हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आदित्य-L1 पेलोड द्वारा कैप्चर की गई सूर्य की तस्वीरों को जारी किया है।
संबंधित तथ्य
आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान पर स्थापित रिमोट सेंसिंग पेलोड सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT) और विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) द्वारा तस्वीरें ली गई थीं।
ये तस्वीरें सौर ज्वालाओं, ऊर्जा वितरण, सूर्य के धब्बों के अध्ययन, अंतरिक्ष मौसम को समझने और भविष्यवाणी करने में सहायक हैं, साथ ही व्यापक तरंगदैर्ध्य रेंज में सौर गतिविधियों एवं पराबैंगनी (UV) विकिरण की निगरानी में सहायता करेंगी।
SUIT और VELC
सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT): निकट पराबैंगनी (UV) रेंज में सौर फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेने और निकट UV रेंज में सौर विकिरण में भिन्नता को मापने के लिए निर्मित किया गया है।
विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC): इसका उद्देश्य सौर कोरोना और कोरोना से उत्सर्जन की गतिशीलता का अध्ययन करना है।
आदित्य-L1 (Aditya-L1)
परिचय: आदित्य-L1 भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है, जिसे वर्ष 2023 में प्रक्षेपित किया गया था। इसका उद्देश्य सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक हेलो कक्ष से सूर्य का अवलोकन करना है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित है।
प्रक्षेपण यान: मिशन को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C57) द्वारा प्रक्षेपित किया गया था, जिसमें विभिन्न उद्देश्यों के लिए सात पेलोड लगाए गए हैं।
आदित्य-L1 का महत्त्व: कोरोनल ताप तथा सौर पवन की गति में परिवर्तन की प्रक्रियाओं का पता लगाना।
इसका उद्देश्य उपस्थित सौर कण और प्लाज्मा पर्यावरण का अवलोकन करना है, ताकि सूर्य से उत्सर्जित कण की गतिशीलता के अध्ययन के लिए आवश्यक डेटा प्राप्त हो सके।
अन्य सौर मिशन
अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन (Parker Solar Probe)
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा सौर और हीलियोस्फेरिक वेधशाला (Solar and Heliospheric Observatory)
चीन का कुआफू-1 सोलर प्रोब (Kuafu-1 Solar Probe)
लैग्रेंज बिंदु (Lagrange Point- L1)
परिचय: लैग्रेंज बिंदुओं पर सूर्य और पृथ्वी जैसे दो विशाल पिंडों द्वारा लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल समान होता है, फलस्वरूप इस बिंदु पर किसी वस्तु द्वारा परिक्रमा करने के लिए आवश्यक अभिकेंद्रीय बल बिल्कुल संतुलित होता है।
लाभ: L1 बिंदु से बिना किसी अवरोध के सूर्य का निरंतर अवलोकन किया जा सकता है, इसे किसी ग्रहण की घटना भी प्रभावित नहीं कर सकती।
बिंदुओं की संख्या: सूर्य और पृथ्वी के बीच पाँच लैग्रेंज बिंदु हैं, जिनमें से तीन अस्थिर हैं (L1, L2, L3) जो इन दो बड़े पिंडों को जोड़ने वाली रेखा पर स्थित हैं, जबकि दो बिंदु (L4, L5) स्थिर हैं।
Latest Comments