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अंतर-सेवा संगठन अधिनियम, 2023

Lokesh Pal May 14, 2024 05:00 124 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: अंतर-सेवा संगठन अधिनियम, 2023; भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना क् शक्तियाँ एवं कमांड क्षेत्राधिकार।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, शेकतकर समिति की रिपोर्ट, अंतर-सेवा संगठन अधिनियम 2023 के मुख्य प्रावधान एवं चुनौतियाँ, भारतीय परमाणु संपत्ति वितरण एवं वित्तीय नियंत्रण से जुड़े प्रावधान आदि।

संदर्भ:

  • हाल ही में, भारत सरकार ने एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अंतर-सेवा संगठन (ISO) (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, 2023 को अधिसूचित किया है।

मुख्य तथ्य 

  • अंतर-सेवा संगठन (ISO) (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 को मानसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। 
    • इस विधेयक को 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई और एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से 10 मई, 2024 से इसे लागू कर दिया गया है।
  • यह थल सेना, वायु सेना और नौसेना में समन्वय और दक्षता बढ़ाने के लिए सरकार की व्यापक योजना से मेल खाता है।
  • इस अंतर-सेवा संगठन (ISO) का अधीक्षण केंद्र सरकार में निहित होगा। सरकार इसके माध्यम से राष्ट्रहित में राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रशासन और सार्वजनिक कल्याण की भावना के आधार पर निर्देश जारी कर सकती है। 
  • उच्च स्तरीय सैन्य सुधारों में, संचालन, रसद, परिवहन, प्रशिक्षण, सहायता सेवाओं, संचार, मरम्मत और रखरखाव में तीनों सेवाओं की “संयुक्तता” सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2019 में ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) के पद का सृजन किया गया था। 
    • सीडीएस के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता सशस्त्र बलों का एकीकृत थिएटर कमान (Integrated Theatre Commands) में प्रस्तावित पुनर्गठन है।

एकीकृत थिएटर कमान (Integrated Theatre Commands) : एकीकृत थिएटर कमान भारतीय सशस्त्र सेनाओं (थल सेना नौसेना और वायु सेना) में बेहतर समन्वय की योजना है जिस पर सरकार रक्षा सुधारों के अंतर्गत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति के बाद से काम कर रही है।

थिएटर कमान के बारे में:

  • थिएटर कमान: सेना में थिएटर कमान एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र को संदर्भित करता है जहाँ एक ही कमान के तहत सैन्य अभियानों की योजना बनाकर उनका समन्वय और कार्यान्वयन किया जाता है।
  • उद्देश्य: थल सेना, नौसेना और वायु सेना के मध्य समन्वय और तालमेल स्थापित करना तथा थिएटराइजेशन मॉडल के तहत तीनों सेनाओं की क्षमता को एकीकृत कर उनके संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना।
  • अवधारणा का अनुकरण : वर्तमान में, चीन, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे लगभग सभी प्रमुख देश इस अवधारणा का अनुकरण कर रहे  हैं।
    • हालाँकि, अमेरिका और चीन में ये थिएटर कमांड ऑपरेशन के क्षेत्र पर आधारित हैं, लेकिन भारत एक अलग दृष्टिकोण अपना रहा है। 
      • भारत के थिएटर कमांड ‘वन बॉर्डर वन फोर्स (One Border One Force)’ की अवधारणा का पालन करते हैं, जो केंद्रित और कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करता है।
    • भारत में, शेकतकर समिति (2015 में) ने 3 एकीकृत थिएटर कमांड बनाने की सिफारिश की थी – चीन सीमा के लिए उत्तरी, पाकिस्तान सीमा के लिए पश्चिमी और समुद्री सीमा के लिए दक्षिणी।

शेकतकर समिति (Shekatkar Committee):

  • इस समिति की स्थापना 2015  में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर परिकर द्वारा की गयी थी। 
  • इस समिति की अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल डी बी शेकतकर द्वारा की गयी थी। 
  • इस समिति का कार्य सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता में सुधार और रक्षा व्यय को पुनर्संतुलित करने संबंधी उपायों को सुझाना था। 
  • इस समिति ने दिसंबर 2016 में अपनी रिपोर्ट में निम्न सुझाव प्रस्तुत किये:
    • देश में 3 एकीकृत थिएटर कमांड बनाये जाने चाहिए। 
    • देश का रक्षा बजट जीडीपी  का कम से कम 2.5 – 3 % तक होना चाहिए। 
    • एक संयुक्त सेवा युद्ध महाविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। 
    • राष्ट्रीय कैडेट कोर की दक्षता में सुधार किया जाना चाहिए। 
    • आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त पूंजीगत व्यय में वृद्धि की जानी चाहिए 
    • एक प्रभावी रक्षा बजट नियमावली का गठन किया जाना चाहिए।   

भारत में थिएटर कमांड की आवश्यकता:

  • थिएटराइजेशन: इसके परिणामस्वरूप तीनों सेनाओं के मध्य एकीकरण और संयुक्तता का मार्ग प्रशस्त होगा और भविष्य में बहुआयामी युद्धों का सामना करने के लिए सेना के संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग होगा।
  • वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए:
    • विशिष्ट सेवा विधान: वर्तमान में, थल सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों को उनके विशिष्ट सेवा अधिनियमों- थल सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1957; और वायु सेना अधिनियम, 1950 में निहित प्रावधानों के अनुसार शासित किया जाता है। 
    • इन संबंधित अधिनियमों के अधिनियमन के समय, अधिकांश सेवा संगठनों में बड़े पैमाने पर सेना, नौसेना या वायु सेना की एक ही सेवा के कर्मी शामिल थे। हालाँकि, अब ऐसे कई अंतर-सेवा संगठन हैं जहाँ सशस्त्र बलों और अन्य बलों के कर्मी एक साथ सेवा करते हैं।
  • वित्तीय लागत कम करने के लिए: मौजूदा ढाँचा अत्यधिक समय लेने वाला तथा इसमें कर्मियों को स्थानांतरित करने के लिए वित्तीय लागत भी अधिक है।
    • वर्तमान में, भारतीय शस्त्र बलों के पास कुल 17 कमांड हैं, जिनमें से थल सेना और वायु सेना के पास सात-सात कमांड जबकि नौसेना के पास तीन कमांड  हैं।
    • इसके अलावा, मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (मुख्यालय आईडीएस) के अलावा दो त्रि-सेवा कमांड – अंडमान और निकोबार कमांड और स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC) हैं।
    • कुछ त्रि-सेवा संगठन भी हैं, जैसे- डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी, रक्षा साइबर एजेंसी (Defence Cyber Agency), रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी इत्यादि।

अंतर-सेवा संगठन अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ:

एक संयुक्त सेवा कमान:

  • मौजूदा अंतर-सेवा संगठनों को अधिनियम के तहत गठित माना जाएगा।
  • इनमें अंडमान और निकोबार कमांड, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी शामिल हैं।
  • आईएसओ के कार्मिक भारतीय सेना की तीनों सर्वोच्च सेवाओं अर्थात थल सेना, नौसेना और वायु सेना, में से कम से कम दो से संबंधित होंगे।  
  • आईएसओ में एक संयुक्त सेवा कमान भी शामिल होगी, जिसे कमांडर-इन-चीफ की कमान के तहत रखा जा सकता है।
नियंत्रण शक्ति:
  • यह आईएसओ के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को इसमें सेवारत या उससे जुड़े कर्मियों पर कमांड और नियंत्रण रखने का अधिकार देता है।
  • यह अंतर-सेवा संगठन के प्रमुखों को मौजूदा अधिनियमों/नियमों / विनियमों के अनुसार अनुशासन को बनाए रखने और सेवा कर्मियों द्वारा कर्तव्यों के उचित निर्वहन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेवार होगा।
सरकार की भूमिका:
  • आईएसओ का अधीक्षण केंद्र सरकार में निहित होगा।
  • सरकार ऐसे संगठनों को राष्ट्रीय सुरक्षा, सामान्य प्रशासन या सार्वजनिक हित के आधार पर निर्देश जारी करेगी।
  • केंद्र सरकार भारत में स्थापित और संचालित किसी भी बल को अधिसूचित कर सकती है, जिस पर यह अधिनियम लागू है।
    • यह थल सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों के अतिरिक्त होगा।
कमांडर-इन-चीफ के लिए पात्रता:
  • नियमित सेना का एक जनरल रैंक का अधिकारी (ब्रिगेडियर रैंक से ऊपर), या
  • नौसेना का एक  फ्लैग अधिकारी (बेड़े के एडमिरल, एडमिरल, वाइस-एडमिरल, या रियर-एडमिरल का पद) या
  • वायु सेना का एक वायु अधिकारी (ग्रुप कैप्टन के पद से ऊपर)
कमांडर-इन-चीफ का कार्य:
  • वह निम्नलिखित में निहित सभी अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अधिकृत होगा:

(i) सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग।

(ii) नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ।

(iii) वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ। 

(iv) सेवा अधिनियमों में निर्दिष्ट कोई अन्य अधिकारी/प्राधिकरण।

(v) सरकार द्वारा अधिसूचित कोई अन्य अधिकारी/प्राधिकरण।

कमांडिंग ऑफिसर (CO):
  • सीओ किसी इकाई, जहाज या प्रतिष्ठान की कमान संभालेगा।  
  • अधिकारी अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड द्वारा सौंपे गए कर्तव्यों का भी पालन करेगा।
  • सीओ को उस आईएसओ में नियुक्त, तैनात या संलग्न कर्मियों पर सभी अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार होगा।

थिएटर कमांड (Theatre Commands)

  • उत्तरी थिएटर कमांड के लखनऊ में होने की संभावना है।
  • मैरीटाइम थिएटर कमांड का बेस कोयंबटूर में होने की संभावना है और इसमें भारतीय वायुसेना का प्रयागराज-मुख्यालय वाला सेंट्रल कमांड शामिल होगा।
  • पहले योजना का समुद्री थिएटर कमांड मुख्यालय कारवार (कर्नाटक) में स्थापित करने की थी।
  • इसकी दक्षिणी वायु कमान तिरुवनंतपुरम में स्थित है।
  • मौजूदा अंडमान और निकोबार कमांड को समुद्री थिएटर कमांड में शामिल किया जा सकता है और मुख्यालय आईडीएस सीडीएस के तहत काम करेगा।
  • एसएफसी स्वतंत्र रूप से काम करना जारी रखेगा।
  • रणनीति: समग्र योजना तीन प्रतिकूल-आधारित थिएटर कमांड स्थापित करने की है, जिनमें से  पहली पाकिस्तान, दूसरी चीन तथा अन्य देश की तटीय सीमाओं के बाहर समुद्री खतरों का सामना करने के लिए समुद्री थिएटर कमांड होंगे।

अंतर-सेवा संगठन (ISO) (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, 2023 का महत्त्व:

  • प्रभावी रखरखाव: यह अधिनियम आईएसओ के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को प्रत्येक व्यक्तिगत सेवा की विशिष्ट सेवा शर्तों को प्रभावित किए बिना, अनुशासन और प्रशासन के प्रभावी रखरखाव के लिए, उनके अधीन सेवारत सेवा कर्मियों पर नियंत्रण रखने का अधिकार प्रदान करता है।
  • प्रभावी संसाधनों का इष्टतम उपयोग: तीनों सर्वोच्च स्तर की सेनाएँ अपने संसाधनों को कुशलतापूर्वक एकत्रित करने में सक्षम होंगी, जिसके परिणामस्वरूप प्लेटफार्मों, हथियार प्रणालियों और संपत्तियों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  • सशस्त्र बल कर्मियों के मध्य एकीकरण और संयुक्तता स्थापित करना : अधिनियम आईएसओ के प्रमुखों को सशक्त बनाएगा और मामलों के शीघ्र निपटान का मार्ग प्रशस्त करेगा यह बिलंबित कार्यवाहियों से बचाएगा और सशस्त्र बल कर्मियों के मध्य एकीकरण और संयुक्तता स्थापित करेगा।
  • सरल और कुशल संचार: एक एकीकृत कमांड संरचना के साथ, संचार प्रक्रियाएँ सरल और अधिक कुशल हो सकती हैं क्योंकि योजनाओं और रणनीतियों को पुष्ट करने के लिए पदानुक्रम और भौगोलिक क्षेत्रों में कई स्तरों की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
    • वर्तमान में, भारत की कई सैन्य कमानें विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं। यह, कभी-कभी, संयुक्त संचालन और अभ्यास के दौरान संचार बाधाओं का कारण बनता है।

थिएटर कमांड के लिए चुनौतियाँ:

  • शिक्षण-प्रशिक्षण: थिएटर कमांड में सेवा देने के लिए सैन्य कर्मियों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण आधारशिला तैयार करने के मामले में भारत पिछड़ता नजर आ रहा है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS): कई सेवानिवृत्त सैन्य पेशेवरों ने सुसंगत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) के बिना थिएटर कमांड लागू करने की आलोचना की है। 
    • अनिवार्य रूप से यह तर्क देते हुए कि थिएटर कमांड के पास एनएसएस के बिना काम करने के लिए कोई स्पष्ट दृष्टिकोण और नीतिगत उद्देश्य नहीं होगा।
  • अंतर-सेवा प्रतिस्पर्धा: प्रत्येक सेवा का अपने संसाधनों, संपत्ति और उनके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करने से सेवाओं के मध्य संयुक्तता और सामंजस्य स्थापित करने में बाधा आ सकती है।
  • सैन्य प्रभुत्व: राष्ट्रीय सुरक्षा व प्रभावी संचालन के समक्ष, उन कमांडों के एकीकरण में चिंताएँ पैदा हो रही हैं जो सेना के कथित प्रभुत्व को कायम रख सकती हैं और इसे अधिक परिचालन नियंत्रण प्रदान कर सकती हैं।
  • अनुभव की कमी : एकीकृत थिएटर कमांड के विषय में अनुभव की कमी तथा बुनियादी प्रशिक्षण का भी अभाव है, भारत के लिए, इसका कार्यान्वयन और समायोजन एक गंभीर चुनौती बन सकता है।
  • बुनियादी ढाँचा और लॉजिस्टिक्स: विभिन्न सेवाओं में बुनियादी ढाँचे और लॉजिस्टिक्स आवश्यकताओं का समन्वय और क्रियान्वयन करना जटिल और संसाधन-गहन हो सकता है।

आगे की राह:

  • संस्थागत और वैचारिक परिवर्तन: जैसे-जैसे भारत अपने सबसे बड़े सैन्य बदलाव को लागू करने की ओर बढ़ रहा है, जो निस्संदेह एक शक्ति गुणक हो सकता है, ऐसे परिवर्तन में उचित संतुलन स्थापित करने के लिए कुछ संस्थागत और वैचारिक परिवर्तनों को शामिल करना होगा।
  • पाठ्यक्रम पर पुनर्विचार : इसके अलावा, अधिकारियों को संबंधित सेवाओं के मुख्यालय में सेवा करने के लिए ज्ञान और हस्तांतरणीय कौशल प्रदान करने के लिए स्टाफ कॉलेजों और वार कॉलेजों (Staff colleges and War colleges) के पाठ्यक्रम पर फिर से काम करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः संसाधनों के इष्टतम उपयोग को अनुकूलित करने और सशस्त्र बलों के कर्मियों के मध्य एकीकरण व संयुक्तता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से थिएटर कमांड की स्थापना, अधिक सामंजस्यपूर्ण और समकालिक रक्षा ढाँचे की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव को रेखांकित करती है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                           

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में संयुक्त कमान भारतीय सशस्त्र बलों की पहली त्रि-सेवा थिएटर कमान/कमांड है, जो भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित है।
  2. CDS का पद वर्ष 2019 में लेफ्टिनेंट जनरल डी.बी. शेकातकर की अध्यक्षता में रक्षा विशेषज्ञों की समिति की सिफारिशों पर बनाया गया था।
  3. भारतीय सशस्त्र बलों के पास वर्तमान में 17 कमांड हैं। थल सेना और वायु सेना की 7-7 कमानें हैं। नौसेना के पास 3 कमान हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. उपर्युक्त सभी  
  4. इनमें से कोई भी नहीं 

उत्तर:(c)

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