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अवैध व्यापार

Lokesh Pal May 15, 2024 05:30 92 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: अवैध व्यापार, वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI), संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (UNODC), गोल्डन ट्राएंगल, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF), वैश्विक अपराध सूचकांक और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत की अवैध अर्थव्यवस्था पर फिक्की की रिपोर्ट, अवैध व्यापार के संबंध, अवैध व्यापार संबंधों से जुड़ी चुनौतियाँ, भारत में अवैध व्यापार की जाँच में सरकारी एजेंसियों की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन।

संदर्भ:

  • हाल ही में, फिक्की कैस्केड ने वित्तीय प्रवाह से जुड़े अवैध बाजारों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की और संगठित अपराध तथा आतंकवाद के साथ उनके संबंधों को उजागर किया।

अवैध व्यापार:

  • परिभाषा: अवैध व्यापार से तात्पर्य वस्तुओं और/या सेवाओं के अवैध आदान-प्रदान से है, जो राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए सेवाएँ संचालित करते हैं। इस अवैधआदान-प्रदान में नकली वस्तुओं के विनिर्माण और निर्यात का व्यापार शामिल होता है।
    • यह एक विस्तृत बाजार है जो अनेक जटिलताओं से भरा है, तस्करी और जालसाजी अवैध व्यापार के सबसे आम प्रकार हैं।
  • जालसाजी: जालसाजी पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी की मंजूरी के बिना, एक पंजीकृत ट्रेडमार्क के समान ट्रेडमार्क के तहत, निम्न गुणवत्ता के सामान का निर्माण, आयात-निर्यात, वितरण और बिक्री संबंधी व्यापार करने की एक प्रथा है।
    • नकली वस्तुओं को आमतौर पर “नकली सामान” या “नॉक-ऑफ़” कहा जाता है।
  • तस्करी: इसमें सीमा शुल्क या आयात या निर्यात प्रतिबंधों से बचने के लिए राष्ट्रीय सीमाओं के पार माल की गुप्त आवाजाही शामिल है।

भारत में अवैध व्यापार पर फिक्की की रिपोर्ट:

  • फिक्की के अनुसार, भारत में अवैध व्यापार अर्थव्यवस्था का कुल स्कोर 6.3 है, जो अन्य 122 देशों में से 5 के औसत स्कोर से अधिक है।
  • जब्त किया गया सामान: पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान अन्य दवाओं के साथ लगभग 3.5 टन सोना, 140 मीट्रिक टन लाल चंदन और 90 टन हेरोइन जब्त की गई थी।

अवैध व्यापार के संबंध:

  • गठजोड़: अवैध व्यापार, आतंक और संगठित अपराध के मध्य एक जटिल गठजोड़ है। रिपोर्ट में नशीली दवाओं और मानव तस्करी, सिगरेट, शराब की तस्करी तथा वन्यजीव उत्पादों के अवैध व्यापार सहित कई अवैध गतिविधियों में आपराधिक नेटवर्क द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
  • वित्तीय प्रवाह: अवैध वित्तीय प्रवाह न केवल संसाधनों को विकास से वंचित करता है बल्कि यह उनकी पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है। 
    • उदाहरण के लिए, जब वे किसी देश को छोड़ते हैं (बहिर्वाह) और तब भी जब वे किसी देश में प्रवेश करते हैं (अंतर्वाह)।

अवैध व्यापार के संबंधों से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • भारत पर हिंसा का आर्थिक प्रभाव: केंद्र और राज्य सरकारों को बिक्री कर, सीमा शुल्क और उत्पाद कर आदि के रूप में भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा आतंकवाद और अपराध दोनों से निपटने में आर्थिक लागत का भी बोझ बढ़ता है।
    • 2021 में, क्रय शक्ति समता (PPP) पर भारत की हिंसा की आर्थिक लागत 1170 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 6% है।
  • प्रवर्तन: जैसे-जैसे अवैध व्यापार के अपराधी तेजी से परिष्कृत, आपसी सांठगांठ से मजबूत और पर्याप्त रूप से वित्त पोषित होते जा रहे हैं, जालसाजी और तस्करी की गतिविधियाँ विश्व स्तर पर प्रवर्तन अधिकारियों और सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। 
  • परिणाम: जैसे नवाचार, निवेश, ब्रांड प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य और कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव सर्वविदित है। हालाँकि, सबसे बड़ी चिंता यह है कि इससे देशों के सामाजिक ताने-बाने पर कितने भयावह प्रभाव पड़ रहे हैं।
  • प्रौद्योगिकी को अपनाना: ऑनलाइन बाज़ार तक अपनी व्यापक पहुँच और  उसमें आसानी के कारण यह अवैध ऑपरेटरों के लिए एक पसंदीदा केंद्र बन गए हैं।
  • स्थानीय उद्योगों का पतन: अवैध व्यापार स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं की कीमतों में भारी कटौती करता है जिससे स्थानीय उत्पादों के लिए बाजार नष्ट हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय उद्योगों का अपना अस्तित्व समाप्त हो जाता है और बेरोजगारी पनपने लगती है।
  • ब्रांड मूल्य का कमजोर होना: निम्नकोटी के उत्पाद, निर्माता की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं और समय के साथ ब्रांड की छवि को कमजोर करते हैं। 

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जिसका भारत एक हस्ताक्षरकर्ता देश है:

  • नारकोटिक्स ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र एकल कन्वेंशन 1961।
  • साइकोट्रॉपिक पदार्थों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, 1971।
  • नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थों में अवैध तस्करी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, 1988।
  • अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, 2000।
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर विश्व व्यापार संगठन समझौता।

आगे की राह:

  • टेरर फाइनेंसिंग से मुकाबला: टेरर फाइनेंसिंग आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह आतंकवाद के ‘साधन और तरीके’ इसी तरह की फंडिंग से पोषित होते हैं। 
    • सरकार ने इससे निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, लेकिन नापाक संस्थाओं द्वारा धन के प्रवाह को रोकने की जरूरत है।
  • अनुकूलित दृष्टिकोण: भारत की भौगोलिक स्थिति विश्व के दो सबसे बड़े ड्रग्स उत्पादक क्षेत्रों के मध्य स्थित है, खुली सीमाओं की उपस्थिति और सीमा पार आतंकवाद आदि के कारण अवैध व्यापार और संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक अनुकूलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • एकीकृत दृष्टिकोण: यह महत्वपूर्ण है कि प्रवर्तन एजेंसियाँ अपराधियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विविध तरीकों और इन गतिविधियों के दौरान उपयोग की जाने वाली लगातार विकसित हो रही तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखें और एकीकृत विरोधी दृष्टिकोण को अपनाए। 
  • उपभोक्ता जागरूकता: लक्षित अभियान चलाकर, इन वस्तुओं को खरीदने और उपयोग करने के खतरों को उजागर करके उपभोक्ताओं के मध्य जागरूकता पैदा करने के लिए निर्माताओं, सरकार और विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों का एक संयुक्त प्रयास आवश्यक है।
  • अन्य उपाय : 
    • भारत की आर्थिक स्थिरता की रक्षा करना। 
    • निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करना। 
    • नकली-विरोधी तकनीकों को अपनाना। 
    • अनुसंधान और विकास में निवेश करना। 
    • हितधारकों के साथ सहयोग करना।

निष्कर्ष:

अर्थात भारत की बढ़ती वैश्विक व्यापार प्रमुखता से व्यापार-आधारित अवैध वित्तीय प्रवाह का खतरा बढ़ गया है, जो संभावित रूप से आर्थिक प्रगति को प्रभावित कर रहा है। इससे आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। इन जोखिमों का मुकाबला करने के लिए, भारत को अपनी विशिष्ट परिस्थितियों और चुनौतियों के अनुरूप अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित कर, एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                                    

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. अवैध अफीम उत्पादक क्षेत्र  गोल्डन क्रीसेंट क्षेत्र  में थाईलैंड, म्यांँमार, वियतनाम और लाओस शामिल हैं।
  2. अवैध अफीम उत्पादक क्षेत्र गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं।
  3. भारत में पर्यटन की दृष्टि से ‘स्वर्णिम त्रिभुज’ (गोल्डन ट्रायंगल) जयपुर-आगरा-दिल्ली  को कहा जाता है |

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

  1. केवल एक 
  2. केवल दो 
  3. सभी तीनों 
  4. कोई भी नहीं

उत्तर:(a)

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