100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

खाड़ी देशों में प्रवासी भारतीय

Lokesh Pal June 21, 2024 03:20 179 0

संदर्भ

हाल ही में कुवैत शहर के पास एक अपार्टमेंट इमारत में विनाशकारी आग लगने से कम-से-कम 49 लोगों की मृत्यु हो गई, जिनमें से लगभग 40 भारतीय थे। जिसने एक बार फिर खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा की कमी और दयनीय जीवन स्थितियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

पिछली घटनाएँ

दो वर्ष पहले: कतर में फुटबॉल विश्वकप के दौरान

  • प्रवासियों की बढ़ती मृत्यु, कठोर कार्य स्थितियों और मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के बारे में कई रिपोर्टें चर्चा में आई थीं।

दुबई एक्सपो के दौरान

  • बुनियादी ढाँचे के तेजी से विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रवासी श्रमिकों की बड़े पैमाने पर भागीदारी देखी गई।

कोविड-19 महामारी

  • यहाँ तक ​​कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी, सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि मई 2020 तक वायरस के लिए पॉजिटिव परीक्षण करने वाले कुल लोगों में से 75 प्रतिशत प्रवासी थे।
  • प्रवासी समुदाय के बीच कोविड-19 महामारी के तेजी से फैलने का एक प्रमुख कारण अस्वच्छ स्थान और गैर-आरामदेह शयनगृह थे।

खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासी

  • भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, छह खाड़ी देशों में लगभग 8.88 मिलियन ‘अनिवासी भारतीय‘ (NRI) रहते हैं।
    • ‘अनिवासी भारतीय‘ (Non-resident Indian- NRI) भारत के बाहर रहने वाला वह व्यक्ति है, जो भारत का नागरिक है।
  • इन छह देशों में लगभग 35 मिलियन प्रवासी श्रमिक रहते हैं, जो सभी अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का 10% है, तथा इनमें सबसे बड़ा समूह भारतीयों का है।

खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के बारे में

  • GCC या खाड़ी सहयोग परिषद छह देशों (सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कुवैत, कतर और बहरीन) का एक समूह है।
  • GCC की स्थापना वर्ष 1981 में क्षेत्रीय और सांस्कृतिक निकटता के आधार पर की गई थी जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच समन्वय, एकीकरण और अंतर-संबंध को बढ़ावा देना था।

  • आवक धन प्रेषण: कुल विदेशी आवक धन प्रेषण में से 28.6% खाड़ी देशों से आया, जिसमें अकेले कुवैत से 2.4% धन प्रेषण भारत आया।
  • प्रवासी कार्यबल की राज्यवार प्रवृत्ति: केरल प्रवास सर्वेक्षण (Kerala Migration Survey- KMS) वर्ष 2023 में अनुमान लगाया गया है कि केरल से प्रवासियों की संख्या 2.2 मिलियन है, जो वर्ष 2018 में दर्ज 2.1 मिलियन से थोड़ा अधिक है।
    • लेकिन घर लौटने वाले प्रवासियों की संख्या भी बढ़ गई है, जो वर्ष 2018 में 1.2 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2023 में 1.8 मिलियन हो गई है। 
    • अधिक महिलाएँ प्रवास कर रही हैं: महिला प्रवासियों की एक अन्य श्रेणी है, जिनकी संख्या एवं अनुपात में वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2018 में 15.8% से बढ़कर वर्ष 2023 में 19.1% हो गई है।

कफाला (प्रायोजन) प्रणाली [Kafala (Sponsorship) System]

  • पश्चिम एशिया के कई देशों में नियोक्ताओं और प्रवासी श्रमिकों के बीच संबंधों को विनियमित करने के लिए 1950 के दशक में कफाला (प्रायोजन) प्रणाली का उदय हुआ।
  • खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों और जॉर्डन एंड लेबनान में यह नियमित अभ्यास बना हुआ है।
  • उद्देश्य: अस्थायी, आवधिक श्रम प्रदान करना, जिसे देश में आर्थिक वृद्धि के दौरान इनकी संख्या में वृद्धि की जा सके और आर्थिक मंदी के दौरान जॉब से बाहर निकाला जा सके।
  • इस प्रणाली के तहत, राष्ट्र स्थानीय व्यक्तियों या कंपनियों को विदेशी मजदूरों को रोजगार देने के लिए प्रायोजन परमिट देता है। (बहरीन को छोड़कर, जहाँ श्रमिकों को व्यक्तिगत नियोक्ताओं के बजाय एक सरकारी एजेंसी द्वारा प्रायोजित किया जाता है)

खाड़ी देशों में भारतीय श्रमिकों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?

1. कफाला प्रणाली (Kafala System): यह प्रवासी मजदूर की कानूनी स्थिति को एक विशिष्ट नियोक्ता या प्रायोजक, जिसे कफील के रूप में जाना जाता है, से उनके अनुबंध की अवधि के लिए बाँध देता है। इसका मतलब है कि मजदूर की देश में प्रवेश करने, रहने और देश छोड़ने की क्षमता कफील द्वारा नियंत्रित होती है।

  • इससे उन श्रमिकों को परेशानी होती है, जिन्हें पासपोर्ट जब्त होने, नौकरी बदलने में कठिनाई और नियोक्ता द्वारा शोषण तथा दुर्व्यवहार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • आलोचक कभी-कभी इसे ‘आधुनिक समय में गुलामी’ की संज्ञा देते हैं।

2. जीवन की अमानवीय स्थितियाँ: भीड़-भाड़ वाले, असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर श्रम आवास, जो अपने निवासियों को देश में उत्पन्न होने वाली किसी भी आपात स्थिति के प्रति सबसे अधिक असुरक्षित बनाते हैं।

  • कुवैत में कोविड महामारी संबंधी लॉकडाउन की कुछ सबसे भेदभावपूर्ण प्रथाएँ थीं, विशेष रूप से जलेब, महबूला और हसाविया जैसे प्रवासी श्रमिकों की घनी आबादी वाले क्षेत्रों में।

3. भर्ती संबंधी कदाचार: अधिकांश मेजबान देशों में नियोक्ताओं को भर्ती शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता होती है, यह अक्सर श्रमिकों को दिया जाता है, जो उन्हें भुगतान करने के लिए ऋण लेते हैं या भर्तीकर्ता के ऋणी हो जाते हैं।

4. नियोक्ता पर उच्च निर्भरता: श्रमिकों के रोजगार और निवास वीजा जुड़े हुए हैं और केवल प्रायोजक ही उन्हें नवीनीकृत या समाप्त कर सकते हैं, यह प्रणाली राष्ट्र के बजाय निजी एजेंसियों को श्रमिकों की कानूनी स्थिति पर नियंत्रण प्रदान करती है, जिससे उनके शोषण की संभावना प्रबल हो जाती है।

5. जबरन श्रम: ज्यादातर स्थितियों में, श्रमिकों को नौकरी बदलने, रोजगार समाप्त करने और मेजबान देश में प्रवेश करने या बाहर निकलने के लिए अपने प्रायोजक की अनुमति की आवश्यकता होती है।

  • बिना अनुमति के कार्यस्थल छोड़ना एक अपराध है, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारी को संभवतः कारावास या निर्वासन हो सकता है, भले ही कर्मचारी दुर्व्यवहार से बचकर भाग रहा हो।

6. आँकड़ों का अभाव और प्रवासियों का अदृश्य होना: प्रवासियों के बारे में आँकड़ों का अभाव है, उनके मूल और गंतव्य दोनों देशों में, जो उनके मुद्दों के समाधान में एक बड़ी चुनौती है।

  • उदाहरण के लिए कतर में, विभिन्न एजेंसियों के आँकड़ों में स्पष्टता और एकरूपता की कमी के कारण प्रवासी श्रमिक, विशेषकर कम वेतन वाली नौकरियों में लगे श्रमिक, कम दिखाई देते थे।

7. वेतन से संबंधित मुद्दे: केरल में वंदे भारत से लौटे 2,000 लोगों के बीच रिटर्न माइग्रेशन सर्वेक्षण किया गया, जिससे पता चला कि-

  • 47% लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है
  • 39% लोगों ने वेतन न मिलने और वेतन में कटौती की बात कही है

8. प्रतिकूल कार्य स्थितियाँ: इनमें से अधिकांश प्रवासी असंगठित क्षेत्र में कार्य करते हैं, जैसे निर्माण स्थलों और कारखानों में, जहाँ उन्हें अक्सर प्रतिकूल कार्य स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

अपने प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए उपाय

  • वर्ष 1983 का उत्प्रवास अधिनियम (Emigration Act of 1983)
    • यह भारतीय श्रमिकों के प्रवासन को विनियमित करने के लिए कानूनी ढाँचा  प्रदान करता है।
    • यह भर्ती एजेंसियों को उत्प्रवास प्रक्रियाओं पर पंजीकरण और नियमों का पालन करने का आदेश देता है।
  • न्यूनतम रेफरल वेतन (Minimum Referral Wages – MRW): भारत से बाहर प्रवासन मंजूरी के लिए, MRWs भारतीय सरकार द्वारा स्वीकार्य न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करते हैं।
    • यह सुनिश्चित करता है कि भारत के प्रवासी श्रमिकों को कुछ देशों में न्यूनतम वेतन मिले। 
    • यह उन्हें मानक से बहुत कम वेतन देने वाले नियोक्ताओं द्वारा शोषण किए जाने से बचाता है।
  • E-माइग्रेट (E-Migrate): विदेशों में रोजगार को विनियमित करने के लिए, विशेष रूप से कम शिक्षित ब्लू कॉलर श्रमिकों की सुरक्षा के लिए, उत्प्रवास जाँच आवश्यक प्रक्रिया को ‘E-माइग्रेट’ नामक एक अद्वितीय कंप्यूटरीकृत प्रणाली के माध्यम से विनियमित किया जाता है।
  • समझौता ज्ञापन: भारत ने गतिशीलता और प्रवासन पर खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के लगभग सभी देशों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • प्रस्थान-पूर्व अभिमुखीकरण कार्यक्रम (Pre-Departure Orientation Programs- PDOS):  इस कार्यक्रम का उद्देश्य, मुख्य रूप से खाड़ी क्षेत्र और अन्य निर्दिष्ट देशों में जाने वाले संभावित भारतीय प्रवासी श्रमिकों के कौशल को गंतव्य देश की संस्कृति, भाषा, परंपरा और स्थानीय नियमों और विनियमों के संदर्भ में बढ़ाना है।
  • प्रवासी भारतीय बीमा योजना (Pravasi Bharatiya Bima Yojana- PBBY): यह एक अनिवार्य बीमा योजना है, जो रोजगार के लिए विदेश जाने वाले सभी उत्प्रवास जाँच अपेक्षित (Emigration Check Required- ECR) श्रेणी के भारतीय प्रवासी श्रमिकों को जीवन और दिव्यांगता कवर प्रदान करती है।

प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय

1. कुवैत त्रासदी ने नए उत्प्रवास कानून की आवश्यकता को रेखांकित किया

  • उत्प्रवास अधिनियम में विदेशों में भारतीयों की सहायता के लिए मानकीकृत मानक प्रचालन प्रक्रियाओं (Standard Operating Procedures- SOP) का अभाव है।
    • उदाहरण के लिए कोविड के दौरान, जब खाड़ी देशों के साथ प्रवासी वेतन का मुद्दा था तो भारत सरकार के पास उनके अवैतनिक वेतन या सेवा समाप्ति लाभों की वसूली के लिए एक प्रभावी तंत्र का अभाव था, जो कि कई लोगों के लिए लाखों रुपये था। 
    • इस बीच, फिलीपींस जैसे छोटे प्रवासी देशों ने इस तरह की मजदूरी चोरी के खिलाफ सक्रिय रूप से लड़ाई लड़ी।
  • एक और कारण जिसके लिए अद्यतन उत्प्रवास अधिनियम आवश्यक है: प्रवासी भारतीय बीमा योजना (Pravasi Bharatiya Bima Yojana- PBBY) के तहत भारत सरकार रोजगार के लिए प्रवास करने वाले भारतीयों हेतु अन्य लाभों के साथ-साथ आकस्मिक मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता के मामले में 10 लाख रुपये का बीमा कवरेज प्रदान करती है।
    • मौजूदा उत्प्रवास अधिनियम में समस्या: यह पासपोर्ट की दो श्रेणियों, उत्प्रवास मंजूरी आवश्यक (Emigration Clearance Required- ECR) और उत्प्रवास मंजूरी आवश्यक नहीं (Emigration Clearance Not Required- ECNR) का प्रावधान करता है।
    • अंडर-मैट्रिकुलेट श्रमिकों के पास मौजूद पासपोर्ट ECR श्रेणी के होते हैं।
      • यदि ऐसे श्रमिक उपर्युक्त 18 देशों में प्रवास करना चाहते हैं तो उन्हें ई-माइग्रेट प्रणाली का उपयोग करना होगा तथा बीमा योजना की सदस्यता लेना भी अनिवार्य है।
  • मौजूदा प्रवासन कानून में मानवाधिकार ढाँचे का अभाव: इस विधेयक की आलोचना इस आधार पर की जा रही है कि इसमें प्रवासियों एवं उनके परिवारों के अधिकारों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से मानवाधिकार ढाँचे का अभाव है।

2. प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए भर्ती, प्रायोजन प्रणाली, रोजगार वीजा आदि से संबंधित कुछ संरचनात्मक परिवर्तन

  • भर्ती: प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए भर्ती प्रक्रिया में सुधार, औपचारिकता और निगरानी की जानी चाहिए।
  • प्रायोजन प्रणाली: इसकी खामियों को दूर किया जाना चाहिए, व्यक्तिगत प्रायोजन प्रणाली को बंद कर दिया जाए तथा इसके स्थान पर गंतव्य देश में राष्ट्रीय रोजगार कार्यालय या श्रम मंत्रालय (MOL) को भर्ती प्रक्रिया की देखरेख के लिए स्थापित किया जाए।
  • वीजा मुद्दा: प्रायोजक के बजाय रोजगार वीजा के द्वारा गंतव्य देश में प्रवासी श्रमिकों के प्रवेश को विनियमित किया जाना चाहिए।
    • रोजगार आधारित वीजा से श्रमिकों को एक महीने के नोटिस के भीतर इस्तीफा देने का अधिकार मिलेगा।
  • प्रवासी श्रमिक के पास प्रत्येक समय उसका पासपोर्ट, यात्रा दस्तावेज और मोबाइल फोन होना चाहिए। 
  • अंतरिम कार्य परमिट और आश्रय आवंटन की निगरानी तथा विवाद मामलों की प्रगति की निगरानी के लिए एक निगरानी प्रणाली शुरू करना।

3. मूल और गंतव्य देशों को प्रमुख ILO अभिसमयों का अनुसमर्थन और कार्यान्वयन करना चाहिए:

  • रोजगार के लिए प्रवासन और सिफारिश (संशोधित), 1949 के संबंध में C97
  • प्रवासी श्रमिक (अनुपूरक प्रावधान), 1975 के संबंध में C143 
  • निजी रोजगार एजेंसियों, 1997 पर C181 
  • घरेलू कामगारों के लिए सभ्य कार्य के संबंध में, 2011 C189

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (International Labour Organization- ILO) 

  • यह वर्ष 1919 के बाद से एकमात्र त्रिपक्षीय संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है। यह श्रम मानकों को निर्धारित करने, नीतियों को विकसित करने और सभी महिलाओं और पुरुषों के लिए सभ्य कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार करने के लिए 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाती है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुख्य कन्वेंशन क्या हैं?

  • आठ आधारभूत कन्वेंशन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ढाँचे का एक अभिन्न अंग हैं और उनका अनुसमर्थन सदस्य राज्यों की मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता का एक महत्त्वपूर्ण संकेत है।
  • 183 सदस्य राष्ट्रों में से 135 सदस्य राष्ट्रों ने सभी आठ आधारभूत कन्वेंशन का अनुसमर्थन किया है।
  • सबसे अधिक आबादी वाले सदस्य राष्ट्रों सहित 48 सदस्य राष्ट्रों ने अभी तक सभी आठ कन्वेंशनों का अनुसमर्थन पूरा नहीं किया है।
  • ILO के आठ मुख्य कन्वेंशन हैं:-
    1. जबरन श्रम कन्वेंशन (संख्या 29)
    2. जबरन श्रम उन्मूलन कन्वेंशन (संख्या105)
    3. समान पारिश्रमिक कन्वेंशन (संख्या 100)
    4. भेदभाव (रोजगार व्यवसाय) कन्वेंशन (संख्या 111)
    5. न्यूनतम आयु कन्वेंशन (संख्या 138)
    6. बाल श्रम की सबसे खराब स्थिति पर कन्वेंशन (संख्या 182)
    7. संघ की स्वतंत्रता और संगठित होने के अधिकार का संरक्षण कन्वेंशन (संख्या 87)
    8. संगठित होने का अधिकार और सामूहिक सौदेबाजी कन्वेंशन (संख्या 98)

निष्कर्ष

हालाँकि भारत गंतव्य देश में अपने लोगों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए सबसे अधिक प्रवासी भेजने वाले देशों में से एक होने की क्षमता का दोहन करने में अभी तक पूरी तरह से सफल नहीं हुआ है, किंतु अब समय आ गया है कि भारत को प्रवासियों के लिए गंतव्य पर सुरक्षित प्रवास और जीवन सुनिश्चित करने के लिए सबसे कुशल बुनियादी ढाँचे वाले देश के रूप में जाना जाए, न कि केवल सबसे अधिक प्रवासी भेजने वाले देश के रूप में जाना जाए, जो सबसे अधिक धन प्राप्त करता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.