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मेथनॉल विषाक्तता

Lokesh Pal June 24, 2024 03:33 134 0

संदर्भ

तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में मेथनॉल मिली नकली शराब पीने से कई लोगों की जान चली गई। 

संबंधित तथ्य

  • तमिलनाडु: तमिलनाडु में शराब की बिक्री राज्य द्वारा नियंत्रित की जाती है, जहाँ मेथनॉल के निर्माण, व्यापार, भंडारण और बिक्री के लिए वर्ष 1959 के नियमों के तहत लाइसेंस की आवश्यकता होती है।

शराब के बारे में 

  • सभी मादक पेय पदार्थ किसी-न-किसी तरह के शर्करायुक्त पेय को एथेनॉल और CO2 में किण्वित करके बनाए जाते हैं।
    • उच्च अल्कोहल सांद्रता प्राप्त करने के लिए आसवन एक अतिरिक्त प्रक्रिया है।
  • शराब एक मादक पेय है जो अनाज, फल, सब्जियों या चीनी के आसवन से बनाया जाता है, जो पहले से ही मादक किण्वन प्रक्रिया से गुजर चुके होते हैं।
  • आसवन: आसवन प्रक्रिया (वाष्पीकरण एवं संघनन का उपयोग करके किण्वित मिश्रण से अल्कोहल को भौतिक रूप से अलग करना) के बाद इन तरल पदार्थों में अल्कोहल का प्रतिशत बढ़ जाता है, जिससे उनमें अल्कोहल की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है, जो आमतौर पर 38% ABV से अधिक होती है।
    • शराब हमेशा बिना शुगर वाली होती है और उसमें कोई अतिरिक्त शुगर नहीं होती है।
  • उदाहरण:  रम (Rum), वोदका (Vodka), ब्रांडी (Brandy), टकिला (Tequila), व्हिस्की (Whisky) और जिन (Gin) शराब हैं, क्योंकि ये सभी आसवन प्रक्रिया से गुजरती हैं, जबकि बीयर (एल्कोहल सामग्री 5%) और वाइन (एल्कोहल सामग्री 12%) शराब नहीं हैं। 

  • पिछले वर्ष भी राज्य के चेंगलपट्टू (Chengalpattu) और विल्लुपुरम् (Villupuram) जिलों में जहरीली शराब पीने से लगभग 20 लोगों की मौत हो गई थी।
    • पुलिस ने निर्धारित किया कि अरक (Arrack) विक्रेताओं (अरक, ताड़ के पेड़ के किण्वित रस से आसवित किया जाता है) ने कारखानों से औद्योगिक-ग्रेड मेथनॉल खरीदा था और इसे पीड़ितों को बेचा था।

नकली शराब (Spurious Liquor) या हूच (Hooch)

  • हूच (Hooch): इसे आमतौर पर खराब गुणवत्ता वाली शराब माना जाता है या यह नशा करने के लिए बनाई गई शराब है।
    • यह हूचिनो (Hoochinoo) नामक अलास्का की एक मूल जनजाति से उत्पन्न हुआ है, जो बहुत प्रभावी शराब बनाने के लिए जानी जाती थी। 
  • उत्पादन प्रक्रिया: हूच का उत्पादन बहुत अधिक अपरिष्कृत वातावरण में किण्वित मिश्रण, आमतौर पर स्थानीय रूप से उपलब्ध खमीर, चीनी या फल (अक्सर फलों के अपशिष्ट) के आसवन द्वारा किया जाता है। 
    • प्राथमिक सेटअप (Rudimentary Setup): इसमें एक बड़ा बर्तन होता है, जिसमें मिश्रण को उबाला जाता है, जो वाष्पित होकर एक पाइप के माध्यम से दूसरे बर्तन में जाता है, जहाँ सांद्रित अल्कोहल को संघनित किया जाता है। ज्यादा प्रभावी अल्कोहल बनाने के लिए आसवन के कई दौर क्रियान्वित किए जाते हैं।

मेथनॉल क्या है?

  • रासायनिक सूत्र: मेथनॉल अणु (CH3OH) में एक कार्बन परमाणु तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक हाइड्रॉक्सिल समूह होता है।
  • उत्पादन: मेथनॉल का उत्पादन कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन को उत्प्रेरक के रूप में कॉपर और जिंक ऑक्साइड की उपस्थिति में 50-100 atm दाब और 250 डिग्री सेल्सियस पर संयोजित करके किया जाता है।
  • अनुप्रयोग: मेथनॉल के औद्योगिक अनुप्रयोगों में इसे एसिटिक एसिड, फॉर्मेल्डिहाइड और एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन के अग्रदूत के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग विलायक और एंटीफ्रीज एलिमेंट के रूप में भी किया जाता है।
  • कानून और विनियमन
    • खाद्य सुरक्षा और मानक (मादक पेय) विनियम 2018 [The Food Safety and Standards (Alcoholic Beverages) Regulations 2018]: यह विभिन्न प्रकार की शराबों में मेथनॉल की अधिकतम स्वीकार्य मात्रा निर्धारित करता है।
      • सीमा: ये मान व्यापक सीमा में फैले हुए हैं, जिनमें नारियल फेनी में ‘अनुपस्थित’, देशी शराब में 50 ग्राम प्रति 100 लीटर, तथा पॉट-डिस्टिल्ड स्पिरिट में 300 ग्राम प्रति 100 लीटर शामिल हैं।
    • मेथनॉल को खतरनाक रसायन निर्माण, भंडारण और आयात नियम 1989 की अनुसूची I में शामिल किया गया है।
    • गुणवत्ता: मेथनॉल की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए भारतीय मानक IS 517 लागू होता है।
    • पैकेजिंग: तमिलनाडु विकृत स्पिरिट, मिथाइल अल्कोहल और वार्निश (फ्रेंच पॉलिश) नियम, 1959 में यह निर्धारित किया गया है कि मेथनॉल पैकेजिंग पर क्या संकेत अंकित होने चाहिए।

मेथनॉल विषाक्तता (Methanol Poisoning) 

  • मानव शरीर में सांद्रता
    • एक बार मेथनॉल लेने के 48 घंटे बाद भी शरीर में लगभग 33% मेथनॉल मौजूद रह सकता है। यह जठराँत्र संबंधी मार्ग के जरिए पूरी तरह से अवशोषित हो जाता है और रक्त में मेथनॉल का स्तर 90 मिनट के भीतर अपने अधिकतम स्तर पर पहुँच सकता है।
    • प्राकृतिक उपस्थिति: हालाँकि, कुछ फलों को खाने के परिणामस्वरूप मानव शरीर में मेथनॉल की अत्यल्प मात्रा (स्वस्थ व्यक्तियों की सांस में 4.5 PPM) मौजूद होती है।
      • प्रति किलोग्राम शारीरिक भार पर 0.1 मिली लीटर से अधिक शुद्ध मेथनॉल मानव शरीर के लिए विनाशकारी हो सकता है।
  • मेटाबोलिक एसिडोसिस (Metabolic Acidosis): मेथनॉल के नियमित सेवन से मेटाबोलिक एसिडोसिस नामक स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिसमें शरीर में समय के साथ फॉर्मिक एसिड का संचय होता है।
    • प्रक्रिया: ADH एंजाइम मेथनॉल को लीवर में मेटाबोलाइज करके फॉर्मेल्डिहाइड (H-CHO) बनाते हैं। फिर ALDH एंजाइम फॉर्मेल्डिहाइड को फॉर्मिक एसिड (HCOOH) में बदल देते हैं, जो जमा होने पर मेटाबोलिक एसिडोसिस नामक स्थिति उत्पन्न करता है।
      • फॉर्मिक एसिड साइटोक्रोम ऑक्सीडेज नामक एंजाइम के उत्पादन को भी प्रभावित करता है, जिससे कोशिकाओं की ऑक्सीजन का उपयोग करने की क्षमता बाधित होती है और लैक्टिक एसिड का निर्माण होता है तथा  एसिडोसिस में योगदान देता है।
        • खाने के लगभग 18-24 घंटे बाद फॉर्मिक एसिड शरीर में खतरनाक मात्रा में जमा होना शुरू हो जाता है, जिससे ऑप्टिक तंत्रिका, गुर्दे, हृदय और मस्तिष्क प्रभावित होते हैं।
    • रक्त का अम्लीकरण: मेटाबोलिक एसिडोसिस आगे चलकर एसिडेमिया की ओर ले जाता है, अर्थात् जब रक्त का pH अपने सामान्य मान 7.35 से नीचे चला जाता है, तो यह तेजी से अम्लीय हो जाता है। 

जोखिम

  • मेथनॉल के सेवन से मेथनॉल-प्रेरित ऑप्टिक न्यूरोपैथी हो सकती है।
    • यह एक गंभीर स्थिति है, जो ऑप्टिक तंत्रिका और रेटिना की कार्यक्षमता को नुकसान पहुँचाती है और इसकी वजह से दीर्घकालिक या अपरिवर्तनीय दृश्य हानि या यहाँ तक ​​कि अंधापन भी हो सकता है।
      • मेथनॉल का सेवन करने वाले 50% लोगों में नेत्र-संबंधी प्रभाव (Ophthalmic Effects) देखा गया है तथा यह 24 घंटों के भीतर स्पष्ट हो जाता है।
    • मेथनॉल-विषाक्तता से मस्तिष्क एडिमा, रक्तस्राव और मृत्यु भी हो सकती है।

भारत में शराब निषेध

  • भारतीय संविधान में 
    • अनुच्छेद-47: राज्य, विशेष रूप से मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक औषधियों के औषधीय प्रयोजनों को छोड़कर उपभोग पर प्रतिषेध लगाने का प्रयास करेगा।
    • 7वीं अनुसूची: शराब राज्य का विषय है, इसलिए राज्यों को ‘मादक शराब के उत्पादन, निर्माण, कब्जे, परिवहन, खरीद और बिक्री’ के संबंध में कानून का मसौदा तैयार करने का अधिकार एवं जिम्मेदारी है।
  • वर्तमान स्थिति: बिहार, गुजरात, मिजोरम और नागालैंड राज्यों में शराब पर प्रतिबंध है, जबकि लक्षद्वीप और मणिपुर में आंशिक प्रतिबंध है।

  • मेथनॉल विषाक्तता का उपचार
    • फार्मास्यूटिकल-ग्रेड एथेनॉल का विनियमित करना: ADH एंजाइमों के लिए एथेनॉल मेथनॉल के साथ बहुत अच्छी तरह से प्रतिस्पर्द्धा करता है, जो इथेनॉल को लगभग 10 गुना तेजी से चयापचय करता है। नतीजतन, मेथनॉल को फॉर्मेल्डिहाइड में चयापचय होने से रोका जाता है।
    • एंटीडोट: फोमेपिजोल नामक एंटीडोट का प्रयोग किया जाना आवश्यक है, जो ADH एंजाइम्स की क्रिया को धीमा कर देता है, जिससे शरीर में फॉर्मेल्डिहाइड का उत्पादन इतनी तेजी से होने लगता है कि शरीर उसे शीघ्रता से उत्सर्जित कर सकता है।
      • फोमेपिजोल (Fomepizole) और फोलिनिक (Folinic) एसिड दोनों ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में हैं।
    • फोलिनिक एसिड (Folinic Acid): यह फॉर्मिक एसिड को कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विखंडन के लिए प्रोत्साहित करता है।
    • डायलिसिस: व्यक्ति को रक्त से मेथनॉल और फॉर्मिक एसिड लवणों को हटाने तथा गुर्दे और रेटिना को होने वाली क्षति को कम करने के लिए डायलिसिस भी करवाना पड़ सकता है।

एथेनॉल (Ethanol) 

  • रासायनिक सूत्र: CH3CH2OH, C2H5OH, C2H6O या EtOH, जहाँ Et का अर्थ एथिल अल्कोहल है।
  • एथेनॉल (जिसे एथिल अल्कोहल, पेय अल्कोहल भी कहा जाता है) एक कार्बनिक अल्कोहल यौगिक है और मादक पेय पदार्थों में एक सक्रिय घटक है।
  • विशेषताएँ: एथेनॉल एक वाष्पशील, ज्वलनशील, रंगहीन तरल पदार्थ है, जिसकी विशिष्ट गंध शराब जैसी और स्वाद तीखा होता है।
  • साइकोएक्टिव ड्रग: एथेनॉल मूल रूप से एक साइकोएक्टिव ड्रग या अवसादक है, जो कम खुराक में शरीर में न्यूरोट्रांसमिशन के स्तर को कम कर देता है, जिससे इसके विशिष्ट नशीले प्रभाव होते हैं और कैफीन के बाद विश्व स्तर पर दूसरी सबसे अधिक खपत वाली दवा है।
  • उत्पादित: यह स्वाभाविक रूप से खमीर द्वारा शर्करा की किण्वन प्रक्रिया या एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पादित होता है।
  • मानव शरीर रचना: मानव शरीर के अंदर, एथेनॉल का चयापचय यकृत और आमाशय में एल्कोहल डिहाइड्रोजनेज (ADH) एंजाइम द्वारा एसिटैल्डिहाइड (Acetaldehyde) में होता है।
    • फिर, एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज (ALDH) एंजाइम एसीटेल्डिहाइड को एसीटेट में बदल देते हैं।
    • शराब के सेवन से होने वाले प्रतिकूल प्रभाव, हैंगओवर से लेकर कैंसर तक, एसीटेल्डिहाइड के कारण होते हैं।
  • अनुप्रयोग: एथेनॉल का उपयोग ऐतिहासिक रूप से एक सामान्य संवेदनाहारी के रूप में किया जाता था तथा आधुनिक चिकित्सा में इसका उपयोग एंटीसेप्टिक, कीटाणुनाशक, कुछ दवाओं के लिए विलायक तथा मेथनॉल विषाक्तता और एथिलीन ग्लाइकॉल विषाक्तता के लिए प्रतिविष के रूप में किया जाता है।

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