एक नए अध्ययन के अनुसार, फसल को नष्ट करने वाले कीटों की तुलना में मधुमक्खियों और अन्य लाभकारी कीटों को वायु प्रदूषण से अधिक नुकसान होता है।
संबंधित तथ्य
अध्ययन का विषय
रीडिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 120 वैज्ञानिक पत्रों के डेटा का विश्लेषण किया ताकि यह समझा जा सके कि 19 देशों में 40 प्रकार के कीट ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसे वायु प्रदूषकों पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष
नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि परागणकर्ता, जिनमें मधुमक्खियाँ और कुछ पतंगे और तितलियाँ शामिल हैं :
इसने उच्च वायु प्रदूषण के स्तर के संपर्क में आने के बाद भोजन की तलाश करने की क्षमता में 39% की गिरावट का अनुभव किया।
इसके विपरीत, पौधे खाने वाले एफिड्स और अन्य कीटों पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
व्यवहार और जैविक पहलुओं पर प्रभाव: वायु प्रदूषण विभिन्न कीटों के व्यवहार और जैविक पहलुओं को प्रभावित करता है, जिसमें भोजन, वृद्धि, अस्तित्व, प्रजनन और भोजन के स्रोतोंको खोजने की क्षमता शामिल है।
इन सभी कारकों में से, वायु प्रदूषण के कारण कीटों की भोजन खोजने की क्षमता सबसे अधिक प्रभावित हुई, जो औसतन लगभग एक-तिहाई कम हो गई।
हानिकारक प्रदूषक: वायु प्रदूषकों में, ओजोन विशेष रूप से लाभदायक कीटों के लिए हानिकारक है, जिससे उनके पनपने और पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी भूमिका निभाने की क्षमता 35% कम हो जाती है।
ओजोन प्रदूषण का सबसे अधिक हानिकारक प्रभाव पड़ता है और वर्तमान वायु गुणवत्ता मानकों से नीचे का निम्न ओजोन स्तर भी महत्त्वपूर्ण नुकसान पहुँचा सकता है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड ने लाभकारी कीटों को भी काफी हद तक नुकसान पहुँचाया है।
अकशेरुकी जीवों पर प्रभाव: अकशेरुकी जीवों के प्रदर्शन में परिवर्तन वायु प्रदूषक सांद्रता पर निर्भर नहीं करता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि प्रदूषण का निम्न स्तर भी हानिकारक है।
क्षोभमंडलीय ओजोन में अनुमानित वृद्धि से वैश्विक अकशेरुकी आबादी और उनकी मूल्यवान पारिस्थितिक सेवाओं पर अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं।
अकशेरुकी (Invertebrates)
संदर्भित: बिना रीढ़ वाले विषमतापीय जानवर।
निवास स्थान: अकशेरुकी कीड़े, मकड़ियों और कृमियों की तरह जमीन पर या जल में रह सकते हैं।
समुद्री अकशेरुकी जीवों में क्रस्टेशियन (जैसे केकड़े और झींगे), मोलस्क (जैसे स्क्विड और क्लैम) और प्रवाल शामिल हैं।
परागण और परागणक
संदर्भ: परागण, फूलों की नर संरचनाओं (परागकोश) से पराग को उसी फूल या किसी अन्य फूल की मादा संरचनाओं (स्टिग्मा) में स्थानांतरित करना है, जिससे निषेचन और बीजों का उत्पादन होता है।
प्रकार: यह दो प्रकार का होता है:
स्व-परागण: एक ही फूल या उसी पौधे के दूसरे फूल में पराग कणों का स्थानांतरण।
क्रॉस-परागण: एक ही तरह के दूसरे पौधे के फूल में पराग कणों का स्थानांतरण।
परागणक: ये ऐसे एजेंट होते हैं जो परागण को सुगम बनाते हैं।
अजैविक: वायु एवं जल
जैविक: सामान्य परागणकों में मधुमक्खियाँ, तितलियाँ, पतंगे, भृंग, पक्षी और चमगादड़ जैसे स्तनधारी शामिल हैं।
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