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वैवाहिक दुष्कर्म समानता एवं स्वायत्तता के निरोधात्मक हैं

Lokesh Pal May 27, 2024 03:20 108 0

संदर्भ

हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मनीष साहू बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले में कहा कि ‘15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा किया गया कोई भी संभोग या यौन कृत्य दुष्कर्म (बलात्कार) नहीं है।’

वैवाहिक दुष्कर्म के बारे में 

  • परिचय: वैवाहिक दुष्कर्म या पति-पत्नी के साथ दुष्कर्म का तात्पर्य किसी के पति/पत्नी के साथ उनकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाने से है।
  • भारत में कानूनी स्थिति: भारत में, ऐसे कोई कानूनी प्रावधान नहीं हैं, जो स्पष्ट रूप से ‘वैवाहिक दुष्कर्म’ को संबोधित करते हों।
    • भारत दुनिया भर के उन 36 देशों में से एक है, जहाँ वैवाहिक दुष्कर्म को एक आपराधिक अपराध के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।

भारत में वैवाहिक दुष्कर्म की स्थिति

  • भारतीय दंड संहिता में दुष्कर्म को लेकर सजा संबंधी प्रावधान: भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 375 दुष्कर्म को एक आपराधिक कृत्य के रूप में परिभाषित करती है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई पुरुष किसी महिला या वह नाबालिग के साथ उसकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाता है तो वह दुष्कर्म का दोषी है। 
    • बहरहाल, धारा 375 के अपवाद 2 में कहा गया है कि एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध, बशर्ते कि वह 15 वर्ष से कम उम्र की न हो, दुष्कर्म नहीं माना जाएगा।
  • उच्चतम न्यायालय का निर्णय: वर्ष 2018 के एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में, भारत के उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि 15 से 18 वर्ष की आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध को दुष्कर्म के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
    • सितंबर 2022 में, उच्चतम न्यायालय के एक ऐतिहासिक निर्णय ने वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात के अधिकार की पुष्टि की।
    • इसने निर्धारित किया कि, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (Medical Termination of Pregnancy Act) के तहत, दुष्कर्म की परिभाषा में वैवाहिक दुष्कर्म को शामिल किया जाना चाहिए।
  • वैवाहिक दुष्कर्म के लिए कानूनी दृष्टिकोण: विवाहित महिलाओं के लिए, बिना सहमति के यौन संबंध के विरुद्ध एकमात्र कानूनी दृष्टिकोण घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम (Protection of Women from Domestic Violence Act) या IPC की धारा 498A में उल्लिखित नागरिक प्रावधानों में निहित है, जो उसके पति या रिश्तेदार द्वारा पत्नी के विरुद्ध की गई क्रूरता को संबोधित करता है।

दुनिया भर में वैवाहिक दुष्कर्म के प्रावधान

  • रूस: वर्ष 1922 में, सोवियत संघ, अब रूस, दुष्कर्म को अपराध मानने वाला एवं अपने दुष्कर्म कानूनों से ‘वैवाहिक छूट’ को समाप्त करने वाला पहला देश बना।
  • वे देश जिन्होंने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित कर दिया है:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका: वर्ष 1993 से, अमेरिका के सभी 50 राज्यों या प्रांतों में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित कर दिया गया है, हालाँकि कानून राज्य के अनुसार अलग-अलग हैं।
    • यूनाइटेड किंगडम: ब्रिटेन में वैवाहिक दुष्कर्म को भी एक आपराधिक अपराध बना दिया गया है, जिसमें आजीवन कारावास सहित संभावित सजाएँ शामिल हैं।
    • दक्षिण अफ्रीका: वर्ष 1993 से दक्षिण अफ्रीका में वैवाहिक दुष्कर्म अवैध है।
    • कनाडा: कनाडा में वैवाहिक दुष्कर्म कानून द्वारा दंडनीय है।
  • अपवाद: जिन देशों में अपराध दंडनीय नहीं है उनमें घाना, भारत, इंडोनेशिया, जॉर्डन, लेसोथो, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, श्रीलंका एवं तंजानिया शामिल हैं।

वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के पक्ष में तर्क

वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के विपक्ष में तर्क

  • वैवाहिक दुष्कर्म अपवाद द्वारा मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: अनुच्छेद-21 में निहित स्वायत्तता एवं गोपनीयता के अधिकार को कमजोर करता है, साथ ही अनुच्छेद-14, जो कानून के तहत समान सुरक्षा सुनिश्चित करता है तथा अनुच्छेद-15(1) भेदभाव के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है।
  • शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव: अभिव्यक्तियों में सदमा, भय, तनाव, आत्महत्या की प्रवृत्ति, गर्भपात, संक्रमण, बाँझपन, HIV जैसी बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता, निजी अंगों पर चोटें, चोट एवं प्रभावित मांसपेशियाँ शामिल हैं।
  • कानून का संभावित दुरुपयोग: वैवाहिक दुष्कर्म को अपराधीकरण का उपयोग झूठे आरोप लगाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, वर्ष 2020 में धारा 498A (दहेज से संबंधित) के तहत कुल 1,11,549 पंजीकृत मामलों में से 5,520 को झूठा मानकर पुलिस द्वारा बंद कर दिया गया।
  • साक्ष्यों का बोझ: CCTV फुटेज जैसे अपर्याप्त साक्ष्यों के कारण वैवाहिक दुष्कर्म के दावों को प्रमाणित करने में कठिनाई इन मामलों में साक्ष्यों के बोझ को चुनौतीपूर्ण बना देती है।

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