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WTO में चीनी सब्सिडी संबंधी मुद्दा

Lokesh Pal May 29, 2024 04:42 141 0

संदर्भ

ब्राजील, कनाडा एवं यूरोपीय संघ सहित WTO सदस्यों के एक समूह ने भारत से विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चीनी सब्सिडी पर समय पर अधिसूचना प्रस्तुत करने का आग्रह किया है।

संबंधित तथ्य

  • उनका आरोप है कि ये सब्सिडी वैश्विक चीनी व्यापार को विकृत करती है क्योंकि भारत एक प्रमुख चीनी निर्यातक है।

WTO कृषि समझौता, कृषि व्यापार और घरेलू नीतियों के दीर्घकालिक सुधार के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा एवं कम विकृत क्षेत्र की ओर अग्रसर होना है।

समझौते में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. बाजार पहुँच (Market access): आयात पर टैरिफ जैसे व्यापार प्रतिबंधों का उपयोग।
  2. घरेलू समर्थन (Domestic support): सब्सिडी और अन्य सहायता कार्यक्रमों का उपयोग जो सीधे उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं और व्यापार को विकृत करते हैं।
  3. निर्यात प्रतिस्पर्द्धा (Export competition): निर्यात सब्सिडी और अन्य सरकारी सहायता कार्यक्रमों का उपयोग जो निर्यात को सब्सिडी देते हैं।

WTO में चीनी सब्सिडी के संदर्भ में समय पर 

अधिसूचना प्रस्तुत करने के लिए भारत से आग्रह करने के कारण

  • पारदर्शिता की कमी: एक प्रमुख चिंता भारत द्वारा अपनी चीनी सब्सिडी पर समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफलता है। 
    • पारदर्शिता की कमी के कारण WTO के अन्य सदस्यों के लिए वैश्विक चीनी बाजार पर भारत की नीतियों के वास्तविक प्रभाव का आकलन करना मुश्किल हो जाता है।
  • कथित बाजार विकृति: ब्राजील, कनाडा एवं यूरोपीय संघ को संदेह है कि भारत की असूचित सब्सिडी कृत्रिम रूप से उत्पादन लागत को कम कर रही है, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय चीनी निर्यात बाजार में अनुचित लाभ मिल रहा है। 
    • इससे संभावित रूप से वैश्विक चीनी कीमतें विकृत हो सकती हैं एवं अन्य चीनी उत्पादक देशों को नुकसान हो सकता है।
  • निर्यात सब्सिडी में कटौती की आवश्यकताएँ, WTO नियमों का संभावित उल्लंघन: WTO एक देश द्वारा अपने कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली घरेलू सहायता की मात्रा पर सीमा निर्धारित करता है। 
  • अनसुलझा विवाद: वर्ष 2022 के WTO के फैसले के खिलाफ भारत की अपील से यह मुद्दा और भी जटिल हो गया है, जिसमें उसके चीनी समर्थन उपायों को वैश्विक व्यापार मानदंडों के साथ असंगत घोषित किया गया है।
  • भारत का रुख: भारत अपनी चीनी सब्सिडी की गणना के लिए अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पद्धति पर आपत्ति जताता है। 
  • यह असहमति WTO सब्सिडी सीमाओं के अनुपालन का आकलन करने के लिए एक स्पष्ट एवं सहमत पद्धति की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।

देश के चरण

कमी (मूल्य)

कमी (मात्रा)

समय

विकसित न्यूनतम 36% न्यूनतम 21% 6 वर्ष 
विकासशील 24% 14% 10 वर्ष

चीनी क्षेत्र (भारत)

  • उद्योग रैंकिंग: कपास के बाद यह भारत में दूसरा सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है।
  • वैश्विक उत्पादन में अग्रणी: वर्ष 2022 में 37 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन के साथ भारत दुनिया में चीनी का नंबर 1 उत्पादक था।
  • आर्थिक प्रभाव
    • लाखों लोगों के लिए आजीविका उत्पन्न करता है: गन्ना किसानों का समर्थन करता है एवं 5,00,000 चीनी मिल श्रमिकों को रोजगार देता है।
  • निर्यात में अग्रणी: भारत वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक था।
  • भारत में चीनी उत्पादन
    • अनुमानित उत्पादन: बाजार वर्ष 2022/2023 में 36 मिलियन मीट्रिक टन।
    • प्रमुख निर्माता: उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक।

  • भारत एवं दुनिया भर में चीनी की किस्में
    • गन्ने से उत्पाद: चीनी, गुड़ (Jaggery), एवं खांडसारी (Khandsari)।
    • वैश्विक चीनी श्रेणियाँ: ब्राउन शुगर, दानेदार चीनी, तरल चीनी, एवं इन्वर्ट शुगर।

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