अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) ने भारतीय तेंदुए की संरक्षण स्थिति की जाँच की है तथा उसके आबादी पैटर्न के संबंध में कई महत्त्वपूर्ण विवरण उजागर किए हैं।
मुख्य बिंदु
आबादी में गिरावट: अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के आकलन के अनुसार पिछले तीन पीढ़ियों में भारतीय तेंदुए [पेंथेरा पार्डस फ्यूस्का (Panthera pardus fusca)]की आबादी में लगभग 24.5% की गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण निवास स्थान का नुकसान, विखंडन, अवैध शिकार और मानव-तेंदुए संघर्ष है।
संरक्षण स्थिति: भारतीय तेंदुए को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट में निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो दर्शाता है कि जनसंख्या में महत्त्वपूर्ण गिरावट के कारण यह लुप्तप्राय (Endangered) या सुभेद्य (Vulnerable) होने के करीब है।
CITES: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972: अनुसूची I (Schedule I)।
तेंदुए (Leopards)
परिचय: तेंदुआ (पेंथेरा पार्डस)एक बड़ी बिल्ली (बिग कैट) है जो शेर, बाघ और जगुआर से बहुत निकट से संबंधित है।
तेंदुए आकार और चिह्नों में काफी भिन्न होते हैं, आमतौर पर इनका वजन 50 से 90 किलोग्राम के बीच होता है और पूँछ को छोड़कर इनकी लंबाई लगभग 210 सेमी. होती है।
विशेषताएँ: तेंदुओं का ऊपरी भाग आमतौर पर पीले रंग का तथा निचला भाग सफेद होता है, जो गहरे रंग के धब्बों से सुशोभित होता है, लेकिन जगुआर की तरह उनमें केंद्रीय धब्बे नहीं होते।
वन सलाहकार समिति
(Forest Advisory Committee-FAC)
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee- FAC) ने वन भूमि पर बिना मंजूरी के दीवारें बनाने के लिए ओडिशा सरकार को फटकार लगाई है।
वन सलाहकार समिति
परिचय: वन सलाहकार समिति एक वैधानिक निकाय है, जिसका नेतृत्व पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forests, and Climate Change- MoEFCC) के वन महानिदेशक करते हैं।
अधिदेश: वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के अंतर्गत, केंद्र सरकार ने वन संरक्षण (संशोधन) नियम, 2004 प्रस्तुत किया, जिसके खंड 3 और खंड 4 में वन सलाहकार समिति की जिम्मेदारियों को रेखांकित किया गया है।
रेफरल: केंद्र सरकार प्रत्येक प्रस्ताव जिसमें 40 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि शामिल है, (रेखीय परियोजनाओं से संबंधित प्रस्तावों को छोड़कर), साइट निरीक्षण रिपोर्ट के साथ वन सलाहकार समिति को भेजती है।
सिफारिश: वन सलाहकार समिति को गैर-वनीय उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग पर शर्तों या प्रतिबंधों की सिफारिश करने का भी अधिकार है।
अनुमोदन: वन सलाहकार समिति की सलाह की समीक्षा करने के बाद, केंद्र सरकार या तो उपयुक्त निवारक उपायों के साथ प्रस्ताव को अनुमोदित करती है अथवा उसे अस्वीकार कर देती है।
भूमिका: वन सलाहकार समिति की भूमिका पूर्णतया सलाहकारी है।
स्पेड टूथेड टेल
(Spade Toothed Tale)
न्यूजीलैंडके एक समुद्र तट पर बीक्ड व्हेल (Beaked Whale) की खोज, वैज्ञानिकों को दुर्लभ स्पेड टूथेड व्हेल (Spade-toothed Whale) का अध्ययन करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
स्पेड टूथेड व्हेल (Spade-toothed Whale)
परिचय: स्पेड टूथेड व्हेल[मेसोप्लोडोन ट्रैवर्सिई (Mesoplodon Traversii)] व्हेल की सबसे कम ज्ञात और दुर्लभतम प्रजाति है।
खोज स्थल (Discovery site): इस प्रजाति की पहचान सबसे पहले वर्ष 1872 में न्यूजीलैंड के पिट द्वीप (Pitt Island) पर खोजे गए एक आंशिक जबड़े से हुई थी। वर्ष 2010 में, न्यूजीलैंड के ही ओपेप बीच (Opape Beach) पर दो नमूने पाए गए थे।
नमूने: एकमात्र पूर्ण ज्ञात नमूना 5.3 मीटर लंबी वयस्क मादा और उसका 3.5 मीटर लंबा नर संतान का है।
वयस्क मादा का शरीर धुरी के आकार का होता है, जिसका पृष्ठीय भाग गहरे भूरे या काले रंग का तथा निचला भाग सफेद होता है, एवं वक्ष पर हल्का धब्बा होता है, साथ ही आँखों पर गहरे रंग के धब्बे, रोस्ट्रम और पंख होते हैं।
संरक्षण स्थिति: स्पेड टूथेड व्हेल को प्रशांत द्वीप क्षेत्र में सिटेशियन और उनके आवासों के संरक्षण के लिए समझौता ज्ञापन (प्रशांत सिटेशियन एमओयू) में शामिल किया गया है।
सीमित जानकारी और अनिश्चित आँकड़ों के कारण IUCN की रेड लिस्ट में इसके संरक्षण की स्थिति को ‘डेटा डेफिसिएंट’ (DD) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
भोजशाला परिसर (Bhojshala complex)
भोजशाला परिसर में मौजूदा संरचना का निर्माण उस मंदिर के अवशेषों का उपयोग करके किया गया है जो पहले इस स्थान पर मौजूद था।
भोजशाला परिसर
परिचय: मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित इस स्थल की स्थापना 1034 ई. में हुई थी और इसका निर्माण परमार वंश के राजा भोज (1000-1055 ई.) ने कराया था।
विशेषताएँ: यह एक विश्वविद्यालय के रूप में कार्य करता था, जहाँ वाग्देवी(माता सरस्वती) की मूर्ति स्थापित की गई थी।
इतिहास: भोजशाला पर पहला हमला 1305 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने किया था। 1514 ई. में महमूद शाह खिलजीद्वितीय ने भोजशाला को दरगाह में बदलने का प्रयास किया।
उन्होंने सरस्वती मंदिर के बाहर की भूमि पर अतिक्रमण कर ‘कमाल मौलाना’ मकबरे का निर्माण कराया।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI): वर्ष1952 में केंद्र सरकार ने भोजशाला को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण को हस्तांतरित कर दिया।
वास्तुकला: इस परिसर में एक विशाल खुला प्रांगण है, जिसके चारों ओर खंभों से सुसज्जित बरामदा है। इस बरामदे के पश्चिम में एक प्रार्थना कक्ष है।
प्रार्थना कक्ष के जटिल नक्काशीदार स्तंभ और सुंदर ढंग से सुसज्जित छत भोजशाला से मँगवाई गई थी।
परिसर में शिलालेख: चट्टानों पर भगवान विष्णु के कर्मावतार पर दो प्राकृत स्तोत्र उत्कीर्ण हैं।
11वीं-12वीं शताब्दी के दो सर्पबंध स्तंभ शिलालेख, जिनमें संस्कृत व्याकरण और वर्णमाला का विवरण है।
अनुस्तुभ छंद में दो संस्कृत ग्रंथ, एक में राजा भोज के उत्तराधिकारियों की प्रशंसा की गई है और दूसरे में स्तंभों को स्थापित करने का श्रेय उदयादित्य को दिया गया है।
एक वैज्ञानिक-एक उत्पाद पहल
(One Scientist-One Product Initiative)
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) अपनी ‘एक वैज्ञानिक- एक उत्पाद’ पहल शुरू करने की तैयारी कर रही है।
एक वैज्ञानिक- एक उत्पाद पहल (One Scientist- One Product Initiative)
उद्देश्य: कृषि और पशुपालन अनुसंधान में प्रगति को बढ़ावा देना।
नई फसल किस्मों का शुभारंभ: यह पहल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 96वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अनाज, तिलहन, चारा फसलों और गन्ने सहित 56 फसलों की 323 नई किस्मों की शुरूआत होगी।
उन्नत फसल किस्में (Enhanced Crop Varieties): इनमें से 289 किस्में जलवायु चुनौतियों का सामना करने के लिए विकसित की गई हैं, जबकि 27 को अतिरिक्त पोषक तत्त्वों के साथ उन्नत किया गया है।
विकास: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक के अनुसार, संगठन के 5,521 वैज्ञानिकों में से प्रत्येक एक उत्पाद, प्रौद्योगिकी, मॉडल, अवधारणा या महत्त्वपूर्ण प्रकाशन विकसित करने का कार्य करेगा।
वैज्ञानिक प्रत्येक वर्ष के आरंभ में अपनी परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार करेंगे, संस्थान स्तर पर त्रैमासिक समीक्षा की जाएगी तथा मुख्यालय स्तर पर अर्द्ध-वार्षिक समीक्षा की जाएगी।
व्यापार घाटा
(Trade Deficit)
जून 2024 में भारत का वस्तु निर्यात 2.55% बढ़कर 35.2 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि आयात 5% बढ़कर 56.2 बिलियन डॉलर हो गया, जिससे व्यापार घाटा 9.4% बढ़ गया।
व्यापार घाटा (Trade Deficit)
परिचय: व्यापार घाटा तब होता है, जब किसी देश का आयात उसके निर्यात के मूल्य से अधिक हो जाता है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक माप है, जिसे नकारात्मक व्यापार संतुलन के रूप में जाना जाता है।
गणना: घाटे की गणना किसी देश के निर्यात के कुल मूल्य को उसके आयात के कुल मूल्य से घटाकर की जाती है।
व्यापार घाटे को प्रभावित करने वाले कारक
आर्थिक विकास: बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण आयात पर उपभोक्ता खर्च बढ़ सकता है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
सरकारी व्यय: उच्च सरकारी व्यय राष्ट्रीय बचत को कम कर सकता है तथा व्यापार घाटा बढ़ा सकता है।
विनिमय दर में उतार-चढ़ाव (Exchange Rate fluctuations): मुद्रा की मजबूती में परिवर्तन से आयात और निर्यात की लागत प्रभावित होती है, जिससे व्यापार घाटे का स्तर प्रभावित होता है।
उत्पादन सीमाएँ (Production limitations): कुछ वस्तुएँ विदेशों में सस्ती या अधिक कुशलता से उत्पादित होती हैं, जिससे घरेलू क्षमता के बावजूद आयात करना आवश्यक हो जाता है।
व्यापार नीतियाँ: टैरिफ जैसी व्यापार बाधाओं को हटाने से व्यापार पैटर्न बदल सकता है, जिससे विभिन्न व्यापारिक साझेदारों के साथ व्यापार संतुलन प्रभावित हो सकता है।
नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID)
सरकार बैंकों से सहायता के माध्यम से ‘नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट’(National Bank for Financing Infrastructure and Development- NaBFID) के पूँजी आधार को 1 ट्रिलियन तक बढ़ाना चाहती है।
राष्ट्रीय अवसंरचना एवं विकास वित्त पोषण बैंक (NaBFID)
परिचय: वर्ष 2021 में संसद के एक अधिनियम के माध्यम से स्थापित, जिसे नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट एक्ट, 2021 के रूप में जाना जाता है, यह भारत में एक विशेष विकास वित्त संस्थान के रूप में कार्य करता है।
उद्देश्य: इसके उद्देश्यों में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए दीर्घकालिक गैर-पुनर्प्राप्ति वित्त में अंतराल को पाटना, भारत में बॉण्ड और डेरिवेटिव बाजारों के विकास को बढ़ाना और सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देना शामिल है।
विनियमन: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित और पर्यवेक्षित, यह एक अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (All India Financial Institution- AIFI) के रूप में कार्य करता है।
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