हाल ही में ट्रैकिंग SDG 7: ऊर्जा प्रगति रिपोर्ट 2024 (Tracking SDG 7: The Energy Progress Report 2024) जारी की गई।
संबंधित तथ्य
यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA), अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (International Renewable Energy Agency- IRENA), संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (United Nations Statistics Division- UNSD), विश्व बैंक एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) के सहयोग से तैयार की गई है।
इस रिपोर्ट में उन चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, जो विश्व को वर्ष 2030 तक SDG 7 के लक्ष्य को हासिल करने की राह में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई हैं।
सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के बारे में
SDG को वैश्विक लक्ष्य के रूप में भी जाना जाता है।
अभिग्रहण: वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाया गया।
SDG में 17 लक्ष्य शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक को 169 विशिष्ट लक्ष्यों में विभाजित किया गया है।
उद्देश्य: गरीबी, जलवायु परिवर्तन एवं स्वास्थ्य जैसी प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना, वर्ष 2030 तक सभी के लिए शांति तथा समृद्धि सुनिश्चित करना।
सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goal) एवं नीति आयोग (NITI Aayog) की भूमिका
नीति आयोग देश में सतत् विकास लक्ष्य (SDG) को प्राप्त करने के लिए नोडल संस्था है, जो सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद की भावना के साथ एजेंडा 2030 का नेतृत्व कर रही है।
नीति आयोग की भूमिकाएँ
दोहरा अधिदेश: नीति आयोग पूरे भारत में SDG के कार्यान्वयन एवं निगरानी की देखरेख करता है।
इसके अलावा, भारतीय राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
यह SDG इंडिया इंडेक्स एवं डैशबोर्ड, बहुआयामी गरीबी सूचकांक तथा क्षेत्रीय सूचकांकों का आकलन करता है।
तकनीकी सहायता: SDG की दिशा में सुचारू कामकाज के लिए, नीति आयोग राज्यों के बीच आपसी सामंजस्य को बढ़ावा देने एवं विशिष्ट SDG संकेतकों पर राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में लगा हुआ है।
SDG 7 के संदर्भ में भारत की प्रगति
भारत ने SDG 7 की दिशा में प्रगति के लिए प्रमुख पहलें शुरू की हैं-
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana- PMUY): यह खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देती है।
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना: यह योजना स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में निवेश को बढ़ावा देती है।
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (Deen Dayal Upadhyay Gram Jyoti Yojana- DDUGJY): इस योजना का लक्ष्य ग्रामीण विद्युतीकरण को बढ़ावा देना है।
स्वच्छ भारत मिशन: इस मिशन का उद्देश्य खुले में शौच को समाप्त करना, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ाना एवं गाँवों को खुले में शौच से मुक्त करना है।
प्रधानमंत्री आवास योजना: यह योजना भारत के नागरिकों (निम्न एवं मध्यम आय वाले लोगों) के लिए किफायती आवास तक पहुँच की सुविधा प्रदान करती है।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का लक्ष्य देश भर में वायु प्रदूषण की समस्याओं से व्यापक तरीके से निपटना है।
SDG 7 के बारे में
यह 17 सतत् विकास लक्ष्यों में से एक है।
इसे वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था।
लक्ष्य: सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय, सतत एवं आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
प्रमुख लक्ष्य
सार्वभौमिक पहुँच: विद्युत एवं स्वच्छ खाना पकाने तक सार्वभौमिक पहुँच प्राप्त करना।
ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा दक्षता में सुधार की दर दोगुनी करना।
नवीकरणीय ऊर्जा: वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि करना।
SDG 7 के फोकस क्षेत्र
सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा: सुनिश्चित करना कि ऊर्जा सस्ती एवं विश्वसनीय हो।
नवीकरणीय ऊर्जा: वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना।
ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा दक्षता बढ़ाना।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: स्वच्छ ऊर्जा बुनियादी ढाँचे में वैश्विक सहयोग एवं निवेश को बढ़ावा देना।
सतत् विकास (Sustainable Development)
इस विकास में भावी पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान जरूरतों को पूरा करना शामिल है।
वर्ष 2024 की ऊर्जा प्रगति रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
विद्युत पहुँच घाटा में वृद्धि
प्रगति में उलटफेर: वर्ष 2022 में, एक दशक से अधिक समय में पहली बार बिना विद्युत पहुँच वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है।
वर्तमान आँकड़े: 685 मिलियन लोग विद्युत के बिना रहते हैं, जो वर्ष 2021 की तुलना में 10 मिलियन अधिक है।
उप-सहारा अफ्रीका: इस क्षेत्र में 570 मिलियन लोगों के पास विद्युत की कमी है, जो बिना पहुँच वाली वैश्विक आबादी का 80% से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है।
क्षेत्रीय घाटा: उप-सहारा अफ्रीका में विद्युत पहुँच में कमी वर्ष 2010 के स्तर की तुलना में और बदतर हो गई है।
खाना बनाने संबंधी स्वच्छ ईंधन तक पहुँच संबंधी चुनौतियाँ
वर्तमान आँकड़े: 2.1 बिलियन लोग (मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका तथा एशिया में) अभी भी खाना पकाने के लिए प्रदूषणकारी ईंधन एवं प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हैं।
सामाजिक प्रभाव: पारंपरिक बायोमास का उपयोग परिवारों को सप्ताह में 40 घंटे जलावन लकड़ी इकट्ठा करने एवं खाना पकाने में बिताने के लिए मजबूर करता है, जिससे महिलाओं के लिए कार्य करने तथा बच्चों के लिए स्कूल जाने के अवसर सीमित हो जाते हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव: प्रदूषणकारी ईंधन से घरेलू वायु प्रदूषण के कारण सालाना 3.2 मिलियन लोगों की असामयिक मृत्यु होती है।
पर्यावरण: खाना पकाने के लिए पारंपरिक बायोमास के उपयोग का महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय प्रभाव पड़ता है।
अपर्याप्त प्रयास: इन प्रगतियों के बावजूद, वर्तमान प्रयास अभी भी वर्ष 2030 तक विद्युत या स्वच्छ खाना पकाने तक सार्वभौमिक पहुँच प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि
विद्युत की खपत: वर्ष 2021 में नवीकरणीय विद्युत की खपत में 6% से अधिक की वृद्धि हुई, अब वैश्विक विद्युत खपत में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 28.2% है।
स्थापित क्षमता: वर्ष2022 में, स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विश्व स्तर पर प्रति व्यक्ति 424 वाट की नई ऊँचाई पर पहुँच गई।
असमानताएँ: विकसित देशों में प्रति व्यक्ति स्थापित क्षमता 1,073 वाट है, जो विकासशील देशों में 293 वाट प्रति व्यक्ति से 3.7 गुना अधिक है।
ऊर्जा दक्षता में सुधार
हालिया प्रगति: वर्ष 2021 में ऊर्जा तीव्रता में 0.8% सुधार हुआ, जो वर्ष 2020 में 0.6% सुधार से थोड़ा बेहतर है।
आर्थिक प्रभाव: कोविड-19 महामारी के बाद मजबूत आर्थिक सुधार के बावजूद धीमी प्रगति हुई, जिसमें 50 वर्षों में ऊर्जा खपत में सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि देखी गई।
भविष्य की आवश्यकताएँ: SDG 7.3 लक्ष्य को पूरा करने के लिए, वर्ष 2030 तक वार्षिक सुधारों को 3.8% से अधिक करने की आवश्यकता है।
ऊर्जा दक्षता: वर्तमान सुधार दर केवल 2.3% है, जो SDG 7 लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
स्वच्छ ऊर्जा के लिए वित्तीय सहायता
फंडिंग में कमी: विकासशील देशों में स्वच्छ ऊर्जा के लिए अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्तीय प्रवाह वर्ष 2022 में बढ़कर 15.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो वर्ष 2021 से 25% अधिक है।
यह अभी भी वर्ष 2016 के 28.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्चतम आँकड़े का लगभग आधा है।
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