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X-गुणसूत्र पुनरुद्धार से ऑटोइम्यून रोग का खतरा

Lokesh Pal May 23, 2024 05:04 109 0

संदर्भ

हालिया जीनोमिक अध्ययनों ने X-गुणसूत्र एवं इसके द्वारा एनकोड किए गए जीन द्वारा विनियमित मौलिक जैविक प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला है। 

  • स्तनधारियों के संदर्भ में, मादाओं में X-गुणसूत्र की दो प्रतियाँ होती हैं, जबकि नर में एक ही प्रति होती है। प्रत्येक X गुणसूत्र माता-पिता से आनुवंशिक रूप में मिलता है। लिंग निर्धारण में X-गुणसूत्र अहम भूमिका निभाते हैं।

अध्ययन से प्राप्त मुख्य निष्कर्ष 

  • जैविक कार्यों एवं रोग संवेदनशीलता में भूमिका: साक्ष्यों के अनुसार, यह विभिन्न प्रकार के जैविक कार्यों में भूमिका निभाता है एवं साथ ही कुछ बीमारियों के प्रति लिंग-विशिष्ट संवेदनशीलता को नियंत्रित करता है।

गुणसूत्र के बारे में

  • यह सजीवों में कोशिका का एक भाग होता है जो किसी व्यक्ति, जानवर या पौधे में लैंगिक, चरित्र, आकार आदि विशेषताओं का निर्धारण करता है।

लिंग संबंधी गुणसूत्र

  • मनुष्यों में, प्रत्येक में 22 जोड़े गुणसूत्रों के अलावा, हमारे पास X एवं Y नामक लिंग गुणसूत्रों की एक जोड़ी होती है। उनमें लिंग का निर्धारण करने वाले जीन होते हैं।
  • सभी जैविक नरों में X एवं Y गुणसूत्र होते हैं एवं सभी जैविक मादाओं में दो X गुणसूत्र होते हैं।

  • X-गुणसूत्र जीन कार्यात्मक हानि से संबंधित आनुवंशिक रोग: मानव X गुणसूत्र लगभग 800 जीनों को एनकोड करता है, जो बदले में प्रोटीन के लिए कोड करता है।
    • इस प्रकार इन जीनों के कार्य में कमी से विभिन्न प्रकार की आनुवंशिक बीमारियाँ हो सकती हैं।
  • X गुणसूत्र से प्रभावित रोगों का वर्गीकरण: मोटे तौर पर, वे बीमारियाँ जिनकी शुरुआत और वृद्धि में X गुणसूत्र का प्रभाव होता है, उन्हें तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है:-
    • X-लिंक्ड आनुवंशिक रोग
    • XCI स्केप से प्रभावित रोग 
    • रोग जो X-क्रोमोसोम एन्युप्लॉइडी (Aneuploidy) से संबंधित हैं। 
  • X-लिंक्ड आनुवंशिक रोगों की व्यापकता एवं प्रभाव: 500 से अधिक X-लिंक्ड आनुवंशिक रोग हैं एवं वे पुरुषों (नर) को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
    • सामान्य आबादी में कई X-लिंक्ड लक्षण एवं बीमारियाँ प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए, रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस, जो एक X-लिंक्ड स्थिति को संदर्भित करती है, लगभग 8% पुरुषों (नर) को प्रभावित करती है।
    • डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy) डायस्ट्रोफिन (Dystrophin) जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है एवं भारत में पैदा होने वाले प्रत्येक 3,500-5,000 शिशुओं में से 1 को प्रभावित करता है। 
      • एगमाग्लोबुलिनमिया (Agammaglobulinemia), जो एक इम्यूनोडेफिशिएंसी विकार है, 2,00,000 जीवित शिशुओं में से लगभग 1 को प्रभावित करता है। यह भी X-लिंक्ड स्थिति को संदर्भित करता हैं।
    • वैज्ञानिकों ने X गुणसूत्र की संख्यात्मक असामान्यताओं की पहचान की है, जिन्हें एन्यूप्लॉइडीज (Aneuploidies) के रूप में जाना जाता है।
      • उदाहरण के लिए क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter Syndrome) को एक अतिरिक्त X गुणसूत्र (XXY) द्वारा परिभाषित किया जाता है, जबकि टर्नर सिंड्रोम को महिलाओं में एक X गुणसूत्र (XX के बजाय X) की कमी के रूप में चिह्नित किया जाता है।
  • X गुणसूत्र का निष्क्रिय होना: वर्ष 1961 में, ब्रिटिश आनुवंशिकीविद् मैरी फ्राँसिस लियोन ने प्रस्तावित किया कि महिलाओं में X-लिंक्ड जीन की अभिव्यंजना को रोकने के लिए, प्रारंभिक भ्रूण विकास के दौरान दो X गुणसूत्र में से एक को यादृच्छिक रूप से निष्क्रिय कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को X गुणसूत्र निष्क्रियता (XCI) के रूप में जाना जाता है।
    • इस प्रक्रिया के दौरान, एपिजेनेटिक संशोधन X गुणसूत्रों में से एक पर अधिकांश जीन को निष्क्रिय कर देते हैं।
    • एपिजेनेटिक्स में वे तंत्र शामिल होते हैं, जिनके द्वारा जीन उनके परिचालन वातावरण से प्रभावित होते हैं।
    • XCI जीन अभिव्यक्ति में संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है, फिर भी वैज्ञानिक विभिन्न आनुवंशिक विकारों में इसकी भागीदारी को तेजी से पहचान रहे हैं।
  • अपूर्ण या विषम (Skewed) X गुणसूत्र निष्क्रियता: विषम निष्क्रियता जीन की असामान्य अभिव्यंजना को जन्म दे सकता है, जो X-लिंक्ड विकारों, कुछ कैंसर एवं ऑटोइम्यून स्थितियों सहित बीमारियों में योगदान देता है।
  • X गुणसूत्र निष्क्रियता का आणविक आधार: शोधकर्ताओं ने एक नॉन-प्रोटीन-कोडिंग RNA Xist’ की पहचान करके X गुणसूत्र निष्क्रियता के अंतर्निहित आणविक तंत्र को उजागर किया।
    • Xist, एक अन्य नॉन-प्रोटीन-कोडिंग RNA, जिसे Tsix (Xist का उल्टा) कहा जाता है, के साथ मिलकर, X गुणसूत्र को निष्क्रिय करने में सहायता करता है। 
    • इन दो जीनों के विभेदक विनियमन के परिणामस्वरूप Xist RNA की अभिव्यंजना होती है, जो निष्क्रियता के लिए निर्धारित गुणसूत्र को ढक देता है।
  • जीन एस्केपिंग X गुणसूत्र निष्क्रियता: हालाँकि, X गुणसूत्र का निष्क्रिय होना पूर्ण नहीं है।
    • सेल जीनोमिक्स जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार, X गुणसूत्र द्वारा एनकोड किए गए सभी जीनों में से एक-चौथाई निष्क्रियता से बच सकते हैं एवं स्वयं को अभिव्यक्त कर सकते हैं।

ऑटोइम्यून रोग: ऑटोइम्यून रोग तब होते हैं, जब प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती है।

उदाहरण के लिए: रुमेटाइड आर्थराइटिस, क्रोहन रोग और विभिन्न थायरॉयड विकार।

स्व-प्रतिरक्षित रोग (Autoimmune Diseases)

  • व्यापकता: शोधकर्ताओं ने प्रस्तावित किया है कि कई प्रतिरक्षा रोग, जैसे प्रणालीगत ल्यूपस एरिथेमेटोसस (Lupus Erythematosus), रुमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) एवं स्जोग्रेन सिंड्रोम (Sjogren’s Syndrome), नर की तुलना में मादों में अधिक प्रचलित हैं।
    • उदाहरण ऑटोइम्यून विकार जहाँ एंटीबॉडी विशिष्ट प्रोटीन को लक्षित करते हैं।
  • X गुणसूत्र पर निष्क्रिय जीन का पुनर्सक्रियन: 
    • प्रतिरक्षा कार्य पर प्रभाव: फ्राँसीसी शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि निष्क्रिय X गुणसूत्र पर पहले से निष्क्रिय जीन फिर से सक्रिय हो गए थे, जब उन्होंने मादा चूहों में XCI शुरू करने वाले प्रोटीन, Xist की अभिव्यंजना को बदल दिया था।
    • इसका परिणाम मादा चूहों में ल्यूपस जैसे सूजन संबंधी लक्षणों का सहज विकास था, जिसमें ऑटोएंटीबॉडी का बढ़ा हुआ स्तर एवं परिवर्तित प्रतिरक्षा कोशिका आबादी शामिल थी।
  • XCI परिवर्तन के विविध प्रभाव: X गुणसूत्र निष्क्रियता (XCI) में परिवर्तन के जवाब में कुछ X-लिंक्ड जीनों का पुनर्सक्रियन विभिन्न प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं में भिन्न होता है, जो दर्शाता है कि विविध आणविक मार्ग प्रभावित होते हैं।
    • ऑटोइम्यून बीमारियों में देखे गए परिणामी प्रभाव संभवतः विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में पुनर्सक्रियन घटनाओं के संयोजन एवं जीन अभिव्यक्ति में समग्र परिवर्तन का परिणाम हैं।
    • ये निष्कर्ष संशोधित XCI एवं ऑटोइम्यून विकारों के बीच आणविक संबंध को मजबूत करते हैं, जो भविष्य में नई चिकित्सीय दवाओं के विकास के लिए संभावित रास्ते सुझाते हैं।

X एवं अल्जाइमर रोग

  • महिलाओं पर अनुपातहीन बोझ: X गुणसूत्र से जुड़ा अल्जाइमर रोग महिलाओं में अधिक जोखिम उत्पन्न करता है, दुनिया भर में पुरुषों की तुलना में लगभग दोगुनी महिलाएँ इससे प्रभावित होती हैं।
  • यूबिकिटिन स्पेसिफिक पेप्टिडेज 11 (Ubiquitin Specific Peptidase- USP11)  की भूमिका: अक्टूबर 2022 में जर्नल ‘सेल’ (Cell) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, USP11 नामक एक जीन जो प्रोटीन संशोधन प्रक्रियाओं में शामिल है, मस्तिष्क में Tau प्रोटीन के संचय को बढ़ावा देता है।
    • चूहों के मस्तिष्क की जाँच के आधार पर, शोधकर्ताओं का सुझाव है कि यह जीन X गुणसूत्र निष्क्रियता से कम प्रभावित होता है एवं मादाओं में अधिक सक्रिय रूप से व्यक्त होता है।
    • यह खोज अल्जाइमर रोग के लिए नए उपचार के विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।

निष्कर्ष

  • X गुणसूत्र का विकासवादी महत्त्व: मानव में Y गुणसूत्र समय के साथ कम हो रहा है, यह सुझाव देता है कि X गुणसूत्र विकास की सबसे विश्वसनीय संपत्ति हो सकती है और इसलिए मानव स्वास्थ्य एवं बीमारी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • विकासवादी जीनोमिक्स से अंतर्दृष्टि: इसके विकासवादी जीनोमिक्स एवं जैविक प्रक्रियाओं में इसकी भागीदारी में उभरती अंतर्दृष्टि आनुवंशिक विरासत, एपिजेनेटिक संशोधनों एवं रोग अभिव्यक्ति के बीच जटिल परस्पर क्रिया को उजागर करती है।
    • इन जटिलताओं को समझने से नई दवाओं एवं उपचारों के विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

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