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ईरान के साथ भारत के संबंध

Lokesh Pal May 22, 2024 05:56 177 0

संदर्भ

हाल ही में पूर्वी अजरबैजान प्रांत के दिजमार जंगल (Dizmar forest) में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) की मौत ने घरेलू और वैश्विक निहितार्थों के साथ वैश्विक मामलों में एक तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी है। 

इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi)

  • योगदान 
    • रूस और चीन के साथ संबंध: उन्होंने अपना ध्यान पश्चिम से हटाकर चीन और रूस के साथ संबंध विकसित करने पर केंद्रित कर दिया।
      • उन्होंने वर्ष 2023 में चीन का दौरा किया और चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात की। ईरान ने रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस का समर्थन किया है, ड्रोन की आपूर्ति की तथा रूस से संबंधित नए शिपिंग और रेल मार्गों के निर्माण में भाग लिया है, ताकि प्रतिबंधों को कमजोर किया जा सके।
    • सऊदी अरब के साथ संबंध: सात वर्ष के अंतराल के बाद वर्ष 2023 में चीन की मध्यस्थता से हुए समझौते के तहत ईरान ने सऊदी अरब के साथ राजनयिक संबंध फिर से पुनर्स्थापित किए।
    • फिलिस्तीन को समर्थन: गाजा युद्ध के दौरान रईसी ने फिलिस्तीनियों के लिए ईरान के समर्थन पर जोर दिया, जो वर्ष 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से उसकी विदेश नीति का केंद्रबिंदु है।
  • आरोपों का सामना करना पड़ा 
    • रईसी पर वर्ष 2019 में अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाया गया था, जिसमें मानवाधिकार उल्लंघन में उनकी भूमिका का उल्लेख किया गया था।
    • वर्ष 2022 में उनके कार्यकाल के दौरान 22 वर्षीय महसा अमिनी की ह्त्या के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। महिलाओं के ड्रेस कोड को सख्ती से लागू किया गया, यूरेनियम संवर्द्धन में वृद्धि हुई, और इजरायल और पश्चिम के साथ सैन्य संघर्ष में वृद्धि हुई।

इब्राहिम रईसी के सत्ता में रहने के वर्षों के दौरान भारत-ईरान संबंध

  • कनेक्टिविटी परियोजनाएँ 
    • वह ईरान के चाबहार बंदरगाह पर भारत के प्रमुख निवेशों के संदर्भ में और मध्य एशिया के माध्यम से रूस के साथ भारत की कनेक्टिविटी परियोजनाओं में अहम भूमिका निभाई।
    • अगले 10 वर्षों के लिए चाबहार बंदरगाह को संचालित करने के लिए भारत के साथ हालिया समझौता दोनों देशों के लिए एक बड़ी भू-आर्थिक सफलता है।
  • भू-आर्थिक महत्त्व
    • ईरान ने भारत के भू-आर्थिक महत्त्व को पहचाना जिससे रईसी के सत्ता में रहने के दौरान दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ हुए।
  • भारत का समर्थन
    • भारत ब्रिक्स में शामिल होने के लिए ईरान का प्रमुख समर्थक रहा है।
    • इससे पहले, भारत के नेतृत्व वाले ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन में ईरान के समर्थन को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था।
    • अमेरिका के विरोध के बावजूद भारत ने वर्ष 2018 में चाबहार बंदरगाह से संबंधित निवेश के लिए अमेरिका से छूट हासिल कर ली।

ईरान में राष्ट्रपति और सर्वोच्च नेता के बारे में

  • राष्ट्रपति: वह सर्वोच्च नेता के समग्र अधिकार के अंतर्गत कार्य करता है।
    • वह विधायिका और कार्यपालिका के बीच मध्यस्थता करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और मंत्रियों तथा उपाध्यक्षों की नियुक्ति करता है।
  • सर्वोच्च नेता: वह राज्य का प्रमुख, सशस्त्र बलों का कमांडर-इन-चीफ और देश का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होता है।

रईसी की मृत्यु और विश्व पर प्रभाव

  • वैश्विक निहितार्थ 
    • ईरान और सऊदी अरब के बीच स्पष्ट संबंध के बावजूद ईरान और अरब देशों के बीच पारंपरिक असहजता जारी रहने की संभावना बनी रहेगी।
    • स्वर्ण की कीमतों में वृद्धि: रईसी की मौत की खबर के कारण अमेरिकी दर में कटौती की संभावना, चीन के प्रोत्साहन उपायों और अन्य कारकों के साथ-साथ स्वर्ण की कीमतें रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गईं।
    • ईरान लगातार पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण संघर्ष कर रहा है।
      • विशेष रूप से, वर्ष 1995 से वर्तमान तक, अमेरिका ने ईरान की परमाणु क्षमता प्राप्त करने के संदर्भ में ईरान की अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों पर प्रतिबंध लगाया।
      • अगस्त 2021 से 25 अप्रैल, 2024 के बीच, अमेरिकी विदेश विभाग ने ईरान से जुड़ी कई संस्थाओं यानी धार्मिक, आर्थिक, कट्टरपंथी आदि कई तरह के प्रतिबंधों को लागू किया।

  • भारत पर प्रभाव
    • चाबहार बंदरगाह: रईसी की मृत्यु के साथ, बंदरगाह का विकास धीमा हो सकता है क्योंकि ईरान को अपने आंतरिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करने लगेगा।
    • अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: वैश्विक तेल बाजारों पर भी कुछ प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि ईरान एक महत्त्वपूर्ण उत्पादक है। तेल की कीमत में किसी भी तरह की बढ़ोतरी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
      • ब्रेंट क्रूड की कीमत में उतार-चढ़ाव भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है, क्योंकि भारत अपनी अधिकांश तेल का आयात करता है। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (Organisation of Petroleum Exporting Countries- OPEC) समूह में ईरान तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है।
        • वर्ष 2024 में ब्रेंट कच्चे तेल में 8% की वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण तेल उत्पादक देशों द्वारा आपूर्ति में कटौती है। लेकिन इस महीने कीमतों में 3% की गिरावट आई है।
      • अगर ईरान को राष्ट्रपति की मौत में इजरायल की संलिप्तता का पता चलता है, तो पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ सकता है और इसका असर भारत पर भी पड़ेगा।

ईरान में शक्ति का वर्तमान संतुलन

  • ईरान में रूढ़िवाद: वर्ष 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से, ईरान की राजनीति रूढ़िवादियों और सुधारवादियों के बीच विकसित हुई है और यह झगड़ा ईरानी राजनीति में केंद्रीय विषय रहा है।
    • रूढ़िवादी: एक तरफ रूढ़िवादी हैं, जो ईरान के धार्मिक सिद्धांतों का सख्ती से पालन करना चाहते हैं।
      • वे क्रांति को पश्चिमी साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक कट्टरपंथी दावे के रूप में पेश करते हैं और विशेष रूप से आबादी के गरीब वर्गों के बीच बड़े पैमाने पर समर्थन प्राप्त करते हैं।
    • सुधारवादी: दूसरी तरफ तथाकथित ‘सुधारवादी’ हैं, जो क्रांति के प्रति वफादार रहते हुए, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मामलों में अधिक लचीलापन चाहते हैं।
      • वे महिलाओं के लिए अधिक अधिकारों, नागरिक समाज और मानवाधिकारों को मजबूत करने का समर्थन करते हैं और स्वतंत्र चुनाव और पश्चिम के साथ अधिक सौहार्दपूर्ण संबंध भी चाहते हैं।

  • वर्तमान में, और ईरान की क्रांति के बाद के अधिकांश इतिहास में, रूढ़िवादी प्रभावी रहे हैं।

भारत-ईरान संबंधों के बारे में

  • ऐतिहासिक संबंध: भारत और ईरान सहस्राब्दी लंबे संबंधों का इतिहास साझा करते हैं। समकालीन संबंध इन ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों की क्षमता पर आधारित हैं और उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान, वाणिज्यिक और कनेक्टिविटी सहयोग, सांस्कृतिक और मजबूत लोगों-से-लोगों के बीच संबंधों द्वारा और भी आगे बढ़ रहे हैं।
  • राजनीतिक संबंध: भारत और ईरान ने 15 मार्च, 1950 को एक मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए।
    • दोनों ने अप्रैल 2001 में तेहरान घोषणा और वर्ष 2003 में नई दिल्ली घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं और दोनों दस्तावेजों ने सहयोग के क्षेत्रों की पहचान की और भारत-ईरान साझेदारी के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण निर्धारित किया।
    • मई 2016 में ‘सिविलिजेशन कनेक्ट, कंटेम्परी कॉन्टेक्स्ट’ (Civilizational Connect, Contemporary Context) जारी किया गया और 12 MoU पर हस्ताक्षर किए गए।
      • भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार, परिवहन और पारगमन पर त्रिपक्षीय समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।
    • फरवरी 2018 में, ‘ग्रेटर कनेक्टिविटी के माध्यम से समृद्धि की ओर’ शीर्षक से एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। 
    • भारतीय प्रधानमंत्री और ईरानी राष्ट्रपति ने पहली बार सितंबर 2022 में समरकंद, उज्बेकिस्तान में SCO राष्ट्र प्रमुखों के शिखर सम्मेलन के अवसर पर मुलाकात की, जिसके दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग, विशेष रूप से व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
      • दोनों नेताओं की अगस्त 2023 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर भी मुलाकात हुई थी।
    • दोनों देशों के पास संयुक्त समिति बैठक (Joint Committee Meeting- JCM), विदेश कार्यालय परामर्श (Foreign Office Consultations- FOC), राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के स्तर पर सुरक्षा परामर्श और संयुक्त कांसुलर समिति बैठक (Joint Consular Committee Meeting- JCCM) सहित विभिन्न स्तरों पर कई द्विपक्षीय परामर्श तंत्र मौजूद हैं। 
    • आपसी हित के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए दोनों के पास संयुक्त कार्य समूह भी हैं।
  • कनेक्टिविटी: भारत और ईरान ने वर्ष 2015 में ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेश्टी बंदरगाह के विकास पर संयुक्त रूप से सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

    • भू-रणनीतिक स्थिति: भारत मानवीय और वाणिज्यिक आवाजाही में एक प्रमुख क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में चाबहार बंदरगाह के दृष्टिकोण को साकार करने में ईरान के साथ निकटता से सहयोग बनाए रखता है।
      • ईरान की अद्वितीय भौगोलिक स्थिति भारत को मध्य एशिया, अफगानिस्तान और यूरेशिया के बाजारों तक पहुँच प्रदान करती है।
  • व्यापार संबंध: भारत और ईरान महत्त्वपूर्ण व्यापार भागीदार हैं। भारत हाल के वर्षों में ईरान के पाँच सबसे बड़े व्यापार भागीदारों में से एक रहा है।
    • ईरान को प्रमुख भारतीय निर्यात: इसमें चावल, चाय, चीनी, फार्मास्यूटिकल्स, मानव निर्मित स्टेपल फाइबर, विद्युत मशीनरी, कृत्रिम आभूषण आदि शामिल हैं।
    • ईरान से प्रमुख भारतीय आयात: इसमें सूखे मेवे, अकार्बनिक/कार्बनिक रसायन, काँच के बर्तन आदि शामिल हैं।
  • सांस्कृतिक सहयोग और लोगों के बीच संबंध: भारत और ईरान के बीच सभ्यतागत संबंध लोगों के बीच मजबूत संबंधों और सांस्कृतिक संबंधों का स्रोत बने हुए हैं।
    • वर्ष 2013 में स्थापित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र का वर्ष 2018 में नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (SVCC) कर दिया गया, जो इन सांस्कृतिक संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद कर रहा है।
    • भारत ने हाल ही में नई शिक्षा नीति के तहत फारसी को नौ शास्त्रीय भाषाओं में से एक के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया है।
    • भारत और ईरान के प्रमुख पर्यटन स्थल दोनों देशों के सभी उम्र के पर्यटकों को आकर्षित करते रहते हैं।
  • ऊर्जा सुरक्षा: ईरान गैस भंडार के मामले में वैश्विक स्तर पर दूसरे स्थान पर है, जो वर्ष 2030 तक ईंधन विविधीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और भारत के ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी का अवसर पेश करता है।
  • आर्थिक संबंध: वर्ष 2022 में द्विपक्षीय व्यापार 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो वर्ष 2021 से 48% की वृद्धि दर्शाता है।
    • भारतीय निर्यात: चीनी, मानव निर्मित स्टेपल फाइबर, विद्युत मशीनरी और कृत्रिम आभूषण।
    • भारतीय आयात: सूखे मेवे, रसायन और काँच के बर्तन।
    • ईरान ने भारत को उन देशों की सूची में शामिल किया है, जिनके नागरिकों को यात्रा करने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होगी।

भारत के लिए ईरान का महत्त्व

  • एक पारंपरिक भागीदार: एक पारंपरिक भागीदार होने के नाते, ईरान का हाल के दिनों में महत्त्व बढ़ गया है, जो भविष्य में भी वैध बना रहेगा।
  • तेल आपूर्तिकर्ता: ईरान कच्चे तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक रहा है – जिसे अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण झटका लगा है।
  • आतंकवाद पर साझा चिंता: इसके अलावा, दोनों देशों ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान संबंधित आतंकवाद पर साझा चिंताएँ व्यक्त की हैं।

निष्कर्ष 

एक दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत का घरेलू बाजारों पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं देखा जाएगा, जब तक कि इससे भू-राजनीतिक तनाव में कोई वृद्धि न हो।

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