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परीक्षण की विश्वसनीयता : राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी में सुधार की आवश्यकता

Lokesh Pal June 22, 2024 05:45 117 0

संदर्भ: 

हाल ही में नीट (NEET) परीक्षा विवाद के पश्चात, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा यूजीसी-नेट परीक्षा को उसके कथित “सफल आयोजन” के ठीक एक दिन बाद रद्द करने का निर्णय लिया है जो एजेंसी की विश्वसनीयत्ता, पारदर्शिता व प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली एक और चुनौती है।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: यूजीसी-नेट परीक्षा, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए), एनईईटी-यूजी आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में प्रवेश परीक्षाओं की अखंडता एवं चुनौतियाँ तथा समाधान के उपाय आदि।

राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) में सुधार की आवश्यकता:

  • इस वर्ष की NEET-UG (चिकित्सा परीक्षा) में अनियमितताओं और JEE (इंजीनियरिंग) के बारे में शिकायतों के बाद, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) आरोपों के भारी दबाव में है।
  • कुछ मायनों में, शिक्षा मंत्रालय की कार्रवाई, वर्तमान में चल रहे NEET विवाद के प्रति उसकी प्रतिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है, तथा ऐसा प्रतीत होता है कि उसने कुछ सबक सीखे हैं।
  • शिक्षा मंत्रालय ने  गृह मंत्रालय की साइबर अपराध टीम की सूचना के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की, वह भी अभ्यर्थियों की ओर से कोई औपचारिक शिकायत किए बिना, जबकि नीट मामले में इसने पेपर लीक के अनेक आरोपों और पुलिस शिकायतों के बावजूद समितियों और अदालती मामलों के माध्यम से अपने कदम पीछे हटा लिए थे।
  • शिक्षा मंत्रालय ने तुरंत प्रतिक्रिया जताते हुए, यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द कर दी और अभ्यर्थियों से नये सिरे से परीक्षा कराने का वादा किया।
  • साथ ही मामले की जांच सीबीआई से करने को कहा है, जबकि इसी तरह की जांच की NEET अभ्यर्थियों की लगातार मांग पर ध्यान नहीं दिया गया है।
  • हालांकि, नौ लाख से अधिक यूजीसी-नेट अभ्यर्थियों के लिए, जिन्होंने महीनों तक अध्ययन किया और फिर अपने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय की, जिनमें से कुछ ने अपनी लागत को पूरा करने के लिए ऋण लिया, उनके लिए ऐसी स्थितियाँ एक चुनौती बनी हुयी है।
  • नौ लाख से अधिक (यूजीसी-नेट) इन युवाओं को राहत व न्याय मिलना चाहिए जबकि अभी भी अधिकांश प्रश्न अनुत्तरित हैं।
  • एक महत्वपूर्ण सवाल  यह भी उभरकर आ रहा है कि अब तक सरकार के शिक्षा प्रतिष्ठान में किसी ने भी यह नहीं बताया है कि 2018 तक नेट परीक्षा सीबीएसई द्वारा आयोजित एक ऑफलाइन परीक्षा क्यों थी, उसके बाद इसे एनटीए ने अपने अधीन ले लिया और यह एक ऑनलाइन परीक्षा बन गई, और इस वर्ष से इसे वापस ऑफलाइन, पेन-एंड-पेपर परीक्षा में बदल दिया गया, जिसमें पेपर लीक होने की संभावना अधिक है।
  • जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, पूर्ण पारदर्शिता ही एनटीए की विश्वसनीयता को उम्मीदवारों की नजरों में पुनः प्राप्त करने की कुंजी होगी।
  • दूसरा यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों पर उचित कार्यवाही और दंड लगाया जाये ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की आवृति न होने पाये।
  • सरकार को एनटीए की प्रणालियों और कार्मिकों में भी बदलाव पर विचार करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस वर्ष परीक्षाओं में तकनीकी गड़बड़ियां, नकल, पेपर लीक और प्रॉक्सी अभ्यर्थियों की समस्या पर प्रतिबंध लग सके।
  • भारत के लाखों शिक्षित युवाओं और सबसे युवा मतदाताओं का भाग्य दांव पर लगा होने के कारण, यह आश्चर्य की बात है कि परीक्षण एजेंसी की परेशानियां एक राजनीतिक मुद्दा बन गई हैं।
  • कुछ विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि एनटीए को खत्म कर दिया जाए।
  • विपक्ष का तर्क है कि इससे केन्द्र सरकार की केन्द्रीकरण की प्रवृत्ति पर अंकुश लग सकता है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, जिनका दूर-दराज के क्षेत्रों में प्रबंधन कठिन होता है।
  • हालाँकि, कुछ अखिल भारतीय परीक्षाएँ हमेशा बनी रहेंगी, और आवश्यकता इस बात की है कि राज्य सरकारें संकटग्रस्त परीक्षा प्रणाली की अखंडता को पुनः प्राप्त करने में केन्द्र के साथ शामिल हों।

निष्कर्ष: 

परीक्षा अनियमितताओं पर बढ़ती चिंताओं के बीच विश्वास हासिल करने के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रणालीगत सुधारों के माध्यम से विश्वसनीयता को तत्काल बहाल करना चाहिए ताकि उस पर लाखों युवाओं का विश्वास बना रहे। 

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: प्रवेश परीक्षाओं की जिम्मेदारी केंद्र सरकार से राज्यों को सौंपने के पक्ष और विपक्ष का मूल्यांकन करें। इससे भारत में इन परीक्षाओं के प्रबंधन और अखंडता पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 

(15 अंक, 250 शब्द)

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