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Lokesh Pal
July 13, 2024 05:45
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पश्चिमी देशों के टिप्पणीकार कुछ समय से यह कहते आ रहे हैं कि अब शीत युद्ध के बाद की दुनिया के सुनहरे सपने से आगे बढ़ने का समय आ गया है, क्योंकि उनके अनुसार, मास्को और बीजिंग (और उनके साथ जुड़े कुछ अन्य देश) से अब नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में जिम्मेदार हितधारक बनने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता : वैश्विक विकास पहल (जीडीआई), वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) और वैश्विक सभ्यता पहल (जीसीआई), आदि।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता : भारत-चीन संबंध, चीन की आर्थिक प्रगति, चीन की भू-राजनीतिक आकांक्षाएं आदि। |
चीन के आगामी तीसरे पूर्ण अधिवेशन को लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें आर्थिक सुधारों की उम्मीदें और पश्चिम एवं विशेष रूप से भारत के साथ संबंधो में निरंतर भू-राजनीतिक तनावों को लेकर चिंताएं शामिल हैं।
मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न :चीन की आर्थिक प्रगति और भू-राजनीतिक आकांक्षाओं का भारत और वैश्विक व्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। चर्चा करें कि भारत को इन घटनाक्रमों से उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों का समाधान करने के लिए किस प्रकार रणनीतिक रूप से खुद को तैयार करना चाहिए। (15 अंक, 250 शब्द) |
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