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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 12, 2024 03:10 103 0

विश्व जनसंख्या दिवस

(World Population Day)

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर, भारत सरकार द्वारा परिवार नियोजन में भारत की यात्रा और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने की प्रतिबद्धता की पुष्टि को रेखांकित किया गया है। 

विश्व जनसंख्या दिवस

  • परिचय: वर्ष 1989 में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) ने जनसंख्या से संबंधित मुद्दों के महत्व एवं तात्कालिकता पर बल देते हुए, 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव रखा था। 
  • इतिहास: UNDP को 11 जुलाई, 1987 को ‘पाँच अरब दिवस’ ​​के संबंध में बढ़ी हुई सार्वजनिक रुचि और जागरूकता से प्रेरणा मिली, जब वैश्विक जनसंख्या 5 अरब तक पहुँच गई थी। 
    • एक संकल्प के बाद, विश्व जनसंख्या दिवस पहली बार 11 जुलाई, 1990 को मनाया गया।
  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund-UNFPA): UNFPA की स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी, उसी वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पुष्टि की थी कि “माता-पिता को अपने बच्चों की संख्या और उनके बीच के अंतराल को स्वतंत्र एवं जिम्मेदारी से निर्धारित करने का अंतर्निहित अधिकार है।”
  • थीम: किसी को पीछे न छोड़ें, सबकी गिनती करें (Leave no one behind, count everyone)

हैनिबल डायरेक्टिव

(Hannibal Directive)

जब हमास ने दक्षिणी इजरायल पर हमला किया तो इजरायली रक्षा बलों (Israel Defence Forces- IDF) ने ‘हैनिबल डायरेक्टिव’ (Hannibal Directive) को सक्रिय कर दिया। 

‘हैनिबल डायरेक्टिव’ (Hannibal Directive)

  • परिचय: यह अभिव्यक्ति एक कथित IDF परिचालन नीति को संदर्भित करती है। इसका उद्देश्य राजनीतिक रूप से कष्टदायक कैदी अदला-बदली को रोकना है, इसके लिए बंदी इजरायली सैनिक के आसपास के सभी लोगों को तत्काल मार दिया जाता है, भले ही इससे सैनिक को ही खतरा हो।
    • पकड़े जाने की स्थिति में, मुख्य मिशन, अपहर्ताओं से सैनिकों को बचाना हो जाता है, भले ही इसके लिए हमारे सैनिकों को मारना या घायल करना पड़े।
  • नामकरण: इस नीति का नाम कार्थेजियन जनरल हैनिबल (Carthaginian general Hannibal) के नाम पर रखा गया था, जिसने 181 ईसा पूर्व में रोमनों द्वारा पकड़े जाने की संभावना के चलते आत्महत्या करने का निर्णय लिया था। 
  • उत्पत्ति: हैनिबल सिद्धांत वर्ष 1985 के जिब्रील समझौते (Jibril Agreement) के प्रत्युत्तर में तैयार किया गया था, जिसके तहत 1,150 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले तीन इजरायली कैदियों को छोड़ा गया था, जिन्हें सीरिया स्थित उग्रवादी समूह पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन-जनरल कमांड (Popular Front for the Liberation of Palestine-General Command- PFLP-GC) द्वारा लेबनान में पकड़ लिया गया था। 
वर्ष 2038 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन

(Net Zero Emissions by 2038)

सार्वजनिक क्षेत्र के तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (Oil and Natural Gas Corporation- ONGC) वर्ष 2038 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने के लिए लगभग 2 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रहा है। 

 ONGC की शुद्ध शून्य उत्सर्जन (Net Zero Emissions) प्राप्त करने की योजना 

  • लक्ष्य: वर्ष 2030 तक ONGC की योजना सौर और अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं में 97,000 करोड़ रुपये निवेश करने की है। वर्ष 2035 तक ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया संयंत्रों के लिए अतिरिक्त 65,500 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएँगे।
    • वर्ष 2038 तक 1 गीगावाट की अपतटीय पवन परियोजनाओं के विकास के लिए 38,000 करोड़ रुपए का वित्तपोषण किया जाएगा।
  • गैस फ्लेयरिंग को समाप्त करना: ONGC का लक्ष्य वर्ष 2030 तक गैस फ्लेयरिंग को खत्म करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी में 5,000 करोड़ रुपये का निवेश करना है। आधार वर्ष 2021-22 में ONGC ने वायुमंडल में 554 मिलियन क्यूबिक मीटर मेथेन उत्सर्जित की।
  • सौर और पवन ऊर्जा पहल: ONGC ने वर्ष 2030 तक 5 गीगावाट सौर पार्क और पवन टर्बाइन विकसित करने के लिए 30,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। इसके अतिरिक्त, इसका लक्ष्य वर्ष 2035 से 2038 तक 5,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 1 गीगावाट सौर और तटवर्ती पवन क्षमता में वृद्धि करना है। 
  • हरित हाइड्रोजन और अमोनिया परियोजनाएँ: ONGC ने वर्ष 2030 तक 40,000 करोड़ रुपये और वर्ष 2035 तक इतनी ही राशि निवेश की योजना बनाई है, जिससे प्रति वर्ष 1,80,000 टन हरित हाइड्रोजन या 1 मिलियन टन हरित अमोनिया का उत्पादन करने वाली परियोजनाएँ बनाई जाएँगी। 
  • अपतटीय पवन परियोजनाएँ: वर्ष 2030 तक ONGC का लक्ष्य 0.5 गीगावाट विद्युत उत्पन्न करने वाली अपतटीय पवन टर्बाइन स्थापित करने के लिए 12,500 करोड़ रुपये का निवेश करना है। 
    • वर्ष 2035 तक यह क्षमता 12,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश से दोगुनी हो जाएगी। वर्ष 2038 तक, ONGC 25,000 करोड़ रुपये का निवेश करके 1 गीगावाट अतिरिक्त अपतटीय पवन ऊर्जा जोड़ने की योजना बना रही है। 
  • पंप भंडारण संयंत्र: ONGC, 3 गीगावाट के पंप भंडारण संयंत्र स्थापित करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करने का लक्ष्य भी रखती है, जिससे नवीकरणीय स्रोत अनुपलब्ध होने की अवधि के दौरान विद्युत की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। 

ऊपरी सियांग जलविद्युत परियोजना

(Upper Siang hydropower project)

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के अरुणाचल प्रदेश दौरे से पहले अरुणाचल प्रदेश के दो बाँधों को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन से जुड़े कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। 

ऊपरी सियांग जलविद्युत परियोजना 

  • परिचय: अपर सियांग परियोजना अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में सियांग नदी पर प्रस्तावित 11,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना है।
  • प्रस्ताव: वर्ष 2017 में सरकार ने प्रस्तावित 5,500 मेगावाट सियांग अपर स्टेज-I और 3,750 मेगावाट सियांग अपर स्टेज-II जलविद्युत परियोजनाओं को उच्च क्षमता वाली एकल, बहुउद्देशीय परियोजना से बदलने का प्रस्ताव रखा था, जिसे उपर्युक्त उपरी सियांग परियोजना कहा गया है।
  • निर्माण: राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (National Hydroelectric Power Corporation- NHPC) द्वारा निर्मित की जाने वाली इस परियोजना में 300 मीटर ऊँचा बाँध बनाया जाएगा, जो उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा बाँध होगा। 

सियांग नदी

  • उत्पत्ति: सियांग नदी तिब्बत में कैलाश पर्वत के निकट से निकलती है, जहाँ इसे त्सांगपो (Tsangpo) के नाम से जाना जाता है।
  • मार्ग: यह नदी 1,000 किलोमीटर से अधिक पूर्व की ओर जाती है, फिर ऊँची नमचा बरवा चोटी के चारों ओर एक घोड़े की नाल के आकार का मोड़ बनाती है और सियांग के रूप में अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। आगे चलकर यह नदी असम में विशाल ब्रह्मपुत्र के रूप में जानी जाती है। 

विरोध प्रदर्शन के कारण

  • पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा: ज्ञापन में अरुणाचल प्रदेश में सियांग मेगा बाँध के प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त की गई है, जिसमें पैतृक भूमि में संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र, वन्यजीव आवास और जैव विविधता के लिए खतरा बताया गया है। 
  • विस्थापन: कार्यकर्ता समुदायों के विस्थापन के बारे में भी चिंता व्यक्त करते हैं, जिनमें ऊपरी सियांग में यिंगकिओंग जिला मुख्यालय सहित अदी जनजाति के 300 से अधिक गाँव शामिल हैं। 
मैक्स टेकऑफ वेट (Max TakeOff Weight- MTOW) मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicle- UAV) 

बंगलूरू स्थित एक फर्म ने लद्दाख के उमलिंग ला दर्रे पर 19,024 फीट की ऊँचाई पर 100 किलोग्राम मैक्स टेकऑफ वेट (MTOW) मानव रहित हवाई वाहन (UAV) के सफल परीक्षण की सूचना दी है। 

लाभ

  • रक्षा वायु रखरखाव में योगदान: मानवयुक्त उड़ानों की तुलना में महत्त्वपूर्ण लागत बचत के साथ उच्च ऊँचाई पर रक्षा मंत्रालय की वायु रखरखाव उड़ानों को बढ़ाने की क्षमता। 
  • दक्षता और लागत में कमी: पारंपरिक चीता हेलीकॉप्टरों की तुलना में न्यूस्पेस जैसे ड्रोन की क्षमता पर प्रकाश डाला गया, जिससे समान ऊँचाई पर पेलोड ले जाने में मदद मिली तथा प्रति उड़ान परिचालन लागत भी कम हुई।
  • निजी क्षेत्र का नवाचार (Private Sector Innovation): चीन और भारत के बीच हिमालयी गतिरोध के बीच, दोनों देशों की निजी कंपनियाँ लॉजिस्टिक्स ड्रोन के विकास में प्रतिस्पर्द्धात्मक रूप से आगे बढ़ रही हैं। 

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