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क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अंतरराष्ट्रीय वर्ष (IYQ)

Lokesh Pal June 13, 2024 03:57 255 0

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने उभरते क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2025 को क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अंतरराष्ट्रीय वर्ष (International Year of Quantum Science and Technology) घोषित किया है।

संबंधित तथ्य 

  • क्वांटम मैकेनिक्स के 100 वर्षों की मान्यता: वर्ष 2025 को इस अंतरराष्ट्रीय वर्ष के लिए चुना गया था क्योंकि यह क्वांटम मैकेनिक्स के प्रारंभिक विकास के 100 वर्षों को मान्यता देता है। 
  • मैट्रिक्स मैकेनिक्स (Matrix Mechanics): सैद्धांतिक भौतिकविदों वर्नर हाइजेनबर्ग, मैक्स बोर्न और पास्कुअल जॉर्डन द्वारा मैट्रिक्स मैकेनिक्स विकसित करने के 100 वर्ष पूरे हो गए हैं, जो क्वांटम फिजिक्स को गणितीय रूप में व्यक्त करने वाला पहला सूत्रीकरण है।
  • श्रोडिंगर तरंग समीकरण (Schrodinger wave Equation): वर्ष 2025 में इरविन श्रोडिंगर (Erwin Schrodinger) द्वारा क्वांटम-मैकेनिकल सिस्टम के तरंग कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने वाले श्रोडिंगर समीकरण को प्रतिपादित करने के 100 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। इस क्वांटम मैकेनिक्स के लिए उन्हें भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला।

क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (IYQ) के बारे में

  • पृष्ठभूमि
    • वर्ष 2023: मई 2023 में मैक्सिको के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific, and Cultural Organization- UNESCO) के कार्यकारी बोर्ड ने आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र उद्घोषणा को प्रोत्साहित करने वाले प्रस्ताव का समर्थन किया।
      • इसके बाद नवंबर 2023 में पूर्ण राष्ट्र के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन महासम्मेलन का समर्थन किया गया, जिसे लगभग 60 देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया।
    • वर्ष 2024: मई 2024 में, घाना ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय वर्ष की आधिकारिक घोषणा के लिए औपचारिक रूप से एक मसौदा प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
      • 7 जून, 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर वर्ष 2025 को क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया।
    • उद्घोषणा को इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड फिजिक्स, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ क्रिस्टलोग्राफी तथा इंटरनेशनल यूनियन ऑफ हिस्ट्री एंड फिलॉसफी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी का भी समर्थन प्राप्त हुआ है।

  • उद्देश्य
    • क्षमताओं को सुदृढ़ करना: बुनियादी विज्ञान और विज्ञान की शिक्षा में राष्ट्रीय क्षमताओं को मजबूत करना। 
      • भविष्य के नवाचारों और आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बढ़ती मान्यता को प्रतिबिंबित करना।
    • योगदान और भविष्य की क्षमता: ब्रह्मांड के बारे में ज्ञान और समझ में क्वांटम विज्ञान के योगदान को उजागर करना, साथ ही ऊर्जा, शिक्षा, संचार और मानव स्वास्थ्य में स्थायी समाधान विकसित करने में क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना।
    • जागरूकता, प्रोत्साहन और सहयोग: यह क्वांटम प्रौद्योगिकियों के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और शैक्षिक और आउटरीच गतिविधियों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।

क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में

  • अंतःविषयक क्षेत्र: क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक अंतःविषयक क्षेत्र है, जो संभावित रूप से परिवर्तनकारी क्षमताओं वाली नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करता है।

  • क्वांटम कंप्यूटिंग के मूल सिद्धांत: क्वांटम कंप्यूटिंग के तीन मूल सिद्धांत हैं– सुपरपोजिशन (Superposition), एंटैंगलमेंट (Entanglement) एवं क्यूबिट्स (Qubits)।
    • सुपरपोजिशन (Superposition): एक कण की एक ही समय में दो ‘स्थितियों’ को धारण करने की क्षमता को संदर्भित करता है। यह एक मूलभूत सिद्धांत है, जहाँ एक क्वांटम प्रणाली एक साथ कई अवस्थाओं में मौजूद हो सकती है।
    • एंटैंगलमेंट (Entanglement): यह क्वांटम सिस्टम का अद्वितीय गुण है। यदि एक कण दूसरे से एंटैंगल या एक दूसरे को घेरे हुए है और पहले वाले के स्पिन को मापता है (जिसका मान लगातार  बदल रहा है), तो एंटैंगल कण तुरंत उसी मान में व्यवस्थित हो जाएगा।
      • क्वांटम कंप्यूटिंग इन दोनों सिद्धांतों (सुपरपोजिशन और एंटैंगलमेंट) का उपयोग करती है, कुछ प्रकार की समस्याओं को परंपरागत कंप्यूटरों की तुलना में बहुत तेजी से हल करने के लिए, विशेष रूप से जटिल सिमुलेशन, अनुकूलन, क्रिप्टोग्राफी और बड़े डेटाबेस की खोज के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
    • क्यूबिट (Qubits) या क्वांटम बिट: यह क्वांटम सूचना की एक बुनियादी इकाई है। यह एक दो अवस्था वाली क्वांटम-मैकेनिकल प्रणाली है, जो क्वांटम मैकेनिक्स की विशिष्टता को प्रदर्शित करने वाली सबसे सरल क्वांटम प्रणालियों में से एक है।

क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग क्षेत्र

  • क्वांटम कंप्यूटिंग: यह एक बहु-विषयक क्षेत्र है, जिसमें कंप्यूटर विज्ञान, भौतिकी और गणित के पहलू शामिल हैं, जो क्लासिकल कंप्यूटरों की तुलना में जटिल समस्याओं को तेजी से हल करने के लिए क्वांटम मैकेनिक्स का उपयोग करते हैं। 
    • क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) का उपयोग करते हैं, जो क्लासिकल बिट्स के विपरीत, सुपरपोजिशन के कारण एक साथ कई अवस्थाओं में मौजूद हो सकते हैं।
  • क्वांटम संचार: यह डेटा की सुरक्षा के लिए क्वांटम भौतिकी के नियमों का उपयोग करता है।
    •  ये नियम कणों को (आम तौर पर ऑप्टिकल केबल के साथ डेटा संचारित करने के लिए प्रकाश के फोटॉन को) सुपरपोजिशन की स्थिति में ले जाने की अनुमति देते हैं, जिसका अर्थ है कि वे क्वांटम बिट्स (क्यूबिट) के कई संयोजनों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। 
    • क्वांटम कुंजी वितरण (Quantum Key Distribution- QKD): यह सुरक्षित संचार चैनलों को सक्षम करने के लिए क्वांटम मैकेनिक्स का उपयोग करता है, जो सैद्धांतिक रूप से ईव्सड्रॉपिंग से प्रतिरक्षित हैं।
    • क्वांटम इंटरनेट: यह एक वैश्विक नेटवर्क का भविष्य का दृष्टिकोण है जो अति-सुरक्षित संचार और वितरित क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए क्वांटम संकेतों का उपयोग करता है।
  • क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी (Quantum Sensing and Metrology): इसका उद्देश्य क्वांटम उतार-चढ़ाव से उत्पन्न तीव्र ध्वनि पर नियंत्रण पाने के लिए क्वांटम भौतिकी के सिद्धांतों का उपयोग करने वाले नए तरीकों का उपयोग करना है।
    • इसके अनुप्रयोगों में परमाणु घड़ियों का सुधार और समन्वय, सूक्ष्म चुंबकीय क्षेत्रों के परिमाण और दिशा का पता लगाना, चरण परिवर्तन के इंटरफेरोमेट्रिक माप, चिकित्सा इमेजिंग, नेविगेशन और मौलिक भौतिकी अनुसंधान शामिल हैं।
  • क्वांटम सामग्री: सुपरकंडक्टर और टोपोलॉजिकल इंसुलेटर जैसे अद्वितीय क्वांटम गुणों वाले पदार्थों की खोज के अनुप्रयोग नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विकास, उन्नत ऊर्जा संचरण और उन्नत सामग्री विज्ञान में हैं।
  • क्वांटम सिमुलेशन: क्वांटम सिमुलेटर जटिल क्वांटम सिस्टम का मॉडल बना सकते हैं, जो उच्च तापमान सुपरकंडक्टिविटी, रासायनिक प्रतिक्रियाओं और पदार्थ के विदेशी चरणों को समझने में मदद करते हैं।

क्वांटम प्रौद्योगिकी के लाभ

  • बढ़ी हुई कंप्यूटिंग शक्ति: क्वांटम कंप्यूटर वर्तमान कंप्यूटरों की तुलना में बहुत तेज हैं और जटिल समस्याओं को हल करने की क्षमता भी रखते हैं।
  • बेहतर सुरक्षा: क्वांटम यांत्रिकी के कारण, क्वांटम एन्क्रिप्शन तकनीक पारंपरिक एन्क्रिप्शन विधियों की तुलना में बहुत अधिक सुरक्षित हैं।
  • तीव्र संचार: क्वांटम संचार नेटवर्क पारंपरिक नेटवर्क की तुलना में सूचना को तेजी से और अधिक सुरक्षित रूप से संचारित कर सकते हैं, जिसमें पूरी तरह से बिना हैक किए जाने वाले संचार की क्षमता मौजूद है।
  • उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): क्वांटम मशीन लर्निंग एल्गोरिदम संभावित रूप से AI मॉडल के अधिक कुशल और सटीक प्रशिक्षण को सक्षम कर सकते हैं।
  • बेहतर संवेदन क्षमता एवं माप: क्वांटम सेंसर पर्यावरण में बहुत छोटे बदलावों का पता लगा सकते हैं, जिससे वे चिकित्सा निदान, पर्यावरण निगरानी और भू-वैज्ञानिक अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में उपयोगी हो जाते हैं।
    • क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति से विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति लाने की क्षमता है, जिससे कंप्यूटिंग, संचार, संवेदन और अन्य क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

क्वांटम प्रौद्योगिकी को मुख्यधारा में अपनाने में आने वाली बाधाएँ

  • स्थिरता: क्यूबिट गर्मी के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं और उनमें त्रुटि होने की संभावना होती है।
  • मापनीयता: बड़े क्वांटम कंप्यूटर बनाना मुश्किल हो सकता है।
  • कनेक्टिविटी: क्यूबिट को संचालित करने के लिए कनेक्ट होने की आवश्यकता होती है, जो संख्या बढ़ने के साथ मुश्किल होता जाता है।
  • एकीकरण: हाइब्रिड तकनीक बनाने के लिए क्वांटम घटकों को शास्त्रीय प्रणालियों के साथ मिलाना।
  • डि-कोहेरेंस (De-coherence): समय के साथ, क्यूबिट उनमें संगृहीत जानकारी खो सकते हैं।
  • प्रोग्रामिंग: क्वांटम यांत्रिकी के ज्ञान के साथ-साथ पूरी तरह से नए कौशल की आवश्यकता होती है।
  • मानकीकरण: सफलता के लिए उद्योग-व्यापी मानक स्थापित करना आवश्यक होगा।
  • पहुँच और उपलब्धता: क्वांटम कंप्यूटिंग सेवाएँ इस समय महंगी हैं।
  • एल्गोरिदम निर्माण: क्वांटम कंप्यूटर, पारंपरिक कंप्यूटरों की तरह कार्य नहीं कर सकते हैं, उन्हें अपने वातावरण में कार्य करने के लिए विशेष एल्गोरिदम की आवश्यकता होती है।
  • कम तापमान की आवश्यकता: क्वांटम कंप्यूटरों को अत्यधिक तापमान (-460°F) की आवश्यकता होती है, जिसे बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है।
  • कम परिशुद्धता: क्वांटम कंप्यूटरों में परिशुद्धता का स्तर कम होता है। वैज्ञानिकों को अपने स्वयं के क्यूबिट बनाने होते हैं, जो मुश्किल होता है।
  • सॉफ्टवेयर: क्वांटम एल्गोरिदम और सॉफ्टवेयर बनाने का क्षेत्र अभी भी विकसित हो रहा है और योग्य पेशेवरों की कमी है। 
  • उच्च लागत: क्वांटम कंप्यूटर का निर्माण और रखरखाव वर्तमान में अपेक्षाकृत महंगा है और यह व्यापक तैनाती को रोक सकता है। 
  • अंतरसंचालनीयता: क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में मानकों की कमी के कारण, विभिन्न क्वांटम कंप्यूटरों की तुलना और संयोजन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

आगे की  राह 

  • उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना: सरकार को अकादमिक संस्थानों और सरकारी शोध संस्थानों दोनों में क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण करना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी विकास: भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों के विकास में शामिल स्टार्टअप्स और बिग टेक निगमों की शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
  • स्वदेशीकरण: क्वांटम कम्प्यूटेशनल क्षमताओं के विकास को प्राथमिकता देना हमारे देश के लिए अनिवार्य है, क्योंकि विदेशी स्रोतों से इस तकनीक को प्राप्त करना महत्त्वपूर्ण चुनौतियों और लागत बाधाओं का सामना करेगा।
  • प्रभावी रोडमैप: क्वांटम कंप्यूटिंग में वैश्विक प्रगति की प्रभावी निगरानी करने और इस क्षेत्र में भारत के प्रयासों का मूल्यांकन तथा मार्गदर्शन करने के लिए, एक भारतीय क्वांटम कंप्यूटिंग रोडमैप समूह की स्थापना आवश्यक है।
  • सहयोग के साथ अनुसंधान और विकास: अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ-साथ निरंतर अनुसंधान और विकास, वर्तमान चुनौतियों पर नियंत्रण पाने और क्वांटम प्रौद्योगिकियों की पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रमुख अंतरराष्ट्रीय क्वांटम कंप्यूटिंग सहयोग

  • क्वांटम टेक्नोलॉजीज फ्लैगशिप: इसे वर्ष 2018 में यूरोपीय संघ (EU) द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य अनुसंधान, निजी और सार्वजनिक संस्थानों को एक साथ लाना और 10 वर्षों की अवधि में क्वांटम प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में यूरोपीय नेतृत्व को मजबूत करना है।
  • AUKUS क्वांटम व्यवस्था: इसे वर्ष 2022 में ‘जनरेशन-आफ्टर-नेक्स्ट’ क्वांटम क्षमताओं में निवेश में तेजी लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
  • क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलाॅग (Quadrilateral Security Dialogue): वर्ष 2021 में, क्वाड नेताओं ने एक महत्त्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी कार्य समूह की स्थापना करने पर सहमति व्यक्त की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों के लिए मानक और रूपरेखा ‘साझा हितों एवं मूल्यों’ द्वारा शासित हों।
  • CERN क्वांटम प्रौद्योगिकी पहल: यूरोपीय परमाणु अनुसंधान परिषद (CERN) की क्वांटम प्रौद्योगिकी पहल वर्ष 2020 में शुरू किया गया एक व्यापक अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य अपने 23 सदस्य देशों के बीच सहयोग स्थापित करना तथा साथ ही क्वांटम प्रौद्योगिकियों में अंतरराष्ट्रीय पहल करना है।

विभिन्न सरकारी पहल

  • क्वांटम कंप्यूटिंग एप्लीकेशन लैब (Quantum Computing Applications Lab- QCAL): इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा अमेजन वेब सर्विसेज (Amazon Web Services- AWS) के सहयोग से लॉन्च किया गया था।
    • इसका उद्देश्य शोधकर्ताओं और डेवलपर्स को क्वांटम कंप्यूटर, उपकरण और संसाधनों तक पहुँच प्रदान करके भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग को अपनाने में तेजी लाना है।
  • क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Quantum Technologies and Applications- NMQTA): इसे भारत में एक मजबूत क्वांटम प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया था।
  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन: वर्ष 2023-24 से वर्ष 2030-31 तक 6003.65 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ, इसका उद्देश्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना और क्वांटम प्रौद्योगिकी (QT) में एक जीवंत और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।

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