प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड, विश्व मधुमक्खी दिवस इत्यादि के बारे में ।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: किसान उत्पादक संगठन, शहद उत्पादन और निर्यात से जुड़ी चुनौतियाँ, शहद उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम कौन -कौन से हैं ?
संदर्भ:
विश्व मधुमक्खी दिवस प्रत्येक वर्ष की 20 मई को एंटोन जानसा (Anton Jansa) की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है।
एंटोन जानसा मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं।
शहद उत्पादन की स्थिति:
वैश्विक खाद्य उत्पादन में मधुमक्खियों की भूमिका: मधुमक्खी अन्य प्रमुख प्रजातियों में से एक है। यह परागण के माध्यम से वैश्विक खाद्यान्न के लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन के लिए जिम्मेवार है (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम)।
वैश्विक शहद बाजार की अनुमानित वृद्धि: शहद का वैश्विक बाजार तकरीबन 5.2 प्रतिशत की सीएजीआर (CAGR) के साथ बढ़कर वर्ष 2023 के तकरीबन 9 बिलियन डॉलर से बढकर वर्ष 2031 में इसके तकरीबन 13 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
भारत का शहद निर्यात: भारत विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा शहद उत्पादक देश होने के नाते, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात सहित प्रमुख देशों को तकरीबन 75,000 मिलियन टन प्राकृतिक शहद का निर्यात करता है।
भारत में शहद की खपत में गिरावट: इसके स्वास्थ्य लाभों के बावजूद, महामारी के बाद के दिनों में भारत में प्रति व्यक्ति शहद की वार्षिक खपत में गिरावट देखि गई है और यह विकसित देशों के 3-4 किलोग्राम की तुलना में 10 ग्राम के स्तर पर बनी हुई है।
पंजीकृत मधुमक्खी पालक: राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के मधुक्रांति पोर्टल पर लगभग 14,000 मधुमक्खी पालक पंजीकृत हैं, जिनमें से लगभग 200 से अधिक पंजीकृत समितियाँ हैं।
शहद उत्पादन एवं विपणन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ:
विपणन चुनौतियाँ : उत्पादकों के दृष्टिकोण से, कम खपत और बाजार विकास की धीमी दर उत्पादकों को हतोत्साहित करने वाला है जिसकी वजह से प्रमुख विपणन चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं ।
भारतीय शहद के लिए निर्यात मूल्य विनियमन: सरकार ने हाल ही में 2 डॉलर प्रति किलोग्राम का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित किया है, जबकि हाल के यूएसडीए (USDA) के आँकड़ों के अनुसार, अमेरिका भारतीय प्राकृतिक शहद का आयात लगभग 1.1 डॉलर प्रति पाउंड [एमईपी (MEP) के समान] पर करता है, जो अन्य अंतरराष्ट्रीय सहभागियों की तुलना में काफी कम है।
स्थानीय बाजार की चुनौतियाँ: सीमित उद्योग सहयोग के कारण, मधुमक्खी पालकों को स्थानीय बाजारों में मौसम के आधार पर शहद को 100-110 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सीमित संख्या में शामिल लोग: शहद उद्योग के दीर्घकालिक पुनरुद्धार के लिए बहुआयामी विपणन रणनीति की आवश्यकता है।
संगठित भारतीय शहद बाजार में सीमित संख्या में ही निवेशक रुचि दिखाते हैं, जबकि इसमें अधिक निवेशकों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप तथा एफपीओ के लिए संभावनाएँ हैं।
एनएमआर (NMR) परीक्षण का अभाव: भारत में एनएमआर (Nuclear Magnetic Resonance-NMR) परीक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचे का अभाव है।
आगे की राह:
ब्रांडिंग रणनीतियों को परिष्कृत करना: हालाँकि कुछ एफपीओ (FPO) द्वारा शहद मूल्य श्रृंखला को विकसित करना शुरू कर दिया गया है, फिर भी उन्हें अपनी ब्रांडिंग रणनीतियों को परिष्कृत करने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय स्तर पर शहद मेले का आयोजन: सरस मेले की ही भांति, सरकार को एक शहद और संबंधित उत्पादों के लिए समर्पित वार्षिक राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख मेले का आयोजन करने की आवश्यकता है।
इन मेलों के आयोजन के आयोजन के माध्यम से क्रेताओं और विक्रेताओं को एक साथ लाया जा सकता है ।
इस वर्ष, महाराष्ट्र ने राज्य स्तरीय शहद मेले के आयोजन की पहल की, लेकिन ऐसे ही मेलों के आयोजन की अन्य राज्यों को भी आवश्यकता है।
परमाणु चुंबकीय अनुनाद (Nuclear Magnetic Resonance-NMR) परीक्षण:
NMR परीक्षण एक ऐसी विधि है जो आणविक पैमाने पर किसी उत्पाद की संरचना का विश्लेषण करती है।
यह एक विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान तकनीक के रूप में कार्य करता है जिसका उपयोग गुणवत्ता नियंत्रण और अनुसंधान दोनों में किया जाता है।
इस परीक्षण से नमूने की सामग्री, शुद्धता एवं उसकी आणविक संरचना का आकलन किया जाता है ।
इसे सर्वप्रथम एक भौतिक परिघटना के रूप में पहचाना गया था।
इस परीक्षण के लिये नमूने को एक चुम्बकीय क्षेत्र में रख दिया जाता है, उसके उपरांत उस नमूने के ऊपर एन.एम.आर. सिग्नल उत्पन्न किया जाता है।
इस परीक्षण का उपयोग पॉलिमर विश्लेषण, पैकेजिंग, फार्मास्यूटिकल तथा ठोस एवं तरल अनुपात, हाइड्रोजन सामग्री इत्यादि का परीक्षण करने के लिए किया जाता है।
भारतीय कानून के अनुसार निर्यात किये जाने वाले शहद के लिये यह परीक्षण अनिवार्य है।
सहयोग को बढ़ावा देना: एफपीओ और स्टार्ट-अप को उत्पादकों के लिए लगातार मूल्य समर्थन प्रदान करने के उदेश्य से फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधन, शराब इत्यादि जैसे उद्योगों के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उत्पादकों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना: उत्पादकों के लिए उत्पादन लागत से कम से कम 40 प्रतिशत अधिक मार्जिन पर गारंटीकृत मूल्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
उत्पादकों के नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित करना: उत्पादकों को पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने से उन्हें नवप्रवर्तनशील शहद उत्पादों में विविधता लाने के लिए प्रेरणा मिलेगी तथा उनकी आजीविका में सुधार होगा।
अंतरराष्ट्रीय शहद ब्रांडिंग के लिए परीक्षण को बढ़ाना: अंतरराष्ट्रीय बाजारों में शहद की ब्रांडिंग को बढ़ावा देने के लिए, एनएमआर परीक्षण में सुधार करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
स्वदेशी शहद उत्पादकों को सशक्त बनाना: भारत को शहद उत्पादन में लगे स्वदेशी समुदायों की रक्षा करनी चाहिए, तथा उत्पाद लेबलिंग के माध्यम से शहद उत्पादकों की स्थानीय उत्पादों को उजागर करना चाहिए।
बाजार मूल्य में वृद्धि: उत्पाद की उत्पत्ति की रक्षा करने और इसकी प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए, तीन शहद उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) के तहत पंजीकृत किया गया है, लेकिन उनके बाजार मूल्य को बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयासों को किए जाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
निष्कर्षतः शहद मूल्य श्रृंखला में मधुमक्खी पालकों, खरीदारों, गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं और एग्रीगेटर्स को जोड़ने के लिए ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों को शामिल किया जाना चाहिए, जिससे एक स्थायी डिजिटल शहद बाज़ार का निर्माण किया जा सके।
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