हाल ही में इंडो-पैसिफिक में SQUAD लॉन्च करने के लिए एक नई चौतरफा सुरक्षा व्यवस्था को संस्थागत बनाया गया था।
मिनीलेटरल (Minilaterals)
इनमें आमतौर पर 3 से 9 देश शामिल होते हैं, जो इन देशों के सामने आने वाली विशिष्ट एवं आम चुनौतियों का समाधान करने के लिए अनौपचारिक व्यवस्था में सहयोग करते हैं।
विशेषताएँ: मिनी-लेटरल कार्य-उन्मुख, विशिष्ट एवं आम सहमति तक पहुँचने के लिए अधिक अनुकूल हैं। उनका अनौपचारिक स्वभाव उन्हें अधिक सक्रिय और अनुकूलनीय भी बनाता है।
हाल ही में पर्थ USAsia सेंटर (Perth USAsia Centre) रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया पहले से ही 20 से अधिक मिनीलेटरल समूहों में शामिल है।
उल्लेखनीय उदाहरण
इंडो पैसिफिक क्षेत्र: क्वाड (Quad) एवं ऑकस (AUKUS) के उद्भव के साथ ये सुरक्षा सहयोग के महत्त्वपूर्ण समूह हैं।
चीन के नेतृत्व में: चीन पूर्वी एशिया में लंकांग-मेकांग सहयोग तंत्र (Lancang-Mekong Cooperation Mechanism) का प्रमुख है।
दक्षिण-पूर्व एशिया: इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर एवं थाईलैंड के बीच मलक्का जलडमरूमध्य गश्ती(Malacca Strait Patrols) समूह है।
संबंधित तथ्य
संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा मंत्री ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं निवारण के लिए अपने सामूहिक दृष्टिकोण को रेखांकित करने के लिए ‘SQUAD’ लॉन्च करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस एवं जापान के अपने समकक्षों से मुलाकात की।
SQUAD
यह एक चतुर्भुज समूह है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस एवं जापान के 4 इंडो-पैसिफिक राष्ट्र शामिल हैं।
इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा ‘मिनीलेटरल’ समूह: SQUAD इंडो पैसिफिक क्षेत्र में ऐसे मिनी-लेटरल सुरक्षा समूहों की शृंखला में हाल ही में शामिल हुआ समूह बन गया है।
उदाहरण: क्वाड (Quad), ऑकस (Aukus), संयुक्त राज्य अमेरिका-फिलीपींस-जापान त्रिपक्षीय एवं संयुक्त राज्य अमेरिका-जापान-दक्षिण कोरिया त्रिपक्षीय।
मुख्य उद्देश्य: इसका उद्देश्य आपस में एकीकरण के स्तर को गहन करना एवं दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण में चीन की आधिपत्यवादी प्रवृत्ति का सामना करना है, जो इंडो-पैसिफिक के नियम-आधारित प्रणाली को खतरे में डाल रहा है।
मूल: दक्षिण चीन सागर में अपने रणनीतिक सहयोग को बढ़ाने के प्रयास में 4 देशों के एक अनौपचारिक समूह का विचार वर्ष 2023 से विचाराधीन है।
वर्ष 2023: चारों देशों के रक्षा प्रमुख पहली बार सिंगापुर में शांगरी ला सुरक्षा वार्ता के अवसर पर मिले थे।
सहयोग
अप्रैल 2024: संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, जापान, फिलीपींस एवं ऑस्ट्रेलिया ने फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में अपना पहला बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास आयोजित किया।
इनमें से प्रत्येक देश संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संधि गठबंधन साझा करता है लेकिन फिलीपींस, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया वर्तमान में संधि सहयोगी नहीं हैं।
मौजूदा सहयोग: फिलीपींस वर्तमान में अमेरिका के साथ मौजूदा विजिटिंग फोर्सेज ऑफ एग्रीमेंट (VFA) एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ स्टेटस ऑफ फोर्सेज एग्रीमेंट (SOFA) के पूरक दोनों देशों के बीच सैन्य तैनाती बढ़ाने के लिए जापान के साथ एक पारस्परिक पहुँच समझौते (Reciprocal Access Agreement- RAA) पर वार्ता कर रहा है।
महत्त्व
क्षमता निर्माण: चारों देश संसाधनों एवं क्षमताओं की एक विस्तृत शृंखला को एक साथ लाएँगे, जिसमें ऑस्ट्रेलिया एवं जापान पर्याप्त नौसैनिक और रक्षा संसाधन प्रदान करेंगे एवं फिलीपींस अपनी समुद्री क्षमताओं के साथ सहयोग करेगा।
फिलीपींस की भूमिका: फिलीपींस दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी सामरिक स्थिति के संबंध में केंद्रीय भूमिका निभाएगा और उसने स्वयं को SQUAD के आधार के रूप में तैनात किया है।
इंडो पैसिफिक क्षेत्र में ‘एकीकृत प्रतिरोध’ की व्यापक अमेरिकी रणनीति में फिलीपींस को एक केंद्रीय भूमिका के लिए प्रेरित किया गया है।
इंडो पैसिफिक सुरक्षा: गठबंधन की योजना सैन्य अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने, अतिरिक्त संयुक्त गश्त एवं अभ्यास आयोजित करने और क्षेत्र में खुफिया एवं समुद्री सुरक्षा सहयोग में सुधार करने की है।
सामरिक अभिसरण को प्रोत्साहित करना: स्क्वाड (Squad), ऑकस (AUKUS) और क्वाड (QUAD) पूरक क्षमताओं और उद्देश्यों वाले राष्ट्रों को एक साथ लाकर विभिन्न सुरक्षा एवं रक्षा चुनौतियों पर सहयोग को बढ़ावा देने वाली नई सुरक्षा संरचना के महत्त्वपूर्ण घटक हैं।
उदाहरण: हाल ही मेंफिलीपींस एवं चीनी नौसेना बलों के बीच बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में भारत के विदेश मंत्री (EAM) ने फिलीपींस का दौरा किया था।
क्षेत्रीय हितधारकों से जुड़ाव: इन अनौपचारिक गठबंधनों का लक्ष्य क्षेत्रीय हितधारकों की एक विस्तृत शृंखला से जुड़ना है जैसे- ASEAN, विशिष्ट होने के बजाय मौजूदा अंतरराष्ट्रीय ढाँचे के पूरक के रूप में संचार और अभिसरण में सुधार कर रहा है।
इंडो-पैसिफिक के बारे में: (विभिन्न अवधारणाएँ)
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के लिए: यह भारत के पश्चिमी तट तक फैला हुआ है, जो यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड की भौगोलिक सीमा भी है।
भारत के लिए: इसमें संपूर्ण हिंद महासागर एवं पश्चिमी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र शामिल है, जैसा कि भारतीय प्रधानमंत्री ने वर्ष 2018 में शांगरी ला डायलॉग में अपने मुख्य भाषण में संदर्भित किया था।
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