100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

परमाणु संघर्ष का साया

Lokesh Pal May 27, 2024 05:15 129 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: परमाणु हथियार देश एवं उपयोग , परमाणु हथियारों से संबंधित प्रमुख संधियाँ। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: युद्ध में अंतिम विकल्प के रुप में परमाणु हथियारों का उपयोग कितना उचित और कितना अनुचित, अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते के मुख्य निहितार्थ।

मुख्य तथ्य : 

प्रत्येक बड़े युद्ध या संघर्ष के बाद, यह प्रश्न उठता है कि क्या उस समय सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग दीवार पर लिखी बातों को देखने में विफल रहा था और इसलिए, उसने किसी बड़े संघर्ष की संभावना के लिए तैयारी नहीं की, या आगे आने वाले खतरे का सामना नहीं किया।

परमाणु संघर्ष का खतरा:

  • आज, जबकि कुछ राष्ट्र न केवल युद्ध की धमकी दे रहे हैं, बल्कि ‘अंतिम हथियार’ अर्थात परमाणु हथियार का उपयोग करने की धमकी भी दे रहे हैं, तो यह प्रश्न फिर से उठाना आवश्यक है।
  • वास्तविकता शायद, उन बयानबाजियों के मध्य छिपी हुई हैं जो प्रमुख नेता या उनके प्रवक्ता समय-समय पर देते रहते हैं।
  • अभी भी समय है कि राष्ट्र जागरूक हों और इस पर ध्यान दें, साथ ही चर्चा करें तथा जो बयानबाजी हो रही है उसके पीछे छिपे अर्थों को समझें।
  • कई नेताओं ने, कम से कम पश्चिम में, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की तथाकथित ‘सर्वनाशकारी दृष्टि’ और भविष्य कैसा दिखेगा, इस पर ध्यान दिया है।
  • श्री मैक्रों की टिप्पणियों में परमाणु ‘विनाश’ के खतरे का संकेत भी है, तथा फ्रांसीसी राष्ट्रपति की पिछली कई टिप्पणियों के विपरीत, इस बार कई यूरोपीय लोग इस पर ध्यान दे रहे हैं।
  • रूस का तथाकथित ‘दुस्साहस’ फ्रांसीसी राष्ट्रपति के  ‘सर्वनाशकारी दृष्टि’ परिदृश्य का प्रारंभिक बिंदु प्रतीत होता है, क्योंकि उनका मानना ​​है कि यूक्रेन युद्ध ने रूस को बदल दिया है और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ‘परमाणु धमकियों’ को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
  • चूंकि ये टिप्पणियां यूरोप के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक की ओर से आई हैं, इसलिए मुख्य जोर इस बात पर है कि इसका यूरोपीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
  • आज फ्रांस के पास विश्व के सबसे बड़े परमाणु शस्त्रागार है, और इसलिए, फ्रांसीसी राष्ट्रपति के बयानों का महत्त्व बढ़ जाता है।
  • इस पृष्ठभूमि और यूक्रेन थिएटर में रूस की बढ़ती आक्रामकता के सबूतों के मध्य, यूक्रेन में परमाणु हथियारों का संभावित उपयोग अब कल्पना के दायरे में नहीं रह गया है। 
    • यह संभावित परमाणु आदान-प्रदान की आशंका को जन्म देता है।
  • कहा जा रहा है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इस वर्ष जुलाई में होने वाली यूरोपीय राजनीतिक समुदाय की बैठक में परमाणु पहलू पर अपना पक्ष रखने की योजना बना रहे हैं।

अन्य प्रमुख तथ्य : 

  • 1962 में क्यूबा मिसाइल संकट के बाद यह पहली बार नहीं है कि परमाणु संघर्ष का साया विश्व पर मंडरा रहा है।
  • विश्व भर के प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति, विशेष रूप से वे जो वैश्विक मालों पर प्रभाव डालते हैं, स्थिति को और अधिक गंभीर बना रही है तथा इसे और अधिक भयावह बना रही है।
  • जैसा कि हम जानते हैं, विश्व के अधिकांश हिस्से अत्यधिक आर्थिक उथल-पुथल से गुज़र रहे हैं, जिसके कारण व्यापक समस्याएँ पैदा हो रही हैं। 
  • कई परमाणु हथियार संपन्न देशों के पास हथियारों की एक नई श्रृंखला उपलब्ध होने के कारण यह परेशानी का सबब बन सकता है।
  • परमाणु हथियार संपन्न देशों के मध्य नियमित आदान-प्रदान की अनुपस्थिति, कई प्रोटोकॉल के बावजूद, चिंता का एक और कारण है।
  • इस प्रकार, पूर्ववर्ती परमाणु प्रसार संधियाँ और उनकी प्रासंगिकता अब कमजोर होती जा रही हैं।
  • इस वर्ष 9 मई को मास्को में वार्षिक विजय दिवस परेड के दौरान पुतिन द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
  • इससे पहले, नवंबर 2023 में, रूस ने एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौते, अर्थात व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) के अपने अनुसमर्थन को रद्द कर दिया था, जिसका उद्देश्य नागरिक या सैन्य उद्देश्यों के लिए सभी प्रकार के परमाणु विस्फोटों को रोकना है।
  • रूस द्वारा किया गया यह दावा कि प्रतिबंध हटाने का उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका (जिसने कभी इसका अनुमोदन नहीं किया था) के साथ परमाणु हथियारों के होड़ को संतुलित करना, भ्रामक है।
  • इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया, अप्रत्याशित रूप से, अत्यंत शत्रुतापूर्ण रही है, जिसमें कई देशों ने चिंता व्यक्त की है कि इस कदम ने परमाणु हथियार व्यवस्था में अधिक विश्वास की ओर बदलाव को उलट दिया है। इस बीच, वैश्विक स्तर पर, चीन जैसे देश अपने परमाणु हथियार क्षेत्र को बढ़ाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
  • चीन ने हाल ही में अपने विमान सुपरकैरियर का समुद्री परीक्षण पूरा किया है, जिसमें विमान प्रक्षेपण के लिए विद्युत चुंबकीय कैटापल्ट (Electromagnetic Catapults) लगे हैं।
    • वह चौथे विमानवाहक पोत का निर्माण पूरा करने की दिशा में अग्रसर है।

हूवर वार्ता 

  • जबकि यूरोप और विश्व के कुछ हिस्सों में संभावित परमाणु युद्ध की आशंका देखि जा रही है, इस घटना से पूरी तरह असंबद्ध, अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के हूवर इंस्टीट्यूशन में परमाणु मामलों पर एक अकादमिक चर्चा हुई, जिसमें अमेरिका और भारत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।  
  • चर्चा अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते (2005-08) पर केंद्रित थी और इस बात पर भी कि कैसे इसने न केवल परमाणु मामलों पर बल्कि अमेरिका और भारत के मध्य संबंधों के संपूर्ण आयाम पर नजरिए में एक मौलिक परिवर्तन लाया है।
  • जब भारत और अमेरिका ने परमाणु समझौते पर बातचीत करने का बीड़ा उठाया, तो वे परमाणु व्यवस्था के विपरीत ध्रुवों पर खड़े थे। 
  • भारत ने परमाणु प्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, जो वैश्विक परमाणु नियमों को नियंत्रित करने वाली एक आधारभूत संधि है।
    • इसने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर दिया था। 
  • भारत ने 1998 में पाँच परमाणु परीक्षण किए थे, जिसके कारण भारत के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे।
  • भारत ने अपने परमाणु कार्यक्रम को नागरिक और सैन्य परमाणु कार्यक्रमों में विभाजित करने पर सहमति व्यक्त की, बदले में स्थायी ईंधन आपूर्ति के लिए स्थायी सुरक्षा उपायों को जोड़ने पर सहमति व्यक्त की। 
  • भारत ने निर्यात नियंत्रण विनियमों में से कुछ नियमों का पालन करने पर सहमति व्यक्त की।
  • भारत ने परमाणु परीक्षण पर स्वैच्छिक रोक को स्वीकार कर लिया।
  • बदले में, अमेरिका ने अपने घरेलू कानूनों में संशोधन किया, और अमेरिकी कांग्रेस ने हाइड अधिनियम और 123 समझौतों के अधिनियमन के माध्यम से विधायी प्रावधान पारित करना संभव बनाया।
  • अमेरिका ने भारत पर परमाणु प्रतिबंधों को कम करने के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) से संपर्क करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
  • इसके बाद अमेरिका और भारत ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) से भारत विशिष्ट सुरक्षा समझौता प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों का समन्वय किया।
  • इससे भारत को परमाणु अप्रसार संधि के तहत परमाणु हथियार राज्य के समान दर्जा मिला।

संबंधों में सुधार संबंधी मुख्य बिंदु :

  • हूवर इंस्टीट्यूशन में हुई वार्ताओं से यह संदेश मिला कि यह समझौता भारत की परमाणु स्थिति को संशोधित करने की व्यवस्था मात्र होने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। 
  • 2008 में इस समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के बाद से भारत-अमेरिका संबंधों ने नई ऊँचाइयों को छुआ है।
  • प्रौद्योगिकी से इनकार करने के बाद भारत अमेरिका का एक प्रमुख प्रौद्योगिकी साझेदार बन गया है। 
  • पहले से मौजूद कई मानसिक उलझनें दूर हो गई हैं और भारत और अमेरिका ने आर्थिक तथा रक्षा संबंधों के मामले में एक नया मुकाम हासिल कर लिया है। 
  • भारत कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी अमेरिका का एक अनिवार्य साझेदार बन गया है।

निष्कर्ष: 

निष्कर्षतः बढ़ते परमाणु तनाव के मध्य, भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सहयोग को बदलने तथा उसे मजबूत करने के लिए कूटनीतिक वार्ता की क्षमता को दर्शाता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                                  

प्रश्न. “परमाणु अप्रसार संधि (NPT)” से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  1. यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य परमाणु हथियार और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है।
  2. हालांकि , भारत ने इस संधि  पर हस्ताक्षर नहीं किया है ,लेकिन  भारत इसका सदस्य देश  है।
  3. परमाणु हथियार संपन्न राज्यों (NWS) में वे देश शामिल हैं जिन्होंने 1 जनवरी, 1967 के पूर्व परमाणु हथियार या अन्य परमाणु विस्फोटक उपकरणों का निर्माण या परीक्षण किया हो।

उपर्युक्त कथनों में से कितने कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1 
  2. केवल 2 
  3. सभी तीनों
  4.  कोई भी नहीं 

उत्तर: (b)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.