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भारत में राजकोषीय हस्तांतरण पर बहस

Lokesh Pal May 11, 2024 05:00 85 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए  प्रासंगिकता: भारत में कर हस्तांतरण, राष्ट्रपति की राजकोषीय अंतरण संबंधी शक्तियाँ, जीएसटी संबंधी प्रावधान।   

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में कराधान व्यवस्था,  यूरोपीय संघ के साथ भारतीय कराधान प्रणाली  की तुलना।

संदर्भ:

हाल ही में भारत में विरासत कर पर सैम पित्रोदा द्वारा की गई चर्चा ने उचित धन वितरण और सार्वजनिक कल्याण संबंधी संसाधनों पर बहस छेड़ दी है।

भारत में राजकोषीय हस्तांतरण:

  • बढ़ती नाराजगी: उत्तर भारतीय कमजोर राज्यों को प्रदान किये जाने वाले वित्तीय हस्तांतरण को लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों में नाराजगी बढ़ रही है।
  • दक्षिण कर आंदोलन: दक्षिण भारतीय कर आन्दोलनकर्ताओं का तर्क है कि दक्षिणी राज्यों को बेहतर आर्थिक प्रदर्शन के लिए दंडित किया जाता है।
    • उदाहरण के लिए, कर्नाटक को भुगतान किए गए कर पर केवल 15 पैसे प्रति रुपये, तमिलनाडु को 29 पैसे, जबकि यूपी को 2.73 रुपये और बिहार को 7.06 रुपये प्राप्त होते हैं।
  • चिंता का विषय: यह केवल उत्तर-दक्षिण का मुद्दा नहीं है, बल्कि अमीर तथा गरीब राज्यों का भी मुद्दा है, जिसमें गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य भी योगदानकर्ता हैं।

यूरोपीय संघ (EU) से तुलना:

  • यूरोपीय संघ में तनाव का मुद्दा : यूरोपीय संघ में अमीर उत्तरी राज्यों और गरीब दक्षिणी/पूर्वी राज्यों के मध्य समान तनाव मौजूद हैं।
    • जर्मनी, नीदरलैंड, स्वीडन जैसे अमीर देशों को लगता है कि वे ग्रीस, पुर्तगाल, स्पेन, पूर्वी यूरोप की तुलना में कर में अधिक योगदान करते हैं।
    • यूके द्वारा उच्च राजकोषीय योगदान ने संभवतः ब्रेक्सिट निर्णय में योगदान दिया।
  • राजकोषीय हस्तांतरण से बढ़कर: हालाँकि, अकेले राजकोषीय हस्तांतरण आर्थिक संघ की पूरी लागत और लाभों को शामिल नहीं करता है।
  • अमीर यूरोपीय देशों के लिए गैर-राजकोषीय लाभ: अमीर देश स्थानांतरण के माध्यम से गरीबों को सब्सिडी प्रदान करते हैं, लेकिन वे विस्तारित बाजार और मुद्रा के अवमूल्यन से भी लाभ प्राप्त करते हैं।
    • विस्तारित बाज़ार: अधिक औद्योगिकीकृत देशों को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक बड़ा कैप्टिव बाज़ार मिलता है।
    • मुद्रा लाभ: यूरो का उपयोग करने वाले देशों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ की प्राप्ति होती है क्योंकि उनका श्रम अपेक्षाकृत सस्ता हो जाता है।
    • उदाहरण: यूरो के कारण जर्मनी की आर्थिक वृद्धि प्रति वर्ष तकरीबन 0.5% अधिक है। 
      • ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, डेनमार्क के लिए समान लाभ।

समृद्ध भारतीय राज्यों के लिए लाभ:

  • उच्च उत्पादकता: अमीर राज्यों (गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तथा दक्षिणी राज्य) में गरीब राज्यों (बिहार, यूपी, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश) की तुलना में 3-4 गुना अधिक श्रम उत्पादकता है। 
    • यह अधिक निवेश और तीव्र विकास को आकर्षित करता है।
  • कैप्टिव बाज़ार: अमीर राज्यों में व्यवसायों को एक बड़ा कैप्टिव आंतरिक बाज़ार मिलता है, जो जीएसटी के लागू होने से बढ़ा है।
    • उदाहरण: कोयंबटूर, बैंगलोर, चेन्नई की कंपनियाँ उच्च उत्पादकता के कारण पूरे भारत में उत्पाद बेच सकती हैं।
  • आंतरिक प्रवास के लाभ:
    • यूरोपीय संघ को लाभ: निःशुल्क आंतरिक प्रवासन से 10 वर्षों में यूरोपीय संघ की आय तकरीबन €100-230 बिलियन तक बढ़ने का अनुमान है।
    • भारत को लाभ: भारत में, गरीब से अमीर राज्यों की ओर श्रमिकों के प्रवास से दोनों राज्यों को लाभ होता है। 
      • जिन नौकरियों को पहले स्थानीय लोग किया करते थे आंतरिक प्रवासन के बाद उन्हें अब प्रवासी करते हैं। इससे एक लाभ तो यह होगा कि अब स्थानीय लोग वे नौकरियाँ नहीं करेंगे जिनमें कम कौशल और कम वेतन मिलता था, दूसरा यह कि अब स्थानीय लोगों के लिए उच्च-कौशल और बेहतर वेतन वाली नौकरियों को करने की दिशा में मार्ग प्रसस्त होंगे।
  • प्रतिबंध द्वारा समग्र कल्याण में कमी : जैसा कि कुछ राज्यों द्वारा प्रस्तावित है, नौकरियों को स्थानीय लोगों तक सीमित करने से समग्र कल्याण कम हो जाता है।

गैर आर्थिक कारक एवं प्रतिनिधित्व:

  • अर्थशास्त्र से आगे: अकेले अर्थशास्त्र किसी संघ के भीतर तनाव पैदा नहीं करता है (उदाहरण के लिए ब्रेक्सिट में गैर-आर्थिक कारक)।
  • प्रतिनिधित्व अंतर: भारत ने 1991 की जनगणना के बाद से संसदीय सीटों के राज्य-वार आवंटन को समायोजित नहीं किया है। 
    • 2026 के बाद, उत्तरी राज्यों की जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण वास्तविक और जनसंख्या-आधारित सीटों के मध्य असमानता बहुत अधिक हो जाएगी।
  • सीट परिवर्तन: बिहार, यूपी, एमपी, झारखंड, राजस्थान को 30+ सीटों का फायदा होगा, जबकि दक्षिणी राज्यों, ओडिशा, पश्चिम बंगाल को नुकसान होगा।
  • संभावित समाधान: कुल सीटें बढ़ायी जाएँ, बड़े राज्यों को विभाजित किया जाये, छोटे राज्यों को अधिक राज्यसभा सीटें सुनिश्चित की जाएँ।

आगे की राह:

  • लाभार्थी के लाभों को पहचानें: अमीर राज्यों को भारतीय संघ के गैर-राजकोषीय लाभों को पहचानना चाहिए, भले ही वे गरीब राज्यों को सब्सिडी देते हों।
  • बढ़ता अंतराल : वास्तविक मुद्दा राजकोषीय हस्तांतरण के बावजूद अमीर और गरीब राज्यों के मध्य बढ़ता अंतराल है।
  • प्रमुख क्षेत्रों में सुधार: गरीब राज्यों में निवेश आकर्षित करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य तथा बुनियादी ढाँचे में सुधार करना आवश्यक है।
  • लक्षित स्थानान्तरण: 16वें वित्त आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थानान्तरण इन कमियों को दूर करने के लिए निर्देशित हों।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः भारत में राजकोषीय असमानताओं पर ध्यान देने के लिए गैर-आर्थिक कारकों को पहचानने, प्रतिनिधित्व में सुधार करने और अमीर तथा गरीब राज्यों के मध्य अंतर को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए लक्षित निवेश की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                                       (UPSC : 2023)

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये

  1. जनांकिकीय निष्पादन 
  2. वन और पारिस्थितिकी 
  3. शासन सुधार 
  4. स्थिर सरकार 
  5. कर एवं राजकोषीय प्रयास

समस्तर कर-अवक्रमण के लिये पंद्रहवें वित्त आयोग ने उपर्युक्त में से कितने को जनसंख्या क्षेत्रफल और आय के अंतर के अलावा निकष के रूप में प्रयुक्त किया?  

  1. केवल दो
  2. केवल तीन 
  3. केवल चार
  4. पाँचों 

उत्तर:(b)

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