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विकसित भारत 2047 हेतु करों की भूमिका

Lokesh Pal May 28, 2024 05:00 123 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत का कर-जीडीपी अनुपात, ओईसीडी, यूएन और जी-20, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड और सीमा शुल्क बोर्ड। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: कर प्रक्रिया का डिजिटलीकरण, कर चोरी और कर नियोजन तथा आर्थिक विकास। 

संदर्भ: 

कर केवल विकास के लिए और सरकार के सामाजिक एजेंडे के विस्तार के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं कराते, बल्कि बचत को प्रोत्साहित करने, निवेश करने और विकास को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विकास के मार्ग में करों की भूमिका:

  • उद्देश्य: भारत जैसे विकासशील देश के लिए आर्थिक वृद्धि और विकास एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है ।   
  • सरकार की जिम्मेदारी: सरकारों पर नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन और सामाजिक कल्याण जैसी सार्वजनिक सुविधाएँ प्रदान करने की जिम्मेवारी है।
  • कराधान की भूमिका: सरकार की इन जिम्मेवारियों को पूरा करने की क्षमता काफी हद तक कराधान के माध्यम से उसके द्वारा उत्पन्न संसाधनों की मात्रा पर निर्भर करती है।
  • कर प्रोत्साहन और कर छूट की भूमिका: कर प्रोत्साहन और कर छूट सहित संबंधित प्रावधान भारत या किसी भी देश में विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकते हैं।
  • नागरिकों का उत्तरदायित्व: कर वैध रूप से किसी देश के नागरिकों का अधिकार है और यदि कोई व्यक्ति अपने हिस्से का कर नहीं अदा कर रहा है, तो वह स्वयं  के साथ-साथ देश को भी निराश कर रहा है तथा आर्थिक विकास हेतु स्वयं के कानूनी और नैतिक कर्तव्यों को पूरा नहीं कर रहा है।
  • कराधान प्रक्रिया में स्वचालन: कर विभाग (सीबीडीटी और सीबीआईसी) पूरी तरह से स्वचालित हैं, सभी कर प्रक्रियाओं को डिजिटल कर दिया गया है, जिससे मानव हस्तक्षेप पूरी तरह से समाप्त हो गया है।
  • कराधान में स्वचालन के लाभ:
    • इससे करदाता के लिए अनुपालन की लागत भी कम हो गई है, जिससे दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना उत्पन्न हुई है।
    • इससे समग्र आर्थिक प्रगति, विकास और कल्याण में सुधार के लिए, कारोबार करने में आसानी को बढ़ावा मिलता है। 
    • यह गरीबी दूर करने, जीवन स्तर को ऊपर उठाने तथा प्रति व्यक्ति आय और समग्र सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में मदद करता है।
  • करों का संग्रह: सीबीडीटी ने 2023-24 में 19.58 लाख करोड़ रुपये का कर संग्रह किया, जो 18 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है, यहाँ तक ​​कि यह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से 19.45 लाख करोड़ रुपये के संशोधित कर संग्रह लक्ष्य को भी पार कर गया।
    • सीबीआईसी ने भी अच्छी प्रगति दर्शाई है और जीएसटी से बढ़े हुए कर जुटाए हैं, जिसमें अप्रैल 2024 में 2,10,000 करोड़ रुपये का अब तक का सर्वाधिक जुटाया गया कर संग्रह भी शामिल है।
    • यह उम्मीद की जा रही है कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था अधिक औपचारिक और व्यापक होती जाएगी, आयकर के माध्यम से कर संग्रह में बढ़ोतरी होगी ।
  • भारत का कर-जीडीपी अनुपात: विकसित भारत के लक्ष्य हेतु, एक अन्य महत्त्वपूर्ण आयाम भारत का कर-जीडीपी अनुपात है, जो वर्तमान में लगभग 18.5 प्रतिशत (राज्य करों सहित) है, जो समान अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में थोड़ा कम है।
  • कर-जीडीपी अनुपात में सुधार के सुझाव: प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गोविंद राव (2017) के सुझाव के अनुसार, “अब तक यह लगभग 20 प्रतिशत के स्तर पर होना चाहिए था, जिसके लिए मुख्य जोर प्रत्यक्ष करों पर होना चाहिए, जिसका अनुपात वर्तमान में 6.6 प्रतिशत है।”
  • भविष्य के कर अनुमान: आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा यह उम्मीद की जा रही है कि कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष कर अनुपात बढ़कर 7 प्रतिशत और धीरे-धीरे 8 प्रतिशत तक हो जाएगा। और, अप्रत्यक्ष कर लगभग 6% तथा राज्य कर अनुपात सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 6.5 प्रतिशत तक हो जाएगा।
  • कराधान बढ़ाने के उपाय: विभिन्न स्रोतों से आर्थिक लेनदेन में प्रौद्योगिकी; डिजिटलीकरण, कम्प्यूटरीकरण और स्वचालन का उपयोग, करदाताओं की 360 डिग्री प्रोफाइलिंग आदि।
    •  टैक्स न भरने वालों और कर चोरी करने वालों की पहचान करने में एआई-एमएल तकनीक का उपयोग इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कम कर वाले क्षेत्राधिकार में स्थानांतरित करना: पिछले कुछ दशकों में यह देखा गया है कि कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने मुनाफे को कम करने वाले क्षेत्राधिकार में स्थानांतरित करके करों का उचित हिस्सा नहीं अदा कर पा रही हैं।
  • डिजिटलीकरण संबंधी चुनौतियाँ : अर्थव्यवस्थाओं के डिजिटलीकरण ने उचित कर वृद्धि के लिए देशों के प्रयासों को और जटिल बना दिया है, क्योंकि डिजिटलीकरण के माध्यम से वर्तमान में, कोई भी कंपनी किसी देश में मौजूदगी के बिना भी व्यापार कर सकती है।
  • भारत द्वारा डिजिटल विज्ञापन कर: भारत द्वारा डिजिटल विज्ञापनों पर कर लगाने के उद्देश्य से वर्ष 2016 में समतुल्य कर का वैधानिक प्रावधान लागू किया गया था , जिसे बाद में वर्ष 2020 में वस्तुओं की बिक्री-खरीद या सेवाओं के प्रावधान तक बढ़ा दिया गया, जिसे लोकप्रिय रूप से डिजिटल कर कहा जाता है।
  • लाभ स्थानांतरण की चुनौती का समाधान: वर्तमान संदर्भ में, इस स्थिति से निपटने के लिए ओईसीडी, संयुक्त राष्ट्र और जी-20 में चर्चाएँ हो रही थीं, जिसमें भारत ने भी अपने प्रमुख सुझावों के साथ अपना सक्रिय योगदान सुनिश्चित किया है।
  • जीडीपी वृद्धि: वैश्विक स्तर पर मौजूद कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद, वर्ष 2023-24 में जीडीपी की वृद्धि दर लाभ की स्थिति में रही है और इसके लगभग 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अतः जहाँ एक ओर रूस-यूक्रेन संघर्ष और दूसरी ओर इजरायल-हमास युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान की स्थिति के बावजूद यह वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। 
  • अपेक्षित जीडीपी वृद्धि: व्यापक आर्थिक बुनियादी ढाँचे के मजबूत होने के साथ, यह उम्मीद की जाती है कि 2024-25 में भारतीय जीडीपी 6.8 प्रतिशत से 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
  • चुनाव पश्चात व्यापक सुधार : प्रधानमंत्री द्वारा अर्थव्यवस्था के सुदृढीकरण हेतु इस बात का संकेत दिया गया है कि चुनाव के तुरंत बाद बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधार किए जाएंगे, ताकि देश को अगले 1,000 वर्षों के लिए तैयार किया जा सके।

निष्कर्ष: 

निष्कर्षतः विकसित भारत के लक्ष्य के लिए, योजना निर्माण हेतु गठित थिंक टैंक अर्थात नीति आयोग द्वारा अगले 25 वर्षों के लिए विजन तैयार किया गया है और सभी मंत्रालयों ने 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के लिए 100 दिनों के कार्यक्रम और अगले पाँच वर्षों की परियोजना अनुसूची तैयार की है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                            (UPSC :2015)

प्रश्न. किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में कर में कमी निम्नलिखित में से किसको दर्शाती है? 

  1. धीमी आर्थिक विकास दर 
  2. राष्ट्रीय आय का कम न्यायसंगत वितरण

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

प्रश्न. भारत में समावेशी विकास और संसाधनों के समान वितरण को बढ़ावा देने में कर नीति की भूमिका पर चर्चा करें। हाल के कर सुधारों के प्रभाव का विश्लेषण करें और राजस्व सृजन तथा करदाता कल्याण के मध्य संतुलन बनाने के लिए उपाय प्रस्तुत करें। (15 अंक, 250 शब्द)

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