हाल ही में शोधकर्ताओं ने एक ऐसी सूक्ष्म अणु प्रक्रिया ‘मृत एंजाइम VEGFR1’ की महत्त्वपूर्ण खोज की है।
संबंधित तथ्य
इसमें वृद्धि कारकों को एकत्रित रखने, कोशिका विविधताओं के प्रसार, अस्तित्व, चयापचय और आवागमन को नियमित करने के साथ-साथ कैंसर को रोकने में सक्षम एंजाइम संरचना से संबंधित एक ‘सेल सरफेस रिसैप्टर’ शामिल है।
VEGFR1
परिचय
VEGFR1 नामक यह एंजाइम हार्मोन, जैसे-एक लिगैंड (ligand) की अनुपस्थिति में इसे स्वयं बढ़ने से रोकता है।
यह शोध उन अणुओं का उपयोग करके कोलन और गुर्दे के कैंसर के लिए चिकित्सा समाधान की दिशा में महत्त्वपूर्ण रूप से मार्ग प्रशस्त कर सकता है, जो मुख्य तौर पर VEGFR1 की निष्क्रिय अवस्था को स्थिर करते हैं।
रिसेप्टर टायरोसिन किनेसेस (RTK) जैसे ‘सेल सरफेस रिसेप्टर्स’ बाह्य कोशिकीय संकेतों (विकास कारकों जैसे रासायनिक संकेतों से, जिन्हें आमतौर पर लिगैंड के रूप में संदर्भित किया जाता है) को विनियमित कोशिकीय प्रतिक्रियामें बदलने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
प्रक्रिया
बाह्य कोशिकीय रिसेप्टर्स से ‘लिगैंड वाईडिंग इंट्रासेल्युलर’ युग्मित एंजाइम (टायरोसिन किनेसेस) को सक्रिय करता है।
सक्रिय एंजाइम, बदले में, कई टायरोसिन अणुओं में फॉस्फेट समूह जोड़ता है, जो सिग्नलिंग कॉम्प्लेक्स को एकत्र करने के लिए एक एडेप्टर के रूप में कार्य करते हैं।
सिग्नलिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण कोशिका वृद्धि, विकास और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जैसे विविध कोशिकीय कार्यों को नियंत्रित करता है।
लिगैंड की अनुपस्थिति में RTK की सहज सक्रियता अक्सर कैंसर, मधुमेह और स्व-प्रतिरक्षित विकारों जैसे कई मानव विकृति से जुड़ी होती है।
शोधकर्ता यह पता लगा रहे हैं कि एक कोशिका एंजाइम की ‘ऑटोइनहिबिटेड’ स्थिति को कैसे बनाए रखती है और मानव विकृति के बढ़ने के दौरान इस तरह का ‘ऑटोइनहिबेशन’ क्यों होता है।
लाभ
कोलकाता के भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER) के शोधकर्ताओं ने वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (VEGFR) नामक एक ऐसे RTK की जाँच की। रिसेप्टर्स का VEGFR परिवार नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण प्रक्रिया का प्रमुख कारक है।
यह प्रक्रिया भ्रूण के विकास, घाव भरने, ऊतक पुनर्जनन और ट्यूमर बनने जैसे कार्यों के लिए आवश्यक है। VEGFR को लक्षित करके विभिन्न घातक और सामान्य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
शोधकर्ता इस तथ्य से हैरान हैं कि इस परिवार के दो सदस्य VEGFR 1 और VEGFR 2 काफी अलग तरह से व्यवहार करते हैं, जबकि VEGFR 2, नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया को विनियमित करने वाला प्राथमिक रिसेप्टर अपने लिगैंड के बिना, स्वतः सक्रिय हो सकता है, परिवार का दूसरा सदस्य VEGFR 1 कोशिकाओं में अत्यधिक क्रियाशीलता होने पर भी स्वतः सक्रिय नहीं हो सकता।
यह लिगैंड वाईडिंग एक क्षणिक काइनेज (एंजाइम द्वारा शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करना) सक्रियण को प्रेरित करता है।
VEGFR 1 और VEGFR 2 के अलग व्यवहार के कारण
इस बात की जाँच करते हुए कि एक ही फैमिली का एक सदस्य इतना सहज रूप से सक्रिय क्यों होता है और दूसरा ऑटोइनहिबिटेड क्यों होता है।
वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया कि एक असाधारण आयनिक लैच, जो केवल VEGFR1 में मौजूद है, बेसल अवस्था में काइनेज को ऑटोइनहिबिटेड रखता है, जबकि यह VEGFR 2 में अनुपस्थित है।
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