हाल ही में दक्षिण भारत की पहली और देश की सबसे बड़ी तेंदुआ सफारी का उद्घाटन बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (BBP) में किया गया।
सफारी के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के दिशा-निर्देश:सफारी के लिए 20 हेक्टेयर क्षेत्र का सीमांकन कर उसे बाड़ से घेर दिया गया है।
बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान
अवस्थिति: यह कर्नाटक के बंगलूरू के पास, अनेकल रेंज की पहाड़ियों में स्थित है।
इसे वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
नदी:सुवर्णमुखी धारा, जो पार्क के जानवरों के लिए जल का मुख्य स्रोत है, पार्क के केंद्र से होकर गुजरती है।
बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (BBP)
वर्ष 2004: BBP को बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान (BNP) से अलग करके कर्नाटक चिड़ियाघर प्राधिकरण (ZAK) के अधीन लाया गया।
यह भारत का पहला जैविक उद्यान है, जिसमें एक बाड़बंद वन हाथी अभयारण्य है।
BBP के चार प्रभाग हैं: चिड़ियाघर, सफारी, तितली पार्क और बचाव केंद्र।
चंपकधाम पहाड़ियों की घाटी उद्यान के अंदर है।
वर्ष 2006: उद्यान में भारत के पहले तितली पर्यवास का उद्घाटन किया गया।
वनस्पतियाँ
इसमें ‘नार्सिसस लैटिफोलिया’, ‘श्लेचेरा ओलेओसा’, चंदन, नीम, इमली, बांस, नीलगिरी आदि शामिल हैं।
जीव-जंतु
संकटग्रस्त एशियाई हाथी, विभिन्न प्रकार की तितलियाँ, तेंदुआ, चीतल, हिरण, धारीदार लकड़बग्घा, साही, मोर, भारतीय गौर, बाघ, साँभर हिरण, चित्तीदार हिरण, जंगली कुत्ता, जंगली सुअर, स्लॉथ बियर आदि।
भारतीय तेंदुआ
भारतीय तेंदुआ (पेंथेरा पार्डस फुस्का) एक तेंदुए की उप-प्रजाति है, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से पाई जाती है।
वे ‘बिग कैट’ में सबसे छोटे होते हैं।
एक रात्रिचर जानवर है, जो अपने क्षेत्र में पाए जाने वाले शाकाहारी जानवरों की छोटी प्रजातियों जैसे चीतल, हॉग हिरण और जंगली सूअर का शिकार करता है।
वे विभिन्न प्रकार के वातावरण के अनुकूल होने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
वे मजबूत और फुर्तीले शिकारी होते हैं, जो पेड़ों पर चढ़ने और अपने शिकार को सुरक्षित स्थान पर खींचने में सक्षम होते हैं।
संरक्षण स्थिति: सुभेद्य (IUCN रेड लिस्ट)।
CITES: परिशिष्ट I
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I
भारत में तेंदुओं की संख्या
अनुमानित आबादी: भारत में 13,874 तेंदुए मौजूद हैं, जो वर्ष 2018 के अनुमान की तुलना में एक स्थिर संख्या है।
उल्लेखनीय है कि यह अनुमान तेंदुओं द्वारा प्रयुक्त 70% आवासों को कवर करता है; इसमें हिमालय या अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र जैसे स्थान शामिल नहीं हैं।
भौगोलिक रुझान: मध्य भारत की आबादी स्थिर है या थोड़ी बढ़ रही है, हालाँकि शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों जैसे क्षेत्रों में गिरावट आ रही है।
चयनित क्षेत्र कुल मिलाकर वार्षिक रूप से 1.08% की दर से बढ़ रहे हैं।
राज्यवार वितरण
3907 (वर्ष 2018: 3421) तेंदुओं के साथ, मध्य प्रदेश में सर्वाधिक आबादी है।
इसके बाद महाराष्ट्र (वर्ष 2022: 1,985; वर्ष2018: 1,690), कर्नाटक (वर्ष 2022: 1,879; वर्ष 2018 :1,783) और तमिलनाडु (वर्ष2022 :1,070; वर्ष 2018: 868) का स्थान है।
पर्यावरण: बाघ अभयारण्य या ऐसे स्थान जहाँ तेंदुओं की संख्या सबसे अधिक है, वे हैं सतपुड़ा (आंध्र प्रदेश), पन्ना (मध्य प्रदेश) और नागार्जुनसागर श्रीशैलम् (आंध्र प्रदेश)।
संख्या में गिरावट: अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल में संयुक्त रूप से 150% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 349 की संख्या तक पहुँच गई, जबकि उत्तराखंड में बड़ी बिल्लियों की संख्या में 22% की गिरावट दर्ज की गई, जो संभवतः अवैध शिकार और मानव-पशु संघर्ष के कारण हुई।
इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA)
भागीदारी: इसमें 97 ‘रेंज’ देशों, जहाँ ‘बिग कैट’ के मूल निवास स्थान हैं, के साथ ही अन्य इच्छुक राज्य, अंतरराष्ट्रीय संगठन, इत्यादि भी शामिल हो सकते हैं।
आरंभ: इसका विचार सबसे पहले भारत के प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2019 में पेश किया गया था। इसे प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए अप्रैल 2023 में लॉन्च किया गया था।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य सात ‘बिग कैट’ का संरक्षण करना है-
बाघ
शेर
तेंदुआ
हिम तेंदुआ
चीता
जगुआर
प्यूमा
उद्देश्य
सात ‘बिग कैट’ के अवैध वन्यजीव व्यापार को रोकना।
सात ‘बिग कैट’ के प्राकृतिक आवासों के संरक्षण की दिशा में काम करना।
संरक्षण और सुरक्षा एजेंडे को लागू करने के लिए वित्तीय और तकनीकी संसाधनों को जुटाना।
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