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वर्ष 2029 में क्षुद्रग्रह एपोफिस का पृथ्वी की सतह से टक्कर से पूर्व वैश्विक ग्रह रक्षा प्रयास

Lokesh Pal July 09, 2024 05:00 123 0

संदर्भ :

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ग्रह रक्षा के लिए वैश्विक प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल होने की दिशा में कार्यरत है, तथा इसका प्रमुख उद्देश्य वर्ष 2029 में क्षुद्रग्रह एपोफिस का पृथ्वी से टकराने/पृथ्वी के पास से होकर गुजरने के दौरान  व्यापक रूप से अध्ययन  करना है।

  •     30 जून को क्षुद्रग्रह दिवस 2024 के संदर्भ में इस प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: 99942 एपोफिस, एपोफिस के लिए इसरो की योजना, नासा का डबल क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन परीक्षण (DART) मिशन, क्षुद्रग्रह, क्षुद्रग्रह दिवस, नियरअर्थ ऑब्जेक्ट (NEO), गतिज प्रभाव, परमाणु विस्फोट, गुरुत्वाकर्षण ट्रैक्टर, आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: क्षुद्रग्रह, पृथ्वी से क्षुद्रग्रहों के विक्षेपण के तरीके, 99942 एपोफिस, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी में वैश्विक पहल, आदि।

99942 एपोफिस के बारे में:

  • नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO): यह एक नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO) है तथा एक अध्ययन के अनुसार ऐसी उम्मीद की जा रही है कि यह वर्ष 2029 में पृथ्वी से टकरा सकती है।
  • पृथ्वी से दूरी: पृथ्वी और चंद्रमा के मध्य औसत दूरी 239,000 मील है और 99942 एपोफिस 14 अप्रैल 2029 को पृथ्वी से केवल 38,012 किमी या 23,619 मील दूर होगा।
    • वर्ष 2029 के दौरान यह चंद्रमा से तकरीबन 10 गुना अधिक निकट होगा तथा 29.98 किमी प्रति सेकंड की गति से चक्कर लगाएगा।
    • हालाँकि यह दूरी ब्रह्मांडीय दृष्टि से काफी अधिक है, लेकिन खगोलीय दृष्टि से यह काफी कम है।
  • आकार: इस क्षुद्रग्रह का आकार तकरीबन 1,1100 फीट या 335 मीटर है।
  • खोज: खगोलविद रॉय टकर, डेविड थोलेन और फैब्रिजियो बर्नार्डी ने 19 जून 2004 को क्षुद्रग्रह 99942 एपोफिस की खोज की थी।
    • तकनीकी और मौसम संबंधी समस्याओं के कारण वे केवल दो दिनों तक ही क्षुद्रग्रह का निरीक्षण कर पाए थे।
    • ऑस्ट्रेलिया के साइडिंग स्प्रिंग वेधशाला(Siding Spring Observatory) की एक टीम ने उसी वर्ष इस क्षुद्रग्रह को पुनः देखा।
  • प्रयुक्त अंतरिक्ष यान: ओएसआईआरआईएस (OSIRIS-REx)-आरईएक्स (उत्पत्ति, वर्णक्रमीय व्याख्या, संसाधन पहचान और सुरक्षा – रेगोलिथ एक्सप्लोरर) का नाम बदलकर ओएसआईआरआईएस-एपोफिस एक्सप्लोरर (OSIRIS-APEX) कर दिया गया और 2029 में पृथ्वी के पास से गुजरने के दौरान इसे क्षुद्रग्रह एपोफिस का अध्ययन करने के लिए भेजा जायेगा।
  • नामकरण: एपोफिस का नाम असुर सर्प(Demon serpent) के नाम पर रखा गया है जो प्राचीन मिस्र की पौराणिक कथाओं में बुराई और अराजकता का प्रतीक था।
  • दृश्यता: क्षुद्रग्रह पृथ्वी के बहुत करीब होगा, और लोग इसे देख सकेंगे।
    • यह पूर्वी गोलार्ध में दिखाई देगा और इसे देखने के लिए किसी टेलीस्कोप या दूरबीन की आवश्यकता नहीं होगी।
    • यह सभी खगोलविदों के लिए एक दुर्लभ अवसर है कि वे उस अवशेष का अध्ययन करें जो संभावित खतरे से वैज्ञानिक रुचि के विषय में बदल गया है।
  • टकराने की संभावना: कुछ रिपोर्टों में इस बात का दावा किया गया था कि यह वर्ष 2029 में पृथ्वी से टकराएगा। हालाँकि, नासा ने हाल ही में स्पष्ट किया कि मार्च 2021 में रडार अवलोकन के साथ-साथ कक्षा विश्लेषण ने पुष्टि की है कि एपोफिस 2029 पृथ्वी से नहीं टकराएगा
  • प्रभाव: यद्यपि प्रत्यक्ष प्रभाव की संभावना कम है, लेकिन संभावित परिणामों के लिए सक्रिय उपाय आवश्यक हैं।

एपोफ़िस के लिए इसरो की योजनाएँ:

  • अवलोकन और अध्ययन: इसरो की योजना एपोफिस का अवलोकन करने की है, जब यह पृथ्वी से तकरीबन 32,000 किलोमीटर की दूरी पर पहुँचेगा तथा प्रभावी रक्षा रणनीति विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करेगा।
  • सहयोग: इसरो अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों, जैसे- JAXA (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी), ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी), और NASA (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के साथ सहयोग कर सकता है, जो संभवतः एपोफिस पर केंद्रित संयुक्त मिशन के लिए उपकरणों का योगदान दे सकता है या अन्य प्रकार का समर्थन प्रदान कर सकता है।
  • उद्देश्य :
    • सहायता और ज्ञान साझा करना: इसरो का उद्देश्य क्षुद्रग्रहों और ग्रह रक्षा रणनीतियों की समझ बढ़ाने के लिए उपकरणों या अन्य सहायता का योगदान करना है।
    • मिशन भागीदारी: इस मिशन में भाग लेकर भारत ग्रह रक्षा पर वैश्विक अनुसंधान में सक्रिय रूप से योगदान दे सकता है।
    • अध्ययन की स्वीकृति: इसरो पृथ्वी के निकट पहुँचने के दौरान एपोफिस का अध्ययन करने के महत्व पर बल देता है, जिसका उद्देश्य क्षुद्रग्रह की संरचना, स्वरूप और व्यवहार के बारे में जानकारी प्राप्त करके ग्रहीय रक्षा प्रयासों को आगे बढ़ाना है।
      • इस प्रयास का उद्देश्य पृथ्वी पर भविष्य में क्षुद्रग्रहों के प्रभाव को रोकने में सक्षम ग्रहीय रक्षा रणनीतियों के बारे में जानकारी प्रदान करना है। 
  • सहयोग की आवश्यकता: ग्रहों की सुरक्षा पर इसरो का ध्यान, संभावित ब्रह्मांडीय खतरों से पृथ्वी की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
  • उन्नति के लिए समर्पण: इन प्रयासों में भारत की भागीदारी अंतरिक्ष विज्ञान को आगे बढ़ाने और पृथ्वी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति उसके समर्पण को दर्शाती है।

नासा का डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (DART) मिशन:

  • विशिष्टता: 2022 में नासा के DART मिशन ने अंतरिक्ष में एक क्षुद्रग्रह के प्रक्षेप पथ को बदलने में मदद की। यह मिशन यह दर्शाता है कि किसी क्षुद्रग्रह के प्रक्षेप पथ में थोड़ा सा परिवर्तन उस क्षुद्रग्रह को उसके मार्ग से भटका सकता है।
    • इससे यह पता चलता है कि एक अंतरिक्ष यान अपने लक्ष्य क्षुद्रग्रह, डिमोर्फोस के गतिज प्रभाव ने क्षुद्रग्रह की कक्षा को सफलतापूर्वक बदल दिया था।
  • महत्व: यह मानव द्वारा पहली बार किसी खगोलीय पिंड की गति को बदलने और क्षुद्रग्रह विक्षेपण प्रौद्योगिकी के पहले पूर्ण सफलता के प्रदर्शन का प्रतीक है।

क्षुद्रग्रह:

  • के बारे में: लघु ग्रह, जिन्हें क्षुद्रग्रह या ग्रहिका भी कहा जाता है, वे आकाशीय पिंड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं, लेकिन प्रमुख ग्रहों की तुलना में काफी छोटे होते हैं।
  • आकार: इन चट्टानी और धातुयुक्त पिंडों का आकार कुछ मीटर से लेकर सैकड़ों किलोमीटर व्यास तक हो सकता है।
  • अस्तित्व: ये मुख्य रूप से क्षुद्रग्रह के बेल्ट में रहते हैं, जो मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के मध्य स्थित क्षेत्र है, लेकिन ये सौर मंडल में भी पाए जा सकते हैं।
  • महत्त्व: लघु ग्रह सौरमंडल निर्माण के प्रारंभिक चरणों के अवशेष हैं तथा ब्रह्मांडीय इतिहास और संरचना के बारे में हमारी समझ को विकसित करने में सहायता करते हैं।
  • पृथ्वी से क्षुद्रग्रहों का विक्षेपण: गतिज प्रभाव, परमाणु विस्फोट, गुरुत्वाकर्षण ट्रैक्टर क्षुद्रग्रह की नई कक्षा को सटीक रूप से निर्धारित कर सकता है और शेष आवश्यक विक्षेपण प्रदान कर सकता है।
    • पता लगाने, ट्रैकिंग और विक्षेपण विधियों के संयोजन के माध्यम से, शोधकर्ता पृथ्वी के लिए खतरा पैदा करने वाले क्षुद्रग्रहों की पहचान कर सकते हैं और उन्हें पुनर्निर्देशित कर सकते हैं।
    • हालाँकि, कोई भी एक प्रक्रिया पूर्ण रूप से सकारात्मक बिन्दुओं को ही नहीं समाहित करती है बल्कि प्रत्येक की अपनी क्षमता और सीमाएँ हैं, और प्रत्येक की क्षमता क्षुद्रग्रह के आकार और संरचना, उपलब्ध चेतावनी समय और निपटान में संसाधनों जैसे कारकों पर निर्भर करेगा।
  • संबंधित प्रभाव:
    • व्यापक स्तर पर विनाश: लुइस वाल्टर अल्वारेज़ और उनके बेटे वाल्टर के सिद्धांत के अनुसार, 66 मिलियन वर्ष पूर्व एक क्षुद्रग्रह हमारे ग्रह से टकराया था, जिसके कारण सभी गैर-पक्षी डायनासोर और कई अन्य जीव लुप्त हो गए।
    • प्रभावित स्थल: चिक्सुलब क्रेटर, युकातान प्रायद्वीप, मेक्सिको।
      • यह क्षुद्रग्रह 10 से 15 किलोमीटर चौड़ा था, लेकिन इसकी टक्कर की गति के कारण एक बहुत बड़ा गड्ढा बन गया, जिसका व्यास 150 किलोमीटर था। यह पृथ्वी पर दूसरा सबसे बड़ा गड्ढा है।
        • व्रेडेफोर्ट प्रभाव संरचना पृथ्वी पर सबसे बड़ी सत्यापित प्रभाव संरचना है।

क्षुद्रग्रह दिवस:

  • 30 जून: यह दिवस अंतरिक्ष समुदाय द्वारा प्रत्येक वर्ष 30 जून को मनाया जाता है, क्योंकि 30 जून, 1908 को एक क्षुद्रग्रह से हुए विशाल हवाई विस्फोट ने रूस के साइबेरिया में 2,200 वर्ग किलोमीटर के वन को नष्ट कर दिया था।
    • ऐसा माना जाता है कि क्षुद्रग्रह ही डायनोसोर के विलुप्त होने का कारण बने।

नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO) के बारे में:

  • यह एक क्षुद्रग्रह या धूमकेतु होते हैं जो कि पृथ्वी की कक्षा के करीब से गुजरता है।
  • तकनीकी शब्दों में, NEO को एक प्रक्षेप पथ माना जाता है जो इसे सूर्य के 1.3 खगोलीय इकाइयों के भीतर और इसी प्रकार पृथ्वी की कक्षा के 0.3 खगोलीय इकाइयों या लगभग 45 मिलियन किलोमीटर के भीतर भी लाता है। 

संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह (PHAs):

  • वर्तमान में PHAs को उन मापदंडों के आधार पर परिभाषित किया जाता है जो क्षुद्रग्रहों की पृथ्वी के निकट आने की क्षमता को मापते हैं।

निष्कर्ष :

निष्कर्षतः ग्रह की सुरक्षा एक जटिल और बहुआयामी चुनौती है जिसके लिए निरंतर अनुसंधान, विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इन प्रयासों में निवेश करने और हमारे ग्रह की रक्षा और पृथ्वी को सुरक्षित करने के लिए वैश्विक समुदाय को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

प्रश्न: क्षुद्रग्रह एपोफिस के अध्ययन के वैज्ञानिक महत्व, इसके भविष्य के प्रक्षेप पथ से जुड़े संभावित जोखिमों और किसी भी संभावित प्रभाव खतरे को कम करने के लिए चल रहे अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

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