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RBI की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा: रेपो दर 6.5 पर अपरिवर्तित

Lokesh Pal June 10, 2024 03:11 150 0

संदर्भ 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) ने रेपो दर को 6.5 पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। यह लगातार आठवीं बार है, जब इस दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। 

RBI द्वारा रेपो दर अपरिवर्तित रखने के कारण 

  • मुद्रास्फीति संबंधी चिंताएँ (Inflation Concerns) 
    • कुछ लचीलेपन के बावजूद, सब्जियों, दालों, अनाजों एवं मसालों पर मूल्य दबाव के कारण खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है।
    • प्रतिकूल मौसमी घटनाओं से भविष्य में खाद्य मुद्रास्फीति की दिशा में अनिश्चितता बढ़ सकती है। 
    • कच्चे तेल की कीमतों, वित्तीय बाजारों एवं गैर-ऊर्जा वस्तुओं की कीमतों में अस्थिरता से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। 
      • RBI आर्थिक विकास को समर्थन देते हुए 4% के मध्यम अवधि मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने को प्राथमिकता देता है। 
  • विकास एवं मुद्रास्फीति में संतुलन 
    • MPC ने वर्ष 2024-2025 के लिए GDP वृद्धि पूर्वानुमान को संशोधित कर 7.2% कर दिया, जो सकारात्मक आर्थिक दृष्टिकोण की ओर संकेत करता है। 
    • GDP वृद्धि पूर्वानुमान के कारण 
      • सकारात्मक घरेलू संकेतक 
        • उच्च आवृत्ति वाले घरेलू गतिविधि संकेतक वर्ष 2024-25 में लचीलापन दर्शाते हैं, जो मजबूत आंतरिक आर्थिक वृद्धि का संकेत देते हैं। 
      • प्रभावी कृषि परिदृश्य 
        • दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से बेहतर रहने की उम्मीद कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित कर सकती है, जो ग्रामीण माँग का प्रमुख चालक है।
          • इससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की संभावना है। 
      • नीतिगत कारक: उपर्युक्त अपेक्षित घटना के प्रत्युत्तर में, समिति मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने के लिए समायोजन वापस लेने पर केंद्रित है। 
        • मुद्रास्फीति लक्ष्य: इसका लक्ष्य मध्यम अवधि में 4% का CPI मुद्रास्फीति लक्ष्य प्राप्त करना है, जो +/- 2% के दायरे में है।
    • रेपो दर में परिवर्तन का परिणाम: तटस्थ प्रवृत्ति बनाए रखने से मुद्रास्फीति के पुनः बढ़ने की संभावना हो सकती है, जबकि रेपो दर कम करने से आर्थिक वृद्धि की गति में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

एक अवधि के दौरान मुद्रास्फीति की स्थिति (2024) 

  • हालिया रुझान 
    • मुद्रास्फीति में कमी: फरवरी 2024 से मुद्रास्फीति में अल्प कमी आई है, जो अप्रैल 2024 में 5.1% से घटकर 4.8% हो गई है। 
      • हालाँकि, यह कमी सीमित है, तथा सब्जियों, दालों, अनाजों एवं मसालों पर मूल्य दबाव के कारण खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है। 

मुद्रास्फीति के वर्तमान प्रमुख जोखिम 

  • खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार वृद्धि  
    • सब्जियों, दालों, अनाजों एवं मसालों की बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति में अल्प कमी के बावजूद खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है। 
    • भविष्य में प्रतिकूल मौसमी घटनाओं के कारण खाद्य उत्पादन में बाधा उत्पन्न होने तथा खाद्य कीमतों पर दबाव पड़ने की संभावना है। 

  • अन्य दबाव 
    • कच्चे तेल की कीमतों और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। 
    • गैर-ऊर्जा वस्तुओं की बढ़ती कीमतें भी मुद्रास्फीति के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। 

रेपो दर (Repo rate) के बारे में 

  • रेपो दर का तात्पर्य है ‘पुनर्खरीद विकल्प दर’। 
  • यह वह ब्याज दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI) वाणिज्यिक बैंकों एवं ऋण देने वाली संस्थाओं को ऋण देता  है।
  • दर परिवर्तन का प्रभाव 
    • रेपो दर में वृद्धि: इससे बैंकों के लिए उधार लेना महंगा हो जाता है, जो बढ़ी हुई लागत का बोझ ग्राहकों पर डाल देते हैं, जिससे उपभोक्ता के लिए ऋण अधिक महंगा हो जाता है। 
    • रेपो दर में कमी: इससे बैंकों के लिए उधार लेने की लागत कम हो जाती है, धन की उपलब्धता बढ़ जाती है, एवं उपभोक्ता माँग में वृद्धि होती है। 
  • रेपो दर की भूमिका 
    • मौद्रिक उपकरण: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने या माँग को प्रोत्साहित करने के लिए उपयोग किया जाता है। 
    • प्रभाव: यह व्यक्तिगत, कार, आवास और कार्यशील पूँजी ऋण सहित सभी प्रकार के ऋणों पर ब्याज दरों को प्रभावित करता है। 
  • रेपो दर कैसे कार्य करती है? 
    • तंत्र: वाणिज्यिक बैंक अपनी प्रतिभूतियों को बेचकर तथा बाद में रेपो दर पर उन्हें पुनर्खरीद करने पर सहमत होकर RBI से धन उधार लेते हैं। 
    • आर्थिक प्रभाव: अर्थव्यवस्था में समग्र ब्याज दरों को प्रभावित करता है, उधार लागत, मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। 
    • नीति विनियमन: रेपो दर में समायोजन मौद्रिक नीति को विनियमित करने में मदद करता है। 

मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) 

  • यह समिति ब्याज दर तय करती है। 
  • संरचना: इस समिति में छह सदस्य हैं। तीन सदस्यों की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा तथा तीन की नियुक्ति RBI द्वारा की जाती है।  
  • कार्य: देश की व्यापक आर्थिक स्थिति पर चर्चा और रेपो दर का निर्धारण किया जाता है। 
    • ब्याज दरें निर्धारित करने के लिए मुद्रास्फीति, आर्थिक वृद्धि, विनिमय दर और राजकोषीय घाटे जैसे कारकों का मूल्यांकन किया जाता है। 
  • उद्देश्य: इस समिति का लक्ष्य आर्थिक विकास को समर्थन देते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है। 

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