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नोटा (NOTA) वोट

Lokesh Pal June 06, 2024 03:39 148 0

संदर्भ 

हाल ही में लोकसभा चुनावों में इंदौर में 2,18,674 नोटा (NOTA) वोट पड़े, जो अब तक किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा विकल्प को मिले सबसे अधिक वोट हैं।

संबंधित तथ्य

  • इससे पहले, बिहार के गोपालगंज ने वर्ष 2019 में 51,660 मतदाताओं द्वारा नोटा विकल्प चुनने का रिकॉर्ड बनाया था।

उपरोक्त में से कोई नहीं (NOTA) विकल्प के बारे में

  • परिचय: मतदाताओं की पसंद के ‘गोपनीयता के अधिकार’ की रक्षा के लिए, वर्ष 2013 में उच्चतम न्यायालय के एक आदेश पर भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा EVM में नोटा विकल्प प्रस्तुत किया गया था।
    • NOTA का विकल्प पहली बार वर्ष 2013 में 4 राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम एवं दिल्ली) के विधानसभा चुनावों में प्रस्तुत किया गया था।
  • उद्देश्य: NOTA की शुरुआत इसलिए की गई ताकि पार्टियों को दागी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से हतोत्साहित किया जा सके एवं साथ ही मतदाताओं को ‘वोट न देने का अधिकार’ सुनिश्चित किया जा सके।
  • पृष्ठभूमि
    • पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने मतदाताओं के मताधिकार के प्रयोग के ‘गोपनीयता के अधिकार’ की रक्षा के प्रयास में सर्वोच्च न्यायालय में केस दायर किया था। 
    • तर्क
      • चुनाव संचालन नियम, 1961 मतदाताओं के गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन करता है, क्योंकि पीठासीन अधिकारी इस अधिकार का प्रयोग करने वाले प्रत्येक मतदाता के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान के साथ उन मतदाताओं का रिकॉर्ड रखता है, जो मतदान नहीं करना चुनते हैं।
      • ECI पत्र: ECI ने कानून और न्याय मंत्रालय (भारत सरकार) को लिखे एक पत्र में मतदाता गोपनीयता की रक्षा के साथ-साथ मतदाताओं को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के विरुद्ध अपनी असहमति व्यक्त करने की अनुमति देने के लिए EVM में NOTA विकल्प शुरू करने की माँग की।
    • निर्णय: सर्वोच्च न्यायालय ने मतदाता पहचान गोपनीयता को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की एक अनिवार्य विशेषता माना।
  • प्रतीक: एक मतपत्र जिस पर ब्लैक क्रॉस बना हुआ है।
  • कानूनी प्रावधान
    • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में धारा 79(d): ‘चुनावी अधिकार’ में चुनाव में मतदान करने या मतदान न करने का अधिकार शामिल है।
  • सार्वभौम अधिकार 
    • ‘गोपनीयता का अधिकार’ मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद-21(3) एवं नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध के अनुच्छेद-25(b) में उल्लेख के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
  • परिणाम 
    • NOTA का इसके साथ कोई कानूनी परिणाम नहीं जुड़ा है। यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक वोट NOTA को पड़े, तो दूसरा सबसे सफल उम्मीदवार जीत जाता है।
  • NOTA से संबंधित ऐतिहासिक मामले 
    • शैलेश मनुभाई परमार बनाम भारत निर्वाचन आयोग, 2018: उच्चतम न्यायालय ने राज्यसभा चुनाव में NOTA विकल्प के इस्तेमाल को खारिज कर दिया।
  • सुधार की आवश्यकता
    • अमान्य और शून्य: उच्चतम न्यायालय द कंट्री फर्स्ट फाउंडेशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें निर्वाचन क्षेत्र में NOTA को सबसे अधिक वोट मिलने पर चुनाव को ‘अमान्य और शून्य’ घोषित करने की माँग की गई है।
    • नए उम्मीदवारों के साथ नए चुनाव: ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की एक सिफारिश के अनुसार, यदि NOTA विकल्प किसी भी उम्मीदवार की तुलना में सबसे अधिक वोट प्राप्त करता है, तो किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जाना चाहिए एवं एक नया चुनाव आयोजित किया जाना चाहिए, जिसमें कोई भी ऐसा उम्मीदवार नहीं हो जो पहले चुनाव में भागीदार हो।
    • समान कार्यान्वयन: ECI को NOTA वोट विकल्प के समान कार्यान्वयन के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करने चाहिए, जिसमें NOTA को पार नहीं करने वाले उम्मीदवारों के लिए परिणाम होंगे।
    • स्थानीय निकाय चुनाव के उदाहरण: महाराष्ट्र, हरियाणा, पुडुचेरी, दिल्ली एवं चंडीगढ़ के राज्य चुनाव आयोगों ने स्थानीय चुनावों में NOTA को ‘काल्पनिक चुनावी उम्मीदवार’ घोषित किया है।
      • यदि NOTA के लिए वोट अन्य सभी व्यक्तिगत उम्मीदवारों को प्राप्त वोटों से अधिक हो जाते हैं, तो इन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में नए सिरे से चुनाव होंगे।
    • उम्मीदवारों की स्वच्छ प्रोफाइल सुनिश्चित करना: NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 वर्ष की अवधि के लिए सभी चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए।

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