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मोदी 3.0 के लिए विनिर्माण 3.0 का स्वरूप

Lokesh Pal July 10, 2024 05:00 102 0

संदर्भ:

हाल में भारत में नवगठित गठबंधन सरकार को आर्थिक सुधारों, विशेषकर विनिर्माण से संबंधित सुधारों पर अपने प्रयासों को तेज करने पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में विनिर्माण क्षेत्र, संबद्ध सरकारी योजनाएँ, मेक इन इंडिया आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: विनिर्माण क्षेत्र में भारत का योगदान और आँकड़े, महत्त्व, चुनौतियाँ, की गई कार्यवाही  और उठाए जाने वाले कदम आदि।

भारत में विनिर्माण क्षेत्र के बारे में:

  • संदर्भ: विनिर्माण क्षेत्र में वे प्रतिष्ठान शामिल हैं जो पदार्थों या घटकों के यांत्रिक, भौतिक या रासायनिक परिवर्तन में शामिल हैं ताकि उन्हें नए और तैयार उत्पादों के रूप में निर्मित किया जा सके।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: ब्रिटिश उपनिवेशीकरण से पहले, भारत में एक समृद्ध और आत्मनिर्भर औद्योगिक क्षेत्र था, जिसमें वस्त्र, कपास, रेशम और हस्तशिल्प जैसे उद्योग शामिल थे।
    • भारत वैश्विक स्तर पर मलमल (सूती कपड़े की एक बहुत ही अच्छी किस्म) के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था
  • आँकड़े: विश्व बैंक के आँकड़ों से इस बात की जानकारी मिलती है कि, विनिर्माण क्षेत्र में सापेक्षिक गिरावट आ रही है, जो कि वर्ष 2022 में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 13% ही होगा। 
    • यह वियतनाम (25%), बांग्लादेश (22%), मलेशिया (23%), इंडोनेशिया (18%), मैक्सिको (21%), और चीन (28%) जैसे बाजारों की तुलना में काफी कम है।
    • लक्ष्य: 2014 में सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) के प्रतिशत के रूप में विनिर्माण क्षेत्र को वर्ष 2025 तक 15% से बढ़ाकर 25% के स्तर तक लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। 
    • की गई कार्यवाही: कुछ महत्त्वपूर्ण आर्थिक सुधार जिनसे लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलनी चाहिए थी, सबसे उल्लेखनीय 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की मंजूरी थी, जिसने भारत के राज्य-स्तरीय कर कोडों को काफी हद तक एकीकृत कर दिया।
      • GST से लॉजिस्टिक लागत में 10-12% की कमी आएगी।
      • श्रम कानूनों का एकीकरण
      • मेक इन इंडिया 2.0
      • PLI संबंधी योजनाएँ
      • उदारीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)
      • स्टार्ट-अप इंडिया
      • आत्मनिर्भर भारत अभियान
      • विशेष आर्थिक क्षेत्र
      • MSAME अभिनव योजना
      • व्यापार करने में आसानी
  • क्षेत्र में गिरावट: भारत के निरंतर शहरीकरण के परिणामस्वरूप आने वाले दशकों में करोड़ों कृषि श्रमिक औपचारिक रोजगार की तलाश में शहरों की ओर स्थानांतरित हो जाएंगे। 
    • कम-कुशल रोजगार सृजन में विफलता भारत की शासन संरचनाओं पर भारी दबाव डाल सकती है।

भारत में विनिर्माण आधार में सुधार के कारण:

  • घरेलू चुनौतियाँ: भारत में रोजगार सृजन की बहुत बड़ी आवश्यकता है। लगभग आधे भारतीय श्रमिक कम उत्पादकता वाली कृषि में फंसे हुए हैं। 
    • यदि भारत द्वारा प्रमुख कृषि सुधारों को लागू करने के प्रयास सफल होते हैं, तो कृषि से रोजगार का तेजी से और बड़े पैमाने पर स्थानांतरण हो सकता है। 
  • वस्तु व्यापार घाटा बनाए रखना: इस धारणा के बावजूद कि भारत “व्यापार विरोधी” है, पिछले 12 माह के दौरान भारत का कुल वस्तु व्यापार तकरीबन 1 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ा अधिक था और इस अवधि के दौरान घाटा 250 बिलियन डॉलर था।
    • आयातित वस्तुएँ: भारत के आयात में हाइड्रोकार्बन का योगदान एक-चौथाई से अधिक है तथा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी विनिर्मित वस्तुएँ इसका एक महत्वपूर्ण घटक हैं। 
    • कम नियोक्ता: यद्यपि सेवा क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक उत्पादन करता है, फिर भी इसमें अपेक्षाकृत कम श्रमिकों को रोजगार की प्राप्ति होती है।
      • भारत को सेवा व्यापार में अधिक अधिशेष प्राप्त है, पिछले 12 महीनों में कुल सेवा व्यापार 518 बिलियन डॉलर पर लगभग 160 बिलियन डॉलर का अधिशेष प्राप्त हुआ है।
    • अन्य: आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना, आदि।

भारत के विनिर्माण क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका और हिस्सेदारी:

  • आकर्षण में सुधार: अमेरिका भारतीय राज्यों के व्यापारिक आकर्षण में सुधार करने में  मामूली लेकिन सार्थक भूमिका निभा सकता है।
  • इसमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
    • प्रभावी आर्थिक शासन पर प्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए भारतीय राज्यों के साथ संपर्क बढ़ाना।
    • संभावित निवेशकों के लिए राज्य सरकारों के साथ जुड़ने में सुधार करना। 
  • क्षेत्रीय सुरक्षा में उभरती भूमिका: औद्योगिक आधार में सुधार से क्षेत्रीय सुरक्षा में इसकी उभरती भूमिका को सुनिश्चित करने की क्षमता पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा, जो चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए और भी महत्त्वपूर्ण हो गया है। 
  • विनिर्माण आधार: मित्र देशों में विनिर्माण आधार होने से अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखलाओं की व्यवहार्यता में सुधार होता है। 

भारत के समक्ष चुनौतियाँ:

  • राज्य और उनके व्यावसायिक वातावरण: राज्यों के व्यावसायिक वातावरण की रैंकिंग जिसे “व्यावसायिक सुधार कार्य योजना (BRAP)” कहा जाता है, को COVID-19 महामारी के बाद से अद्यतित नहीं किया गया है।
    • इसे इसलिए भी कमजोर माना गया क्योंकि इसमें राज्यों की अपनी स्थानीय व्यावसायिक प्रथाओं पर स्वयं रिपोर्टिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जो सामान्यतः वास्तविक निवेशक अनुभवों के विपरीत था। 
  • राज्यों की सहमति: राज्यों के लिए आदर्श उद्योग कानून तैयार करने में मदद करने की केंद्र सरकार की योजना निराशाजनक रही है।
    • सभी राज्यों को विचारशील, पारदर्शी औद्योगिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित कराना एक कठिन कार्य है। 

भारत द्वारा उठाए जाने वाले कदम:

  • नीतिगत: उत्पादन के अधिकांश कारक जैसे विद्युत, जल, स्वच्छता, श्रम विनियम, भूमि अधिग्रहण नियम और पर्यावरण विनियम इत्यादि को मुख्य रूप से भारत की राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। 
    • इसलिए, भारत सरकार को नीतिगत स्तर पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • रोजगार सृजन पर जोर: सरकार को सेमीकंडक्टर और रोबोटिक्स जैसे पूँजी-गहन क्षेत्रों में निवेश पर विशेष जोर देने के बजाय, रोजगार सृजन करने वाले विनिर्माण क्षेत्रों जैसे कपड़ा, कागज मिलों और फर्नीचर पर अधिक जोर देने पर विचार करना चाहिए।
  • दिल्ली-मुंबई-बेंगलुरु सर्किट: भारत का दौरा करने वाले वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के वर्तमान विकास से उत्पन्न महत्त्व और अवसर पर बड़े राज्यों के व्यापक समूह के साथ जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
  • अधिक निवेश तथा अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता: भारत में विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े मुद्दों से निपटना और वांछित परिणाम प्राप्त करने की आवश्यकता है ।

निष्कर्ष:

निष्कर्षस्वरुप यह कहा जा सकता है कि भारत के राष्ट्रीय चुनाव ने नीति का आकलन करने और उसे पुनर्निर्देशित करने का अवसर प्रदान किया। लेकिन वर्तमान विनिर्माण प्रोत्साहन के पीछे भारत की मुख्य ज़रूरतें – नौकरियाँ, व्यापार और सुरक्षा – नहीं बदलेंगी। वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए और अधिक काम किए जाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से भारत में राज्य स्तर पर, ताकि “मेक इन इंडिया” को और गति मिल सके।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: भारत के विनिर्माण क्षेत्र ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, लेकिन वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने में उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत के विनिर्माण परिदृश्य में प्रमुख बाधाओं और अवसरों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। (10 अंक, 150 शब्द)

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