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भारतीय रेल प्रणाली के प्राथमिकताओं की समीक्षा

Lokesh Pal June 20, 2024 05:00 114 0

संदर्भ: 

भारतीय रेलवे 16 जून को पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी के पास एक मालगाड़ी के यात्री ट्रेन से टकरा जाने के बाद फिर से चर्चा में है, जिसमें कम से कम 9 लोगों की म्रत्यु हो गई और तकरीबन 40 से अधिक लोग घायल हो गए।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: रेलवे बोर्ड, मिशन रफ्तार, समर्पित माल गलियारा (डीएफसी), वंदे भारत ट्रेनें आदि। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारतीय रेलवे की नीतियों की प्रभावशीलता, भारतीय रेलवे की सुरक्षा चिंताएं, आदि।

भारतीय रेलवे में पिछले दो दशकों की गलत प्राथमिकताएँ:

  • 1995 के बाद से देश में सात सबसे भयावह रेल दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिनमें से पाँच रेल दुर्घटनाओं में तकरीबन 200 से अधिक की संख्या में लोगों की मृत्यु हो गई – सबसे अधिक मौतें, 358, वर्ष1995 में फिरोजाबाद रेल दुर्घटना में दर्ज की गई थी।
  • लगभग एक वर्ष पूर्व ओडिशा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटनाओं में 287 लोगों की मृत्यु हो गई थी।
  • इन सात रेल दुर्घटनाओं में कुल 1,600 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई।
  • भारतीय रेलवे ने यात्री और माल ढुलाई दोनों क्षेत्रों में लगातार बाजार हिस्सेदारी खो दी है।
  • वास्तव में, 2010-12 से माल और यात्री यातायात दोनों की कुल मात्रा स्थिर या घट गई है, जबकि हवाई और सड़क यातायात में प्रत्येक वर्ष 6-12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • 2019-20 के बाद से लेकर वर्तमान तक की अवधि के लिए रेलवे ने यातायात के ये आँकड़े सार्वजनिक नहीं किए हैं।
  • पिछले दो दशकों में, रेलवे बोर्ड, जो कि केंद्रीय रेल मंत्री के अधीन सर्वोच्च प्रशासनिक निकाय है, एक पतवारविहीन जहाज रहा है, जिसमें भारतीय रेल नेटवर्क के भविष्य के विकास और विस्तार के लिए नीतियों और योजनाओं में अचानक परिवर्तन होते रहे हैं।
  • यह अपनी अत्यंत धीमी गति वाली रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने में असफल रहा है, रेलगाड़ियों की समयपालनता में कोई सुधार नहीं हुआ है, तथा सुरक्षा भी चिंताजनक बनी हुई है।
  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने हाल ही में भारतीय रेल पर सुरक्षा, गति और समय की पाबंदी पर दो महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की हैं।
  • वर्ष 2019-20 के लिए गति और समय की पाबंदी पर रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि वर्ष 2014 से 2019 के मध्य मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत गति में कोई वृद्धि नहीं हुई है – यह 50 से 51 किमी प्रति घंटे पर बनी हुई है, जबकि मिशन रफ्तार के तहत 75 किमी प्रति घंटे की औसत गति हासिल करने का दावा किया गया था, जो वर्ष 2005 से प्रत्येक पाँच से सात वर्षों में किसी न किसी रूप में सामने आता रहा है।
  • जहाँ तक ​​मालगाड़ियों का सवाल है, औसत गति में मामूली गिरावट आई है, जो बोर्ड के दावे के विपरीत है।
  • यहाँ यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि 20 वर्ष पूर्व भारतीय रेल ने कोच और लोकोमोटिव बनाने के लिए प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमताएँ हासिल की थीं, ताकि अधिकतम परिचालन गति को 110-130 किमी प्रति घंटे से बढ़ाकर 160-200 किमी प्रति घंटे तक किया जा सके।
  • दुर्घटनाओं पर आधारित दूसरी सीएजी रिपोर्ट भी उतनी ही चिंताजनक है।
  • यद्यपि दुर्घटनाओं की संख्या में कुछ कमी आई है, लेकिन इसका मुख्य कारण मानवरहित रेलवे क्रॉसिंगों पर कर्मियों की तैनाती है।
  • रिपोर्ट में परिसंपत्ति विफलताओं, विशेषकर सिग्नल विफलताओं और रेल फ्रैक्चर की निरंतर उच्च दर के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की गई है।
  • भारतीय रेल पर सबसे भयानक दुर्घटनाएँ इन्हीं कारणों से हुई हैं। पिछले वर्ष बालासोर में हुई कई ट्रेनों की टक्कर सिग्नल फेल होने के कारण हुई थी।
  • इन दोनों सीएजी रिपोर्टों का सार यह है कि परिसंपत्ति विफलता की उच्च दर, तथा मौजूदा भारतीय रेल नेटवर्क में गति और क्षमता संबंधी अनेक बाधाओं के कारण अपर्याप्त सुरक्षा, समय की पाबंदी और गति में ठहराव की स्थिति उत्पन्न हुई है।
  • जबकि भारतीय रेल का मौजूदा नेटवर्क नीचे की ओर गिरता जा रहा था, तथा हर गुजरते साल के साथ इसकी तीव्रता बढ़ती जा रही थी, देश में अत्यधिक महंगी परियोजनाओं की बाढ़ आ गई थी, जिनकी वित्तीय व्यवहार्यता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग रहे थे।
  • उदाहरण के लिए, इसमें कई स्टैंडअलोन बुलेट-ट्रेन लाइनों की योजनाएँ शामिल थीं, जिन्हें मुख्य ब्रॉड गेज नेटवर्क से अलग कर दिया जाएगा क्योंकि ये लाइनें मानक गेज पर बनाई जाएँगी, और समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (DFC), जो भारी और लंबी ट्रेनों के लिए विशेष होंगे। पहली बुलेट-ट्रेन लाइन का निर्माण वर्ष 2017 में शुरू किया गया था।
  • इससे पहले, वर्ष 2012 में दो डीएफसी का निर्माण कार्य शुरू किया गया था।
  • पिछले तीन वर्षों में, देश में लगभग 50 जोड़ी “अर्ध-उच्च गति” वाली वंदे भारत रेलगाड़ियां शुरू की गई थीं, जो गति से अधिक और सौंदर्य पर आधारित हैं।

निष्कर्ष: 

निष्कर्षतः सुरक्षा और दक्षता की अपेक्षा महंगी परियोजनाओं पर भारतीय रेलवे के ध्यान के कारण विकास अवरुद्ध हो गया है, दुर्घटना दर बढ़ गई है तथा गति और समय की पाबंदी में न्यूनतम सुधार हुआ है।

मुख्य परीक्षा पर आधरित प्रश्न: 

प्रश्न : सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने में पिछले दो दशकों में भारतीय रेलवे की नीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें। इन नीतियों ने रेल दुर्घटनाओं की दर और रेलवे नेटवर्क पर समग्र सुरक्षा को कैसे प्रभावित किया है? टिपण्णी कीजिए | (15 अंक, 250 शब्द)

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