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ग्लोबल गोल्ड रश की सीमाएँ

Lokesh Pal May 25, 2024 05:15 127 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: बैंक रिजर्व के एक भाग के रूप में स्वर्ण भंडार, सोने का आयात और निर्यात, विश्व एवं भारत की प्रमुख स्वर्ण खदानें एवं अवस्थिति, मुद्रास्फीति, मुद्राअवस्फीती आदि। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: सोने की बढ़ती कीमतों के प्रमुख कारण और प्रभाव, मांग का नियम उसका महत्व एवं चुनौतियाँ आदि।

संदर्भ: 

हाल ही में, बढ़ती स्वर्ण माँग के कारण, वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊँचाई पर हैं, जो पिछले दो वर्षों में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ी हैं।

ग्लोबल गोल्ड रश की सीमाएँ:

  • भारतीय बाजारों में मूल्य वृद्धि बहुत तेज रही है।
  • हाल ही में कीमतों में जो उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, वह सोने से जुड़ी एक महत्त्वपूर्ण सैद्धांतिक विशेषता का खंडन करता है। 
  • चूँकि, सोना कोई नकदी प्रवाह उत्पन्न नहीं करता है, इसलिए ब्याज दरें कम होने पर इसे रखने का अवसर लागत कम होता है। 
  • हालाँकि, वैश्विक ब्याज दरें कई दशकों के उच्चतम स्तर पर होने के बावजूद सोने की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारी संकेत दे रहे हैं कि ब्याज दरें लंबे समय तक ऊँची बनी रह सकती हैं। 
  • अपेक्षाकृत मजबूत अमेरिकी डॉलर के बावजूद भी कीमतें बढ़ी हैं। 
  • सोना एक डॉलर के समकक्ष ही मूल्यवान वस्तु है, इसलिए डॉलर के कमजोर होने पर कीमतें बढ़ने लगती हैं।
  • सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार खरीदारी करना है। 
    • उदाहरण के लिए, 2024 की पहली तिमाही में एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड में निकासी के बावजूद, केंद्रीय बैंकों ने सोना जमा करना जारी रखा।
  • विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) के अनुसार, केंद्रीय बैंकों ने जनवरी-मार्च 2024 के दौरान 290 टन सोना अर्जित किया, जो पहली तिमाही का रिकॉर्ड है।
  • प्रमुख खरीदारों में चीन, भारत और तुर्की के केंद्रीय बैंक शामिल थे। 2024 में केंद्रीय बैंक की माँग के मजबूत रहने का अनुमान है।

केंद्रीय बैंक इतना अधिक सोना क्यों खरीद रहे हैं?

  • सोना पारंपरिक रूप से केंद्रीय बैंक के भंडार का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है।
  • अनुमानों के अनुसार, केंद्रीय बैंकों के पास अब तक निकाले गए सोने का लगभग पाँचवाँ हिस्सा है।
  • जबकि कई देश अतीत में सोने के मानक पर थे, केंद्रीय बैंक अब आम तौर पर विविधीकरण के लिए सोना खरीदते हैं।
  • ऐतिहासिक आँकड़ों से पता चलता है कि सोने का बॉन्ड और स्टॉक जैसी पारंपरिक परिसंपत्तियों के साथ कम सहसंबंध है।
  • यह तर्क दिया जा रहा है कि कुछ केंद्रीय बैंक कई कारणों से अमेरिकी खजाने पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए सोना जमा कर रहे हैं।
  • एक कारण भू-राजनीतिक तनाव और विखंडन का बढ़ता स्तर भी माना जा रहा है।
  • यूक्रेन पर आक्रमण के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा रूस के विदेशी मुद्रा भंडार को जब्त करने से भय का माहौल बढ़ गया है।
    • पश्चिमी देशों ने रूस के लगभग 300 बिलियन डॉलर के भंडार को फ्रीज कर दिया है। भू-राजनीतिक समीकरण में अमेरिका के पक्ष में न रहने वाले देश को भी इसी तरह के परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। सोना रखने में ऐसा कोई जोखिम नहीं है, बशर्ते कि यह देश के भीतर संग्रहीत हो।
  • भौतिक सोने में डिफ़ॉल्ट का जोखिम शून्य है।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि क्या सोना बढ़ते भू-राजनीतिक विखंडन और तनाव के मध्य  भी केंद्रीय बैंकों के लिए मूल्य के भंडार के रूप में काम करने वाला प्राथमिक या प्रमुख साधन बन सकता है।

क्या सोना केन्द्रीय बैंकों के लिए प्रमुख साधन के रूप में उभर सकता है?

  • छोटे देशों के लिए अपने भंडार का बड़ा हिस्सा सोने में स्थानांतरित करना संभव हो सकता है, लेकिन बड़े केंद्रीय बैंकों अर्थात जिनका विदेशी मुद्रा भंडार काफी अधिक है, के लिए यह संभव नहीं है।
  • बड़ी मात्रा में सोना खरीदने और विश्व स्तर पर सबसे बड़े सोना धारकों में से एक होने के बाद भी, यह चीन के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का केवल 4.64 प्रतिशत है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), के पास केंद्रीय बैंकों में सोने का नौवाँ सबसे बड़ा भंडार है, यह कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 10 प्रतिशत से कम है। 
  • रूस के संदर्भ में, सोना कुल भंडार का 28 प्रतिशत है।
  • इससे यह निश्चित किया जा सकता हैं कि सोना केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में वित्तीय परिसंपत्तियों का बड़े पैमाने पर स्थान नहीं लेगा।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि सोने की सबसे “मूल्यवान” विशेषताओं में से एक इसकी सीमित आपूर्ति है। 
    • इसलिए, बड़े केंद्रीय बैंक भंडार में इसकी स्थिति में पर्याप्त वृद्धि कीमतों को काफी हद तक बढ़ा सकती है और संभावित रूप से निवेश जोखिम को बढ़ा सकती है।
    • उदाहरण के लिए, यदि चीन अपने स्वर्ण भंडार को दोगुना कर दे, तो उसे लगभग तीन तिमाहियों के लिए खनन किये गये समस्त सोने की आवश्यकता होगी।
  • इसके अलावा, आरबीआई जैसे केंद्रीय बैंक, मुद्रा पर पूँजी प्रवाह के प्रभाव को कम करने के लिए बड़े विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखते हैं।

निष्कर्ष: 

यद्यपि, सोना पारंपरिक रूप से केंद्रीय बैंक के भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। परंतु भू-राजनीतिक तनावों के कारण केंद्रीय बैंक द्वारा सोने की खरीद में वृद्धि के बावजूद, सीमित आपूर्ति और निवेश जोखिमों के कारण स्वर्ण भंडारों में वित्तीय परिसंपत्तियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रतिस्थापित करने की संभावना नहीं है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                                         (UPSC : 2013) 

प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मद समूह सम्मिलित है?

  1. विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एस-डी-आर) तथा विदेशों से ऋण
  2. विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण तथा विशेष आहरण अधिकार (एस-डी-आर)
  3. विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विश्व बैंक से ऋण तथा विशेष आहरण अधिकार (एस-डी-आर)
  4. विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण तथा विश्व बैंक से ऋण

उत्तर: (b)

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