नए आँकड़ों के एक समूह ने लगभग 237-228.45 मिलियन वर्ष पूर्व के कार्नियन काल को महत्त्वपूर्ण जलवायु और पर्यावरण परिवर्तन का काल बताया है।
संबंधित तथ्य
भू-गर्भशास्त्री श्लेगर और शोलनबर्गर ने ऑस्ट्रिया के उत्तरी चूना पत्थर आल्प्स की जाँच की और गहरे भूरे रंग की सिलिकिक्लास्टिक चट्टान(Siliciclastic Rock) की एक परत की खोज की, जो 1970 के दशक में उस युग की शुष्क कार्बोनेट चट्टान परत के अंतर्गत तरल स्थितियों का संकेत देती है।
इसी परत को बाद में इंग्लैंड, इजरायल, इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका के भूवैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया, जिससे कार्नियन प्लूवियल एपिसोड की घटना का आधार मजबूत हुआ।
कार्नियन प्लुवियल एपिसोड
कार्नियन युग: पृथ्वी की सतह अभी भी पैंजिया (यह एक विशाल महाद्वीप था, जहाँ सभी महाद्वीप एक साथ जुड़े हुए थे) और पैंथालासा (एक विशाल महासागर) में विभाजित थी।
पैंजिया पर्वतों से घिरा हुआ था और परिणामस्वरूप, इसका पूरा केंद्रीय क्षेत्र लंबे समय तक सूखे की स्थिति में रहा, तथा केवल विशाल महासागर के पास इसके किनारों पर ही कुछ वर्षा होती थी।
कार्नियन प्लूवियल एपिसोड: मध्य कार्नियन (लगभग 232 मिलियन वर्ष पूर्व) युग में तापमान में वृद्धि का एक संक्षिप्त अंतराल और बहुत भारी निरंतर वर्षा के कई प्रकरण देखे गए, जिसे आज कार्नियन प्लूवियल एपिसोड कहा जाता है।
कारणों से संबंधित सिद्धांत
ज्वालामुखी विस्फोट: रैंगेलिया टेरेन (Wrangellia Terrane), वर्तमान अलास्का और ब्रिटिश कोलंबिया में बहुत शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोटों की एक शृंखला घटित हुई, जिससे वायुमंडल में भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड केंद्रित हो गई।
वायुमंडल में अब जारी कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा ने ग्लोबल वार्मिंग की घटना में योगदान दिया है।
दाब प्रवणता का सृजन: एक नई पर्वत शृंखला, सिमेरियन ओरोजेन के उद्भव ने महासागर और महाद्वीप के बीच एक मजबूत दाब प्रवणता का सृजन किया, जिससे पैंजिया के भीतर मानसून संबंधी घटना उत्पन्न हुई।
CPE के प्रभाव
तापमान में वृद्धि: ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण पृथ्वी का तापमान 3-4 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया। CPE से पहले ग्रह का औसत तापमान आज की तुलना में पहले से ही 10 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
महासागरीय अम्लीकरण: वायुमंडल में CO2 की वृद्धि के साथ महासागर की लवणता में भी परिवर्तन हुआ होगा।
नदीय क्षेत्र में वृद्धि: CPE की शुरुआत उथले समुद्री कार्बोनेट से सिलिकिक्लास्टिक और गहरे कार्बनिक समृद्ध अवसाद में परिवर्तन से चिह्नित होती है, जो संभवतः नदी के क्षेत्र में वृद्धि के परिणामस्वरूप होती है।
नदी प्रणाली का विस्तार: नदी प्रणाली का स्थानिक वितरण विस्तारित हुआ और भूमि पर अर्द्ध-स्थायी झीलों का निर्माण हुआ।
सामूहिक विलुप्ति: CPE एपिसोड के कारण कई प्रजातियों की सामूहिक विलुप्ति हुई, जिसमें कई एम्मोनाइट और कॉनोडॉन्ट समूह विलुप्त हो गए। उथले समुद्री आवासों में रहने वाले ‘सस्पेंशन फीडर’ (जैसे, क्रिनोइड्स: समुद्री लिली) भी उच्च ‘सिलिकिकलास्टिक इनपुट’ और ‘समुद्री यूट्रोफिकेशन’ के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुए।
डायनासोर का उद्भव: CPE के बाद डायनासोर की उपस्थिति देखी गई, जिसने “डायनासोर युग” की शुरुआत को चिह्नित किया।
इसके अलावा, कई आधुनिक जानवर समूहों जैसे कछुए, मगरमच्छ, छिपकलियों और स्तनधारियों की उत्पत्ति कार्नियन के दौरान हुई।
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