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अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन परिषद का 132वाँ सत्र

Lokesh Pal July 12, 2024 01:18 264 0

संदर्भ

हाल ही में बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने लंदन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की परिषद के 132वें सत्र (8 जुलाई, 2024 से 12 जुलाई, 2024) में भाग ले रहा है।

संबंधित तथ्य

  • भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे
    • भारत ने समुद्री सुरक्षा उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया और सतत् समुद्री परिवहन के लिए अभिनव क्षेत्रीय केंद्र का प्रस्ताव रखा।
    • भारत ने सतत् समुद्री परिवहन के लिए दक्षिण एशियाई उत्कृष्टता केंद्र (SACE-SMarT) के लिए अपने प्रस्ताव को दोहराया।
    • भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने लाल सागर, अदन की खाड़ी और आस-पास के क्षेत्रों में शिपिंग और व्यापार माल-ढुलाई को प्रभावित करने वाले  व्यवधानों पर भी चिंता व्यक्त की। 
    • समुद्री सुरक्षा और संरक्षण के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए, प्रतिनिधिमंडल ने दो महत्त्वत्वपूर्ण घटनाओं का हवाला दिया, जहाँ भारतीय नौसेना ने सफलतापूर्वक हस्तक्षेप किया।
    • भारत ने सतत् समुद्री परिवहन के लिए दक्षिण एशियाई उत्कृष्टता केंद्र (SACE-SMarT) के अपने प्रस्ताव को दोहराया। 
      • इस क्षेत्रीय केंद्र का उद्देश्य भारत और दक्षिण एशिया में समुद्री क्षेत्र को तकनीकी रूप से उन्नत, पर्यावरण की दृष्टि से सतत् और डिजिटल रूप से कुशल उद्योग में बदलना है। 
      • केंद्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, तकनीकी सहयोग को बढ़ाने, क्षमता निर्माण और डिजिटल बदलाव पर ध्यान केंद्रित करेगा। 
      • आईएमओ के वैश्विक समुद्री प्रौद्योगिकी सहयोग केंद्रों (MTCC) के सहयोग से SACE-SMarT को विकसित करने में भारत के नेतृत्व को सतत् समुद्री विकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया।

भारतीय नाविकों से जुड़े मुद्दे

  • अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार के अंतर्गत आईएमओ परिषद के एक निर्वाचित सदस्य भारत ने नाविकों के परित्याग के तत्काल मुद्दे पर जोर दिया।
  • प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि प्रयासों के बावजूद, वर्तमान में 292 भारतीय नाविकों से जुड़े 44 सक्रिय मामले हैं। 
  • ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए प्रभावी उपायों और निगरानी की आवश्यकता पर भारत के मजबूत रुख को अच्छी तरह से समझा गया।
    • नाविकों के मुद्दों को निरंतर संबोधित करने की अपनी प्रतिबद्धता के कारण भारत ने संयुक्त त्रिपक्षीय कार्य समूह में IMO का प्रतिनिधित्व करने वाली आठ सरकारों में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है। 
    • यह समूह नाविकों के मुद्दों और समुद्री संचालन में मानवीय मुद्दों की पहचान करने और उनसे निपटने के लिए समर्पित है। 
    • अन्य प्रस्तावित सदस्यों में फिलीपींस, थाईलैंड, लाइबेरिया, पनामा, ग्रीस, अमेरिका और फ्राँस शामिल हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन

  • परिचय
    • IMO, संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जो शिपिंग को विनियमित करने और जहाजों  से समुद्री प्रदूषण को रोकने के लिए जिम्मेदार है।
    • IMO की स्थापना वर्ष 1948 में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के बाद हुई थी और यह वर्ष 1958 में अस्तित्व में आया।
  • सदस्य
    • IMO में 175 सदस्य देश और तीन सहयोगी सदस्य हैं, इसका मुख्यालय लंदन, यूनाइटेड किंगडम में है। 
    • भारत वर्ष 1959 में IMO में शामिल हुआ।
  • भूमिका
    • इसकी मुख्य भूमिका पोत परिवहन उद्योग के लिए एक नियामक ढाँचा तैयार करना है, जो निष्पक्ष तथा प्रभावी हो, सार्वभौमिक रूप से अपनाया गया हो एवं सार्वभौमिक रूप से लागू किया गया हो।
    • यह विधि संबंधी विषयों को भी शामिल करता है, जिसमें दायित्व तथा प्रतिपूर्ति के मुद्दे एवं अंतरराष्ट्रीय समुद्री यातायात की सुगमता शामिल है।
    • पोत परिवहन तथा समुद्री गतिविधियों के महत्त्व को उजागर करने के लिए IMO सितंबर के प्रत्येक अंतिम गुरुवार को विश्व समुद्री दिवस मनाता है।
  • IMO की संरचना
    • IMO सदस्यों की सभा (Assembly) द्वारा शासित होता है, जिसकी बैठक द्विवार्षिक रूप से होती है तथा 40 सदस्यों की एक परिषद होती है, जिसे दो वर्ष की अवधि के लिए विधानसभा द्वारा चुना जाता है।
    • IMO की सर्वोच्च शासी निकाय असेंबली है।
    • यह परिषद IMO की इकाई है तथा संगठन के कार्य की निगरानी के लिए जिम्मेदार है। यह समुद्री सुरक्षा और प्रदूषण की रोकथाम पर सरकारों को सिफारिशें करने के अलावा असेंबली के कार्यों का निष्‍पादन करती है।
    • IMO का कार्य पाँच समितियों तथा विभिन्न उप-समितियों के माध्यम से संचालित होता है, जो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, कूट, प्रस्तावों एवं दिशा-निर्देशों को अपनाते हैं।
  • भारत और IMO
    • भारत समुद्री मामलों के प्रति अपनी निरंतर प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए IMO परिषद की श्रेणी-B में बना हुआ है।
    • भारत के विजन 2030 का लक्ष्य IMO लंदन में स्थायी प्रतिनिधियों की नियुक्ति करके IMO में प्रतिनिधित्व बढ़ाना है।
    • अमृत काल विजन 2047 भारत की वैश्विक समुद्री उपस्थिति को मजबूत करने के लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार करता है।

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