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भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारे की लुप्त कड़ियाँ तथा गाजा युद्ध

Lokesh Pal May 25, 2024 05:00 125 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर मानचित्र, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर के प्रमुख सदस्य देशएवं उनकी अवस्थिति, जी-20 शिखर सम्मेलन भारत आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर मानचित्र का महत्व, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर मानचित्र से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ, जी-20 शिखर सम्मेलन एवं आईएमईसी अनुबंध से जुड़े प्रावधान आदि। 

संदर्भ: 

हाल ही में भारत और ईरान ने आखिरकार चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए 10 वर्षों की दीर्घकालिक द्विपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, लेकिन इससे पहले, नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) पर हस्ताक्षर किए गए थे।

आईएमईसी (भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर) कनेक्टिविटी परियोजना के बारे में:

  • हस्ताक्षरित: 9 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आईएमईसी को हस्ताक्षरित किया गया।
  • संरचना और निर्माण: वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिए साझेदारी (PGII) के तहत, इसका उद्देश्य एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के मध्य बेहतर संपर्क और आर्थिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
  • गलियारे के हिस्से : आईएमईसी में दो अलग-अलग  गलियारे शामिल होंगे: 
    • पूर्वी गलियारा: भारत को फ़ारस की खाड़ी से जोड़ना। 
    • उत्तरी गलियारा: फ़ारस की खाड़ी को यूरोप से जोड़ना।
  • रेलवे नेटवर्क: मौजूदा समुद्री और सड़क परिवहन मार्गों के अतिरिक्त, इसमें रेलवे नेटवर्क भी शामिल होगा, जिसका उद्देश्य माल और सेवाओं के पारगमन के लिए एक विश्वसनीय और लागत प्रभावी सीमा पार जहाज-से-रेल पारगमन नेटवर्क बनना है।
    • इस कॉरिडोर में रेलवे मार्ग के साथ-साथ बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए केबल बिछाने तथा स्वच्छ हाइड्रोजन निर्यात के लिए पाइपलाइन बिछाने की भी परिकल्पना की गई है।

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के प्रतिकार के रूप में:

  • उद्देश्य: 4,800 किलोमीटर लंबे इस IMEC कॉरिडोर का उद्देश्य क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना, व्यापार सुलभता को बढ़ाना और क्षेत्रों में व्यापार सुविधा में सुधार करना है।
  • स्थल मार्ग से पहुँच प्रदान करना: वर्तमान में भारत और यूरोप के मध्य अधिकांश व्यापार स्वेज नहर के माध्यम से किया जाता है, क्योंकि पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थल मार्ग में स्थित है, इसलिए स्थल मार्ग से कोई प्रत्यक्ष पहुँच नहीं है।
  • पारगमन लागत में कमी: IMEC भारत से यूरोप तक माल के पारगमन के समय, दूरी और लागत में भी काफी कमी लाएगा।
    • यह अनुमान लगाया गया है कि भारत से यूरोप तक माल परिवहन का समय और लागत क्रमशः 40% और 30% कम हो जाएगी।

गाजा युद्ध की छाया:

  • गाजा युद्ध का प्रारम्भ: इस अग्रणी परियोजना के संभावित प्रभाव का विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण किए जाने से पहले ही, इसकी घोषणा के एक महीने से भी कम समय बाद 7 अक्टूबर को गाजा में युद्ध छिड़ गया।
  • विलंबित कार्यान्वयन: भारत के विदेश मंत्री ने स्वीकार किया कि पश्चिम एशिया की वर्तमान स्थिति को देखते हुए आईएमईसी के कार्यान्वयन में देरी “चिंता” का विषय है। 
    • हालाँकि, उन्हें विश्वास था कि युद्ध के बाद परियोजना पर काम यथाउचित आगे बढ़ेगा।
  • लुप्त कड़ियाँ: हालाँकि, गाजा युद्ध ने यह सिद्ध कर दिया है कि IMEC के वर्तमान स्वरूप में गंभीर कड़ियाँ लुप्त हैं।
  • पहुँच अवरुद्ध करना: इस युद्ध के दौरान, यमन में हौथियों (Houthis) ने इजरायल और उसके पश्चिमी सहयोगियों के जहाजों को लाल सागर तक पहुँचने से रोक दिया है। 
    • अमेरिकी नौसेना और यूरोप द्वारा नौसैनिक तैनाती के बावजूद, हौथियों (Houthis) को रोका नहीं जा सका है और उन्होंने उन जहाजों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया है।
    • नतीजतन, इजरायल और उसके पश्चिमी सहयोगियों को दक्षिण अफ्रीका में केप ऑफ गुड होप के पार लंबा रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे शिपिंग समय के साथ-साथ बीमा लागत भी बढ़ गई है।
  • ईरान की भागीदारी: इसी अवधि के दौरान, ईरान ने उत्तर में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की बार-बार धमकी दी है, जिसके माध्यम से अधिकांश कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस को भारत सहित विश्व के अन्य हिस्सों में भेजा जाता है।
    • इसी तरह की स्थिति 2019 की गर्मियों में फारस की खाड़ी संकट के दौरान हुई थी, जो ईरानी सेना द्वारा एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने से शुरू हुई थी।
  • सुरक्षा को खतरा: इस अवधि के दौरान, ईरान द्वारा फारस की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य में जहाजों को रोकने की घटनाएँ बार-बार हुईं।
    • फारस की खाड़ी से भारतीय ध्वज वाले जहाजों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय नौसेना को ‘ऑपरेशन संकल्प’ शुरू करना पड़ा।
  • इजराइली व्यापार में व्यवधान: इजराइल में, इसके दो प्रमुख बंदरगाहों, ईलाट और हाइफा को लाल सागर के माध्यम से व्यापार में व्यवधान और हमास तथा उसके सहयोगियों द्वारा इन महत्त्वपूर्ण बंदरगाहों को निशाना बनाए जाने के कारण भारी नुकसान हुआ है।
    • भारत के अडानी समूह के नेतृत्व में एक संघ ने जनवरी 2023 में हाइफा बंदरगाह खरीदा था, जिससे विस्तार और यातायात में वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन गाजा युद्ध ने इस वृद्धि को अवरुद्ध कर दिया है।

ओमान और मिस्र:

  • ओमान : इस खतरे से निपटने का एक बेहतरीन तरीका है। इसके बंदरगाह अरब सागर में खुलते हैं, जो ईरानी खतरे के सीधे प्रभाव से दूर हैं। 
    • यह भारत के बंदरगाहों के लिए सबसे निकटतम और सीधा संपर्क भी प्रदान करता है। परंपरागत रूप से भी, ओमान और भारत के व्यापारी सदियों से ‘धो’ नामक छोटी नावों के माध्यम से व्यापार करते रहे हैं और ओमान को भारत का पश्चिम एशिया का प्रवेश द्वार माना जाता है।
    • ओमान इस क्षेत्र में राजनीतिक रूप से भी एक स्वीकार्य भागीदार है क्योंकि इसके इज़राइल सहित सभी हितधारकों के साथ अच्छे संबंध हैं।
  • संयुक्त अरब अमीरात के बंदरगाह एवं भारत के लिए चुनौतियाँ : आईएमईसी की परिकल्पना है कि संयुक्त अरब अमीरात के फुजैराह और जेबेल अली जैसे बंदरगाह भारत आने वाले जहाजों के लिए पूर्वी उतराई बिंदु बनेंगे।
    • यहाँ समस्या यह है कि यूएई के सभी बंदरगाह फारस की खाड़ी में स्थित हैं और होर्मुज जलडमरूमध्य के भीतर हैं। इसलिए, फारस की खाड़ी में किसी भी संघर्ष की स्थिति से उन्हें हमेशा खतरा बना रहेगा।
  • एक वैकल्पिक मार्ग के रुप में  : इसी प्रकार, पश्चिम की ओर, इजरायल के बंदरगाहों के बजाय, IMEC का एक वैकल्पिक मार्ग होना चाहिए जो मिस्र से होकर गुजरे और भूमध्य सागर में उसके किसी भी प्रमुख बंदरगाह पर समाप्त हो।
    • इससे यूरोप के बंदरगाहों तक सुरक्षित और सीधा समुद्री मार्ग उपलब्ध हो जाएगा। 
    • मिस्र भी पश्चिम एशिया में एक प्रमुख खिलाड़ी है और इसके शामिल होने से क्षेत्रीय गतिशीलता को संतुलित करने में मदद मिलेगी। 
    • ओमान की तरह, मिस्र के भी इस क्षेत्र के भीतर और यूरोप, इज़राइल तथा अमेरिका के साथ अच्छे संबंध हैं। 
    • वास्तव में, मिस्र ने IMEC से बाहर रखे जाने पर अपनी नाराज़गी को दबेमुंह व्यक्त किया था और इस तरह का विस्तार न केवल राजनीति बल्कि इसके अर्थशास्त्र का भी ख्याल रखेगा।

निष्कर्ष: 

इस प्रकार, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) इससे जुड़े सदस्य देशों को रणनीतिक व्यापार लाभ प्रदान करता है, लेकिन क्षेत्रीय संघर्षों और भू-राजनीतिक खतरों जैसी चुनौतियों का सामना करता है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक नेविगेशन और वैकल्पिक मार्गों की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए :

         बंदरगाह                    देश 

  1. ज़ेबेल अली                  संयुक्त अरब अमीरात
  2. मुंद्रा                           बांग्लादेश
  3. हाइफा बंदरगाह           इज़राइल

उपर्युक्त में से कितने युग्म सही सुमेलित है/हैं ?

  1. केवल 1 
  2. केवल 2  
  3. सभी तीनों
  4. कोई भी नहीं

उत्तर: (b)

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