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मालदीव के राष्ट्रपति का भारत दौरे का महत्त्व

Lokesh Pal June 12, 2024 02:54 154 0

संदर्भ

हाल ही में मालदीव के राष्ट्रपति भारत के उन सात पड़ोसी नेताओं में से एक थे, जिन्होंने राष्ट्रपति भवन में भारतीय प्रधानमंत्री के पदभार ग्रहण समारोह में भाग लिया था।

भारत के लिए मालदीव का महत्त्व

  • भू-रणनीतिक महत्त्व: मालदीव भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
  • भू-राजनीतिक गतिशीलता: चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल (BRI), जिसमें मालदीव भी शामिल है, ने क्षेत्र में चीन के प्रभाव का विस्तार किया है, जो संभावित रूप से भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित कर रहा है।
  • भू-आर्थिक महत्त्व: भारत का लगभग 50% विदेशी व्यापार और 80% ऊर्जा आयात मालदीव के पास से समुद्री मार्गों से होकर गुजरता है, जो भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
  • सुरक्षा भूमिका: मालदीव पश्चिमी और पूर्वी हिंद महासागर के बीच एक रणनीतिक ‘टोल गेट’ के रूप में कार्य करता है, जो भारत के लिए एक प्रभावी सुरक्षा प्रदाता के रूप में इसके महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • क्षेत्रीय सहयोग: भारत और मालदीव SAARC, SASEC, IORA, और IONS जैसे क्षेत्रीय मंचों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग में संलग्न हैं।

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी (Neighbourhood First Policy)

  • परिचय: नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी (NFP) की कल्पना वर्ष 2008 में की गई थी, जिसमें NFP के तहत सहयोग के सिद्धांत 5S (सम्मान, संवाद, शांति, समृद्धि और संस्कृति) हैं।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य मजबूत संबंधों को बढ़ावा देना, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना और  पड़ोसी देशों के साथ आपसी चिंताओं को तत्काल दूर करना है।
  • प्रेरणा: यह नीति भारत के परामर्शी, गैर-पारस्परिक और विकास-उन्मुख दृष्टिकोण से प्रेरित है।

सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास)

  • परिचय: SAGAR, एक अवधारणा है जिसे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में अपनी मॉरीशस यात्रा के दौरान प्रस्तुत किया था, जो ब्लू इकोनॉमी पर जोर देती है।
  • उद्देश्य: यह समुद्री पहल भारत के लिए शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र को प्राथमिकता देती है।
  • लक्ष्य: उद्देश्यों में विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा देना, अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों और मानदंडों का पालन करना शामिल है।
    • राष्ट्रीय हितों के लिए पारस्परिक सम्मान, समुद्री विवादों का शांतिपूर्ण समाधान और समुद्री सहयोग बढ़ाना। SAGAR पहल, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association) के सिद्धांतों के अनुरूप है।

मालदीव के लिए भारत का महत्त्व

  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत मालदीव के लिए एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार है, जो उसकी समुद्री निगरानी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
    • भारत मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (National Defence Force- MNDF) का 70% प्रशिक्षण प्रदान करता है और एकुवेरिन (Ekuverin) और एकथा (Ekatha) जैसे संयुक्त अभ्यासों के साथ-साथ आपदा प्रबंधन जैसी पहल में भी संलग्न है।
    • भारतीय सेना ने वर्ष 1988 में माले में राजनीतिक अस्थिरता की कोशिश को विफल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गौरतलब है कि मालदीव में वहाँ के राजनीतिक दलों द्वारा इस ऑपरेशन की आलोचना नहीं की गई।
  • व्यापार संबंध: भारत, मालदीव का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार, प्रमुख निर्यात गंतव्य और पारंपरिक दाता है।
    • खाद्य से लेकर जीवन रक्षक दवाओं तथा खोज एवं बचाव अभियानों में इस्तेमाल होने वाले विमानों तक, लगभग सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में यह भारतीय आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
  • बुनियादी ढाँचा और विकास: भारत, मालदीव में कई बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल है, जिसमें हनीमाधू (Hanimaadhoo) और गण (Gan) द्वीप के हवाई अड्डे और गुलहिफाल्हू बंदरगाह (Gulhifalhu Port) का विकास शामिल है।
    • ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट वर्तमान परियोजना है, जिसमें भारत 500 मिलियन डॉलर की फंडिंग प्रदान की है।
  • क्षमता निर्माण: भारत ने इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पताल के विस्तार के लिए 52 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं और एक अत्याधुनिक कैंसर सुविधा की स्थापना की सुविधा प्रदान की है, जो विभिन्न द्वीपों में 150 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को जोड़ेगी।
    • शिक्षा क्षेत्र में, भारत ने वर्ष 1996 में एक तकनीकी शिक्षा संस्थान की स्थापना की और 5.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना में व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ मालदीव के शिक्षकों और युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया।

भारत मालदीव संबंधों में हालिया चुनौतियाँ

  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: वर्तमान मालदीव सरकार ने भारत पर देश की संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है और ‘इंडिया आउट’ अभियान के तहत भारतीय सैनिकों को हटाने की माँग की है।
    • इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2023 में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन की बैठक से मालद्वीव विशेष रूप से अनुपस्थित रहा था।
  • बदलती प्राथमिकताएँ: मालदीव में, वहाँ की जनता की राय दो दृष्टिकोणों के बीच विभाजित है: ‘इंडिया आउट’ अभियान और ‘इंडिया फर्स्ट’ अभियान, जिसका समर्थन पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह ने किया था।
    • उदाहरण के लिए, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने परंपरा से हटकर पहले भारत का दौरा करने के बजाय तुर्की और उसके बाद चीन का दौरा किया।
  • मुइज्जू का चीन के प्रति झुकाव: अपने संरक्षक, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम की तरह, जिनके शासन में (2013-18) भारत-मालदीव संबंध गंभीर रूप से खराब हो गए, मुइज्जू ने खुले तौर पर मालद्वीव को चीन के साथ संबंधों को लेकर प्रमुखता दी है।
  • मालदीव की घरेलू राजनीति पर प्रभाव: राष्ट्रपति मुइज्जू के सत्ता सँभालने के बाद से मालदीव और भारत के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं, मालद्वीव द्वारा भारत से दूरी बनाने के जानबूझकर प्रयास किए जा रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, मालदीव द्वारा हाइड्रोग्राफी समझौते को समाप्त करने को भारत से दूरी बनाने के कदम के रूप में समझा जा सकता है।
  • लक्षद्वीप विवाद: यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब मालदीव के तीन उपमंत्रियों ने लक्षद्वीप की यात्रा के बाद भारत और प्रधानमंत्री के बारे में अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं।
    • उन्होंने दावा किया कि इस यात्रा का उद्देश्य मालदीव के पर्यटन को चुनौती देना था, जो समुद्रतटीय सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है।
  • राजनयिक उथल-पुथल: राष्ट्रपति मुइज्जू के तहत, मालदीव को राजनयिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। भारत और चीन के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है, जिससे तनाव बढ़ गया है।
    • उदाहरण के लिए, भारत के प्रधानमंत्री के बारे में मालदीव के नेताओं द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों के कारण भारत में मालदीव के दूत को विदेश मंत्रालय द्वारा तलब किया गया था।
  • बढ़ता चीनी प्रभाव: भारत से पहले राष्ट्रपति मुइज्जू की चीन यात्रा ने चिंताएँ बढ़ा दी हैं, जो चीन के पक्ष में संभावित बदलाव का संकेत है।
    • चीन मालदीव को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए महत्त्वपूर्ण मानता है और अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए क्षेत्र में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल हो रहा है।
  • चरमपंथियों का समर्थन: मालदीव के लोगों की आईएस और लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों के साथ बढ़ती भागीदारी ने कट्टरपंथ को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
    • इन समूहों ने वर्ष 2004 की सुनामी के बाद मालदीव में चैरिटी संगठनों का शोषण किया और वर्ष 2022 में भारतीय दूतावास के योग कार्यक्रम पर हमला इस मुद्दे की पुष्टि करता है।

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