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हाथरस भगदड़ कांड : जानलेवा धार्मिक आस्था सभा

Lokesh Pal July 03, 2024 05:30 137 0

संदर्भ:

अत्यधिक भीड़ परंतु उचित प्रबंधन का अभाव और अप्रभावी  योजना से लेकर मानव मनोविज्ञान तक, घातक भगदड़ के पीछे कई कारक छिपे हो सकते हैं। भगदड़ को मानव द्वारा निर्मित आपदा कहा जा सकता है। 

प्रारम्भिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता:

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भगदड़ से सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा, भगदड़ में योगदान देने वाले सामाजिक-आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और प्रशासनिक कारक आदि।

हाथरस जिले में जानलेवा भगदड़ की घटना:

  • 2 जून को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक धार्मिक सत्संग सभा में मची भगदड़ से अब तक करीब 121 लोग अपनी जान गवां चुके हैं और अनेक लोग अभी भी घायल हैं,  हताहतों में ज़्यादातर महिलाएँ हैं।
  • यह भारत में धार्मिक सभाओं के दौरान होने वाली कोई पहली जानलेवा भगदड़ नहीं है।

धार्मिक त्योहारों के दौरान मानव भगदड़: 

“भारत में सामूहिक सभा की आपात स्थितियों की तुलनात्मक समीक्षा” के अनुसार, 1954-2012 के दौरान भारत में हुई सभी भगदड़ों में से 79% धार्मिक सामूहिक समारोहों के दौरान हुईं।

भगदड़ में हताहत होने के प्रमुख कारण:

  • अभिघातजन्य श्वासावरोध: 
    • मृत्यु का सबसे सामान्य कारण वक्षस्थल और/या ऊपरी उदर के बाह्य दबाव के कारण श्वसन का आंशिक या पूर्ण रूप से बंद हो जाना है।
    • यह घटना एक दिशा में धक्का दे रहे छह से सात लोगों की मध्यम भीड़ में भी हो सकती है।
  • अन्य प्रमुख कारण :
    • मायोकार्डियल इंफार्क्शन (दिल का दौरा)।
    • आंतरिक अंगों को सीधे कुचलने वाली चोट।
    • सिर में चोट।
    • गर्दन का दबाव।
    • स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति  

मानव मनोविज्ञान और भगदड़:

  • सामूहिक समारोह:
    • स्वतःस्फूर्त और योजनाबद्ध : भगदड़ आम तौर पर सामूहिक समारोहों के दौरान होती है यह एक स्वतःस्फूर्त और योजनाबद्ध तरीकों से होने वाली घटना होती है: स्वतःस्फूर्त (जैसे, मेट्रो स्टेशन) और योजनाबद्ध (जैसे, धार्मिक आयोजन)।
  • घबराहट: घबराहट से भगदड़ मच जाती है या बढ़ जाती है। मनोवैज्ञानिक अलेक्जेंडर मिंट्ज़ (1952) ने सिद्धांत दिया कि घबराहट पैदा करने वाली स्थितियों में सफलता के लिए सहयोगात्मक व्यवहार की आवश्यकता होती है।
    • एक बार जब सहयोग बाधित हो जाता है, तो धक्का देना व्यक्तियों के लिए सबसे कम नुकसानदेह व्यवहार बन जाता है, जिससे समूह के लिए विनाशकारी परिणाम सामने आते हैं|
  • उन्माद: समाजशास्त्री नील जे. स्मेलसर (1962) ने उन्माद को सकारात्मक इच्छा-पूर्ति विश्वास के आधार पर कार्रवाई के लिए लामबंदी के रूप में परिभाषित किया।
  • यह विश्वास, चाहे तार्किक हो या अतार्किक, बड़े समूहों में फैलता है और व्यक्तिगत हितों के लिए हानिकारक कार्यों को जन्म दे सकता है।
  • हाथरस का उदाहरण: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के अनुसार, लोग उपदेशक के पैर छूने और जहां वे चले थे वहां से मिट्टी इकट्ठा करने के लिए दौड़े, जिसके कारण भगदड़ मच गई जो एक अंधविश्वास का प्रतीक हो सकता है। 
  • भगदड़ में भौतिक संगठन का योगदान: सामूहिक व्यवहार का मनोविज्ञान भगदड़ के पीछे एकमात्र कारक नहीं है। सामूहिक समारोहों के लिए बेहतर अवसंरचना का निर्माण एवं उचित प्रबंधन भगदड़ की अनेक घटनाओं को रोक सकता है। बेहतर  अवसंरचना का निर्माण एवं उचित प्रबंधन से भगदड़ को फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है।

भगदड़ में योगदान देने वाले कारक (चुन-हाओ शाओ एट अल., 2018):

  • रोशनी की कमी।
  • अविभाजित भीड़ का प्रवाह।
  • अवरोधों या इमारतों का ढहना।
  • निकास और निकासी मार्गों का अवरुद्ध होना।
  • हार्डवेयर का खराब डिज़ाइन (जैसे, प्रवेश द्वार पर घूमने वाले दरवाज़े)।
  • आग का खतरा।
  • भीड़ के घनत्व का महत्व।
    • भीड़ के घनत्व को सामूहिक समारोहों के लिए अवसंरचना क्षमता एवं उचित प्रबंधन के अनुसार तय करना चाहिए।
    • उच्च घनत्व के कारण निकासी का समय और घबराहट का खतरा बढ़ जाता है।

भगदड़ के प्रकार (के.एम. नगाई  एट अल., 2009)

  • एकदिशीय भगदड़: 
    • यह तब होता है जब एक दिशा में चलती भीड़ को अचानक बल परिवर्तन का सामना करना पड़ता है।
    • सकारात्मक बल: अचानक रुकने की स्थितियाँ (जैसे, अड़चनें, अवरुद्ध निकास)।
    • नकारात्मक बल: टूटी हुई बाधाएँ या खंभे लोगों को गिरने का कारण बनते हैं।
  • अशांत भगदड़: अनियंत्रित भीड़ की स्थिति में होती है। अलग-अलग दिशाओं से आने वाली भीड़ या प्रेरित दहशत|

भगदड़ को रोकने और कम करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय:

  • नियंत्रित प्रवेश: आदर्श रूप से, किसी सीमित स्थान में प्रवेश करने वाले लोगों की संख्या सीमित रखी जानी चाहिए।
    • निकास की संख्या और स्थान: सुरक्षित निकासी के लिए आवश्यक।
    • कार्यक्रम आयोजकों की सतर्कता: निरंतर निगरानी और वास्तविक समय में हस्तक्षेप।
  • योजना और शमन: संभावित खतरों की पहचान कर उचित शमन उपायों को तैयार कर उनका बेहतर  क्रियान्वित करना चाहिए।
  • भगदड़ जोखिम न्यूनीकरण रूपरेखा: भीड़ की लाइव निगरानी। दबाव निर्माण, भीड़ घनत्व, बाधाओं की निगरानी करना। भीड़ में व्यवधान के स्रोतों की पहचान करना। भीड़ को प्रभावी ढंग से प्रबंधित और नियंत्रित करना।
  • संचार का महत्व: आयोजकों और भीड़ के बीच मंदिर अधिकारियों, स्थानीय प्रशासन और पुलिस के बीच समन्वय।

विश्व इतिहास की उल्लेखनीय घातक भगदड़ घटनाएं :

  • मॉस्को, रूस (1896): यह विश्व इतिहास में, पहली दर्ज की गई मानव भीड़ आपदाओं में से एक है, जो रूसी ज़ार निकोलस द्वितीय के राज्याभिषेक समारोह की पूर्व संध्या पर हुआ। इस घटना में  स्मारिका की कमी की अफ़वाहों के कारण 1,000 से ज़्यादा लोग कुचले गए।
  • इलाहाबाद, भारत (1954): यह कुंभ मेले में इतिहास की सबसे घातक भगदड़ थी। भीड़ नियंत्रण की कमी, खराब योजना और अत्यधिक वीआईपी उपस्थिति  के कारण बैरियर तोड़कर भीड़ के उमड़ने से भगदड़ मची और लगभग 800 लोग हताहत हुए, इस त्रासदी से मिले सबक कुंभ मेले के प्रबंधन के लिए आधार हो सकते हैं।
  • लीमा, पेरू (1963): पेरू-अर्जेंटीना मैच के दौरान रेफरी के फैसले से प्रशंसक भड़क गए। पुलिस ने ग्रैंडस्टैंड में आंसू गैस के गोले दागे, जिससे लोगों में अफरा-तफरी मच गई। भागते हुए दर्शकों को बंद सीढ़ियों में कुचल दिया गया, जिन्हें मजबूत केवड़ों से बंद कर दिया गया था।
  • वाई, भारत (2005): महाराष्ट्र के मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक लोग कुचले गए और सैकड़ों घायल हुए। यह दुर्घटना तब हुई जब लोग टूटे हुए नारियलों की फिसलन भरी सीढ़ियों पर गिर गए।
  • मीना, सऊदी अरब (2015): यह हज यात्रा के दौरान जानलेवा भगदड़ थी जिसमें तीर्थयात्रियों के दो बड़े समूह एक ही सड़क पर आपस में टकरा गए।

निष्कर्ष:

भगदड़ को रोकने और सामूहिक समारोहों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, खासकर धार्मिक आयोजनों के दौरान प्रभावी भीड़ प्रबंधन, बेहतर अवसंरचना निर्माण और सतर्क निगरानी आवश्यक है ताकि भगदड़ की घटनाएं असमय मृत्यु और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए समस्या न बनें। 

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: भारत में सामूहिक समारोहों में भगदड़ की घटनाएँ सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनी हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर जन-जीवन की हानि होती है। ऐसी घटनाओं में योगदान देने वाले सामाजिक-आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और प्रशासनिक कारकों का विश्लेषण करें। भविष्य में भगदड़ के जोखिम को कम करने के लिए व्यापक रणनीति सुझाएँ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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