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11 उम्मीदवारों ने ‘EVM बर्न मेमोरी’ को सत्यापित करने के लिए किया आवेदन

Lokesh Pal June 25, 2024 04:05 128 0

संदर्भ

पहली बार, लोकसभा 2024 और राज्य विधानसभा चुनावों के 11 उम्मीदवारों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की बैलेट इकाई (BU), कंट्रोल इकाई (CU) और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) इकाइयों में बर्न मेमोरी के सत्यापन का अनुरोध किया है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी अप्रैल 2024 का आदेश

  • सभी याचिकाओं को खारिज किया गया
    • उच्चतम न्यायालय ने चुनाव नियमों के संचालन से संबंधित धारा 49 MA के खिलाफ हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
      • यह धारा बेमेल वोटिंग (डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच) की गलत शिकायत करने वाले मतदाता को दंडित करती है क्योंकि शिकायत के निपटारे हेतु चुनाव अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 177 के तहत दंडात्मक कार्यवाही शुरू करनी पड़ती है।
    • उच्चतम न्यायालय ने देश भर में 100% EVM और VVPAT के सत्यापन का निर्देश देने से इनकार कर दिया।
      • वर्तमान में, किसी भी विधानसभा क्षेत्र में केवल 5% EVM-VVPAT की गणना को यादृच्छिक रूप से सत्यापित किया जाता है।
  • मतदान के बाद जाँच
    • प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र या प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 5% EVM के बर्न मेमोरी सेमीकंट्रोलर यानी कंट्रोल इकाई, बैलट इकाई और VVPAT की जाँच तथा सत्यापन, विशेषज्ञों की टीम द्वारा परिणामों की घोषणा के बाद किया जाएगा।
      • अनुरोध करने वाले उम्मीदवार द्वारा EVM जाँच की लागत दी जाएगी।
      • यदि EVM में छेड़छाड़ सत्यापित होता है तो जाँच की देय लागत को वापस किया जाएगा।

उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुख्य बिंदु

  • प्रावधान: उच्चतम न्यायालय ने दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को विधानसभा क्षेत्र या लोकसभा क्षेत्र में 5% EVM और VVPAT की ‘बर्न मेमोरी’ को सत्यापित कराने की अनुमति दी है।
    • यदि दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले दोनों उम्मीदवार जाँच के लिए आवेदन करते हैं, तो प्रत्येक को 2.5% EVM और VVPAT को सत्यापित कराने की अनुमति होगी।
  • आवश्यकताएँ: उम्मीदवारों को सत्यापित की जाने वाली EVM की पहचान करनी होगी।
    • परिणाम घोषित होने के सात दिनों के अंदर अनुरोध करना होगा अन्यथा अनुरोध स्वीकार नहीं किया जाएगा।
    • सत्यापन लागत का भुगतान उम्मीदवार को करना होगा, किंतु EVM छेड़छाड़ को सही पाए जाने पर लागत को वापस कर दिया जाएगा।
    • EVM (BU, CU और VVPAT) के प्रत्येक सेट के लिए संबंधित निर्माता को  40,000 रुपये (18% GST सहित) जमा कराना होगा।
  • दायर याचिका के सत्यापन की प्रक्रिया चुनाव परिणाम की घोषणा के 45 दिन बाद ही शुरू की जाती है।
    • यदि चुनाव संबंधी याचिका दायर की जाती है, तो सत्यापन की प्रक्रिया न्यायालय के आदेश के बाद ही शुरू होगी।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine- EVM) 

  • वहनीय उपकरण (Portable Instrument): EVM मशीन संसद, विधानमंडल, स्थानीय निकायों और नगर पालिकाओं जैसे पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव कराने के उद्देश्य से एक पोर्टेबल उपकरण है।
  • निर्माता: बंगलूरू में स्थित रक्षा मंत्रालय के सार्वजनिक उद्यम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को ECIL के साथ EVM निर्माण के लिए चुना गया था।
  • एक EVM में तीन इकाइयाँ होती हैं-
    • बैलेट इकाई (Ballot Unit)
    • नियंत्रण इकाई (Control Unit) – इस इकाई के माध्यम से प्रभारी अधिकारी सुनिश्चित करता है कि मतदाता अपने मत का प्रयोग केवल एक बार ही कर सके।
    • वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) इकाई- इस इकाई में प्रत्येक मत पेपर की एक पर्ची पर दर्ज होता है, जो मतदाता को लगभग सात सेकंड के लिए पारदर्शी स्क्रीन के माध्यम से दिखाई देता है, जिसके बाद यह पर्ची एक सीलबंद पेटी में संगृहीत हो जाती है।

  • नियंत्रण इकाई: EVM की नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी के पास रखी जाती है और बैलेटिंग इकाई को मतदाताओं के वोट डालने के लिए मतदान कक्ष में रखा जाता है।
  • कानूनी स्वीकृति: धारा 61A को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत शामिल किया गया है, जो भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को शक्ति प्रदान करती है।
    • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of People’s Act- RPA): यह अधिनियम भारत में चुनावों के संचालन को नियंत्रित करता है, साथ ही इसमें किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने या जनप्रतिनिधि की अयोग्यता संबंधी प्रावधानों का जिक्र है। 
  • विकास
    • ट्रायल-रन: पहली बार EVM का वर्ष 1982 में केरल के पारवूर विधानसभा क्षेत्र में परीक्षण के तौर पर प्रयोग किया गया था। 
    • राष्ट्रव्यापी तैनाती: वर्ष 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में सभी मतदान केंद्रों पर EVM का उपयोग किया गया था। 
      • वर्ष 2004 के लोकसभा आम चुनावों में सभी 543 निर्वाचन क्षेत्रों में EVM का उपयोग किया गया था। 
      • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में 100% VVPAT के साथ EVM का उपयोग किया गया था। 
    • उच्चतम न्यायालय का निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों के माध्यम से चुनावों में EVM के उपयोग की वैधता को बरकरार रखा है। 
      • सुब्रह्मण्यम स्वामी बनाम भारतीय चुनाव आयोग (2013) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के लिए पेपर ट्रेल एक अनिवार्य आवश्यकता है।

वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) 

  • स्वतंत्र प्रणाली: यह एक स्वतंत्र प्रणाली है, जिसमें दो भाग होते हैं-
    1. VVPAT प्रिंटर
    2. VVPAT स्टेटस डिस्प्ले यूनिट (VSDU)
    • VVPAT इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) से जुड़ा होता है, जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देता है कि उनका मत सही जगह पहुँचा है अथवा नहीं।
      • वोट डालने पर एक पर्ची छपती है, जिसपर उम्मीदवार का नाम, क्रम संख्या और चुनाव चिह्न अंकित होता है तथा यह पर्ची 7 सेकंड के लिए पारदर्शी खिड़की के माध्यम से दिखाई देता है।

  • उपयोग: पहली बार इसका उपयोग वर्ष 2013 में नागालैंड के नोकसेन निर्वाचन क्षेत्र में किया गया था तथा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में इसका उपयोग किया गया।
  • पहुँच: VVPAT मशीनों तक केवल मतदान अधिकारियों की पहुँच होती है।

बैलेट पेपर प्रणाली (Ballot Paper System)

  • पारंपरिक तरीका: यह मतदान का पारंपरिक तरीका है और मैनुअल या हाथ से गिनती वाली मतदान प्रणाली में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
  • मैनुअल मार्किंग (Manual Marking): मतदाता आमतौर पर उम्मीदवारों के नाम के आगे गोला या बॉक्स भरकर पेपर बैलेट पर अपनी पसंद को भौतिक रूप से चिह्नित करते हैं।
  • संग्रहण और गिनती: अपनी पसंद को चिह्नित करने के बाद मतदाता अपनी पर्ची को निर्दिष्ट मतपेटियों में डाल देते हैं। 
    • इसके बाद, चुनाव अधिकारी चुनाव परिणाम निर्धारित करने के लिए मैन्युअल रूप से मतपत्रों की गिनती करते हैं।
  • पारदर्शी प्रक्रिया: मतपत्र पर निशान लगाने से लेकर मतों की गिनती तक की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है, जो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता में विश्वास उत्पन्न करती है।

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