18वीं लोकसभा में 74 महिला सांसद होंगी, जो निचले सदन की निर्वाचित संख्या का 13.63% होगी, जबकि 17वीं लोकसभा में यह संख्या 78 थी।
संबंधित तथ्य
रचनाकार: नव निर्वाचित 18वीं लोकसभा के सदस्यों की घोषणा के साथ, PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च ने महिलाओं के संबंध में निचले सदन की संरचना में परिवर्तन को दर्शाने वाले डेटा संकलित किए हैं।
18वीं लोकसभा में महिलाओं की स्थिति
अभ्यर्थी प्रोफाइल
वर्ष 2024 में चुनाव लड़ने वाले कुल 8,360 उम्मीदवारों में से 10% (797) महिलाएँ थीं।
यह पहली बार है जब महिला उम्मीदवारों का अनुपात 10% तक पहुँच गया है।
पिछले कुछ वर्षों में प्रतिनिधित्व
वर्ष 1952 में पहली लोकसभा: निचले सदन में महिलाओं की संख्या केवल 4.41% थी।
सबसे कम प्रतिनिधित्व: वर्ष 1971 की लोकसभा में, महिलाएँ कुल सदस्यता का केवल 3.51% थीं।
सर्वोच्च प्रतिनिधित्व: वर्ष2019 की 17वीं लोकसभा में सदन में महिलाओं की हिस्सेदारी 14.36% थी।
अंतरराष्ट्रीय तुलना: दक्षिण अफ्रीका में सांसदों में महिलाओं की संख्या 46% है, ब्रिटेन में 35% तथा अमेरिका में 29% है।
राजनीतिक दलों के साथ साझाकरण: महिला लोकसभा सांसद कुल 14 पार्टियों से संबंधित हैं।
पूर्ण संख्या: भाजपा में सबसे अधिक 31 महिला सांसद हैं, उसके बाद कांग्रेस (13), टीएमसी (11), सपा (5) और डीएमके (3) हैं।
उच्चतम अनुपात: हालाँकि, लोकसभा में दोहरे अंक वाली महिला सांसदों वाली 3 पार्टियों में, TMC का अनुपात सर्वाधिक (37.93%) है, उसके बाद कांग्रेस (13.13%) और भाजपा (12.92%) का स्थान है।
पहली बार निर्वाचित हुए सांसद: 74 निर्वाचित सांसदों में से 43 (59%) पहली बार निर्वाचित हुई हैं, जो सदन में नए सांसदों के समग्र प्रतिशत अर्थात् 52% से अधिक है।
अनुभव: महिला सांसदों के पास केवल 0.76 लोकसभा का अनुभव है (एक कार्यकाल आमतौर पर 5 वर्ष लंबा होता है)।
औसत आयु: सदन की कुल आयु 56 वर्ष है और महिला सांसदों की औसत आयु 50 वर्ष है, जो उन्हें युवा बनाती है।
शिक्षा प्रोफाइल: 78% सांसदों ने स्नातक की पढ़ाई पूरी की है।
कम प्रतिनिधित्व का कारण
प्रतिस्पर्द्धा
राजनीति किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह प्रतिस्पर्द्धा का क्षेत्र है। अंततः महिला राजनेता भी प्रतिस्पर्द्धी ही मानी जाती हैं।
कई राजनेताओं को भय है कि महिला आरक्षण लागू किए जाने पर उनकी सीटें बारी-बारी से महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित की जा सकती हैं, जिससे स्वयं वे अपनी सीटों से चुनाव लड़ सकने का अवसर गँवा सकते हैं।
लैंगिक रूढ़ियाँ
पारंपरिक रूप से घरेलू गतिविधियों के प्रबंधन की भूमिका महिलाओं को सौंपी गई है।
महिलाओं को उनकी रूढ़िवादी भूमिकाओं से बाहर निकलने और देश की निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
राजनीतिक शिक्षा का अभाव
शिक्षा महिलाओं की सामाजिक गतिशीलता को प्रभावित करती है। शैक्षिक संस्थानों में प्रदान की जाने वाली औपचारिक शिक्षा नेतृत्व के अवसर पैदा करती है और नेतृत्त्व को आवश्यक कौशल प्रदान करती है।
राजनीति की समझ की कमी के कारण वे अपने मूल अधिकारों और राजनीतिक अधिकारों से अवगत नहीं हैं।
Latest Comments