भारतीय क्रिकेट टीम T20 विश्व कप जीतने के बाद हरिकेन बेरिल (Beryl) के कारण बारबाडोस में फंसी हुई थी।
हरिकेन बेरिल के बारे में
इस वर्ष ‘अटलांटिक हरिकेन सीजन’ की शुरुआत को चिह्नित करने हेतुयह श्रेणी 4 का सबसे प्रारंभिक तूफान है, जिसमें कम-से-कम 130 मील प्रति घंटे (209 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति से हवाएँ चलती हैं।
यह वर्तमान में विंडवर्ड द्वीप समूह, लेसर एंटिल्स के दक्षिणी भाग से होकर बढ़ रहा है, जो वेस्ट इंडीज का हिस्सा है एवं इसमें बारबाडोस, ग्रेनाडा (Grenada) तथा त्रिनिदाद एवं टोबैगो शामिल हैं।
सितंबर 2004 में हरिकेन इवान (Hurricane Ivan) के बाद विंडवर्ड द्वीपसमूह को प्रभावित करने वाला बेरिल सबसे शक्तिशाली हरिकेन है।
हरिकेन और उनकी संरचना
परिभाषा: हरिकेन, जिसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में भी जाना जाता है, शक्तिशाली तूफान प्रणालियाँ हैं, जो ईंधन के रूप में गर्म, नम हवा का उपयोग करती हैं एवं आमतौर पर भूमध्य रेखा के पास गर्म समुद्र के जल पर इनका निर्माण होता हैं।
हरिकेन के घटक
आँख: तूफान का शांत केंद्र।
नेत्र दीवार: यह आँख को चारों ओर से घेरे रहती है एवं यहीं पर सबसे अधिक गतिविधियाँ होती हैं।
रेन बैंड्स
निर्माण प्रक्रिया
गर्म, नम हवा का ऊपर उठना: समुद्र का गर्म जल अपने ऊपर की हवा को गर्म कर देता है, जिससे वायु का आरोहण होता है। जैसे ही गर्म वायु का आरोहण होता है, नीचे निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है।
वायु संचलन: कम दबाव वाले क्षेत्र को भरने के लिए आसपास की वायु तेजी से अंदर आती है। यह नई वायु भी गर्म होती है एवं ऊपर उठती है, जिससे यह चक्र जारी रहता है।
बादलों का निर्माण: जैसे ही गर्म वायु का आरोहण होता है एवं ठंडी होती है, हवा में मौजूद नमी संघनित होकर बादलों का निर्माण करती है।
प्रक्रियागत वृद्धि: बादलों एवं हवाओं की यह प्रक्रियागत वृद्धि लगातार जारी रहती है। यह समुद्र की गर्मी एवं उसकी सतह से वाष्पित होने वाले जल से संचालित होती है।
आँख का निर्माण: जैसे-जैसे तूफान प्रणाली तेजी से घूमती है, केंद्र में एक आँख जैसी आकृति का निर्माण होता है। जिसकी मूल विशेषता शांत एवं कम दबाव वाला क्षेत्र है।
घूर्णन दिशा: हरिकेन का घूर्णन, कोरिओलिस प्रभाव के कारण होता है, जो पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है।
उत्तरी गोलार्द्ध में हरिकेन वामावर्त घूमते हैं।
दक्षिणी गोलार्द्ध में हरिकेन दक्षिणावर्त घूमते हैं।
हरिकेन के कारण मुख्य खतरे
ज्वार-भाटा का आना: ज्वार-भाटा के कारण जल में असामान्य वृद्धि होती है।
अंतर्देशीय बाढ़: भारी वर्षा के कारण अंतर्देशीय बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
हरिकेन की गंभीरता एवं हालिया निष्कर्ष
स्थल पर पहुँचने के बाद कमजोर होना: हरिकेन आम तौर पर स्थल पर पहुँचने के बाद कमजोर हो जाते हैं क्योंकि वे समुद्री क्षेत्र से दूर हो जाते हैं, जहाँ से उसे ऊर्जा प्राप्त हो रही होती है।
हालिया शोध निष्कर्ष
‘नेचर’ में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि वैश्विक तापन की स्थिति में दुनिया में हरिकेन के निर्माण एवं समाप्ति के बीच की अवधि कम होती जा रही है।
कारण: समुद्र की सतह का गर्म तापमान हरिकेन के स्थल से टकराते समय अपने साथ आने वाली नमी की मात्रा को बढ़ाकर धीमी गति से समाप्त या क्षय होने को प्रेरित करता है।
उदाहरण- हाल ही में नेशनल हरिकेन सेंटर (National Hurricane Centre- NHC) ने नोट किया कि पूर्वोत्तर अटलांटिक में उपोष्णकटिबंधीय तूफान थीटा, वर्ष 2020 अटलांटिक हरिकेन सीजन का 29वाँ नामित तूफान बन गया। इसने वर्ष 2005 के हरिकेन सीजन के पहले सबसे अधिक नामित तूफानों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
हरिकेन एवं उष्णकटिबंधीय तूफान के बीच अंतर
स्थान पर आधारित शब्दावली: इनमे कोई अंतर नहीं है।NASA के अनुसार, इन सभी प्रकार के तूफानों का वैज्ञानिक नाम उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
हरिकेन को टाइफून या चक्रवात कहा जा सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे किस क्षेत्र से संबंधित हैं:-
अटलांटिक एवं पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में हरिकेन।
उत्तर पश्चिमी प्रशांत महासागर में टाइफून।
हिंद महासागर एवं दक्षिण प्रशांत में चक्रवात।
बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में बनने वाले उष्णकटिबंधीय तूफानों को चक्रवात कहा जाता है।
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