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भारत के लिए आंतरिक सुरक्षा योजना

Lokesh Pal July 05, 2024 05:00 197 0

संदर्भ

भारत की प्रमुखता, प्रतिष्ठा और अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊँचे स्तर पर है और चीन को पहली बार यह एहसास हुआ है कि एक सीमा के बाद भारत टकराव से पीछे नहीं हटेगा। 

  • एक देश अपनी आंतरिक एकजुटता, अपने मतभेदों को सुलझाने की क्षमता और आतंकवादियों या चरमपंथियों के खतरे से मुक्त होने के प्रत्यक्ष अनुपात में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता प्रदर्शित करता है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के बारे में

भारत, एक समृद्ध सांस्कृतिक छवि वाला जीवंत लोकतंत्र है तथा उसे विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो इसकी स्थिरता और प्रगति के लिए खतरा हैं। 

  • संक्षेप में: किसी संप्रभु राष्ट्र, जिसमें उसके नागरिक, अर्थव्यवस्था और संस्थान शामिल हैं, की सुरक्षा और रक्षा करना सरकार का कर्तव्य माना जाता है।
  • वर्गीकरण: सुरक्षा को दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
    • आंतरिक सुरक्षा (Internal Security): यह किसी देश की सीमा के भीतर सुरक्षा के प्रबंधन से संबंधित है। यह शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने और देश की संप्रभुता को बनाए रखने को सुनिश्चित करता है।
      • यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।
    • बाह्य सुरक्षा (External Security): यह किसी बाह्य देश द्वारा आक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा के प्रबंधन से संबंधित है।
      • यह देश के सशस्त्र बलों का एकमात्र डोमेन है और रक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) के दायरे में आता है।

भारत में आंतरिक सुरक्षा के बारे में

आंतरिक अशांति के माध्यम से किसी देश को अस्थिर करना अधिक किफायती और कम आपत्तिजनक है, विशेषकर तब जब प्रत्यक्ष युद्ध कोई विकल्प नहीं है और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। 

  • महत्त्वपूर्ण आयाम
    • नियम एवं कानून (Rules and Laws): प्राधिकरण द्वारा बनाए गए नियमों और कानूनों को कायम रखना।
    • जन-संप्रभुता: लोगों की संप्रभु शक्ति को स्वीकार करना।
    • सुरक्षा (Protection): भारत की राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करना।
    • अखंडता: भारत की क्षेत्रीय अखंडता को सुरक्षित रखना।
    • उचित स्थान: अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत के उत्थान को बढ़ावा देना।
    • शांतिपूर्ण वातावरण: भारत के भीतर शांतिपूर्ण आंतरिक वातावरण सुनिश्चित करना।
    • सुरक्षित और संरक्षित वातावरण: देश के नागरिकों के लिए ऐसा माहौल तैयार करना जो न्यायसंगत, समतापूर्ण, समृद्ध हो और उन्हें जीवन एवं आजीविका के लिए जोखिम से बचा सके।
      • सुनिश्चित किया गया: भारत की आंतरिक सुरक्षा के इन पहलुओं को पुलिस द्वारा सुनिश्चित किया जाता है, जिसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Central Armed Police Forces- CAPF) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
  • आंतरिक सुरक्षा पर बाहरी सुरक्षा वातावरण का प्रभाव: बाहरी सुरक्षा वातावरण गतिशील है। इसका भारत की आंतरिक सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • बाहरी कारक आमतौर पर भारत के नियंत्रण में नहीं होते हैं और उन्हें बेहतर खुफिया जानकारी, बेहतर क्षमताओं एवं केंद्रित अंतरराष्ट्रीय सहयोग से निपटने की आवश्यकता होती है। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:-
      • सीमा पार आतंकवाद एवं कट्टरपंथ
      • अवैध प्रवास एवं शरणार्थी (अर्थात् श्रीलंका, बांग्लादेश, म्याँमार आदि)
      • ड्रग्स एवं हथियारों की तस्करी (अफगानिस्तान-पाकिस्तान)
      • साइबर स्पेस (डार्क नेट)
      • उच्च समुद्र पर अवैध गतिविधियाँ- प्रसार, मछली पकड़ना, आदि
      • पड़ोस में अस्थिरता (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्याँमार आदि)

भारत में आंतरिक सुरक्षा से जुड़े प्रमुख संस्थान

भारत में आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए निम्नलिखित प्रमुख संस्थाएँ शामिल हैं:-

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA): 2,02,868.70 करोड़ (वर्ष 2024-25) के अंतरिम बजट के साथ, केंद्रीय गृह मंत्रालय आंतरिक सुरक्षा के लिए नोडल एजेंसी है। इसके कई विभाग और एजेंसियाँ ​​हैं। 
    • आंतरिक सुरक्षा का प्रभारी एक विशेष सचिव स्तर का अधिकारी होता है।
  • आसूचना ब्यूरो (IB): यह आंतरिक सुरक्षा मामलों पर खुफिया जानकारी एकत्र करने वाली प्रमुख एजेंसी है।
    • खुफिया ब्यूरो का निदेशक (Director of Intelligence Bureau- DIB) परंपरागत रूप से देश का सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी होता है। केंद्रीय गृह मंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) तक उसकी सीधी पहुँच होती है। 
  • अनुसंधान एवं विश्लेषण विंग (Research and Analysis Wing- R&AW): यह बाहरी स्रोतों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए जिम्मेदार प्राथमिक एजेंसी है।
    • आईबी और रॉ (R&AW) एक दूसरे के साथ-साथ अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय में कार्य करते हैं।
  • राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (National Technical Research Organisation- NTRO): यह तकनीकी खुफिया जानकारी के लिए नोडल एजेंसी है। इसके इनपुट का उपयोग अन्य एजेंसियाँ ​​करती हैं।
  • राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency- NIA): यह देश में आतंकवाद की जाँच के लिए भारत सरकार की अग्रणी संघीय एजेंसी के रूप में उभरी है। 
    • यह सीमापारीय आतंकवाद, अवैध तस्करी और अन्य गतिविधियों से जुड़े मामलों की जाँच करता है।
    • राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (संशोधन) अधिनियम 2019 [National Investigation Agency (Amendment) Act 2019] NIA के अधिकार क्षेत्र को व्यापक बनाता है और अब उसे भारत के बाहर किए गए अपराधों की जाँच करने का अधिकार है, जो अंतरराष्ट्रीय संधियों एवं अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन हैं। 
      • इसमें अनुसूचित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना का भी प्रावधान है।
      • यह एजेंसी को निम्नलिखित नए अपराधों की भी जाँच करने की अनुमति देता है:
        • मानव तस्करी (Human Trafficking)
        • नकली मुद्रा या बैंक नोट से संबंधित अपराध (Counterfeit currency or bank notes related offences)
        • निषिद्ध हथियारों की बिक्री या निर्माण (Sale or manufacture of prohibited arms)
        • विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 (Explosive Substances Act, 1908) के तहत अपराध 
        • साइबर आतंकवाद (Cyber Terrorism)
  • मल्टी-एजेंसी सेंटर (MAC): केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा इसे प्रभावी बनाया गया है ताकि इसे सुरक्षा संबंधी जानकारी एकत्र करने और साझा करने के लिए 24×7 संचालित करने की अनुमति मिल सके।
  • राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (National Intelligence Grid- NATGRID): इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता के लिए एक आईटी प्लेटफॉर्म के रूप में बनाया गया था।
    • आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की पूर्ति के लिए, NATGRID रेलवे, पुलिस, चोरी के वाहन, आव्रजन आदि सहित कई डेटाबेस को जोड़ता है।
  • आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला (Combating Financing of Terrorism- CFT) प्रकोष्ठ: केंद्रीय गृह मंत्रालय में CFT प्रकोष्ठ, CFT और नकली भारतीय मुद्रा नोट (Fake Indian Currency Notes- FICN) से संबंधित नीतिगत मामलों से निपटता है। 
  • राज्य स्तर पर: राज्यों ने आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए विशेष बल, आतंकवाद निरोधक दस्ते (Anti-Terrorism Squad- ATS) का गठन किया है तथा राज्यों की सहायता के लिए विभिन्न स्थानों पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Central Armed Police Forces- CAPFs) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guards- NSG) को भी तैनात किया गया है। 

भारत में आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्य की पूर्व प्रतिक्रिया

पिछले कुछ वर्षों में सरकारों ने आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने पर काफी ध्यान दिया है।

  • आतंकवाद विरोध पर ध्यान केंद्रित करना: वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद से आतंकवाद-विरोध पर सरकार का ध्यान काफी बढ़ गया है।
    • NIA का गठन वर्ष 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के बाद किया गया था।

  • जम्मू-कश्मीर में अवसर: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 से संबंधी कुछ प्रावधानों को समाप्त  करना एक ऐतिहासिक कदम है। इससे क्षेत्र में आतंकवाद की घटनाएँ कम हुई हैं।
  • पूर्वोत्तर में परिवर्तन (Transformation in Northeast): उग्रवादियों से लड़ने, विकास पर ध्यान केंद्रित करने, उग्रवादी समूहों के साथ समझौते करने तथा कुशल कूटनीति के उद्देश्य से बनाई गई विवेकपूर्ण नीतियों के संयोजन से भारत सरकार पूर्वोत्तर में उग्रवाद को नियंत्रण में लाने तथा विकास के एक नए युग की शुरुआत करने में सफल रही है। 
  • वामपंथी उग्रवाद से मुकाबला: एक सुविचारित रणनीति, बेहतर समन्वय, विकास पर ध्यान तथा उग्रवाद से निपटने में CAPF की क्षमताओं के निर्माण से वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Insurgency) से निपटने में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
  • समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना (Focus on Maritime Security): हाल के वर्षों में, विशेषकर मुंबई हमलों के बाद से, समुद्री सुरक्षा, विशेषकर तटीय सुरक्षा पर बहुत ध्यान दिया गया है।
    • मछुआरों पर ध्यान दिया गया है तथा उनकी आजीविका में सुधार किया गया है, तटीय पुलिस को मजबूत किया गया है, अंतरराज्यीय समन्वय को बेहतर किया गया है, भारतीय तटरक्षक बल की क्षमताओं में सुधार किया गया है तथा तटीय निगरानी को मजबूत किया गया है। 

भारत में आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँ

अपनी आजादी के बाद से भारत ने कई चुनौतियों का सामना किया है जो उग्रवाद, आतंकवाद, सांप्रदायिक तनाव और संगठित अपराध सहित विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होती हैं। आज, सोशल मीडिया, डार्क नेट, क्रिप्टो करेंसी के उदय ने नई चुनौतियों को जन्म दिया है। 

  • आंतरिक सुरक्षा सिद्धांत पर देरी (Delay on Internal Security Doctrine): राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (National Security Advisory Board) ने समय-समय पर इस पर काम किया और ड्राफ्ट तैयार किए। लेकिन अज्ञात कारणों से उन्हें कभी मंजूरी नहीं मिली। 
    • इसके अलावा, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भी बहुत अधिक संवेदनशीलता है, विशेषकर तब जब सरकार बदल जाती है।
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय पर भारी बोझ (Heavy Burden on Ministry of Home Affairs): केंद्रीय गृह मंत्रालय के ऊपर बहुत अधिक बोझ बना हुआ है और इसलिए कई मुद्दों पर प्रभावी नियंत्रण रखना संभव नहीं हो पाता है, जबकि आंतरिक सुरक्षा पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। 
  • जम्मू और कश्मीर: गृह मंत्री के इस दावे के बावजूद कि अनुच्छेद-370 के हटने के बाद से आतंकवादी घटनाओं में 66 प्रतिशत की कमी आई है, राज्य की स्थिति सामान्य से बहुत दूर है। हाल ही में आतंकवादियों ने जम्मू क्षेत्र में चार स्थानों पर हमले भी किए हैं।
  • पूर्वोत्तर: वर्ष 2015 में विद्रोही नागाओं के साथ हस्ताक्षरित रूपरेखा समझौते से बड़ी उम्मीदें पनपी थीं, लेकिन NSCN (IM) के अलग झंडे और संविधान पर जोर देने के कारण ये उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं। 
    • मणिपुर में अशांति फैली हुई है। नृजातीय संघर्ष अभी भी जारी है और बीच-बीच में हिंसा भड़क जाती है। 
    • केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बहुजातीय शांति समिति का गठन भी कारगर नहीं रहा है। 
    • अवैध प्रवास, मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की तस्करी जैसी समस्याएँ भी यहाँ व्याप्त हैं। 
  • केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की आंतरिक समस्याएँ (Internal Problems with Central Armed Police Forces): दस लाख से अधिक की कुल संख्या के बावजूद, वे अनियोजित विस्तार, अव्यवस्थित तैनाती, अपर्याप्त प्रशिक्षण, अनुशासन के गिरते स्तर, शीर्ष अधिकारियों के चयन के लिए अस्पष्ट मानदंड, कैडर और अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के बीच टकराव आदि जैसी गंभीर आंतरिक समस्याओं से घिरे हुए हैं। 

आगे की राह

भारत के परिदृश्य की आंतरिक सुरक्षा की विविध प्रकृति को समझने के लिए आंतरिक सुरक्षा के विभिन्न जटिल मुद्दों को समझना महत्त्वपूर्ण है। यदि दूरदर्शिता और कल्पनाशीलता के साथ निम्नलिखित कार्य शुरू किए जाएँ तो देश का आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य बहुत बेहतर हो सकता है।

  • आंतरिक सुरक्षा सिद्धांत (Internal Security Doctrine- NSD) का विकास: आदर्श रूप से, देश में एक NSD होना चाहिए। सभी महत्त्वपूर्ण शक्तियों के पास एक NSD होता है, जिसके माध्यम से वे देश के सामने आने वाली आंतरिक और बाह्य चुनौतियों का वर्णन करते हैं और उनसे निपटने के लिए नीतियाँ निर्धारित करते हैं।
    • यदि NSD को विकसित करने में कोई समस्या आती है, तो कम-से-कम इसके आंतरिक सुरक्षा घटक, जो कि सरल है, पर कार्य किया जा सकता है। 
  • आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय की स्थापना (Establishment of Internal Security Ministry): अब समय आ गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय में कार्यरत किसी युवा, कनिष्ठ मंत्री को आंतरिक सुरक्षा का स्वतंत्र प्रभार दिया जाए। इससे जवाबदेही में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। 
  • जम्मू और कश्मीर के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण (Multi-Pronged Approach for Jammu and Kashmir): सरकार को सुरक्षा व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने और जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव कराने के लिए शीघ्र कदम उठाने चाहिए।
  • पूर्वोत्तर के लिए व्यापक दृष्टिकोण (Comprehensive Approach for the Northeast): हालिया प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को ‘ए पीस ऑफ आवर हार्ट’ कहा है। अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री खुद स्थिति की कमान सँभालें और अवैध प्रवास, मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की तस्करी की समस्याओं के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। 
    • सरकार को स्थगन ऑपरेशन समझौते के कठोर क्रियान्वयन पर जोर देना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्रोही जबरन वसूली और जबरन भर्ती में शामिल न हों।
  • नक्सल समस्या के लिए उपचारात्मक स्पर्श (Healing Touch for Naxal Problem): हाल ही में गृह राज्य मंत्री ने दावा किया कि ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार कमी आई है और वामपंथी उग्रवाद (LWE) के प्रभाव का भौगोलिक विस्तार कम हुआ है। 
    • वर्ष 2010 की तुलना में हिंसा और उसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों में 73% की कमी आई है।
    • नक्सलियों के पीछे हटने के बाद अब उनके साथ वार्ता करने का समय आ गया है। सरकार को उन्हें सद्भावना का प्रस्ताव देना चाहिए, एक महीने के लिए एकतरफा युद्धविराम की घोषणा करनी चाहिए, उन्हें वार्ता करने के लिए राजी करना चाहिए, उनकी वास्तविक शिकायतों का समाधान करना चाहिए और उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना चाहिए।
  • खुफिया एजेंसियों को मजबूत बनाना (Strengthening of Intelligence Agencies): दो प्रमुख केंद्रीय पुलिस संगठनों (खुफिया ब्यूरो और सीबीआई) का पुनर्गठन की आवश्यकता है।
    • IB की स्थापना 23 दिसंबर, 1887 को एक प्रशासनिक आदेश के माध्यम से की गई थी। अब समय आ गया है कि इसे वैधानिक आधार दिया जाए तथा सत्तारूढ़ पार्टी को लाभ पहुँचाने के लिए खुफिया जानकारी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय किए जाएँ।
    • CBI की स्थापना 1 अप्रैल, 1963 को पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से की गई थी और इसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से जाँच करने की शक्ति प्राप्त हुई है।
      • यह एक असंगत व्यवस्था है और जैसा कि संसदीय समिति की 24वीं रिपोर्ट में सिफारिश की गई है, ‘समय की माँग है कि कानूनी अधिदेश, बुनियादी ढाँचे और संसाधनों के संदर्भ में सीबीआई को मजबूत किया जाए”।
  • ‘शासक’ से ‘जनता की पुलिस’ में परिवर्तन: प्रधानमंत्री चाहते हैं कि पीएमओ जनता के पीएमओ के रूप में कार्य करे, जिसके लिए ‘शासक की पुलिस’ को ‘जनता की पुलिस’ में बदलना आवश्यक है।
    • यह भारतीय प्रधानमंत्री के लिए एक महान अवसर है कि वे एक ऐसा पुलिस बल तैयार करने का प्रस्ताव रखें जो पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री रॉबर्ट पील के उद्देश्यों की तरह जनता की सेवा में संबद्ध हो।
  • केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (Central Armed Police Forces- CAPF) में सुधार: CAPF की उभरती समस्याओं को हल करने के लिए, सरकार को इन समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान के लिए एक उच्चस्तरीय आयोग की नियुक्ति करनी चाहिए।
  • सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: जैसा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं सुझाव दिया है, पुलिस के समक्ष पहले से मौजूद या भविष्य में आने वाली नई चुनौतियों के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियों को अपनाने की सिफारिश करने के लिए एक उच्चस्तरीय प्रौद्योगिकी मिशन स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • अन्य: अधिक सामाजिक-आर्थिक विकास, उच्च सामुदायिक सहभागिता, क्षमता निर्माण में वृद्धि, मजबूत साइबर सुरक्षा ढाँचे और प्रोटोकॉल का कार्यान्वयन तथा सीमा पार आतंकवाद, संगठित अपराध और साइबर अपराध से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग।

निष्कर्ष

आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। वर्तमान सरकार सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है, जो हाल के घटनाक्रमों जैसे कि CAA विरोधी प्रदर्शनों से सख्ती से निपटना, अनुच्छेद-370 को समाप्त करना, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाना, आतंकवाद के प्रति जीरो टाॅलरेंस आदि में परिलक्षित होता है। साइबर अपराध, महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों को रोकने और नए युग के अपराधों से निपटने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

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