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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की वर्तमान और भविष्य की भूमिका

Lokesh Pal July 09, 2024 05:01 189 0

संदर्भ

1 जुलाई, 2024 को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के पुनर्गठन के तहत एक नए अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (ANSA) की नियुक्ति की गई है।

  • यह पहली बार है जब अतिरिक्त NSA पद भरा गया है, यह एक ऐसा पद था, जो पहले लगातार खाली था। 
  • राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के भीतर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और केंद्रीय मंत्रालयों के बीच रिपोर्टिंग संबंधों का पुनर्गठन भी किया जा रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA)

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC):

  • NSC के बारे में: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) एक कार्यकारी सरकारी एजेंसी है, जिसका कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हित के मामलों के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को सलाह देना है।
  • स्थापना: वर्ष 1998 में इसकी स्थापना भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी।
  • संचालन संरचना: इसका संचालन त्रि-स्तरीय संरचना अर्थात् रणनीतिक नीति समूह (SPG), राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के तहत होता है।
  • अध्यक्ष: एनएससी का नेतृत्व भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है।
  • मुख्यालय: नई दिल्ली।
  • सदस्य: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्यों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA), चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के अलावा भारत सरकार के रक्षा, विदेश, गृह, वित्त मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष शामिल होते हैं।


  • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बारे में: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में वरिष्ठ अधिकारी होते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार हैं।
  • रैंक: वर्तमान NSA को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है।
  • वरीयता क्रम:  भारतीय वरीयता क्रम में NSA सातवें स्थान पर है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद: एनएसए भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) का सदस्य है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के सचिव: एनएसए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के सचिव के रूप में कार्य करता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की त्रि-स्तरीय संरचना में से एक है।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS): NSCS भारत की राजनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा और सामरिक सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों को देखने वाली शीर्ष एजेंसी है।
    • इसके चार ऊर्ध्वाधर भाग या स्तंभ हैं:
      • रणनीतिक योजना; 
      • आंतरिक मामले; 
      • खुफिया और प्रौद्योगिकी;
      •  सैन्य

NSA की भूमिका

  • सलाहकार की भूमिका: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) को भारत के आंतरिक और बाह्य खतरों और अवसरों से संबंधित सभी मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री को नियमित रूप से सलाह देने का कार्य सौंपा गया है तथा वह प्रधानमंत्री की ओर से रणनीतिक तथा संवेदनशील मुद्दों की देख-रेख करता है। 
  • प्रधानमंत्री के विशेष वार्ताकार: भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चीन के साथ प्रधानमंत्री के विशेष वार्ताकार के साथ-साथ सुरक्षा मामलों पर पाकिस्तान और इजरायल के लिए दूत के रूप में भी कार्य करते हैं। 
  • खुफिया जानकारी और समन्वय: NSA सभी खुफिया रिपोर्टों को प्राप्त कर और उन्हें प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए समन्वय करता है।

NSA की भूमिका का पुनः निर्धारण 

  • एएनएसए को भूमिका का हस्तांतरण: नव नियुक्त अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (ANSA) को अब आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन और खतरे का विश्लेषण करने से संबंधित जिम्मेदारी प्रदान की जाएगी।
    • यह समायोजन एनएसए को अन्य महत्त्वपूर्ण सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में प्रधानमंत्री कार्यालय के माध्यम से सीधे ध्यान केंद्रित करने की अनुमति प्रदान करता  है।

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS)

  • राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) के बारे में: राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) एक आधारभूत दस्तावेज है, जो किसी राष्ट्र के सुरक्षा उद्देश्यों और उन्हें प्राप्त करने के साधनों का वर्णन करती है।
    • इसमें पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों की एक शृंखला को शामिल किया गया है, जो संवैधानिक और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ संरेखित है तथा कूटनीतिक, सैन्य, खुफिया और रक्षा क्षेत्रों में संभावित चुनौतियों का समाधान करता है।
  • वैश्विक उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों में NSS की उचित प्रकार से स्थापित रूपरेखाएँ हैं। 
  • भारत के प्रयास: नियमानुसार एनएसएस की ओर भारत के द्वारा समय-समय पर  प्रयास किए गए हैं, जिनमें कारगिल समीक्षा समिति, नरेश चंद्र टास्क फोर्स जैसी समितियों की सिफारिशें और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के प्रस्ताव शामिल हैं।


  • एक बड़े संगठन की अध्यक्षता: वर्तमान में NSA एक बहुत बड़े संगठन की अध्यक्षता करता है, जिसमें एक एएनएसए और तीन डिप्टी एनएसए शामिल होते हैं।
  •  अधिक सलाहकार और कम परिचालन: एनएसए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड और सामरिक नीति समूह जैसे सलाहकार संगठनों के साथ मिलकर कार्य करेगा।
    • वर्तमान में उनकी नवीन भूमिका सलाहकारी अधिक तथा परिचालनात्मक कम प्रतीत होती है।
  • रिपोर्टिंग संरचना
    • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और तीनों सेनाओं के प्रमुख एनएसए को रिपोर्ट करते हैं।
    • केंद्रीय रक्षा, गृह, विदेश और अन्य सचिव भी एनएसए को रिपोर्ट करते हैं।
    • एनएसए को रिपोर्ट करने के अलावा, ये अधिकारी दैनिक कार्यों के लिए अपने संबंधित मंत्रियों को भी रिपोर्ट करते हैं।
  • संभावित आधिकार क्षेत्र/कार्यक्षेत्र  से संबंधित मुद्दे
    • सामन्यत: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव सिविल नौकरशाही के संचालन को देखते हैं।
    • यदि एनएसए निम्नलिखित लोगों के साथ बैठकें आयोजित करने में अधिक सक्रिय हो जाता है, तो कार्यक्षेत्र संबंधी मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं-
      • कैबिनेट सचिव।
      • भारत सरकार के सचिव।
  • संचार शृंखला और नौकरशाही का स्तर 
    • ANSA से निम्नलिखित के मध्य संचार शृंखला में ‘गेटकीपर’ के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है:
      • छह मध्य-स्तरीय इकाई प्रमुख (तीन डिप्टी एनएसए और तीन सेवा अधिकारी)।
      • एनएसए।
    • इससे प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रतिदिन नजर रखने वालों के मध्य  एक अतिरिक्त नौकरशाही का स्तर शामिल होता है।
  • सुरक्षा ढाँचे में बदलावों से उत्पन्न प्रश्न: नागरिक और सैन्य नौकरशाही दोनों के समक्ष सुरक्षा ढाँचे में बदलावों को लेकर कई प्रश्न उत्पन्न होते हैं।
    • वर्तमान एनएसए के भविष्य के बारे में अटकलें
    • क्या नव नियुक्त एएनएसए वर्तमान एनएसए का स्थान लेगा? आदि।

भारत के एनएसए की भूमिका का आकलन

  • आवश्यकता: यह प्रश्न कि क्या भारत को एनएसए की आवश्यकता है, अभी भी अनसुलझा है।
  • एनएसए के लिए मानदंड और योग्यता में स्पष्टता का अभाव: एनएसए के पद के लिए कोई स्पष्ट रूप से परिभाषित मानदंड या योग्यता निर्धारित नहीं है। निर्दिष्ट कर्तव्यों और कमांड की शृंखला की अनुपस्थिति इस मुद्दे को और जटिल बनाती है।
    • यह अस्पष्टता एनएसए की आदर्श पृष्ठभूमि पर प्रश्न चिह्न लगाती है – चाहे फिर वह राजनयिक, नौकरशाही, सैन्य, पुलिस या खुफिया हो।

सुझाव 

  • योजनाकारों को नेताओं से अलग करना: रणनीतिक योजनाकारों को प्रक्रिया से संबंधित नेताओं से अलग करने का सुझाव दिया गया है।
  • के सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली कारगिल समीक्षा समिति की सिफारिश
    • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) को सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करना चाहिए। 
    • सुरक्षा चुनौतियों और क्षेत्रीय गतिशीलता को देखते हुए, CDS  के लिए NSA के साथ परामर्शात्मक संबंध बनाए रखते हुए सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करना आवश्यक है।

निष्कर्ष

हाल के विवादों, जिनमें कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकारी एजेंसियों द्वारा रॉ के विरुद्ध लगाए गए आरोप तथा अग्निवीर पहल पर बहस शामिल हैं, ने NSA’s  की भूमिका और जिम्मेदारियों पर पुनः ध्यान केंद्रित किया है।

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