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सहकारी समितियाँ एवं सूचना का अधिकार अधिनियम

Lokesh Pal June 11, 2024 05:51 214 0

संदर्भ

हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि सहकारी समितियाँ सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के दायरे में नहीं आती हैं।

सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार: इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19(1)(A) के तहत नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने में सक्षम बनाने के लिए वर्ष 2005 में संसद द्वारा पारित किया गया था।
  • अधिदेश: यह नागरिकों को प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरणों के नियंत्रण में सूचना तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सूचना का अधिकार प्रदान करता है।
  • प्रावधान: अधिनियम के प्रावधानों के तहत, कोई नागरिक किसी “सार्वजनिक प्राधिकरण” (सरकार का एक निकाय) से सूचना का अनुरोध कर सकता है, जिसे तीस दिनों के भीतर जवाब देना आवश्यक है।

संबंधित तथ्य

  • मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सूचना आयोग (TNIC) द्वारा पारित एक आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें एक सहकारी समिति को उसके द्वारा दिए गए ऋणों के बारे में विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था। 
  • कानूनी तर्क: न्यायालय ने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु सहकारी समिति अधिनियम, 1983 के तहत सहकारी समितियाँ आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 2 (h) के अनुसार ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ नहीं हैं।

सहकारी समितियाँ

  • गठन: सहकारी समितियाँ ऐसे संगठन होते हैं, जो बाजार में सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति का उपयोग करने के लिए लोगों द्वारा जमीनी स्तर पर गठित किए जाते हैं।
    • इसका अर्थ विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाओं से हो सकता है, जैसे साझा संसाधन का उपयोग करना या पूँजी साझा करना, ताकि साझा लाभ प्राप्त किया जा सके, जिसे अन्य किसी व्यक्तिगत उत्पादक के लिए प्राप्त करना कठिन होगा।
  • उदाहरण: कृषि में सहकारी डेयरियाँ, चीनी मिलें, कताई मिलें आदि किसानों के संयुक्त संसाधनों से बनाई जाती हैं, जो अपनी उपज को संसाधित करना चाहते हैं। गुजरात का अमूल संभवत: भारत में सबसे प्रसिद्ध सहकारी समिति है।
  • अधिकार क्षेत्र: संविधान के तहत सहकारी समितियांँ राज्य का विषय हैं।
    • ‘सहकारी समितियाँ’ विषय का उल्लेख संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य सूची की प्रविष्टि 32 में किया गया है।
    • हालांँकि, ऐसी कई समितियांँ हैं, जिनके सदस्य और संचालन क्षेत्र एक से अधिक राज्यों तक विस्तारित हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा पर स्थित जिलों की अधिकांश चीनी मिलें दोनों राज्यों से गन्ने की खरीद करती हैं।
  • संवैधानिक प्रावधान
    • 97वें संविधान संशोधन के तहत भाग IXB (सहकारी समितियाँ) को संविधान में शामिल किया गया। 
    • सहकारी समितियों के गठन के अधिकार को अनुच्छेद-19(1) के तहत स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में शामिल किया गया।
    •  सहकारी समितियों को बढ़ावा देने से संबंधित अनुच्छेद-43 (B) को भी राज्य नीति निर्देशक सिद्धांतों में से एक के रूप में शामिल किया गया। 
    • वर्ष 2021 में, भारत सरकार द्वारा ‘सहकार से समृद्धि’ विजन को साकार करने के लिए सहकारिता मंत्रालय स्थापित किया गया।

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