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केंद्र ने श्रम संहिताओं को लागू करने के प्रयास शुरू किए

Lokesh Pal July 13, 2024 02:23 179 0

संदर्भ

केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में संसद द्वारा पारित चार श्रम संहिताओं को लागू करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।  

  • चार श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन से देश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ परिदृश्य में सुधार हो सकता है। 

पृष्ठभूमि

  • ‘श्रम’ समवर्ती सूची में सूचीबद्ध विषय है: ‘श्रम’ को भारत के संविधान की समवर्ती सूची में सूचीबद्ध  किया गया है। 
    • इसलिए, संसद और राज्य विधायिका दोनों श्रम को विनियमित करने वाले कानून बना सकते हैं।  
  • श्रम संहिताओं का अधिनियमन: भारत सरकार ने चार श्रम संहिताओं को अधिनियमित किया है, अर्थात् वेतन संहिता, 2019; औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (IR संहिता); सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (SS संहिता) और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 (OSH संहिता) 
  • विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श (Consultation with various stakeholders): केंद्र सरकार ने चार श्रम संहिताओं के लिए मसौदा नियमों को पूर्व-प्रकाशित कर दिया है और सभी हितधारकों से टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं। 

श्रम संहिता कार्यान्वयन की स्थिति

  • लंबित परिचालन (Pending Operationalisation)
    • संहिताएँ दोनों सदनों में पारित हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक लागू नहीं हुई हैं। 
    • देरी का कारण ट्रेड यूनियनों द्वारा उठाई गई आपत्तियाँ हैं। 
  • राज्य-स्तरीय नियम निर्धारण
    • केंद्र का दावा है कि कुछ राज्यों ने अभी तक नियम नहीं बनाए हैं।
    • केंद्र ने कहा था कि वह उन राज्यों को प्रक्रिया पूरी करने में मदद कर रहा है, जो नियमों का मसौदा तैयार नहीं कर सके।
  • ट्रेड यूनियन विरोध: केंद्रीय ट्रेड यूनियन (Central Trade Unions- CTU) ट्रेड यूनियन अधिकारों में संभावित कटौती और श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों में कमी की चिंताओं का हवाला देते हुए संहिताओं के कार्यान्वयन का विरोध कर रहे हैं। 

श्रम संहिता कार्यान्वयन के लाभ

  • नियुक्ति में लचीलापन
    • कंपनियाँ निश्चित अवधि के अनुबंध पर श्रमिकों को नियुक्त कर सकती हैं।
    • व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुसार कार्यबल को समायोजित करने में अधिक लचीलापन प्रदान करना।
    • रिकॉर्ड रखने की आवश्यकताएँ।
  • कंपनियों के लिए श्रमिकों का विस्तृत रिकार्ड रखने की प्रक्रिया को सरल बनाता है। 
    • इसमें मजदूरी, कार्य घंटे और अन्य लाभों का रिकार्ड शामिल है।
  • मानकीकृत परिभाषाएँ
    • नए कोडों में अनेक परिभाषाएँ मानकीकृत हैं।
    • कोडों की व्याख्या और अनुप्रयोग में अस्पष्टता कम हो जाती है। 
  • श्रमिकों को अधिक सुरक्षा: नए कोड श्रमिकों को अधिक सुरक्षा और लाभ प्रदान करेंगे, जिनमें न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा लाभ और शिकायत निवारण तंत्र के प्रावधान शामिल हैं। 
    • ये संहिताएँ श्रमिकों के लिए बीमा और पेंशन लाभ सहित एक नया सामाजिक सुरक्षा तंत्र भी उपलब्ध कराएँगी।
  • मानव संसाधन प्रौद्योगिकी पर प्रभाव: कंपनियों को अपने कार्यबल का प्रबंधन करने और नए श्रम संहिताओं का अनुपालन करने के लिए नई मानव संसाधन प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता होगी। 
    • नए श्रम संहिताओं से नई मानव संसाधन प्रौद्योगिकियों का विकास भी हो सकता है, जो कंपनियों को अपने कार्यबल का अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में मदद कर सकती हैं।  

ट्रेड यूनियन के विरोध के कारण

  • अधिकारों में कटौती (Curtailment of Rights): ट्रेड यूनियन की इन चिंताओं में ट्रेड यूनियन अधिकारों में संभावित कटौती और श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों में कटौती शामिल है। 
  • विशिष्ट संहिताओं पर चिंताएँ:
    • औद्योगिक संबंध संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य (OSH) संहिता में कई श्रमिक-विरोधी प्रावधान हैं, जिन्हें बदलने की आवश्यकता है। 
    • OSH कोड श्रमिकों के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को बढ़ावा देता है, लेकिन निर्धारित सीमा लाभ को सीमित करती है। 
  • सामाजिक सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: सामाजिक सुरक्षा संबंधी राज्य की नीतियों और कानूनों में प्रवासी तथा असंगठित श्रमिकों के लिए विशिष्ट प्रावधानों का अभाव है। 
    • वर्तमान सामाजिक सुरक्षा कानून इन श्रमिकों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने में विफल है। 
    • राज्य की सीमाओं को पार करने वाले प्रवासी श्रमिकों और भारत के बाहर कार्यरत श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा कानूनों और योजनाओं के तहत संरक्षण से समान रूप से वंचित होना पड़ता है। 
  • जीवन स्तर बिगड़ने की आशंका: चारों श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन से श्रमिकों के जीवन स्तर के बिगड़ने की आशंका है। 

सुझाव

  • भारतीय श्रम सम्मेलन (Indian Labour Conference- ILC) का आयोजन: कई ट्रेड यूनियन नेता केंद्र सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Central Trade Unions- CTU) के साथ व्यक्तिगत रूप से बैठक करने के बजाय तुरंत भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन करे। 
    • श्रमिकों, सरकार और नियोक्ताओं का त्रिपक्षीय मंच भारतीय श्रम सम्मेलन पिछले 10 वर्षों में केवल एक बार आयोजित किया गया है। 

वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (IR संहिता), सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (SS संहिता) और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 (OHS संहिता)। 

वेतन संहिता, 2019

  • परिचय: यह उन सभी रोजगार क्षेत्रों में मजदूरी और बोनस भुगतान को नियंत्रित करती है जहाँ कोई उद्योग, व्यापार, व्यवसाय या विनिर्माण किया जा रहा हो। 
  • विभिन्न श्रम कानूनों को सम्मिलित करता है: विधेयक में निम्नलिखित चार श्रम कानूनों को सम्मिलित किया गया है: 
    • मजदूरी भुगतान अधिनियम, 1936
    • न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
    • बोनस भुगतान अधिनियम, 1965
    • समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
  • प्रमुख प्रावधान
    • सार्वभौमिक न्यूनतम मजदूरी: यह सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी और समय पर भुगतान सुनिश्चित करती है, चाहे वे किसी भी क्षेत्र या वेतन सीमा के हों। 
    • जीविका का अधिकार: इसका उद्देश्य प्रत्येक श्रमिक के लिए “जीविका के अधिकार” की गारंटी देना है। 
    • विधायी संरक्षण: न्यूनतम मजदूरी के विधायी संरक्षण को बढ़ाने का उद्देश्य है। 

औद्योगिक संबंध संहिता (The Industrial Relations Code) 2020

  • परिचय: औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 श्रमिकों के यूनियन बनाने के अधिकारों की रक्षा करने, नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच टकराव को कम करने और औद्योगिक विवादों के निपटारे के लिए नियम प्रदान करने के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करता है। 
  • विभिन्न कानूनों को सम्मिलित करना: इस संहिता को निम्नलिखित तीन केंद्रीय श्रम अधिनियमों को एक संहिता के अंतर्गत समाहित करने, सरल बनाने और सम्मिलित करने के लिए प्रस्तुत किया गया है: 
    • ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926
    • औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946
    • औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 
  • प्रमुख प्रावधान
    • ‘निश्चित अवधि के रोजगार’ की परिभाषा: औद्योगिक संबंध संहिता ‘निश्चित अवधि के रोजगार’ के लिए एक नया प्रावधान प्रस्तुत करता है, जिसका अर्थ है एक निश्चित अवधि के लिए रोजगार के लिखित अनुबंध के आधार पर किसी कर्मचारी की नियुक्ति। 
    • श्रमिक पुनः कौशलीकरण निधि (Worker Re-skilling Fund): औद्योगिक संबंध संहिता में पहली बार उन श्रमिकों के पुनः कौशलीकरण का प्रावधान किया गया है, जिनकी छँटनी कर दी गई है, ताकि वे पुनः रोजगार प्राप्त कर सकें। 
    • कार्य समिति का गठन: किसी औद्योगिक प्रतिष्ठान, जिसमें 12 महीनों के दौरान 100 या अधिक श्रमिक कार्यरत हों, को नियोक्ता और श्रमिकों के बीच समझदारीपूर्ण संबंधों को सुरक्षित तथा संरक्षित करने के लिए सुरक्षात्मक उपायों को बढ़ावा देने हेतु एक कार्य समिति का गठन करना आवश्यक हो सकता है। 
    • शिकायत निवारण समिति: 20 या अधिक श्रमिकों वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान को व्यक्तिगत शिकायतों से उत्पन्न विवादों के समाधान के लिए अधिकतम 10 सदस्यों वाली एक या अधिक शिकायत निवारण समितियों का गठन करना होगा। 

सामाजिक सुरक्षा संहिता (The Code on Social Security), 2020

  • प्रस्तावित राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड: प्रस्तावित राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड असंगठित श्रमिकों, गिग श्रमिकों और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के विभिन्न वर्गों के लिए उपयुक्त योजनाओं की सिफारिश केंद्र सरकार को करेगा। 
  • गिग श्रमिकों के लिए एग्रीगेटर का योगदान: गिग श्रमिकों को रोजगार देने वाले एग्रीगेटरों को सामाजिक सुरक्षा के लिए अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% योगदान करना होगा, जिसमें कुल योगदान एग्रीगेटर द्वारा गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को देय राशि के 5% से अधिक नहीं होगा। 

व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता (The Occupational Safety Health and working Conditions Code) 2020

  • परिचय: व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 एक ऐसी संहिता है, जो किसी प्रतिष्ठान में कार्यरत व्यक्तियों की व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य तथा कार्य स्थितियों को विनियमित करने वाले कानूनों को समेकित एवं संशोधित करती है। यह अधिनियम 13 पुराने केंद्रीय श्रम कानूनों की जगह लेता है। 
  • अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा (Defined Inter-State Migrant Workers): इसमें अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों को ऐसे श्रमिक के रूप में परिभाषित किया गया है, जो एक राज्य से स्वयं आकर दूसरे राज्य में रोजगार प्राप्त करते हैं तथा 18,000 रुपये प्रति माह तक कमाते हैं। 

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