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वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2024

Lokesh Pal June 13, 2024 05:05 945 0

संदर्भ 

हाल ही में भारत विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum’s) के वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक में दो स्थान की हानि के साथ 129वें स्थान पर आ गया है। 

संबंधित तथ्य

  • इस वर्ष, वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक के 18वें संस्करण में 146 अर्थव्यवस्थाओं में लैंगिक समानता का मूल्यांकन किया गया है, जो विश्व की दो-तिहाई अर्थव्यवस्थाओं में लैंगिक समानता विकास के विश्लेषण के लिए आधार प्रदान करता है।
  • WEF के अनुसार, वर्तमान गति से पूर्ण लैंगिक समानता प्राप्त करने में 134 वर्ष लगेंगे।

वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक

  • यह वार्षिक रूप से लैंगिक समानता की वर्तमान स्थिति एवं विकास का मूल्यांकन करता है। 
    • यह वर्ष 2006 में अपनी स्थापना के बाद से समय के साथ इन अंतरालों को कम करने की दिशा में कई देशों के प्रयासों की प्रगति पर नजर रखने वाला सबसे लंबी अवधि का सूचकांक है। 
  • प्रकाशक : विश्व आर्थिक मंच 
  • चार प्रमुख आयाम
    • आर्थिक भागीदारी एवं अवसर 
    • शिक्षा प्राप्ति
    • स्वास्थ्य और जीवन रक्षा
    • राजनीतिक सशक्तीकरण 
  • स्कोर: वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 0-100 के पैमाने पर स्कोर को मापता है और स्कोर की व्याख्या समानता की ओर तय की गई दूरी के रूप में की जा सकती है (अर्थात लैंगिक अंतराल का वह प्रतिशत जो समाप्त हो चुका है)।
  • विश्लेषण: यह सूचकांक 101 देशों के उपसमूह का परीक्षण करता है, जिन्हें वर्ष 2006 से सूचकांक के प्रत्येक संस्करण में शामिल किया गया है। 

विश्व आर्थिक मंच

  • इसे अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक-निजी सहयोग संगठन के नाम से भी जाना जाता है। 
  • वर्ष 1971 में एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित 
  • संस्थापक: क्लॉस श्वाब (Klaus Schwab)
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • यह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष है और किसी विशेष हित से संबंधित  नहीं है। 
  • यह फोरम वैश्विक, क्षेत्रीय और उद्योग एजेंडा को आकार देने के लिए समाज के अग्रणी राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और अन्य नेताओं को शामिल करता है। 
  • अन्य WEF रिपोर्ट
    • रोजगारों की भविष्य रिपोर्ट
    • वैश्विक जोखिम रिपोर्ट
    • यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट 
    • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट 

भारत से संबंधित निष्कर्ष

  • पिछले वर्ष की तुलना में कमजोर स्थिति: कुल मिलाकर, भारत इस वर्ष के सूचकांक में 129वें स्थान पर रहा, जो पिछले संस्करण की तुलना में थोड़ा कम है। 
    • 140 करोड़ से अधिक की आबादी के साथ, भारत ने वर्ष 2024 तक अपने लैंगिक अंतराल को 64.1% तक कम कर लिया है और पिछले वर्ष के 127वें स्थान से दो स्थान नीचे आ गया है। 

  • विभिन्न श्रेणियों में भारत की रैंकिंग: 
    • ‘राजनीतिक सशक्तीकरण’ मापदंड में भारत को सर्वश्रेष्ठ रैंक (65) प्राप्त हुई। 
    • आर्थिक भागीदारी और अवसर (142) 
    • स्वास्थ्य और जीवन रक्षा (142) 
    • शैक्षिक उपलब्धि (112) 
  • रैंक में गिरावट का कारण: यह मामूली प्रतिगमन मुख्य रूप से ‘शैक्षिक प्राप्ति’ और ‘राजनीतिक सशक्तीकरण मापदंड में छोटी गिरावट का परिणाम है, जबकि ‘आर्थिक भागीदारी और अवसर’ मापदंड में थोड़ा सुधार हुआ है। 

विभिन्न श्रेणियों में भारत की रैंकिंग

राजनीतिक सशक्तीकरण: भारत राष्ट्राध्यक्ष सूचकांक में शीर्ष 10 में शामिल है, लेकिन संघीय स्तर पर, मंत्रिस्तरीय पदों (6.9%) और संसद (17.2%) में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के संदर्भ में  इसका स्कोर अपेक्षाकृत कम है। 

  • संपूर्ण दक्षिण एशिया में राजनीतिक असमानता अत्यधिक है। 
  • पिछले 50 वर्षों में महिला/पुरुष राष्ट्राध्यक्षों की संख्या में समानता के संबंध में भारत 10वें स्थान पर है। 
  • आर्थिक भागीदारी और अवसर: भारत बांग्लादेश, सूडान, ईरान, पाकिस्तान और मोरक्को के साथ सबसे कम आर्थिक समानता वाले देशों में शामिल है। इन सभी देशों में अनुमानित अर्जित आय में लैंगिक समानता 30% से कम दर्ज की गई। 
    • पिछले चार वर्षों से भारत का आर्थिक समता स्कोर ऊपर की ओर बढ़ रहा है। 
    • दक्षिण एशिया में भारत बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान के बाद पाँचवें स्थान पर था, जबकि पाकिस्तान अंतिम स्थान पर था। 
  • शैक्षिक उपलब्धि: ‘शैक्षिक उपलब्धि’ में भारत का स्कोर भी पिछले मूल्यांकन चक्रों की तुलना में कम समता स्थिति में योगदान देता है। 
    • यद्यपि प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में नामांकन में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक है, फिर भी इसमें मामूली वृद्धि ही हुई है। 
    • पुरुषों और महिलाओं की साक्षरता दर के बीच का अंतर 17.2% है, जिसके कारण भारत इस सूचकांक में 124वें स्थान पर है। 
    • माध्यमिक शिक्षा में नामांकन के मामले में भारत ने सर्वश्रेष्ठ लैंगिक समानता दर्शाई, जबकि महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में भी भारत विश्व स्तर पर 65वें स्थान पर रहा। 

वैश्विक रैंकिंग

  • शीर्ष रैंकर्स: आइसलैंड के बाद फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन शीर्ष पाँच देश हैं। 
    • शीर्ष 10 सर्वाधिक लैंगिक समानता वाले देशों में से अधिकतर यूरोप में हैं, तथा आयरलैंड और स्पेन इस वर्ष पुनः शीर्ष 10 में शामिल हो गए हैं। 
    • ब्रिटेन 14वें स्थान पर है, जबकि अमेरिका 43वें स्थान पर है। 

  • निचले पायदान पर: वैश्विक स्तर पर 146 देशों के सूचकांक में सूडान सबसे निचले स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान तीन स्थान नीचे खिसककर 145वें स्थान पर आ गया है। 
  • उल्लेखनीय उपलब्धियाँ: इस वर्ष उल्लेखनीय प्रगति करने वाला क्षेत्र लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र था।  
    • इस क्षेत्र ने अब तक का सबसे अधिक आर्थिक समता स्कोर (65.7%) और दूसरा सर्वाधिक क्षेत्रीय राजनीतिक सशक्तीकरण स्कोर (34%) दर्ज किया है। 

निष्कर्ष 

कुछ सुधारात्मक बिंदुओं के बावजूद, इस वर्ष की वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट में प्रस्तुत धीमी और वृद्धिशील प्रगति लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए, विशेष रूप से आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में, नए सिरे से वैश्विक प्रतिबद्धता की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।    

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