मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत का चुनाव आयोग, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951।
संदर्भ:
हाल की चर्चाओं ने चुनाव के दिन अवकाश घोषित करने के लिए नियोक्ताओं, विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SME) के दायित्व को लेकर प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की हैं।
मतदान एवं तर्क :
संवैधानिक अधिकार: भारत में वोट देने का अधिकार सिर्फ एक विशेषाधिकार नहीं है बल्कि संविधान में उल्लिखित एक संवैधानिक अधिकार भी है।
संवैधानिक सिद्धांतों पर बहस: कुछ लोग संवैधानिक सिद्धांतों का हवाला देते हुए इस प्रथा के पक्ष में तर्क देते हैं, जबकि अन्य इसकी आवश्यकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर संभावित उल्लंघन संबंधी सवाल उठाते हैं।
वैश्विक आचरण:
अवकाश से मतदाता भागीदारी को प्रोत्साहन : विश्व के अनेक लोकतांत्रिक देश मतदाताओं की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए चुनाव के दिन अवकाश प्रदान करते हैं।
ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देश मतदान अनिवार्य करते हैं और अवकाश प्रदान करते हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों में ऐसा नहीं है।
अमेरिका में मतदान अवकाश : अमेरिका में चुनाव के दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में नामित नहीं किया जाता है, इसलिए मतदाता आमतौर पर अपने दैनिक दिनचर्या के अनुसार मतदान निर्धारित करते हैं।
हालाँकि कुछ राज्य मतदान के लिए सवैतनिक अवकाश प्रदान करते हैं, लेकिन इस प्रथा के लिए कोई संघीय आदेश नहीं है।
प्रिंसटन अध्ययन: प्रिंसटन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, चुनावी अवकाश होने से मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं होती है।
नागरिक कर्त्तव्यों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मध्य संतुलन:
मतदान के अधिकार को प्रोत्साहित करना : अधिवक्ताओं का तर्क है कि संविधान मतदान को एक अधिकार के रूप में कायम रखता है, इसलिए नियोक्ताओं को एक दिन का मतदान अवकाश प्रदान किया जाना चाहिए।
फिक्की, एसोचैम और नैसकॉम जैसे व्यापारिक संगठनों से सामाजिक उद्देश्यों के साथ जुड़ने की उम्मीद की जाती है।
नियोक्ता स्वायत्तता और मतदान अधिकारों के मध्य संतुलन : प्रतिवाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों पर जोर देता है।
मतदान अवकाश अनिवार्य करना खासकर छोटे व्यवसायों के लिए, नियोक्ताओं की स्वायत्तता के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है।
आगे की राह:
भारत के लिए सुझाव: सवैतनिक अवकाश को मतदान के प्रमाण से जोड़ने का प्रस्ताव के माध्यम मार्ग को सुझाता है।
यह नागरिक सहभागिता और व्यावसायिक चिंताओं दोनों पर ध्यान देते हुए नियोक्ता को विवेकाधिकार की अनुमति देते हुए मतदाता मतदान को प्रोत्साहित करता है।
नागरिक जुड़ाव: यह मुद्दा कानूनी प्रावधानों से हटकर है और लोकतंत्र के सार में गहराई से उतरता है, विभिन्न आवश्यकताओं का सम्मान करते हुए नागरिक जुड़ाव को बढ़ावा देता है।
नवोन्मेषी मतदान समाधान: नीति निर्माताओं को नियोक्ताओं पर बोझ डाले बिना मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए नवोन्मेषी समाधान तलाशने चाहिए।
भविष्य की तकनीकी प्रगति से अनुचित प्रभाव के बिना घर से मतदान करना संभव हो सकता है।
निष्कर्ष:
अर्थात मतदान दिवस को अवकाश घोषित करना और नियोक्ताओं की जिम्मेदारियों से संबंधित चर्चा जटिल हो सकती है, जिसमें लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आर्थिक कारक शामिल होते हैं। भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए नागरिक कर्तव्यों और कॉर्पोरेट स्वतंत्रता के मध्य संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। तकनीकी प्रगति से इस समस्या को हल करने के उपाय किए जाने चाहिए।
प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न : (UPSC : 2017)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
भारत का निर्वाचन आयोग पाँच-सदस्यीय निकाय है।
संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिये चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
निर्वाचन आयोग मान्यता-प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।
Latest Comments