गुजरात के कच्छ स्थित बेला गाँव की पारंपरिक शिल्प कला बेला ब्लॉक प्रिंटिंग के लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
बगरू प्रिंट (Bagru Print)
परिचय: जयपुर से लगभग 30 किमी. दूर स्थित बगरू, प्राकृतिक रंगों और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके हैंडब्लॉक प्रिंटिंग के लिए प्रसिद्ध है।
ऐसा कहा जाता है कि हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की इस पद्धति की उत्पत्ति छीपा समुदाय के प्रतिष्ठित व्यक्ति संत शिरोमणि श्री नामदेवजी महाराज से हुई थी।
मॉर्डेंट प्रिंटिंग विधि (Mordant Printing Method)
परिचय: मोर्डेंट प्रिंटिंग, जिसे रेजिस्ट प्रिंटिंग या ब्लॉक प्रिंटिंग के रूप में भी जाना जाता है, एक पारंपरिक कपड़ा मुद्रण तकनीक है, जिसमें कपड़े पर पैटर्न या डिजाइन बनाने के लिए मोर्डेंट का उपयोग शामिल होता है।
यह रंग की स्थिरता को बढ़ाने और जटिल तथा जीवंत डिजाइन बनाने के लिए आमतौर पर प्राकृतिक रंगों के साथ उपयोग की जाने वाली एक विधि है।
बेला प्रिंटिंग के बारे में
परिचय: बेला ब्लॉक प्रिंटिंग में लकड़ी के ब्लॉकों पर जटिल डिजाइन उकेरे जाते हैं, जिन्हें सजावटी पैटर्न बनाने के लिए कपड़े पर अंकित किया जाता है।
बगरू प्रिंट के समान, बेला प्रिंट एक मॉर्डेंट प्रिंटिंग विधि और हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करता है।
प्रिंटिंग तकनीक: इस पारंपरिक तकनीक में कपड़े पर सीधे रंग लगाने के लिए हाथ से नक्काशीदार लकड़ी के ब्लॉक का उपयोग किया जाता है।
बेला प्रिंट अपने बोल्ड, ग्राफिक डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है, जिसे आमतौर पर लाल एवं काले रंग से दर्शाया जाता है, जो अपने असाधारण रंग स्थिरता के लिए जाने जाते हैं।
प्राकृतिक रंग: बेला प्रिंटिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले रंग पूरी तरह से प्राकृतिक और वनस्पति स्रोतों से आते हैं।
उत्पत्ति: कच्छ गुजरात में उत्पन्न, इस कला रूप का एक समृद्ध इतिहास है। पीढ़ियों से, कच्छ को बेला शैली के कपड़े के निर्माण के साथ जोड़ा गया है, जो इस क्षेत्र की स्थायी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
अभ्यास करने वाला समुदाय: खत्री समुदाय इस शिल्प में अपनी महारत के लिए प्रसिद्ध है।
विशिष्ट विशेषताएँ: कच्छ की एक और प्रसिद्ध ब्लॉक प्रिंटिंग विधि अजरख के विपरीत, जो अपनी संवेदनशील रेखाओं एवं ज्यामितीय या पुष्प डिजाइनों के लिए जानी जाती है, बेला प्रिंटिंग में व्यापक रेखाओं का उपयोग किया जाता है और इसमें हाथी और घोड़े जैसे रूपांकनों को दर्शाया जाता है।
लुप्तप्राय शिल्प: हाल ही में बेला को हस्तशिल्प विकास आयुक्त के कार्यालय से लुप्तप्राय शिल्प के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है।
हस्तशिल्प विकास आयुक्त का कार्यालय
हस्तशिल्प विकास आयुक्त के बारे में: हस्तशिल्प विकास आयुक्त एक राष्ट्रीय एजेंसी है, जो भारतीय हस्तशिल्प की उन्नति, संवर्द्धन और निर्यात के लिए समर्पित है।
नोडल मंत्रालय: यह एजेंसी भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करती है।
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