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संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आपूर्ति शृंखला फोरम

Lokesh Pal June 06, 2024 10:37 246 0

संदर्भ 

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) और बारबाडोस सरकार ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आपूर्ति शृंखला फोरम, 2024 का आयोजन किया है।

संबंधित तथ्य

  • प्रमुख मुद्दे: फोरम ने जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन के वैश्विक व्यापार पर प्रभाव जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों को चिह्नित किया।  
  • फोरम की मुख्य बिंदु
    • ‘इंटरमॉडल, निम्न-कार्बन, कुशल और अनुकूलित माल परिवहन और लॉजिस्टिक्स के लिए घोषणापत्र’ का शुभारंभ।
  • उपलब्धियाँ: इस फोरम की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास व्यापार-एवं-परिवहन डेटासेट का शुभारंभ था।
    • इसे विश्व बैंक के सहयोग से विकसित किया गया था।

भारत से संबंधित  ‘सप्लाई चेन रेजिलिएंस’ (Supply Chain Resilience)

  • वर्ष 2021 में भारत नेसप्लाई चेन रेजिलिएंस’ (Supply Chain Resilience) पहल शुरू की।
    • यह एक त्रिपक्षीय समझौता था।
  • उद्देश्य: इस कदम का मुख्य उद्देश्य चीन के प्रभाव का मुकाबला करना और अधिक संतुलित व्यवस्था को बढ़ावा देना था।
  • यह पहल क्वाड राष्ट्रों के बीच व्यापक सुरक्षा वार्ताओ के अनुरूप थी।
    • ये क्वाड राष्ट्र हैं- भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका।

वैश्विक आपूर्ति शृंखला फोरम

  • यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहाँ विशेषज्ञ, नीति निर्माता और उद्योगपति वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा और समाधान करते हैं।
    • उद्देश्य: कार्बन उत्सर्जन को कम करने तथा अपशिष्ट को न्यूनतम करने के लिए स्थायी पद्धतियों को खोजना।
  • नीतिगत सिफारिशें: यह मंच सप्लाई चेन रेजिलिएंस और स्थिरता में सुधार करने के लिए विभिन्न देशों की सरकारों और संगठनों को नीतियों की  सिफारिश में भी मदद करता है।

वैश्विक आपूर्ति शृंखला

  • यह एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है, जिसका उपयोग व्यवसाय उत्पाद या सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है।
    • इसका मुख्य फोकस विनिर्माण और वितरण चरणों पर केंद्रित है।
  • घटक: वैश्विक आपूर्ति शृंखला में कर्मचारी, आवश्यक जानकारी एवं संसाधन, तथा सरकारी नियमों के अनुपालन के लिए उपकरण शामिल हैं।
    • इसमें अनुसंधान एवं विकास तथा विपणन टीमें शामिल नहीं हैं।

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान उत्पन्न करने वाले कारक

फोरम ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान उत्पन्न करने वाले कई कारकों की व्याख्या की है।

  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जैसे कि चरम मौसमी  घटनाएँ, परिवहन और लाजिस्टिक नेटवर्क को बाधित कर रही हैं।
  • भू-राजनीतिक संघर्ष: विश्व-भर में राजनीतिक अस्थिरता अनिश्चितता उत्पन्न कर रही है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बाधा उत्पन्न हो रही है।
  • कोविड-19 महामारी: महामारी के लंबे समय तक बने रहने वाले प्रभाव उत्पादन, परिवहन और श्रम बाजारों में व्यवधान पैदा कर रहे हैं।

‘ग्लोबल सप्लाई चेन रेजिलिएंस’ में वृद्धि के उपाय 

फोरम ने अधिक मजबूत और अधिक लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया:

  • सतत प्रथाएँ: अधिक समावेशी, सतत और लचीले उत्पादन एवं वितरण नेटवर्क जैसी सतत प्रथाओं का उपयोग, रेजिलिएंस बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
    • उदाहरण के लिए: अल्प या शून्य कार्बन ईंधन को प्रोत्साहित करना
  • नौवहन का डीकार्बोनाइजेशन: वैश्विक नौवहन को डीकार्बोनाइज करने पर ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है, विशेष रूप से विकासशील देशों में, जहाँ नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
  • हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश: लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों (Small Island Developing States) के लिए हरित एवं सतत प्रौद्योगिकियों में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहायता और निवेश बढ़ाना आवश्यक है, ताकि उनकी ऊर्जा दक्षता बढ़ाई जा सके और समुद्री प्रदूषण को कम किया जा सके।
  • बेहतर कनेक्टिविटी: लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों (Small Island Developing States) और वैश्विक बाजारों के बीच कनेक्टिविटी और दक्षता में सुधार के लिए समुद्री और हवाई परिवहन बुनियादी ढाँचे में रणनीतिक निवेश की आवश्यकता है।
  • डिजिटलीकरण: ब्लॉकचेन-अनेबल्ड ट्रेसिबिलिटी (Blockchain-Enabled Traceability) और उन्नत सीमा शुल्क स्वचालन प्रणालियों (Advanced Customs Automation Systems) जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके व्यापार सुविधा को अनुकूलित किया जा सकता है, पारदर्शिता बढ़ाई जा सकती है और परिचालन जोखिम कम किया जा सकता है।
  • बंदरगाह आधुनिकीकरण: बंदरगाहों में  ऊर्जा और डिजिटल क्षमताओं को एकीकृत करने से ‘ग्लोबल सप्लाई चेन रेजिलिएंस’ में वृद्धि हो सकती है।

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