लिए नमक सेवन में कमी, जन जागरूकता और बहु-क्षेत्रीय सहयोग सहित व्यापक रणनीतियों की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                               

प्रश्न. “भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)” ; के संदर्भ में , निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) भारत में जैव-चिकित्सा अनुसंधान हेतु निर्माण, समन्वय और प्रोत्साहन के लिए शीर्ष संस्था है।
  2. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, परिषद के शासी निकाय (Governing Body of the Council) के अध्यक्ष होते हैं।
  3. वर्ष 1949 में, इसके कार्यों में विस्तार कर इसका नाम ‘भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद’ (ICMR) कर दिया गया।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

  1. केवल एक 
  2. केवल दो 
  3. सभी तीनों  
  4. कोई भी नहीं 

उत्तर : (c)

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